प्रदेश के शहरी क्षेत्रों की आवासीय समस्या के समाधान हेतु राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1995 में शहरी आवास नीति घोषित की गर्इ थी, जिसके अधीन आवास एवं अवस्थापना सेक्टर में कर्इ महत्वपूर्ण नीतिगत प्रयास एवं विनियामक सुधार किए गए, परन्तु प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में आवासीय समस्या की सिथति अभी भी गम्भीर बनी हुर्इ है। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2007 में राष्ट्रीय शहरी आवास एवं पर्यावास नीति घोषित की गर्इ थी, जिसके क्रम में सभी राज्यों से अपने प्रदेश हेतु शहरी आवास एवं पर्यावास नीति बनाए जाने की अपेक्षा है।
तदनुक्रम में विभिन्न शासकीय विभागोंअभिकरणों, निजी विकासकर्ताओं के एसोसिएशन्स (क्रेडार्इ, यूपीरेडको), शहरी नियोजन के प्रोफ़ेशनल्सविशेषज्ञ तथा अन्य स्टेकहोल्डर्स से कन्सल्टेशन के उपरान्त तैयार की गर्इ उ0प्र0 राज्य शहरी आवास एवं पर्यावास नीति 2014 के ड्राफट को आज मंत्रिपरिषद की बैठक में विचारार्थ प्रस्तुत किया गया, जिस पर विस्तृत चर्चा हुर्इ और कतिपय बिन्दुओं पर सुझाव भी दिये गये। मंत्रिपरिषद द्वारा उक्त सुझावों के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तावित नीति के ड्राफ्ट पर सैद्धानितक सहमति व्यक्त करते हुए संशोधनों सहित अनुमोदन प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया। संशोधन सहित आवास नीति का अनितम ड्राफ्ट मुख्यमंत्री के अनुमोदन के पश्चात निर्गत किया जाएगा।
राज्य शहरी आवास एवंं पर्यावास नीति, 2014 के अन्तर्गत प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के संतुलित, सुनियोजित एवं सुसिथर विकास तथा समाज के समस्त वर्गों को उनकी आर्थिक क्षमतानुसार विकसित भूमि, आवास, रोज़गार के अवसर, समान रूप से जन-सुविधाएं और स्वास्थ्यकर पर्यावरण मुहैया कराने पर बल दिया गया है। राज्य सरकार के सीमित संसाधनों के दृषिटगत सार्वजनिक-निजी-सहभागिता पर विशेष बल दिया गया है तथा प्रदेश के भावी शहरीकरण के स्वरूप को नर्इ दिशा प्रदान करने हेतु नर्इ रणनीति एवं नए विकल्पों को अपनाने का प्रस्ताव है। ड्राफट नीति के मुख्य-मुख्य प्राविधान निम्नवत है :-
1. नियोजित एवं सुसिथर शहरों का विकास
• शहरों के सजीव, सुरक्षित एवं एकीकृत विकास तथा पर्यावरण व कृषि भूमि के संरक्षण हेतु नए विकास विशेषकर इंटीग्रेटेडनए टाउनशिप, मेट्रो रेल कारीडोर तथा पुनर्विकास योजनाओं में निर्धारित मानकों के अनुसार मिश्रित उपयोग अनुमन्य होगा।
• शहरों के पुराने विकसित क्षेत्रों में नान-कन्फार्मिंग उपयोगों की भूमि, रूग्णबन्द उधोगों की भूमि, शासकीय विभागोंनिगमों की रिक्त भूमि, बस टर्मिनलबस डिपो, इत्यादि के पुनर्विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा। शहरों के अन्दर सिथत प्रदूषणकारक एवं खतरनाक उधोगों को जनहित में शहरों के बाहर स्थानान्तरित करने का भी प्रयास किया जायेगा।
2. भूमि जुटाव एवं प्रबन्धन
• भू-स्वामियों से उनकी सहमति एवं भागीदारी के आधार पर भूमि की लैण्ड पूलिंग का भी प्रयास किया जाएगा, जिसके अधीन भू-स्वामियों को पुनर्गठित भूखण्डों के रूप में आवासीय-सह-व्यावसायिक उपयोग की न्यूनतम
25 प्रतिशत विकसित भूमि नि:शुल्क आवंटित की जाएगी।
• महायोजनाज़ोनल डेवलपमेन्ट प्लान के अन्तर्गत सड़कों, पार्क एवं खुले क्षेत्रों तथा अन्य जनसुविधाओं हेतु आरक्षित भूमि के एवज़ में भूधारकों को ट्रान्सफर आफ डेवलपमेन्ट राइटस प्रदान करने की व्यवस्था की जाएगी।
3. नगरीय निर्धनों हेतु अफ़ोर्डेबल हाउसिंग
• नर्इ आवासीय योजनाओं में राज्य सरकार द्वारा दिनांक 05.12.2013 को जारी संशोधित नीति के अनुसार आर्थिक दृषिट से दुर्बल एवं अल्प आय वर्ग के परिवारों को क्रमश: 10-10 प्रतिशत (कुल 20 प्रतिशत) आवासों का निर्माण सुनिशिचत किया जाएगा।
4. विधिक एवं नियामक सुधार
• अनाधिकृत कालोनियों एवं अनाधिकृत उप-विभाजन के अन्तरण पत्रों के निबन्धन पर नियन्त्रण लगाने हेतु विधिक प्राविधान किये जाएंगे।
• विकास शुल्क, नगरीय विकास शुल्क तथा भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क के युकितसंगत निर्धारण तथा उनके आगणन व वसूली में समान एवं पारदर्शी प्रकि्रया लागू करने हेतु नियमावलियां बनार्इ जाएंगी।
• महायोजना लागू होने के फलस्वरूप उच्च उपयोगों में प्रस्तावित भूमि के स्वामियों से नगरीय उपयोग शुल्क उदग्रहीत करने हेतु विधिक व्यवस्था की जाएगी।
• संसाधनों में वृद्धि हेतु क्रय-योग्य एफ.ए.आर. सम्बन्धी बार्इ-लाज का पुनरीक्षण किया जायेगा तथा भूखण्डीय विकास के अन्तर्गत इम्पैक्ट फ़ीस के भुगतान पर क्रय-योग्य इकाइयां अनुमन्य करने एवं कामन सुविधाओं के रख-रखाव हेतु अपार्टमेन्ट अधिनियम के प्राविधान लागू करने पर विचार किया जायेगा।
5. अवस्थापना विकास एवं रख-रखाव
• आवासीय योजनाओं में सार्वजनिक शौचालय, बस स्टाप, पैदल यात्रियों के लिए अन्डर-पासफ़ुट-ओवरबि्रज, फेरी क्षेत्र (वैंडिंग ज़ोन), सालिड वेस्ट मैनेजमेन्ट ट्रान्सफ़र स्टेशन, सैनिटरी लैण्डफि़ल, इत्यादि का प्राविधान अनिवार्य किया जाएगा।
• प्राधिकरणों द्वारा पी.पी.पी. आधारित अवस्थापना विकास यथा-रिंग रोडबार्इपास, फलार्इ ओवर, बस स्टेशन, मल्टी-लेवल पार्किंग, सालिडवेस्ट मैनेजमेन्ट, इत्यादि को प्रोत्साहित किया जाएगा।
6. नगरीय परिवहन
• सार्वजनिक परिवहन तथा नान-मोटराइज्ड वाहनों को बढ़ावा देने हेतु महानगरों में मास ट्रांसपोर्ट सिस्टम यथा-मैट्रो रेल, सी.एन.जी. आधारित बी.आर.टी.एस. के विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा।
• प्रमुख शहरों में रिंग रोडबार्इपास का निर्माण, रेलवे क्रासिंग्स पर
आर.ओ.बी. का निर्माण, उपयुक्त स्थलों पर फलार्इओवर निर्माण, पार्किंग स्थल विकास तथा बस एवं ट्रक टर्मिनल्स को शहरों के भीड़युक्त क्षेत्रों से वाहय क्षेत्रों में स्थानान्तरित करने हेतु योजनाएं कि्रयानिवत की जाएंगी।
7. निजी एवं सहकारी क्षेत्र को प्रोत्साहन
• निजी पूंजी निवेश के माध्यम से आवासीय योजनाओं के लिए इन्टीग्रेटेड टाउनशिप नीति को पुनरीक्षित कर लागू किया जाएगा।
• आवास सेक्टर में भूमि जुटाव एवं विकास हेतु सार्वजनिक-निजी सहभागिता बढ़ाने के लिए नए माडल (पी.पी.पी.ज्वाइंट वेंचर) विकसित किये जाएंगे।
8. पर्यावरण संरक्षण एवं सुधार
• महायोजनान्तर्गत पार्क, खुले क्षेत्र, बहुउददेशीय खुले स्थल, बाग-बगीचे एवं क्रीड़ा-स्थल हेतु सिटी पार्क सहित न्यूनतम 15 प्रतिशत हरित क्षेत्र के रूप में आरक्षित करना अनिवार्य किया जाएगा।
• जलाशयों एवं तालाबों का संरक्षण किया जाएगा तथा नदी, नालों एवं उच्चतम बाढ़ स्तर से प्रभावित क्षेत्र को निर्माणअतिक्रमण से मुक्त रखा जाएगा।
• महायोजना में नदियों के फलड प्लेन को उच्चतम बाढ़ स्तर
के सन्दर्भ में पारिसिथतिकी की दृषिट से संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया जाएगा तथा उसके संरक्षण हेतु प्राविधान किए जाएंगे।
9. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों का समेकित विकास
• ग्रामीण आबादियों के लिए पहुच मार्ग की व्यवस्था के साथ-साथ उन्हें नगरीय यातायात एवं परिवहन प्रणाली से जोड़ा जाएगा।
• शहरी विस्तार में आने वाली ग्रामीण आबादियों को बुनियादी जन- सुविधाएं यथा-सड़केंं, डे्रनेज़, सीवरेज़, कूड़ा-निस्तारण, आदि उपलब्ध कराने हेतु शासकीय नीतियों का अनुपालन सुनिशिचत कराया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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