Posted on 06 February 2014 by admin
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि समाजवादी पार्टी की सामाजिक न्याय अधिकार रथयात्रा 6 फरवरी से 10 फरवरी,2014 तक कन्नौज, मैनपुरी, औरैया, इटावा तथा फिरोजाबाद में चलेगी और पिछड़ों, अति पिछड़ों के प्रति समाजवादी पार्टी की नीतियों का प्रचार-प्रसार करेगी और समाज के इन वर्गो को पार्टी के साथ जोड़ने का काम करेगी।
इस सामाजिक न्याय अधिकार यात्रा का नेतृत्व श्री गायत्री प्रसाद प्रजापति, मंत्री तथा प्रदेश उपाध्यक्ष पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ कर रहे है। उनके साथ पिछड़े वर्ग के तमाम पदाधिकारी एवं नेता भी चलेगें। इस दौरान जगह-जगह सभाओं और प्रेसवार्ताओं का भी आयोजन होगा।
सामाजिक न्याय अधिकार रथयात्रा 6 फरवरी,2014 को प्रात: 10Û00 बजे लखनऊ से रवाना होगी और बांगरमऊ, बिल्हौर, ककवन, रसूलाबाद, वेला, तिर्वा होते हुए कन्नौज पहुचेगी। यहां रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन 7 फरवरी,2014 को रथयात्रा सभा व प्रेस कांफ्रेन्स करने के बाद गुरसहायगंज, छिबरामऊ, बेवर, भोगांव होते हुए मैनपुरी पहुचेगी।
8 फरवरी,2014 को मैनपुरी में सभा एवं प्रेसवार्ता के उपरांत सामाजिक न्याय अधिकार रथयात्रा करहल, किशनी, विधूना, दिबियापुर होते हुए औरैया, पहुचेगी। 9 फरवरी,2014 को औरैया में प्रात: सभा व प्रेसवार्ता करने के उपरांत रथयात्री दल अजीतमल, बकेवर, भरथना, ताखा होते हुए इटावा पहुचेगा जहां रात्रि विश्राम होगा। अंतिम चरण में 10 फरवरी को प्रात: सामाजिक न्याय अधिकार रथयात्रा इटावा में सभा प्रेसवार्ता करने के उपरांत जसवंतनगर, सिरसागंज, शिकोहाबाद और जसराना होते फिरोजाबाद पहुचेगी जहां इस यात्रा का समापन होगा।
सामाजिक न्याय अधिकार रथयात्रा में स्थान-स्थान पर सभाओं तथा प्रेसवार्ता के जरिए सामाजिक न्याय की पार्टी नीति को प्रचारित किए जाने की का उददेश्य है। सामाजिक न्याय अधिकार रथयात्रा अब तक बुंदेलखण्ड, रूहेलखण्ड तथा पूर्वांचल के कर्इ जनपदो तक समाजवादी पार्टी की सामाजिक न्याय की अवधारण जन-जन तक पहुचाने में सफल रही है। इस यात्रा को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने पार्टी की झण्डी दिखाकर गत वर्ष अक्टूबर, 2013 में प्रारम्भ किया था।
समाजवादी पार्टी सरकार की उपलबिधयों को जन-जन तक पहुचाने के लिए 01 फरवरी से 07 फरवरी,2014 तक प्रदेश के सभी विधान सभा क्षेत्रों में साइकिल यात्राएं भी चल रही है जिसमें हर जगह लाल टोपी पहने सैकड़ों नौजवान भाग ले रहे हैं। आज इस यात्रा का पांचवा दिन है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 06 February 2014 by admin
प्रदेश के शहरी क्षेत्रों की आवासीय समस्या के समाधान हेतु राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1995 में शहरी आवास नीति घोषित की गर्इ थी, जिसके अधीन आवास एवं अवस्थापना सेक्टर में कर्इ महत्वपूर्ण नीतिगत प्रयास एवं विनियामक सुधार किए गए, परन्तु प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में आवासीय समस्या की सिथति अभी भी गम्भीर बनी हुर्इ है। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2007 में राष्ट्रीय शहरी आवास एवं पर्यावास नीति घोषित की गर्इ थी, जिसके क्रम में सभी राज्यों से अपने प्रदेश हेतु शहरी आवास एवं पर्यावास नीति बनाए जाने की अपेक्षा है।
तदनुक्रम में विभिन्न शासकीय विभागोंअभिकरणों, निजी विकासकर्ताओं के एसोसिएशन्स (क्रेडार्इ, यूपीरेडको), शहरी नियोजन के प्रोफ़ेशनल्सविशेषज्ञ तथा अन्य स्टेकहोल्डर्स से कन्सल्टेशन के उपरान्त तैयार की गर्इ उ0प्र0 राज्य शहरी आवास एवं पर्यावास नीति 2014 के ड्राफट को आज मंत्रिपरिषद की बैठक में विचारार्थ प्रस्तुत किया गया, जिस पर विस्तृत चर्चा हुर्इ और कतिपय बिन्दुओं पर सुझाव भी दिये गये। मंत्रिपरिषद द्वारा उक्त सुझावों के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तावित नीति के ड्राफ्ट पर सैद्धानितक सहमति व्यक्त करते हुए संशोधनों सहित अनुमोदन प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया। संशोधन सहित आवास नीति का अनितम ड्राफ्ट मुख्यमंत्री के अनुमोदन के पश्चात निर्गत किया जाएगा।
राज्य शहरी आवास एवंं पर्यावास नीति, 2014 के अन्तर्गत प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के संतुलित, सुनियोजित एवं सुसिथर विकास तथा समाज के समस्त वर्गों को उनकी आर्थिक क्षमतानुसार विकसित भूमि, आवास, रोज़गार के अवसर, समान रूप से जन-सुविधाएं और स्वास्थ्यकर पर्यावरण मुहैया कराने पर बल दिया गया है। राज्य सरकार के सीमित संसाधनों के दृषिटगत सार्वजनिक-निजी-सहभागिता पर विशेष बल दिया गया है तथा प्रदेश के भावी शहरीकरण के स्वरूप को नर्इ दिशा प्रदान करने हेतु नर्इ रणनीति एवं नए विकल्पों को अपनाने का प्रस्ताव है। ड्राफट नीति के मुख्य-मुख्य प्राविधान निम्नवत है :-
1. नियोजित एवं सुसिथर शहरों का विकास
• शहरों के सजीव, सुरक्षित एवं एकीकृत विकास तथा पर्यावरण व कृषि भूमि के संरक्षण हेतु नए विकास विशेषकर इंटीग्रेटेडनए टाउनशिप, मेट्रो रेल कारीडोर तथा पुनर्विकास योजनाओं में निर्धारित मानकों के अनुसार मिश्रित उपयोग अनुमन्य होगा।
• शहरों के पुराने विकसित क्षेत्रों में नान-कन्फार्मिंग उपयोगों की भूमि, रूग्णबन्द उधोगों की भूमि, शासकीय विभागोंनिगमों की रिक्त भूमि, बस टर्मिनलबस डिपो, इत्यादि के पुनर्विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा। शहरों के अन्दर सिथत प्रदूषणकारक एवं खतरनाक उधोगों को जनहित में शहरों के बाहर स्थानान्तरित करने का भी प्रयास किया जायेगा।
2. भूमि जुटाव एवं प्रबन्धन
• भू-स्वामियों से उनकी सहमति एवं भागीदारी के आधार पर भूमि की लैण्ड पूलिंग का भी प्रयास किया जाएगा, जिसके अधीन भू-स्वामियों को पुनर्गठित भूखण्डों के रूप में आवासीय-सह-व्यावसायिक उपयोग की न्यूनतम
25 प्रतिशत विकसित भूमि नि:शुल्क आवंटित की जाएगी।
• महायोजनाज़ोनल डेवलपमेन्ट प्लान के अन्तर्गत सड़कों, पार्क एवं खुले क्षेत्रों तथा अन्य जनसुविधाओं हेतु आरक्षित भूमि के एवज़ में भूधारकों को ट्रान्सफर आफ डेवलपमेन्ट राइटस प्रदान करने की व्यवस्था की जाएगी।
3. नगरीय निर्धनों हेतु अफ़ोर्डेबल हाउसिंग
• नर्इ आवासीय योजनाओं में राज्य सरकार द्वारा दिनांक 05.12.2013 को जारी संशोधित नीति के अनुसार आर्थिक दृषिट से दुर्बल एवं अल्प आय वर्ग के परिवारों को क्रमश: 10-10 प्रतिशत (कुल 20 प्रतिशत) आवासों का निर्माण सुनिशिचत किया जाएगा।
4. विधिक एवं नियामक सुधार
• अनाधिकृत कालोनियों एवं अनाधिकृत उप-विभाजन के अन्तरण पत्रों के निबन्धन पर नियन्त्रण लगाने हेतु विधिक प्राविधान किये जाएंगे।
• विकास शुल्क, नगरीय विकास शुल्क तथा भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क के युकितसंगत निर्धारण तथा उनके आगणन व वसूली में समान एवं पारदर्शी प्रकि्रया लागू करने हेतु नियमावलियां बनार्इ जाएंगी।
• महायोजना लागू होने के फलस्वरूप उच्च उपयोगों में प्रस्तावित भूमि के स्वामियों से नगरीय उपयोग शुल्क उदग्रहीत करने हेतु विधिक व्यवस्था की जाएगी।
• संसाधनों में वृद्धि हेतु क्रय-योग्य एफ.ए.आर. सम्बन्धी बार्इ-लाज का पुनरीक्षण किया जायेगा तथा भूखण्डीय विकास के अन्तर्गत इम्पैक्ट फ़ीस के भुगतान पर क्रय-योग्य इकाइयां अनुमन्य करने एवं कामन सुविधाओं के रख-रखाव हेतु अपार्टमेन्ट अधिनियम के प्राविधान लागू करने पर विचार किया जायेगा।
5. अवस्थापना विकास एवं रख-रखाव
• आवासीय योजनाओं में सार्वजनिक शौचालय, बस स्टाप, पैदल यात्रियों के लिए अन्डर-पासफ़ुट-ओवरबि्रज, फेरी क्षेत्र (वैंडिंग ज़ोन), सालिड वेस्ट मैनेजमेन्ट ट्रान्सफ़र स्टेशन, सैनिटरी लैण्डफि़ल, इत्यादि का प्राविधान अनिवार्य किया जाएगा।
• प्राधिकरणों द्वारा पी.पी.पी. आधारित अवस्थापना विकास यथा-रिंग रोडबार्इपास, फलार्इ ओवर, बस स्टेशन, मल्टी-लेवल पार्किंग, सालिडवेस्ट मैनेजमेन्ट, इत्यादि को प्रोत्साहित किया जाएगा।
6. नगरीय परिवहन
• सार्वजनिक परिवहन तथा नान-मोटराइज्ड वाहनों को बढ़ावा देने हेतु महानगरों में मास ट्रांसपोर्ट सिस्टम यथा-मैट्रो रेल, सी.एन.जी. आधारित बी.आर.टी.एस. के विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा।
• प्रमुख शहरों में रिंग रोडबार्इपास का निर्माण, रेलवे क्रासिंग्स पर
आर.ओ.बी. का निर्माण, उपयुक्त स्थलों पर फलार्इओवर निर्माण, पार्किंग स्थल विकास तथा बस एवं ट्रक टर्मिनल्स को शहरों के भीड़युक्त क्षेत्रों से वाहय क्षेत्रों में स्थानान्तरित करने हेतु योजनाएं कि्रयानिवत की जाएंगी।
7. निजी एवं सहकारी क्षेत्र को प्रोत्साहन
• निजी पूंजी निवेश के माध्यम से आवासीय योजनाओं के लिए इन्टीग्रेटेड टाउनशिप नीति को पुनरीक्षित कर लागू किया जाएगा।
• आवास सेक्टर में भूमि जुटाव एवं विकास हेतु सार्वजनिक-निजी सहभागिता बढ़ाने के लिए नए माडल (पी.पी.पी.ज्वाइंट वेंचर) विकसित किये जाएंगे।
8. पर्यावरण संरक्षण एवं सुधार
• महायोजनान्तर्गत पार्क, खुले क्षेत्र, बहुउददेशीय खुले स्थल, बाग-बगीचे एवं क्रीड़ा-स्थल हेतु सिटी पार्क सहित न्यूनतम 15 प्रतिशत हरित क्षेत्र के रूप में आरक्षित करना अनिवार्य किया जाएगा।
• जलाशयों एवं तालाबों का संरक्षण किया जाएगा तथा नदी, नालों एवं उच्चतम बाढ़ स्तर से प्रभावित क्षेत्र को निर्माणअतिक्रमण से मुक्त रखा जाएगा।
• महायोजना में नदियों के फलड प्लेन को उच्चतम बाढ़ स्तर
के सन्दर्भ में पारिसिथतिकी की दृषिट से संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया जाएगा तथा उसके संरक्षण हेतु प्राविधान किए जाएंगे।
9. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों का समेकित विकास
• ग्रामीण आबादियों के लिए पहुच मार्ग की व्यवस्था के साथ-साथ उन्हें नगरीय यातायात एवं परिवहन प्रणाली से जोड़ा जाएगा।
• शहरी विस्तार में आने वाली ग्रामीण आबादियों को बुनियादी जन- सुविधाएं यथा-सड़केंं, डे्रनेज़, सीवरेज़, कूड़ा-निस्तारण, आदि उपलब्ध कराने हेतु शासकीय नीतियों का अनुपालन सुनिशिचत कराया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 06 February 2014 by admin
मंत्रिपरिषद ने कानपुर रोड पर सिथत 32वीं वाहिनी पी0ए0सी0 कैम्पस में लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के नार्थ-साउथ कारीडोर के डिपो को स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने मेट्रो रेल परियोजना के क्रियान्वयन में फील्ड में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों के अनुरूप प्रस्ताव में आवश्यक परिवर्तनपरिवद्र्धन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत भी कर दिया है।
निर्णय के अनुसार कानपुर रोड सिथत 32वीं वाहिनी पी0ए0सी0 कैम्पस में मेट्रो रेल परियोजना के नार्थ-साउथ कारीडोर के डिपो की स्थापना हेतु लगभग 52 एकड़ भूमि को गृह विभाग से मेट्रो परियोजना के क्रियान्वयन हेतु गठित लखनऊ मेट्रो रेल कार्पोरेशन को नि:शुल्क हस्तान्तरित की जाएगी। मेट्रो रेल परियोजना के क्रियान्वयन हेतु गठित मेट्रो रेल कार्पोरेशन द्वारा लगभग 31 एकड़ में पुनर्नियोजित पी0ए0सी0 कैम्पस में पुनर्निर्माण की कार्यवाही अपने व्यय पर की जाएगी। प्रस्तावित मेट्रो डिपो तथा नए पी0ए0सी0 कैम्पस के निर्माण में पी0ए0सी0 के पुराने भवनों के आवश्यकतानुसार ध्वस्तीकरण की कार्यवाही गृह विभाग द्वारा नियमानुसार की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि मेट्रो रेल परियोजना के नार्थ-साउथ कारीडोर के लिए डी0एम0आर0सी0 द्वारा वर्ष 2011 में प्रस्तुत डी0पी0आर0 में डिपो की स्थापना एयरपोर्ट के सामने प्रस्तावित की गर्इ थी, परन्तु उक्त स्थान एयरपोर्ट के फनल जोन में सिथत होने के कारण डिपो की भूमि को अन्यत्र स्थानान्तरित किया जाना आवश्यक था।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 06 February 2014 by admin
मंत्रिपरिषद ने स्मारकों, संग्रहालयों, संस्थाओं, पार्कों व उपवनों आदि के निर्माण हेतु सिंचार्इ विभाग द्वारा उपलब्ध करार्इ गर्इ 17.485 हेक्टेयर भूमि जो आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के नाम अभिलेखों में दर्ज करार्इ गर्इ है, के मूल्य भुगतान के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। इसके तहत मूल्यांकित धनराशि 1,50,63,90,000 रुपए का भुगतान सिंचार्इ विभाग को किया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 06 February 2014 by admin
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोधोग बोर्ड के वर्तमान एवं सेवानिवृत्त कार्मिकों को भी 1 जनवरी, 2006 से राज्य कर्मचारियों की भांति सामान्य पुनरीक्षित वेतनमान देने का फैसला किया है। साथ ही सेवानिवृतित की आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किए जाने की कार्योत्तर स्वीकृति भी प्रदान कर दी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 06 February 2014 by admin
मंत्रिपरिषद ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ (एस.जी.पी.जी.आर्इ.) में एडवांस आप्थेलिमक सेन्टर एवं सर्विस ब्लाक की स्थापना से संबंधित प्रायोजना को उच्च विशिषिटयों के साथ निर्माण कराने की अनुमति प्रदान कर दी है।
इसके तहत तीन फ्लोर का निर्माण किया जाएगा। एस.जी.पी.जी.आर्इ. लखनऊ के मास्टर प्लान के अनुसार भविष्य में 9 अतिरिक्त तलों के निर्माण को दृषिटगत रखते हुए दृढ़तर नींव का प्रावधान किया गया है। उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम लि0 द्वारा प्रायोजना पर लगभग 5711.56 लाख रुपये की लागत का आंकलन किया गया है। यहां आप्थेलमोलोजी विभाग की स्थापना से मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलेगी तथा इस क्षेत्र में दक्ष रेजीडेन्ट डाक्टर तैयार होंगे। इसके अलावा नेत्र बैंक की स्थापना की जाएगी तथा कार्नियल ट्रान्सप्लांट आदि की सुविधाएं भी उपलब्ध होगी। साथ ही, आक्यूलर तथा आरबिटल आंकोलोजी सर्विसेज का विकास भी होगा। अभी तक देश में सुपर स्पेशियलिटी की आप्थेलमोलोजी सुविधा एम्स नर्इ दिल्ली एवं दक्षिण भारत में ही उपलब्ध है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 06 February 2014 by admin
मंत्रिपरिषद ने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविधालय वाराणसी से 31 दिसम्बर, 2000 तक अथवा इसके पूर्व स्थायी मान्यता प्राप्त अशासकीयअसहायिक संस्कृत माध्यमिक विधालयोंमहाविधालयों को अनुदान सूची में शामिल किए जाने हेतु मानक निर्धारित कर दिया है।
मानक के अनुरूप प्राप्त प्रस्तावों का निर्धारित समय सीमा में परीक्षण कर अनुदान सूची में शामिल किए जाने हेतु शासन को उपलब्ध कराए जाने के लिए राज्य स्तरीयमण्डल स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। राज्य स्तरीय समिति माध्यमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में तथा मण्डल स्तरीय समिति मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित की जाएगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 06 February 2014 by admin
मंत्रिपरिषद ने बलरामपुर चिकित्सालय, लखनऊ में नये ओ0पी0डी0 ब्लाक के भवन निर्माण हेतु पुराने ओ0पी0डी0, आर्इ, डेन्टल, टी0बी0 एण्ड चेस्ट तथा ओ0पी0डी0 इमरजेन्सी ब्लाक के भवनों के ध्वस्तीकरण के प्रस्ताव को कतिपय शर्तों के अन्तर्गत अनुमोदित कर दिया है। इन शर्तों के अनुसार, इन भवनों के हैरिटेज जोन में आने के कारण इन्हें तोड़े जाने के लिए राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण द्वारा दिनांक 21.01.2013 द्वारा दिए गए अनापतित मे उलिलखित शतोर्ंं का भवनों के तोड़े जाने के समय पूर्ण पालन सुनिश्चत किया जायेगा। इसके साथ ही वित्तीय हस्तपुसितका खण्ड-1 व खण्ड-5 लोक निर्माण विभाग के अनुरक्षण मैनुअल पार्ट-2 (भवन) उत्तर प्रदेश कार्य नियमावली-1975 के साथ ही समय-समय पर इस हेतु निर्गत आदेशों का पूर्ण पालन सुनिशिचत किया जाएगा। इसके अलावा भवनों के ध्वस्तीकरण से प्राप्त सामग्री (मलबा आदि) के निस्तारण के फलस्वरूप प्राप्त धनराशि को राजकोष में जमा किया जाना भी सुनिशिचत किया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 06 February 2014 by admin
प्रदेश की जनता को बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराने की अपनी वचनबद्धता के मददेनजर मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में वर्ष 2011 की जनगणना के आधार प्राथमिक स्वास्थ्य व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापनानिर्माण हेतु नीति निर्धारण के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
नीति के तहत वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर जिला योजना समिति के अनुमोदनोपरान्त प्रति 30 हजार की जनसंख्या पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना का प्रावधान किया गया है। एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से दूसरे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की न्यूनतम दूरी 5 कि0मी0 निर्धारित की गर्इ है। प्रति एक लाख की जनसंख्या पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किए जाने की नर्इ नीति भी निर्धारित की गर्इ। इस प्रकार वर्ष 2011 की जनगणाना के आधार पर नर्इ नीति के अनुसार प्रदेश में 12वीं एवं 13वीं पंचवर्षीय योजना में 1674 नए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों व 719 नए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापनानिर्माण चरणबद्ध रूप से किया जाएगा।
एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर नि:शुल्क भूमि की उपलब्धता पर प्रति प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के निर्माणसंचालन पर 1.36 करोड़ रुपए से अधिक का व्यय भार तथा कुल 1674 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों हेतु कुल 2282.71 करोड़ रुपए से अधिक का व्यय भार आएगा। एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर नि:शुल्क भूमि की उपलब्धता पर प्रति सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के निर्माणसंचालन पर 5.61 करोड़ रुपए से अधिक का व्यय भार तथ कुल 719 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों हेतु कुल 4034.45 करोड़ रुपए से अधिक का व्यय भार आएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 06 February 2014 by admin
मंत्रिपरिषद ने राजकीय चिकित्सालयों में ओ0पी0डी0, जनरल वार्ड तथा पेइंग वार्ड की ब्लड, यूरीन तथा स्टूल की कुल 100 पैथालाजिकल जांचों को नि:शुल्क करने का निर्णय लिया है।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार द्वारा अपनी जनकल्याणकारी नीतियों के तहत नि:शुल्क चिकित्सीय सुविधा, नि:शुल्क दवार्इयां व नि:शुल्क एक्स-रे सुविधा पूर्व से ही उपलब्ध करार्इ जा रही है। परन्तु राजकीय चिकित्सालयों में विभिन्न प्रकार की पैथालाजी जांच हेतु पृथक-पृथक शुल्क निर्धारित हैं, जिसे मरीजों को स्वयं वहन करना पड़ता है। प्रदेश की गरीब जनता उक्त धनराशि को वहन करने में सक्षम नहीं होती। इसके दृषिटगत प्रदेश सरकार ने नि:शुल्क पैथालाजी जांच सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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