Posted on 18 September 2013 by admin
Þकेन्द्रीय एजेन्सी (आर्इ0बी0) की रिपोर्ट में हुये खुलासे तथा महामहिम राज्यपाल महोदय की रिपोर्ट के आधार पर प्रधानमंत्री को तत्काल उ0प्र0 की सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिएß यह बात राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने कही।
श्री चौहान ने कहा कि जिस तरह इनिटलिजेंस ब्यूरो (आर्इ0बी0) ने स्पष्ट रूप से अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को प्रेषित की है कि मुजफ्फरनगर में दंगों के दौरान प्रदेष सरकार द्वारा पुलिस अधिकारियों के हाथ बांध दिये गये थे तथा मुजफ्फरनगर दंगा फुल प्लान था, उसके बाद केन्द्र सरकार को बिना देर किये प्रदेष सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए। यह बात इसलिए और भी गम्भीर है कि आर्इ0बी0 द्वारा आरोप लगाया गया है कि प्रदेष सरकार मेरठ शहर और देहात में भी दंगा भड़का सकती है। केन्द्रीय एजेन्सी द्वारा प्रदेष सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री पर भी आरोप लगाया गया है कि मंत्री ने पुलिस प्रषासन को कार्यवाही न करने के आदेष दिये थे इसलिए शाहपुर के बसीकला, मीनाक्षी चौक, शहीद चौक, खालापार, कृष्णापुरी, मिमलाना रोड समेत देहात क्षेत्रों में दंगा भड़कने के बावजूद पुलिस ने दंगा रोकने व दंगाइयों पर काबू पाने की कोर्इ कार्यवाही नहीं की।
श्री चौहान ने कहा कि सपा मुखिया ने मुजफ्फरनगर की घटना को दंगा न मानकर जातीय संघर्ष की संज्ञा दी थी परन्तु उनके सहयोगी तथा प्रदेष सरकार में नम्बर दो की हैसियत रखने वाले मंत्री ने उस बयान को खारिज करते हुये कहा कि मुजफ्फरनगर का दंगा गुजरात के बाद का सबसे बड़ा दंगा है। इसलिए इस घटना की सी0बी0आर्इ0 जांच होनी चाहिए तथा केन्द्र सरकार को अविलम्ब प्रदेष सरकार को बर्खास्त करने की घोषणा करनी चाहिए।
श्री चौहान ने यह सवाल भी उठाया कि क्या संविधान में आम आदमी और खास आदमी के लिए अलग अलग व्यवस्था है? अगर ऐसा नहीं है तो मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी विधायक लखनऊ में खुले आम सदन की बैठक में भाग ले रहे हैं तथा समाचार पत्र के चैनलों में बयान दे रहे हैं फिर भी उनको गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है। उन्होंने पुन: अपने बयान को दोहराते हुये कहा कि सपा व भाजपा की सांठ गांठ के चलते ही मुजफ्फरनगर की घटना हुर्इ है।
श्री चौहान ने आरोपियों के गिरफ्तारी की मांग करते हुये कहा कि सरकार को दंगा पीडि़तों को तत्काल राहत मुहैया कराते हुये उनको उनके घरों में वापस सुरक्षित पहुंचाने तथा उनकी सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए।
यह जानकारी राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष प्रवक्ता ने एक प्रेस विज्ञपित में दी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 18 September 2013 by admin
पशिचमी उत्तर प्रदेश के पांच मण्डलों के 18 जनपदों के 170 विकासखण्डों में क्राप डाइवर्सिफिकेशन प्रोजेक्ट वर्तमान वित्तीय वर्ष में ही प्रारम्भ कराकर किसानों को कम पानी की खपत वाली फसल पैदा करने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा : मुख्य सचिव
किसानों को एस.एम.एस. के माध्यम से बाजार मूल्य एवं अन्य तकनीकी जानकारियां समय से उपलब्ध करार्इ जाए : मुख्य सचिव
परियोजना का क्रियान्वयन यू.पी. डास्प द्वारा
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने कहा कि पशिचमी उत्तर प्रदेश के पांच मण्डलों के 18 जनपदों के 170 विकासखण्डों में क्राप डाइवर्सिफिकेशन प्रोजेक्ट वर्तमान वित्तीय वर्ष में ही प्रारम्भ कराकर किसानों को मक्का, खरीफ उर्द, खरीफ मूंग, ग्वार तथा पापलर पौधा रोपण के साथ-साथ पापलर में अन्त: फसली खेती-चना, मटर व मसूर की फसल पैदा करने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत 125.28 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे। इस परियोजना से सहारनपुर मण्डल के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर व शामली, मेरठ मण्डल के मेरठ, बागपत, बुलन्दशहर, गाजियाबाद व हापुड़, बरेली मण्डल के बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर व पीलीभीत, मुरादाबाद मण्डल के मुरादाबाद, अमरोहा, रामपुर, बिजनौर व सम्भल तथा अलीगढ़ मण्डल का अलीगढ़ जनपद लाभानिवत होगा। उन्होंने कहा कि लगभग 70500 हेक्टेयर धान के क्षेत्रफल को उपरोक्त फसलों से प्रतिस्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से कम भूमि जल की आवश्यकता होने के कारण इन फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पापलर पेड़ के उत्पादन से किसानों को प्रतिवर्ष लाभानिवत कराने हेतु उधोगों से समन्वय स्थापित कर उन्हें विक्रय मूल्य का प्रतिवर्ष कुछ धनराशि प्रतिपूर्ति करार्इ जाए ताकि किसानों को निरंतर आय प्राप्त होती रहे। उन्होंने कहा कि किसानों को इन फसलों के उत्पादन हेतु निशिचत अनुदान पर फार्म मशीनें भी उपलब्ध करार्इ जाएंगी। किसानों को उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने हेतु छोटी प्रसंस्करण इकाइयाों की स्थापना भी कराने हेतु अनुदान भी उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को एस.एम.एस. के माध्यम से बाजार मूल्य एवं अन्य तकनीकी जानकारियां समय से उपलब्ध करार्इ जाएगी।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन सिथत अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में पशिचमी उत्तर प्रदेश में क्राप डाइवर्सिफिकेशन प्रोजेक्ट क्रियानिवत करने हेतु आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि योजना का क्रियान्वयन 10-10 हेक्टेयर के क्लस्टर बनाकर कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि परियोजना में किसान, लाभार्थी व अन्य किसी के द्वारा प्राप्त शिकायतों का निस्तारण सुनिशिचत कराने हेतु सप्ताह में प्रत्येक बुधवार को यू.पी. डास्प के जिला परियोजना समन्वयक जनपद स्तर पर तथा परियोजना मुख्यालय पर तकनीकी समन्वयक पूर्वान्ह 10 बजे से 01 बजे तक कार्यालय में उपसिथत रहकर निराकरण करेंगे। उन्होंने कहा कि विवाद की सिथति में परियोजना समन्वयक, डास्प स्वयं अथवा जांच समिति गठित कर शिकायतों का निस्तारण सुनिशिचत करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि प्राप्त शिकायतों का निस्तारण एक माह के अंदर अवश्य सुनिशिचत कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि परियोजना का क्रियान्वयन यू.पी. डास्प द्वारा किया जाएगा।
श्री उस्मानी ने कहा कि इस परियोजना में 20 प्रतिशत अल्पसंख्यक लाभार्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि परियोजना में लाभानिवत होने हेतु लाभार्थियों को निर्धारित प्रारूप पर आवेदन पत्र विकासखण्ड अथवा डास्प जिला कार्यालय में देना होगा। लाभार्थियों को आवेदन पत्र के साथ फोटोग्राफ के साथ-साथ धान फसल की खतौनी लगाना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि लाभार्थियों का चयन मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित चयन समिति (प्रोजेक्ट मैनेजमेंट ग्रुप) द्वारा पारदर्शिता के आधार पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार कराने हेतु राज्य स्तरीय कार्यशाला, सेमीनार आदि भी आयोजित कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि परियोजना में उत्कृष्ट उत्पादकता वाले लाभार्थियों को किसान सम्मान दिवस
(23 दिसम्बर) के अवसर पर सम्मानित भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि परियोजना में नामित प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों पर विशेष प्रशिक्षण दिलाया जाएगा ताकि मानव संसाधन की कौशल व क्षमता का विकास हो सके।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन, प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौधोगिकी, श्री हरशरण दास,प्रमुख सचिव कृषि श्री देवाशीष पाण्डा, प्रमुख सचिव समन्वय एवं परियोजना समन्वयक, डास्प श्री राजन शुक्ला सहित, प्रमुख सचिव, उधान,सुश्री जूथिका पाटकर अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपसिथत थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 18 September 2013 by admin
(अमर सिंह)
अध्यक्ष,
उ0प्र0 सचिवालय
अपरनिजीसचिवसंघ
जय प्रकाश
उपाध्यक्ष9454410466
जय शंकर सिंह
अवै0 सचिव9454410444
अजीतकुमार
संयुक्तसचिव9454410567
रेखावर्मा
कोषाध्यक्ष9454410521
मोहनकुमारनिषाद
पुस्तकालयाध्यक्ष9454410392
श्रीकृष्ण मौर्य
संप्रेक्षक9454410141
सदस्य कार्यकारिणी
विवेककिशोर
प्रशान्तकुमार
राकेशकुमार सिंह
अनिलकुमार यादव
सुरेन्द्रकुमार
ओमप्रकाश
उ0प्र0 सचिवालय के विभिन्नसंवगोर्ंके विभिन्नमांगों के निराकरणहेतुसचिवालय सेवासीधीभर्तीसंघ, अपरनिजीसचिवसंघ, लेखासंघएवंसचिवालय सुरक्षासंघकाआन्दोलनविधानमण्डल सत्र के दौरानभीजारीरहा।
ज्ञातव्य हैकिसचिवालय के विभिन्नसंगठनों द्वाराविगतकर्इदिनोंसेसमीक्षाअधिकारीअपरनिजीसचिव एवं समकक्ष को रू0-5400, अनुभागअधिकारीनिजीसचिवएवं समकक्ष को रू0-6600, अनुसचिवनिजीसचिव श्रेणी-2 एवं समकक्ष को रू0-7600 एवं उप सचिवनिजीसचिव श्रेणी-3 एवं समकक्ष को रू0-8700 काग्रेडवेतनदियेजाने, 16 वर्ष की सेवापर द्वितीय ए0सी0पी0 प्रदानकियेजाने, ग्रेडवेतन के बराबरसचिवालय भत्तादियेजाने, मूलवेतन के 10 प्रतिशत के बराबरविशेषवेतनदियेजाने, अपरनिजीसचिवसमीक्षाअधिकारी एवं समकक्ष कोराजपत्रित घोषितकियेजाने एवंसचिवालय कोविशेषदर्जादियेजाने की मांगकोलेकरआन्दोलनकियाजारहाहै।
इसीक्रममेंआजसार्वजनिकअवकाश के दिनभीसचिवालय मेंसभीसंगठनोें की एक आमसभासम्पन्नहुर्इ, जिसमेंभारी संख्या मेंराजपत्रित,अराजपत्रित अधिकारी एवंसचिवालय सुरक्षासंघ के सदस्यउपसिथतथे।उक्तसभामेंवक्ताओं द्वारासचिव, सचिवालय प्रशासनविभागसेउक्तसंगठनों के संयुक्तमांग-पत्र परअभीतकसकारात्मकनिर्णय न लियेजाने के प्रतिगम्भीरआक्रोशव्यक्तकियागया।आमसभा द्वारा यह भीचेतावनीदीगयीकि यदिउनकीमांगों के सम्बन्ध में शीघ्रातिशीघ्रसकारात्मकनिर्णय नहींलियागयातोइससम्बन्ध में शीघ्रही एक प्रतिनिधि मण्डलमुख्य सचिव एवं मा0 मुख्य मंत्री जीसेवार्ताकरअपनीमांगोंकोपुरजोरतरीकेसेप्रस्तुतकरेगा।आमसभा द्वारा यह भीनिर्णय लियागयाकिविधानमण्डल के वर्तमानसत्र के दौरानभीसंगठनोंकाआन्दोलनचलतारहेगातथासचिवालय के अधिकारियोंसेभारीसेभारी संख्या मेंउक्तआन्दोलनमेंसमिमलितहोनेकीअपील की गयी।
उक्तआमसभाकोमुख्य रूपसेश्रीआशुतोषचन्द्रपाण्डेय, इच्छाराम यादव, अमर सिंह पटेल, शशिकान्त शुक्ला, अभय रंजन सिंह, आलोक द्विवेदी, के0बी0एल0 श्रीवास्तव, धर्मेन्द्र सिंह, कृष्णस्वरूप शर्मा, संजय शर्मा, पुष्पेन्द्र सिंह एवंविवेककिशोरआदि ने संबोधितकिया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 18 September 2013 by admin
• राष्ट्रीय स्तर का औधानिक शोध संस्थान, लखनऊ में बनाया जाय।
• अलीगढ़ मण्डल, चित्रकूट धाम बादा मण्डल में उपनिदेशक का पद स्वीकृत न होने से औधानिक विकास प्रभावित हो रहा है।
• विभागीय निदेशक की तैनाती हो।
उत्तर प्रदेश उधान अधिकारी एसोसिएशन ने आज दिनांक 17.09.2013 को प्रमुख सचिव उधान एवम खाध प्रसंस्करण उत्तर प्रदेश शासन को 36 सूत्रीय माग-पत्र प्रेषित करते हुए, अनुरोध किया है कि किसानों के हित में, औधानिक विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिए यथाशीघ्र आवश्यक निर्णय लेने का कष्ट करें।
एसोसिएशन के अध्यक्ष चन्द्र भूषण पाण्डेय ने कहा कि प्राथमिकता के आधार पर विभागीय निदेशक की तैनाती, अपर निदेशक पर पदोन्नति तथा एक राष्ट्रीय स्तर का औधानिक शोध संस्थान, लखनऊ में बनाया जाय।
अध्यक्ष ने का कि विभाग का पुनर्गठन समय की माग है। जिला उधान अधिकारी के दो-दो वेतनमान समाप्त करते हुए विभाग का पुनर्गठन किया जाय ताकि किसानों को प्रभावी सेवा मिल सके तथा प्रदेश के कृषि विकास को गति मिल सके। अध्यक्ष ने कहा कि अलीगढ़ मण्डल, चित्रकूट धाम मण्डल बादा में उपनिदेशक का पद स्वीकृत न होने से औधानिक विकास प्रभावित हो रहा है।
एसोसिएशन ने माग किया कि प्रदेश के औधानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्रों को सुधारा जाय ताकि बदलते समय के हिसाब से उन्नत बीज, पौध इत्यादि किसानों को मिल सकें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 17 September 2013 by admin
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि विपक्ष और खासकर भाजपा द्वारा प्रदेश में शांति व्यवस्था में निरंतर अवरोध डाला जा रहा है। समाजवादी पार्टी सरकार ने अपने चुनावी वायदों को पूरा करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश को पिछड़ेपन से निकालने के लिए विकास का एक नया एजेंडा बनाया और उस पर अमल शुरू किया। यह जिन्हें रास नहीं आ रहा है। वे लगातार ऐसी साजिशें कर रहे हैं जिससे श्री मुलायम सिंह यादव का उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का सपना पूरा नहीं हो सके।
विकास के रास्ते में अड़ंगा डालने के लिए विपक्षी दलों द्वारा प्रदेश में सांप्रदायिकता के जहर को सुनियोजित तरीके से बौने का षडयंत्र है। मुजफफरनगर को इसकी प्रयोगशाला बनाया है। भाजपा नेताओं ने महापंचायत कर विद्वेष की आग फैलार्इ। आज भी वे इससे बाज नहीं आ रहे हैं। लेकिन जनता सब जानती है और वह भाजपा की सांप्रदायिकता की रीतिनीति को कभी पनपने नहीं देगी।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने मुजफफरनगर के अपने दौरे में जिस धीरज और सहानुभूति के साथ पीडि़तों की बातें सुनी और उन्हें आश्वस्त किया उससे एक सौहार्दपूर्ण माहौल बना है। उन्होने गरीबों, किसानों, को भरोसा दिया कि समाजवादी पार्टी की सरकार किसी पर अन्याय नहीं होने देगी और कानून से खिलवाड़ करनेवालों के साथ सख्ती की जाएगी। मुख्यमंत्री जी ने हिन्दू-मुसिलमों से अपील की है कि वे आपस की खार्इ को पाटकर सौहार्द बनाए रखें और अफवाहों पर ध्यान न दें।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने मुजफफरनगर की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मृतकों के एक-एक परिजन को नौकरी, दस-दस लाख रूपए, पीडि़तो के नुकसान की भरपार्इ और विस्थापितों में विश्वास जगाकर उनकी घर वापसी कराने की घोषणा की है। जिनके मकानों में तोड़फोड़ या आगजनी हुर्इ है, उन्हें लोहिया आवास योजना या अन्य किसी सरकारी योजना के तहत लाभ दिया जाएगा ताकि वह अपने मकानों की मरम्मत करा सकें। श्री अखिलेश यादव ने धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी विचारधारा के साथ प्रदेश के समग्र विकास को बढ़ावा दिया है। सांप्रदायिक ताकतों को प्रदेश में कहीं सिर उठाने का अवसर नहीं दिया जा सकता।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 17 September 2013 by admin
लखनऊ 16 सितम्बर 2013 भारतीय जनता पार्टी ने कहा मुजफ्फरनगर की घटना पर सुविधानुसार राजनीति हो रही है। प्रधानमंत्री जहा बड़ी घटना बता दोषियों को न बक्शे जाने की बात कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर रहे है। वही राज्य की समाजवादी पार्टी अपनी नाकामियों का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ अपनी जिम्मदारी से पिण्ड छुड़ा रही है। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि मुजफ्फनगर दंगों को लेकर नरेन्द्र मोदी व अमित शाह सहित भाजपा और संघ परिवार पर बेबुनियाद आरोप प्रत्यारोप की राजनीति बंद हो। उन्होने कहा कि दंगों पर नियंत्रण में नाकाम रही अखिलेश सरकार के मंत्री और उनकी पार्टी के नेता मानसिक दिवालियेपन का शिकार हो गये है। इसीलिए वे दंगों में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की संलिप्तता की बात कह रहे है। श्री पाठक ने अखिलेश सरकार को चुनौती दी अगर उनके पास तथ्य है तो वे साबित करे अन्यथा अपने मंत्रियों के कथन पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।
पार्टी के राज्य मुख्यालय पर संवाददाताओं से बातचीत में पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि मुजफ्फरनगर में दंगे की बड़ी घटना होने के बावजूद, प्रशासनिक रूप से विफल उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार पर कार्यवाही में केन्द्र सरकार संकोच क्यों कर रही है। महज दोषियों को न बक्शे जाने के बयान से आम आदमी के जख्मों पर मरहम कैसे लगेगा। उन्होनें कहा कि राज्य के कददावर मंत्री शिवपाल सिंह यादव राजनैतिक पेशबंदी के तहत राज्य सरकार की नाकामियों को छिपाने के लिए मुजफ्फरनगर दंगे के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दु परिषद व भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रहे है। श्री पाठक ने कहा कि शिवपाल जी के पास किस जांच आयोग की रिपोर्ट है और किस खुफिया तंत्र की जानकारी है जिसके आधार पर वो यह बात दावे के साथ कह रहे है। सच तो यह है कि श्री यादव अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में पारित प्रस्ताव से इतर मुजफ्फरनगर की घटना को न सम्प्रदायिक हिंसा न ही दंगा और न ही जातीय संषर्घ मानते है। दंगों में अखिलेश सरकार और समाजवादी पार्टी की भूमिका का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सपा के ही एक पूर्व विधायक ने पार्टी पर दंगार्इ होने का आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। जबकि एक लोकसभा प्रत्याशी ने दंगों को लेकर सरकार और सपा की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए अपना टिकट वापस कर चुनाव लड़ने में असमर्थता व्यक्त की।
श्री पाठक ने कहा असमंजस, अराजकता, और अर्तविरोधों से ग्रस्त अखिलेश सरकार लगातार राज्य के वातावरण को सम्प्रदायिक करने में जुटी है। तभी तो पूरी तौर पर भ्रमित सरकार के कददावर मंत्री की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी मे शामिल हो रहे पूर्व विधायक गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे है कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने भाड़े के अपराधियों को बुलाकर पशिचम उत्तर प्रदेश मे दंगा भड़काया। उन्होंने कहा कि उनकी बात यदि सही मान ली जाये तो यह सवाल उठता है कि ये भाड़े के अपराधि आये कहां से थे? उत्तर प्रदेश में कैसे आये और अगर ये आये तो क्या यह अभिसूचना तंत्र की विफलता नही थी? पुलिस क्या कर रही थी? जब ये अपराधी दंगा फैला रहे थे तो राज्य का पूरा तंत्र यहां बैठ कर क्या कर रहा था? दरअसल समाजवादी पार्टी मानसिक दिवालियेपन की कगार पर है और इसीलिए उलूल-जलूल और हताशा भरे बयान दे रही है।
उन्होने कहा मुजफ्फरनगर दंगे के पीडि़तों के साथ भेदभाव हो रहा है। राजनैतिक बयान बाजी और राजनैतिक रोटी सेकने में जुटे दल दंगों के वास्तविक अपराधियों को बचाने के लिए पूरे मामले का राजनैतिक करण करने में जुटे है। शुद्ध रूप से राज्य सरकार की प्रशासनिक विफलता से मुजफ्फरनगर में जान-माल का नुकसान हुआ, अब जख्म देकर उनपर मरहम लगाने की कोशिश हो रही है।
Posted on 17 September 2013 by admin
डीकेएनवार्इ ने अपनी घडि़यों की नवीनतम श्रंृखला-’मेटालिक लेदर्स की पेशकश की है। इस नये कलेक्शन ने समकालीन मेटालिक टोन्स की आकर्षक खूबसूरती के विकास द्वारा स्टाइल एवं समय की दिशा को बदल दिया है। इन आधुनिक घडि़यों को विशिष्ट आकारों में विकसित किया गया है, जो सभी अवसरों के लिये उपयुक्त हैं।
इस कलेक्शन में साफ्ट गोल्ड (एनवार्इ 8858), स्टाइलिश सिल्वर (एनवार्इ 8857) एवं सल्ट्री रोज-गोल्ड (एनवार्इ 8859) शामिल हैं, जिन्हें लेदर स्ट्रैप्स के साथ पेश किया गया है। ये विशिष्ट शेडस अपने मैचिंग स्टेनलेस स्टील डायल्स के बिल्कुल अनुरूप हैं। इसकी चमकदार सकर्ुलर केसिंग रेश्मी एवं आकर्षक खूबसूरती के साथ इन स्टाइल्स के आधुनिक अहसास को बनाये रखती है।
ये घडि़यां एक शाइनिंग स्टेटमेंट की तरह हैं और इन्हें दिन एवं रात दोनों समय पहना जा सकता है।
डीकेएनवार्इ मेटालिक लेदर कलेक्शन की कीमत 5,795 रुपये से शुरू होती है। यह समूचे देश के चुनिंदा शापर्स स्टाप, लाइफस्टाइल, हीलियोज, इथोज, जस्ट इन वोग और अन्य अग्रणी वाच रिटलेर्स में उपलब्ध हैं।
कंपनी के विषय में
फासिल, इंक (छ।ैक्।फरू थ्व्ैस्) एक वैशिवक कंपनी है, जिसे फैशन लाइफस्टाइल एवं एसेसरी उत्पादों के डिजाइन, नवोन्मेष और विपणन में महारत हासिल है। फासिल कंपनी के नामराशि फासिल ब्रांड और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद के स्वामित्व वाले एवं लाइसेंस्ड ब्रांडों की श्रृंखला के माध्यम से रचनात्मकता को बढ़ावा देने और डिजाइन में सर्वश्रेष्ठता प्रदान करने के लिये प्रतिबद्ध है। फासिल ब्रांड पूरी प्रमाणिकता के साथ विभिन्न आधुनिक-विंटेज डिजाइन की सौंदर्यपरकता से युक्त है। समूचे विश्व में कंपनी के मजबूत वैशिवक र्इ-कामर्स व्यवसाय ;ूूूण्विेेपसण्बवउद्ध के साथ लगभग 400 स्टोर्स हैं। फासिल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने लाइफस्टाइल एवं एसेसरी वस्तुओं जैसे घडि़यों, गहनों, हैंडबैग, और क्लोदिंग के विस्तृत संकलन के लिये विख्यात है। कंपनी खोजपरक ब्रांडिंग, विश्व-स्तरीय डिजाइन और गतिशील वैशिवक वितरण की योग्यता के जरिये निरंतर अपनी बहु-ब्रांड श्रृंखला का विकास कर रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 17 September 2013 by admin
भारत का हस्तशिल्प उद्योग सच्ची भावना के साथ हमारी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि भारतीयों की जीवन शैली की झलक उन उत्पादों से मिलती है जो बड़ी सादगी और देशज औजारों के साथ यहां के दस्तकार बनाते हैं। इन उत्पादों में भारतीय परंपरा और कलात्मक निपुणता समाहित रहती है। भारतीय हस्तशिल्प उद्योग की परंपरा बहुत व्यापक है क्योंकि यह देश की सांस्कृतिक विविधता का प्रतिनिधित्व करती है। यह उद्योग वर्षों से रोजगार और विदेशी मुद्रा की कमाई में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इतने बड़ेउत्पादन के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी संभावनाएं नहीं तलाशी गई हैं। विश्व के हस्तशिल्प निर्यात उद्योग में भारत का हिस्सा 2 प्रतिशत से भी कम है। लघु और कुटी उद्योग क्षेत्र शिल्पकारों की सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं को हल करने में मदद करता है। यह क्षेत्र 60 लाख से अधिक दस्तकारों को रोजगार उपलब्ध कराता है जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और समाज के कमजोर वर्ग के लोग शामिल हैं। उपभोक्ता की बदलती रुचि और रुझानों से यह क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
उत्पादन और निर्यात
भारतीय हस्तशिल्प उद्योग में करीब 5 अरब 60 करोड़ अमरीकी डॉलर का उत्पादन होता है। भारत ने वित्त वर्ष 2012.13 में 3 अरब 30 करोड़ 40 लाख अमरीकी डॉलर के हस्तशिल्प का निर्यात किया। पिछले वर्ष की तुलना में निर्यात में 22ण्15 प्रतिशत वृद्धि हुई। 2012.13 के दौरान कुल हस्तशिल्प निर्यात में से सबसे अधिक योगदान कसीदाकारी और कांटे से बुने गए सामान का योगदान रहा और इससे करीब 858ण्08 मिलियन अमरीकी डॉलर की विदेशी आय हासिल हुई। इसके बाद कृत्रिम मृण्पात्रों को योगदान रहा जिससे 612ण्17 मिलियन अमरीकी डॉलर की विदेशी मुद्रा हासिल हुई। तीसरे स्थान पर 506ण्78 मिलियन अमरीकी डॉलर की विदेशी मुद्रा के साथ विविध हस्तशिप रहे। काष्ठ मृण्पात्रों से 505ण्01 मिलियन अमरीकी डॉलर की आय हुई। हस्तशिल्प क्षेत्र देश के 74 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देता है। देश में अनुमानित 2 अरब 30 करोड़ अमरीकी डॉलर के हस्तशिल्प की खपत है।
भारतीय हस्तशिल्प में बहुत अधिक विविधता है। इनमें बिदरीए बेंत एवं बांसए कार्पेटए कॉन्च.शेलए कॉयर ट्विस्टिंगए गुड़िया एवं खिलौनेए जरी का काम एवं चांदी का कामए लोक चित्रकलाए फर्नीचरए घासए पत्तीए रीड एवं फाइबरए सींग एवं हड्डीए आभूषणए चमड़ा ;फुटवीयरद्धए चमड़ा ;अन्य वस्तुएंद्धए धातु मृण्पात्रए धातु छवियां ;क्लासिकलद्धए धातु छवियां ;फॉकद्धए संगीत उपकरणए मिट्टी की वस्तुएं और भांडकर्मए ग़लीचे और दरियांए पत्थर ;नक्काशीद्धए पत्थर ;पच्चीकारीद्धए टेराकोटाए थियेटरए वेशभूषा एवं कठपुतलीए वस्त्र ;हथकरघाद्धए वस्त्र ;हाथ की कसीदाकारीद्धए वस्त्र ;हाथ का छापाद्धए लकड़ी ;नक्काशीद्धए लकड़ी ;पच्चीकारीद्धए लकड़ी ;टर्निंग एवं लैकक्वेर वेयरद्धए जरीए विविध शिल्प पेंटिंग्स शामिल हैं।
किसी एक देश की बात करें तो भारत ने हस्तशिल्प का सबसे अधिक निर्यात अमरीका को किया। 2012.13 में देश के कुल निर्यात में से 26ण्29 प्रतिशत संयुक्त राज्य अमरीका को किया गया। ब्रिटेन को 9ण्57 प्रतिशत निर्यात किया गया। इसके बाद जर्मनी का स्थान रहा जहां 7ण्82 प्रतिशत निर्यात किया गया। फ्रांस को 4ण्25 प्रतिशत तो इटली को 3ण्34 प्रतिशत निर्यात किया गया। नीदरलैंड्स को 2ण्97 प्रतिशतए कनाडा को 2ण्29 प्रतिशतए आस्ट्रेलिया को 1ण्70 प्रतिशत और जापान को 1ण्63 प्रतिशत निर्यात किया गया। अन्य देशों का योगदान 26ण्61 प्रतिशत रहा।
भारतीय हस्तशिल्प की ताकत
देश में स्थानीय स्तर पर कच्चा माल अर्थात प्राकृतिक रेशोंए बांसए बेंतए सींगए पटसनए चमड़े इत्यादि की अनोखी प्रचुर उपलब्धता है। यहां की संस्कृति बहुत समृद्ध और विविधतापूर्ण है जो व्यापक एवं विशिष्ट हस्तशिल्प उपलब्ध कराती है। यहां अनेक कुशल शिल्पी मौजूद हैं। देशज ज्ञान से प्राप्त कौशल के कारण पारंपरिक हस्तशिल्प का असीम भंडार है। महिलाओंए युवाओं और विकलांगों के रोजगार के लिए इस क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। भारत के हस्तशिल्प की उत्पादन लागत कम है।
हस्तशिल्प उद्योग में अवसर
देश के हस्तशिल्प उद्योग में असीम अवसर विद्यमान हैं। उत्पाद विकास एवं डिजाइन को उन्नत बनाने पर अब अधिक ध्यान दिया जा रहा है। घरेलू और पारंपरिक बाजार में भारतीय हस्तशिल्प की मांग बढ़ रही है। विकसित देशो में उपभोक्ता यहां के हस्तशिल्प की सराहना करते हैं और यह रुझान बढ़ता जा रहा है। सरकार अब इस उद्योग को समर्थन दे रही है और हस्तशिल्प के संरक्षण में दिलचस्पी ले रही है। लातिन अमरीकाए उत्तरी अमरीका और यूरोपीय देशो में उभरते बाजारों ने इस क्षेत्र में अवसर बढ़ा दिए हैं। हस्तशिल्प के व्यापार में निष्पक्ष परिपाटियां भी इस क्षेत्र में अवसर बढ़ा रही हैं। भारत में अब ज्यादा पर्यटक आने लगे हैं जिससे उत्पादों के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध हो रहा है।
हस्तशिल्प उद्योग में खामियां
देश के हस्तशिल्प उद्योग में हालांकि विकास के असीम अवसर मौजूद हैं लेकिन इसमें कुछ खामियां भी हैं जिन्हें तत्काल दूर करने की जरूरत है। डिजाइनए नवाचार और प्रौद्योगिकी उन्नयन का अभाव इस क्षेत्र की बहुत बड़ी कमजोरी है। यह उद्योग अत्यधिक बंटा हुआ है। उत्पादन और उत्पाद निर्माण प्रणाली अत्यधिक व्यक्तिगत है और समुचित सरंचना का अभाव है। इस क्षेत्र की रक्षा के लिए सशक्त मुख्य संगठनों का अभाव है। पूंजीकरण बहुत सीमित है और निवेश भी कम किया जाता है। निर्यात के रुझानए अवसरों एवं कीमतों के बारे में बाजार की जानकारी पर्याप्त नहीं होती। कर्ज की उपलब्धता बहुत सीमित है। उत्पादनए वितरण और विपणन के लिए सीमित संसाधन उपलब्ध हैं। उत्पादक समूहों में ई.कॉमर्स दक्षता सीमित है। पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी है और आधुनिक प्रौद्योगिकी का अभाव है।
हस्तशिल्प क्षेत्र में विद्यमान खतरे
किसी भी उद्योग में यदि अवसर विद्यमान होते हैं तो उसमें कुछ कमजोरियां और खतरे भी मौजूद होते हैं। हस्तशिल्प क्षेत्र में भी अनेक खतरे मौजूद हैं। अनेक राज्य सरकारों की प्राथमिकता वाली योजनाओं में यह क्षेत्र शामिल नहीं है। एशियन बाजारों से स्पर्द्धा बढ़ती जा रही है। अच्छे कच्चे माल की आपूर्ति कम होती जा रही है। अन्य देशों में बेहतर क्वालिटी के घटकए फाइंडिंग्स और पैकेजिंग भी इस क्षेत्र में नई चुनौती पेश कर रही हैं। इस क्षेत्र में क्वालिटी मानकीकरण प्रक्रिया की कमी है। व्यापक रूप से विकसित अर्थव्यवस्थाओं में इस क्षेत्र में निवेश घटता जा रहा है और उपभोक्ता परिष्कृत शिल्प को महत्व देने लगे हैं। सांस्थानिक समर्थन का अभाव भी है। एयर कार्गो और शिपमेंट संबंधी माल ढुलाई की लागत बहुत अधिक है। भारतीय हस्तशिल्प की बढ़ती लागत बाजारों में इसकी स्पर्द्धा पर बुरा असर डाल रही है।
हस्तशिल्प के प्रमुख केंद्र
देश भर में विविधतापूर्ण हस्तशिल्प का निर्माण किया जाता है। लेकिन कुछ क्षेत्र अपने विशिष्ट शिल्प के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं। ऐसे ही कुछ क्षेत्रों में शामिल हैंरू.
धातु पर शिल्पकारी . मुरादाबादए संभलए अलीगढ़ए जोधपुरए जयपुरए बाड़मेरए दिल्लीए रिवाड़ीए तंजावुरए चेन्नईए मण्डपए बीदरए केरलए जगाधरी और जैसलमेर।
लकड़ी पर शिल्पकला . सहारनपुरए नगीनाए जयुपरए जोधपुरए बाड़मेरए होशियारपुरए श्रीनगरए अमृतसरए जगदलपुरए बंगलुरूए मैसूरए चेन्नापटनाए चेन्नईए मण्डपए केरलए बहरामपुरए अहमदाबाद और राजकोट।
हाथ की छपाई वाले वस्त्र . जयुपरए बाड़मेरए बगरूए सांगानेरए जोधपुरए भुजए फर्रुखाबाद और अमरोहा।
कसीदाकारी का सामान . बाड़मेरए जोधपुरए जयुपरए जैसल़मेरए कच्छ.गुजरातए अहमदाबादए लखनऊए आगराए अमृतसरए कुल्लूए धर्मशालाए चम्बा और श्रीनगर।
मार्बल और सॉफ्ट स्टोन शिल्प . आगराए चेन्नईए बस्तर और जोधपुर।
टेराकोटा ज़री और ज़री का सामान . राजस्थानए चेन्नईए बस्तरए सूरतए बरेलीए वाराणसीए अमृतसरए आगराए जयुपर और बाड़मेर।
फैशन आभूषण . दिल्लीए मुरादाबादए संभलए जयपुरए कोहिमा ;आदिवासीद्ध।
भारतीय हस्तशिल्प बहुत विशालए व्यापक और विविधतापूर्ण है। इस क्षेत्र में विकास की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। यह क्षेत्र रोजगार करने के मामले में भी बहुत महत्वपूर्ण है। बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत होने के कारण इसे कीमतए फैशनए बाजार की मांग जैसेी जानकारी के अभाव का सामना करना पड़ता है। अन्य देशों से बढ़ती प्रतिस्पर्द्धाए सीमित बाजारोंए अपर्याप्त बुनियादी ढांचा और आधुनिक प्रौद्योगिकी की कमी जैसी चुनौतियों के लिए सरकारी समर्थन के साथ इस क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने की भी जरूरत है।
भारतीय हस्तशिल्प उद्योग 74 लाख से अधिक शिल्पकारों को रोजगार उपलब्ध कराता है। इसकी वृद्धि के लिए डिजाइन एवं उत्पाद के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। एकीकृत और समावेशी समूह के दृष्टिकोण पर अमल किया जा रहा है। बाजार की मांग के अनुसार उत्पाद डिजाइन किए जा रहे हैं। शिल्प समूहों में समर्पित बुनियादी ढांचे के विकासपर बल दिया जा रहा है। आजीविका और काम करने के माहौल को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं। ब्रैंड निर्माणए भौगोलिक संकेतकों पर ध्यान दिया जा रहा है। कौशल विकास एवं क्षमता बढ़ाने पर भी बल दिया जा रहा है। कमजोर शिल्पकला के जीर्णोद्धार की योजना चलाई जा रही है। इस क्षेत्र में ऋण और अच्छा कच्चा माल उपलब्ध कराने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। संशोधित औजारों की आपूर्ति के जरिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और सामान्य सुविधा केंद्रों की स्थापना की जा रही है। इन सभी उपायों के मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र का भविष्य उज्ज्वल हैं।
Posted on 17 September 2013 by admin
भारत एक लोकतांत्रिक देश हैए जहां सभी समुदायों के लोग शांति एवं सद्भाव से रहते हैं। विश्व के सभी बड़े धर्मों के अनुयायी भारत में भी हैं। यहां हिन्दूए बहुसंख्यतक हैं और राष्ट्री य अल्पवसंख्यभक आयोगए अधिनियमए 1992 के तहत मुस्लिमोंए सिखोंए ईसाइयोंए बौद्ध एवं पारसियों को अल्प्संख्यगक का दर्जा प्राप्ती है।
देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में अल्पपसंख्य क समुदाय महत्वमपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। सरकार ने इन समुदायों के सामाजिक.आर्थिक उत्थान के लिए समय.समय पर विभिन्नह कार्यक्रम एवं योजनाएं संचालित की है।
इसी के मद्देनजर भारत सरकार ने अल्पचसंख्य्क समुदायों के सशक्तीएकरण और उनकी संस्कृनतिए भाषा एवं धार्मिक स्वपरूप को बनाए रखने के लिए अल्पीसंख्य क मामलों के मंत्रालय का गठन किया है। इस मंत्रालय का लक्ष्यय सकारात्मखक कार्यों तथा समावेशी विकास के जरिए अल्प संख्याक समुदायों की सामाजिक.आर्थिक स्थितियों में सुधार लाना है ताकि एक प्रगतिशील देश के निर्माण में हर नागरिक को बराबर के अवसर मिल सकें।
अल्पशसंख्येक समुदायों की शिक्षाए रोजगारए आर्थिक गतिविधियों में बराबर की हिस्सेकदारी तथा उनका उत्थाकन सुनिश्चित करने के लिए जून 2006 में अल्पएसंख्य कों के कल्याबण के लिए प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्री कार्यक्रम की घोष्णास की गई थी। इसके तहत विभिन्नक लक्ष्योंण को निश्चित समयावधि में हासिल किए जाने पर जोर दिया गया है।
इस कार्यक्रम के मुख्या उद्देश्यज इस प्रकार हैं रू
1ण् शिक्षा के क्षेत्र में अवसरों को बढ़ावा देना।
2ण् मौजूदा एवं नयी योजनाओं के जरिए आर्थिक गतिविधियों एवं रोजगार में अल्पतसंख्येकों की समान हिस्सेेदारी सुनिश्चित करनाए स्विरोजगार के लिए ऋण सहायता को बढ़ावा देना तथा राज्ये एवं केन्द्रच सरकार की नौकरियों में उनका प्रतिनिधित्वह बढ़ाना।
3ण् बुनियादी सुविधाओं के विकास से जुड़ी योजनाओं में उनकी पर्याप्ता हिस्से दारी सुनिश्चित करते हुए उनके जीवन स्तिर में सुधार लाना।
4ण् सांप्रदायिक हिंसा एवं वैमनस्यधता की रोकथाम तथा नियंत्रण।
इस कार्यक्रम का मुख्यि उद्देश्यस इस बात को सुनिश्चित करना है कि वंचित तबकों के लिए शुरू की गई विभिन्नर सरकारी योजनाओं का लाभ अल्पयसंख्यनक समुदाय के वंचित वर्गों तक अवश्यक पहुंचे। इन योजनाओं का लाभ समान रूप से अल्पसंख्यचकों तक पहुंचाने के लिए इस कार्यक्रम में इस बात पर विशेष ध्याान दिया गया है कि अल्पखसंख्योक बहुल क्षेत्रों में विकासात्मसक परियोजनाओं की निश्चित हिस्से दारी हो।
नए 15 सूत्री कार्यक्रम में शामिल की गईं विभिन्न। योजनाएं इस प्रकार हैं रू
• महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की समन्वित बाल विकास सेवाएं योजनाए इसमें आंगनवाड़ी केन्द्रोंत के जरिए सेवाएं दी जा रही हैं।
• मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सर्व शिक्षा अभियान ;एसएसएद्ध एवं कस्तू रबा गांधी बालिका विद्यालय योजना ;केजीबीवीद्ध।
• ग्रामीण विकास मंत्रालय की आजीविका योजना।
• आवासीय एवं शहरी गरीबी उन्मूजलन मंत्रालय की स्व;र्ण जयंती शहरी रोजगार योजना।
• श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की तरफ से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थावओं का आधुनिकीकरण।
• वित्तीवय सेवाओं के विभाग की वरीयता सेक्टशर ऋण योजना के तहत बैंक ऋण की उपलब्ध ता।
• ग्रामीण विकास मंत्रालय की इंदिरा आवास योजना।
केन्द्र। सरकार ने सच्चलर समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए कुछ सीमित उपाय भी किए हैं। ये इस प्रकार हैं –
• माध्य मिक स्तलर तक गुणवत्तापयुक्तर शिक्षा की पहुंचए राष्ट्री य माध्यतमिक शिक्षा अभियान।
• देश के शैक्षिक रूप से पिछड़े 374 जिलों में प्रत्येरक में एक मॉडल कॉलेज की स्थारपना की जाएगी। इन 374 जिलों में से 61 जिलों की पहचान अल्प्संख्यकक बहुल जिलों के रूप में की गई है।
• जिन क्षेत्रों में अल्पपसंख्य4क खासकर मुस्लिम अधिक रहते हैंए वहां के विश्वमविद्यालयों एवं कॉलेजों में महिला छात्रावास की स्थाेपना व्यकवस्थाि में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से वरीयता का प्रावधान।
• क्षेत्र विशेष एवं मदरसा आधुनिकीकरण कार्यक्रम को संशोधित किया गया है और इसे दो भागों में बांटा गया है।
1ण् मदरसों में गुणवत्तादयुक्तक शिक्षा प्रदान करने की योजना। इसमें बेहतर शिक्षकों की भर्ती करनेए वेतन एवं अन्यं भत्ते बढ़ानेए पुस्ताकोंए कम्यूर श टरों एवं शिक्षण सहायक उपकरणों की खरीद के लिए सहायता में बढ़ावा देना।
2ण् निजी सहायताध्गैर सहायता प्राप्त् शैक्षिक संस्थातनों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्तीदय सहायता।
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वगविद्यालयए जामिया मिलिया इस्लानमिया विश्वीविद्यालयए नई दिल्ली तथा मौलाना आजाद राष्ट्रीवय उर्दू विश्व विद्यालयए हैदराबाद में उर्दू माध्यवम के शिक्षकों के लिए पेशेवर अकादमियों की स्थापना।
इसके अलावा केन्द्रद सरकार ने 2008.09 में बहु.आयामी विकास कार्यक्रम भी शुरू किया है। इस कार्यक्रम का मुख्यर उद्देश्यन अल्पूसंख्यशक बहुल जिलों में लोगों के जीवन की गुणवत्तार में सुधार लानाए विभिन्नद प्रकार के असन्तुंलनों को कम करना तथा सामाजिक.आर्थिक स्थितियों में सुधार लाना है।
विकास के नजरिए से जो जिले मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैंए उनके लिए विशेष योजना बनाई गई हैए जिसमें स्कूजली एवं माध्यधमिक शिक्षा की बेहतर व्यउवस्था ए साफ सफाई पर ध्यािन देनाए पक्केए घरों का निर्माणए स्वकच्छे पेयजल एवं बिजली की उपलब्धसता तथा आय बढ़ाने वाली लाभार्थी आधारित योजनाएं शामिल हैं। इसमें इस बात पर ध्या्न दिया गया है कि जीवन स्त र में सुधार लाने के लिए बुनियादी सुविधाओं जैसे बेहतर सड़क संपर्कए मूलभूत स्वाजस्य्जल सुविधाएंए कौशल विकास एवं विपणन सुविधाओं का होना जरूरी है।
इसके अलावा अल्पलसंख्यणक मामलों का मंत्रालय अल्पमसंख्यनक समुदाय के छात्रों को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में उन्हेंं विभिन्नप छात्रवृत्तियां उपलब्धे करा रहा है।
इसमें शामिलि छात्रवृत्तियां इस प्रकार हैं –
1ण् प्री मैट्रिक स्कॉसलरशिप स्की–म
2ण् पोस्टम मैट्रिक स्कॉललरशिप स्कीिम
3ण् मैरिट.मींस स्कॉ लरशिप स्कीरम
4ण् मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप
5ण् मुक्ता कोचिंग एवं अन्यॉ योजनाएं
6ण् अल्पतसंख्यंक वर्ग की महिलाओं के लिए नेतृत्वी विकास योजना
7ण् राज्योंआ में राष्ट्री य अल्प संख्यतक विकास एवं वित्तींय निगमों से जुड़ी एजेंसियों को अनुदान योजना।
इस प्रकार केन्द्रो सरकार अल्प संख्यअक वर्गों के उत्था न के लिए हर संभव प्रयास कर रही है ताकि जीवन के हर क्षेत्र में वे दूसरों के साथ सम्मासन से खड़े होकर गौरवपूर्ण जीवन जी सकें।
Posted on 17 September 2013 by admin
हालांकि वाणिज्य स्नातक बी पुष्कला और शशिकला किसी भी दूसरी सामान्य गृहणियों की तरह ही रोजमर्रा का काम करती थीं। अक्षत मगर जब वे प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना ;पीएमईजीपीद्ध के तहत स्वंय सहायता समूह से जुड़ींए पूरे पांडिचेरी के उद्यमियों की रोल मॉडल बन गईं। इनकी सफलता की कहानी बताती है कि कैसे पीएमईजीपीए केंद्र सरकार का ऋण सब्सिडी कार्यक्रमए देश भर के हजारों छोटे उद्यमियों को लाभ पहुंचा रहा है।
पुष्कला और शशिकला ने चार साल पहले करईकल कोथालाम्पट की सात अन्य महिलाओं के साथ ष्नवरत्न महालीरष् के नाम से स्वयं सहायता समूह शुरू किया। यह समूह आज करईकल जिले का पेपर कप और प्लेट का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता हैण् इन महिलाओं ने पीएमईजीपी योजना के तहत इंडियन बैंकए करईकल शाखा से 9 लाख रुपए का ऋण लेकर कामशुरू किया। ६ण्५ लाख से उन्होंने शिवकाशी से पेपर कप बनाने वाली मशीन खरीदी और बचे हुए रुपयों से कच्चा माल लिया। समूह को इस बीच करीब २ण्७५ लाख रुपयों की अनुदान राशि भी मिली।
ष्करईकल पेपर कपष् ब्राण्ड के नाम से यह समूह आज शहर और आस.पास की कॉफी दूकानों में थोक भाव से कपों की आपूर्ति करने के अलावा करईकल बंदरगाह की जरूरतों को भी पूरा कर रहा है। केवल चार सालों में ही उन्होंने बैंक का ६ण्५ लाख का ऋण चुकता कर दिया है। किरायाए बिजली और अन्य खर्चे चुकाने के बाद ये महिलाएं प्रति महीने १५०० रुपए भी घर ले जा रही हैं। समूह के दूसरे सदस्य मिण् तिरुवलर सेल्वी कहते हैं कि अब उनका कारोबार फैल रहा है और अब वे और ज्यादा पेपर कप बनाने वाली मशीन खरीदने की योजना बना रहे हैं। पुष्कला और शशिकला जैसी महिलाओं ने जिस तरह से अनुकरणीय मिसाल पेश किया हैए आजकल लोग जिले के अग्रणी बैंक सेए प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना से संबंधित पूछताछ ज्यादा करने लगे हैं। यही वे महिलाएं हैं इस तरह की सरकारी योजनाओं की मिसाल हैंण् ऐसा इंडियन बैंकए करईकल के मुख्य प्रबंधकए श्री धर्मालिंगम् सोचते हैं।
हांए इन महिलाओंए जिनकी खुशियों से झोली भरी हुई हैए ने दूसरों को सही राह दिखाई है।
पीएईजीपी के बारे में
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम ;पीएमईजीपीद्ध दो योजनाओं प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना ;पीएमआरद्ध और ग्रामीण रोजगार सृजन योजना ;आरईजीपीद्ध के विलय से बना है। इस योजना की शुरूआत १५ अगस्तण् २००८ को खादी और ग्रामोद्योग आयोग ;केवीआईसीद्ध के तहत की गईण् राज्य स्तर पर यह योजना राज्य केवीआईसी निदेशालयए राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड और जिला उद्योग केंद्र ;डीआईसीद्ध और बैंकों के जरिए लागू की जा रही है। सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी केवीआईसी के तहत अधिकृत्त बैंकों के माध्यम से खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।