उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री, श्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने कहा कि भारत सरकार द्वारा निर्गत ‘खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957’ में संशोधन अध्यादेश, 2015 किसान एवं देश विरोधी है। इस अध्यादेश से जहां पूजीपतियों को बढ़ावा मिलेगा वहीं दूसरी तरफ किसानों एवं गरीब जनता का उत्पीड़न होगा। इस अध्यादेश में व्यवस्था थी कि जो भी प्रदेश सरकारें हैं, उनके द्वारा पट्टों की स्वीकृति में भारत सरकार की अनुमति आवश्यक है।
श्री प्रजापति ने कल दिनांक 19 जनवरी, 2014 को केन्द्रीय इस्पात एवं खान मंत्री, भारत सरकार की अध्यक्षता में नई दिल्ली में सम्पन्न बैठक से लौटने के बाद आज यहां बताया कि 12 जनवरी, 2015 के अध्यादेश की धारा-21ए में अवैध खनन एवं परिवहन हेतु अर्थदण्ड की सीमा 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गयी है, जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने जुर्माने की राशि 25 हजार रुपये से घटाकर 01 हजार रुपये करने का काम किया था। इसी प्रकार किसानों के हित में 10 ट्राली मिट्टी मुफ्त करने का काम भी किया गया तथा किसानों, कुम्हारों, खपरैल की भट्टी आदि कुटीर उद्योगों को बढ़ावा तथा खेतों के समतलीकरण, मेड़बन्दी आदि करने हेतु भी छूट दी गयी।
श्री प्रजापति ने कहा कि उ0प्र0 की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए पूर्व की व्यवस्था को व्यवहारिक बताया साथ ही यह भी कहा कि जिस प्रकार उ0प्र0 में नई तकनीकों को प्रयोग हो रहा है और प्रदेश तरक्की कर रहा है। इस कारण मशीनों को बढ़ावा दिया जाना उचित है और साथ ही परिवहन में जो निर्धारित 9 घनमीटर की मात्रा है उसे 18 से 22 घनमीटर तक बढ़ाने सिफारिश की है।
उन्होंने कहा कि अधिक पेनाल्टी की दशा में पारदर्शिता के स्थान पर अपराध को बढ़ावा मिलेगा और किसान बुरी तरह से प्रभावित होगा तथा कुटीर उद्योग बन्द हो जायंेगे। पर्यावरण के सम्बन्ध में उन्होंने सुझाव दिया कि जहां पर 5 एकड़ से कम पट्टे हैं, उसमें पर्यावरण की एन0ओ0सी0 नहीं होनी चाहिए और 5 हेक्टेयर के ऊपर पर्यावरण की एन0ओ0सी0 उचित है तथा उसका तीन माह के भीतर निस्तारण भी होना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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