लखनऊ 16 सितम्बर 2013 भारतीय जनता पार्टी ने कहा मुजफ्फरनगर की घटना पर सुविधानुसार राजनीति हो रही है। प्रधानमंत्री जहा बड़ी घटना बता दोषियों को न बक्शे जाने की बात कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर रहे है। वही राज्य की समाजवादी पार्टी अपनी नाकामियों का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ अपनी जिम्मदारी से पिण्ड छुड़ा रही है। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि मुजफ्फनगर दंगों को लेकर नरेन्द्र मोदी व अमित शाह सहित भाजपा और संघ परिवार पर बेबुनियाद आरोप प्रत्यारोप की राजनीति बंद हो। उन्होने कहा कि दंगों पर नियंत्रण में नाकाम रही अखिलेश सरकार के मंत्री और उनकी पार्टी के नेता मानसिक दिवालियेपन का शिकार हो गये है। इसीलिए वे दंगों में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की संलिप्तता की बात कह रहे है। श्री पाठक ने अखिलेश सरकार को चुनौती दी अगर उनके पास तथ्य है तो वे साबित करे अन्यथा अपने मंत्रियों के कथन पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।
पार्टी के राज्य मुख्यालय पर संवाददाताओं से बातचीत में पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि मुजफ्फरनगर में दंगे की बड़ी घटना होने के बावजूद, प्रशासनिक रूप से विफल उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार पर कार्यवाही में केन्द्र सरकार संकोच क्यों कर रही है। महज दोषियों को न बक्शे जाने के बयान से आम आदमी के जख्मों पर मरहम कैसे लगेगा। उन्होनें कहा कि राज्य के कददावर मंत्री शिवपाल सिंह यादव राजनैतिक पेशबंदी के तहत राज्य सरकार की नाकामियों को छिपाने के लिए मुजफ्फरनगर दंगे के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दु परिषद व भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रहे है। श्री पाठक ने कहा कि शिवपाल जी के पास किस जांच आयोग की रिपोर्ट है और किस खुफिया तंत्र की जानकारी है जिसके आधार पर वो यह बात दावे के साथ कह रहे है। सच तो यह है कि श्री यादव अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में पारित प्रस्ताव से इतर मुजफ्फरनगर की घटना को न सम्प्रदायिक हिंसा न ही दंगा और न ही जातीय संषर्घ मानते है। दंगों में अखिलेश सरकार और समाजवादी पार्टी की भूमिका का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सपा के ही एक पूर्व विधायक ने पार्टी पर दंगार्इ होने का आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। जबकि एक लोकसभा प्रत्याशी ने दंगों को लेकर सरकार और सपा की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए अपना टिकट वापस कर चुनाव लड़ने में असमर्थता व्यक्त की।
श्री पाठक ने कहा असमंजस, अराजकता, और अर्तविरोधों से ग्रस्त अखिलेश सरकार लगातार राज्य के वातावरण को सम्प्रदायिक करने में जुटी है। तभी तो पूरी तौर पर भ्रमित सरकार के कददावर मंत्री की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी मे शामिल हो रहे पूर्व विधायक गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे है कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने भाड़े के अपराधियों को बुलाकर पशिचम उत्तर प्रदेश मे दंगा भड़काया। उन्होंने कहा कि उनकी बात यदि सही मान ली जाये तो यह सवाल उठता है कि ये भाड़े के अपराधि आये कहां से थे? उत्तर प्रदेश में कैसे आये और अगर ये आये तो क्या यह अभिसूचना तंत्र की विफलता नही थी? पुलिस क्या कर रही थी? जब ये अपराधी दंगा फैला रहे थे तो राज्य का पूरा तंत्र यहां बैठ कर क्या कर रहा था? दरअसल समाजवादी पार्टी मानसिक दिवालियेपन की कगार पर है और इसीलिए उलूल-जलूल और हताशा भरे बयान दे रही है।
उन्होने कहा मुजफ्फरनगर दंगे के पीडि़तों के साथ भेदभाव हो रहा है। राजनैतिक बयान बाजी और राजनैतिक रोटी सेकने में जुटे दल दंगों के वास्तविक अपराधियों को बचाने के लिए पूरे मामले का राजनैतिक करण करने में जुटे है। शुद्ध रूप से राज्य सरकार की प्रशासनिक विफलता से मुजफ्फरनगर में जान-माल का नुकसान हुआ, अब जख्म देकर उनपर मरहम लगाने की कोशिश हो रही है।