Archive | July 29th, 2013

मुख्यमंत्री ने लखनऊ के मुमताज पी0जी0 काॅलेज में छात्र-छात्राओं को लैपटाॅप वितरित किये

Posted on 29 July 2013 by admin

  • राज्य सरकार किसानों को कर्ज माफी के साथ-साथ अन्य सहूलियतें भी प्रदान कर रही है

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि आज के युग में लैपटाॅप की प्रासंगिकता काफी बढ़ गई है क्योंकि वर्तमान समय कम्प्यूटर और इण्टरनेट का है। लैपटाॅप के माध्यम से छात्र-छात्राओं को नई तकनीक से जुड़ने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि अल्प अवधि में राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं को संचालित किया है।
मुख्यमंत्री आज यहां लखनऊ के मुमताज पी0जी0 काॅलेज में आयोजित निःशुल्क लैपटाॅप वितरण कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने काॅलेज के विद्यार्थियों को लैपटाॅप वितरित किए। कार्यक्रम के माध्यम से महाविद्यालय के
826 छात्र-छात्राएं लाभान्वित हुए। अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री ने सभी छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि समाजवादी सरकार चुनाव के समय किए गए वायदों को तेजी से पूरा कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार की लैपटाॅप वितरण योजना की नकल कई राज्य सरकारें अपने राज्यों में कर रही है। प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों की कर्ज माफी के साथ-साथ खाद, बीज व पानी जैसी सहूलियतें भी प्रदान की जा रही हैं। प्रदेश सरकार द्वारा उद्योगों को आकर्षित करने के लिए नई उद्योग नीति लागू की गई हैं, जिससे बेरोजगारों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। निर्धन अल्पसंख्यक परिवारों की 10वीं पास बालिकाओं को राज्य सरकार द्वारा हमारी बेटी-उसका कल योजना के तहत लाभान्वित किया जा रहा है।
इसके पूर्व कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री अहमद हसन ने कहा कि देश के सबसे नौजवान मुख्यमंत्री ने अपनी कार्यशैली से सभी को प्रभावित किया और प्रदेश के विकास को एक नई गति दी है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री श्री अभिषेक मिश्र ने कहा कि हैदराबाद में सम्पन्न ई-गवर्नेन्स प्रदर्शनी में प्रदेश सरकार की लैपटाॅप वितरण योजना को सर्टिफिकेट आॅफ एक्सीलेन्स एवार्ड से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री नवीन चन्द्र बाजपेयी, पूर्व मंत्री
डाॅ0 अशोक बाजपेयी, अपर महाधिवक्ता श्री जफरयाब जिलानी, काॅलेज के प्राचार्य श्री ए0ए0 फारूखी, प्रबन्धक, शिक्षकगण व बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव 27 जुलाई, 2013 को लखनऊ विश्वविद्यलाय मंे आयोजित निःशुल्क लैपटाॅप वितरण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए।

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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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‘‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय‘‘

Posted on 29 July 2013 by admin

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व चेयरपर्सन, बी.एस.पी. संसदीय दल एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ एक प्रेस कांफ्रेन्स को सम्बोधित करते हुये कहाकि वैसे यह सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश में जब से समाजवादी पार्टी की सरकार बनी है तब से यहाँ सरकारी व गैर-सरकारी सभी स्तर के महत्वपूर्ण पदों पर ज्यादातर एक ही विशेष वर्ग के लोगों को अर्थात् यादव समाज के लोगों को ही नियम-कायदे ताक पर रखकर बैठाया जा रहा है और उसमें भी इस मामले में खासतौर से उन यादव समाज के लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है जो सपा की गलत नीतियों व कार्यप्रणाली के जबरदस्त समर्थक है और इनके स्थान पर जो यादव समाज के लोग इनकी गलत नीतियों व कार्यप्रणाली से सहमत नहीं है उन्हें सभी प्रकार के लाभ से दरकिनार करके रखा गया है। अर्थात् संक्षेप में यही कहना है कि वर्तमान सपा सरकार में हर मामले में सरकारी व गैर-सरकारी सभी स्तर के महत्वपूर्ण पदों पर सपा की गलत नीतियों व कार्यशैली से सहमत लोगों को ही ज्यादातर रखा जा रहा है। और शेष अन्य सभी समाज के लोगों की हर मामले में व हर स्तर पर ज्यादातर उपेक्षा की जा रही है। इसलिए अब धीरे-धीरे इन उपेक्षित वर्गों के लोगों को, इस सरकार मे अपने अधिकारों की कटौती होते हुये देखकर इन्हें अपने अधिकारों के हित में सड़कों पर उतरकर मजबूरी में आन्दोलन करना पड़ रहा है और साथ ही साथ न्याय प्राप्त करने के लिए माननीय कोर्ट में भी जाना पड़ रहा है। इस बात का सबसे ज्यादा जीता-जागता व ज्वलन्त उदाहरण वर्तमान सपा सरकार के दिशा-निर्देंशन में ‘‘उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग‘‘ द्वारा एक विशेष यादव समाज के लोगों को नौकरियों में ज्यादा से ज्यादा भर्ती करने के खास मकसद से इसमें भर्ती करने के मामले में वर्षों से चली आ रही पुरानी आरक्षण की नीति को बदलकर, नई आरक्षण की नीति को लागू करना है और इस नई आरक्षण की नीति के तहत् अब प्रदेश में यह हो रहा था कि प्रदेश मे पहले आरक्षण की पुरानी व्यवस्था में आरक्षित वर्ग को अन्तिम परिणाम में ओवरलैपिंग का लाभ दिया जाता था, जिसमें आरक्षित वर्ग को सामान्य वर्ग के कटआफ नम्बर से ऊपर नम्बर लाने पर, फिर सामान्य वर्ग में शामिल मान लिया जाता था।
लेकिन अब वर्तमान सपा सरकार में, दुर्भावना के तहत, उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग ने इस नियम को बदलकर हर स्तर पर आरक्षित वर्ग को ओवरलैपिंग का लाभ देने का फैसला कर दिया है। इससे प्रदेश में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को नौकरी पाने के अवसर कम हो रहे थे और इसका बड़ा भारी नुकसान खासतौर से इस वर्तमान सपा सरकार में अपरकास्ट समाज के अभ्यर्थियों को ज्यादा हो रहा था। इसी कारण इसका अर्थात् सपा सरकार की इस ’’नई आरक्षण नीति का’’ हमारी पार्टी कड़ा विरोध करती है व इसकी कड़ी निन्दा भी करती है। और इसके साथ ही इस मामले को लेकर अर्थात् इस नई आरक्षण की नीति को खत्म करने के लिए जो नौजवान लोग सपा सरकार के खिलाफ आन्दोलन कर रहे थे उनका हमारी पार्टी पुरजोर समर्थन करती है। इतना ही नहीं बल्कि जब ये लोग इस मामले को लेकर माननीय कोर्ट में गये और कोर्ट ने इनकी इस शिकायत को काफी गम्भीरता से लेते हुये, इस सन्दर्भ में तत्काल सुनवाई करके इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखकर, जल्दी ही निर्णय देने के लिए कहा। लेकिन माननीय कोर्ट की इस मामले में सख्ती व गम्भीरता को देखते हुये फिर सपा सरकार को कोर्ट का निर्णय आने से पहले ही फिर मजबूरी में इस नई आरक्षण की नीति को बदलकर पुरानी आरक्षण की नीति को बहाल करना पड़ा है।
इसके साथ ही, मैं मीडिया द्वारा माननीय कोर्ट से यह भी अपील करती हूँ कि सम्बन्धित मामले में जो नौजवान लोग अपने सही अधिकारों के लिए आन्दोलन कर रहे थे उन पर इस दौरान इस सपा सरकार द्वारा काफी जुल्म-ज्यादती की गयी है तथा उन पर अनेकों गम्भीर धाराओं के तहत् मुकदमें भी दर्ज किये गये हैं, उन्हें इस सरकार को वापिस लेने के लिए सख्त आदेश पारित करने का कष्ट करें ताकि इनका आगे चलकर भविष्य अन्धकार में नहीं चला जाये।
अर्थात् सपा सरकार की इस नई आरक्षण नीति के तहत् अपरकास्ट समाज के युवाओं के खिलाफ भेदभाव से जुड़े इस पूरे प्रकरण का सच यह है कि पिछले कुछ दिनों में इलाहाबाद में उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा संचालित परिक्षाओं में संविधान और मा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देंशों के द्वारा तय नियमों में सिर्फ एक जाति विशेष को फायदा पहुँचाने के मकसद से हुई छेड़छाड़ के बाद आरक्षण के मुद्दे पर एक नया आन्दोलन प्रतियोगी छात्रों द्वारा शुरू किया गया, जिसने हिंसक रूप ले लिया और इसकी चपेट में पूरा इलाहाबाद शहर आ गया था।
इस पूरे मामले में काबिले-गौर बात यह है कि ये आन्दोलन आरक्षण के विरोध में नहीं था, बल्कि उसके स्वरूप में छेड़छाड़ के खिलाफ था। प्रदेश की समाजवादी पार्टी ने श्री अनिल यादव नाम के एक व्यक्ति को एक खास मकसद से उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया और बदले में उन्होंने सिर्फ एक जाति विशेष अर्थात् यादव समाज को ही फायदा पहुँचाने के मकसद से काम करना शुरू किया और इसके पीछे समाजवादी पार्टी की एक सोची-समझी व चुनावी लाभ लेने की रणनीति है। और जैसाकि आप लोग जानते है कि आयोग द्वारा चयनित अधिकारी प्रदेश में बतौर एस.डी.एम., डी.एस.पी. और अन्य पदों पर तैनात किये जाते है और चुनाव के दौरान इन अधिकारियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है सपा की सोच भी यही है कि जब नियम कानून बदलकर उसके द्वारा बनाये गये अधिकारी प्रदेश भर के तमाम् जिलों, कस्बों और गांवों में जब तैनात होंगे तो वे सरकार की बजाय उनकी पार्टी के लिये काम करेंगे जिसने उन्हें नियमोें में फेरबदल कर तैनाती दिलवायी है और यह स्पष्ट है कि इससे सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी को ही फायदा होगा।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पूरी कवायद से, जो कि सपा की सोची-समझी रणनीति है, इसका सबसे ज्यादा नुकसान अपरकास्ट समाज को हो रहा है और इस पार्टी की सरकार कैसे इसके लिए आरक्षण के नियम और उसमें छेड़छाड़ कर रही है, ये समझना भी जरूरी है।
उत्तर प्रदेश में लोकसेवा आयोग और अन्य चयन प्रक्रियाओं से दी जाने वाली नौकरियों में 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था संविधान द्वारा और सुप्रीम कोर्ट में इन्दिरा साहनी केस द्वारा तय की गयी है। लेकिन इसमें प्रावधान यह है कि लोक सेवा आयोग द्वारा अगर किसी प्रतियोगी छात्र का चयन रिजर्व कैटेगरी में होता है तो वो अपनी कैटेगरी में ही परीक्षा के अन्तिम चरण यानी इंटरव्यू तक रहता है लेकिन लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ने इस बार ये नियम बदल दिया जिसके बाद 2011 के पी.सी.एस. परीक्षा के मुख्य परीक्षा के रिजल्ट आने के बाद 1,350 सफल छात्रों में सामान्य (सवर्ण श्रेणी) वर्ग के केवल 240 छात्र थे जो इंटरव्यू देंगे।
दरअसल आरक्षण का स्थापित नियम कहता है कि जो छात्र प्रारंभिक परीक्षा के बाद आरक्षित श्रेणी से पास होकर मुख्य परीक्षा तक पहुँचता है वो मुख्य परीक्षा में भी आरक्षित श्रेणी में ही रहेगा, लेकिन इस नियम को बदल दिया गया और प्रारंभिक परीक्षा के बाद मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में उन आरक्षित श्रेणी के छात्रों को ओवरलैप करा दिया गया जिनके नम्बर सामान्य श्रेणी के बराबर थे जबकि नियम यह कहता है कि अगर एक बार आप आरक्षित श्रेणी का लाभ लेकर मुख्य परीक्षा तक पहुँचते है तो मुख्य परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद भी आपको अपनी श्रेणी में ही कम्पलीट करना होगा।
सबसे हैरानी की बात ये है कि मुख्य परीक्षा में पास 1350 छात्रों में से बड़ी संख्या में यादव समाज के ही कन्डीडेट हैं जो पिछड़े वर्ग में तो बड़ी संख्या में शामिल हैं ही साथ ही बड़ी संख्या में नियम तोड़कर व बदलकर सामान्य वर्ग में भी शामिल कर दिये गये थे, जिसका खामियाजा सवर्ण समाज को उठाना पड़ेगा। खास बात ये है कि आयोग द्वारा किये गये इस फेरबदल से यादव समाज को छोड़कर सभी पिछड़ी जाति खासकर कुर्मी वर्ग के लोग काफी ज्यादा नाराज हैं। इस नई प्रक्रिया के विरूद्ध पिछले कई दिनों से परीक्षार्थी आन्दोलित थे, इस नई प्रक्रिया के अन्र्तगत पिछड़े वर्ग में एक खास जाति के लोग ही लाभाविन्त किये जा रहे थे और तभी आन्दोलित प्रतियोगी छात्रों ने लोकसेवा आयोग की पट्टिका पर लोक सेवा की जगह यादव सेवा आयोग की पट्टिका लगा दी है।
संक्षेप में, हमारी पार्टी का यही कहना है कि वर्तमान सपा सरकार में एक विशेष जाति को छोड़कर अर्थात् यादव समाज को छोड़कर बाकी समाज की हर मामले में व हर स्तर पर काफी ज्यादा उपेक्षा हो रही है और मुझे पूरा भरोसा है कि इसकी सजा ये बाकी सभी समाज के लोग प्रदेश में आगे होने वाले सभी स्तर के चुनाव में इस पार्टी को जरूर देंगे। लेकिन इसके साथ ही यहाँ मैं अपनी पार्टी की नीतियों के बारे में यह भी कहना चाहती हूँ कि उत्तर प्रदेश मे जब-जब मेरे नेतृत्व में यहाँ सरकार बनी है तो हमारी पार्टी ने अपनी ‘‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय‘‘ की नीति के आधार पर चलकर हर मामले में व हर स्तर पर सर्वसमाज के हितो का पूरा-पूरा ध्यान रखा है और जो लोग सर्वसमाज में से ज्यादा कमजोर, असहाय व गरीब थे, उनका प्राथमिकता के आधार पर पूरा-पूरा ध्यान रखा है। लेकिन वर्तमान सपा सरकार की तरह हमने किसी भी जाति व धर्म के लोगों के साथ किसी भी मामले में कोई भेदभाव व पक्षपात आदि नहीं किया है, जैसाकि इस सरकार में अब हमें यहाँ हर स्तर पर देखने के लिए मिल रहा है।
साथ ही, उन्होंने कहाकि आप लोगों को यह मालूम है कि पिछले कई दिनों से उत्तर प्रदेश में पार्टी संगठन के जिम्मेवार लोगांे की प्रदेश कार्यालय में लगातार बैठके चल रही हैं, जिसमें पार्टी संगठन की तैयारी व सर्वसमाज में बढ़ रहे पार्टी के जनाधार की प्रगति रिपोर्ट लेने के साथ-साथ उनके क्षेत्रों में दयनीय अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था की जमीनी हकीकत की रिपोर्ट भी मेरे सामने रखी है। लोगों ने मुझे बताया कि वर्तमान सपा सरकार में गुण्डों, माफियाओं व अन्य अराजक तत्वों का ही बोलबाला है और इस कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी ज्यादा दयनीय हो गयी है कि अब घर की बहन-बेटियां दिन में भी घर से अकेले बाहर निकलने में अपने आपको काफी असुरक्षित महसूस करती हैं। चोरी, लूट, डकैती, अपहरण,  हत्यायें व बालात्कार आदि की घटनायें भी चरम सीमा पर पहुँच गयीं है, जिस कारण ही मैंने माननीय राज्यपाल महोदय से यहाँ राष्ट्रपति शासन लगाने की माँग की थी और आज अपनी इस माँग को आज फिर मैं दोहराती हूँ।
साथ ही, विकास के नाम पर यहाँ बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है और जाँच के नाम पर तो पहले से ही व्यापक लूट-खसोट जारी थी और सपा सरकार अपनी इस प्रकार की खराब स्थिति से लोगों का ध्यान बाँटने के लिये हर दो-तीन महीने में कुछ जगह बेरोजगारी भत्ता व लैपटाप बांटने का नाटक करती है। और इस वितरण में भी काफी ज्यादा भेदभाव व पक्षपात किया जा रहा है। केवल सपा सर्मथक लोगों को ही इसका लाभ देकर बाकी अनेकों पात्र लोगों की अनदेखी व उपेक्षा की जा रही है, जिस कारण अनेकों स्थानों पर कानून-व्यवस्था की समस्या भी उत्पन्न हुयी है।
साथ ही, बेरोजगारी भत्ता व लैपटाप वितरण के लिये जो विज्ञापन आदि जारी किये जा रहे हैं तथा इसके वितरण व्यवस्था पर जो सरकारी धन खर्च किया जा रहा है, वह रकम योजना पर खर्च होने वाली धनराशि से ज्यादा है। वास्तव में इस प्रकार की फिजूलखर्ची रोककर जनहित के दूसरे काम किये जाने चाहिये और शुरूआती दौर के बाद भत्ता व लैपटाप का वितरण कायदे से वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ही किया जाना चाहिये था, ताकि जनता के धन की यूँ ही बर्वादी नहीं होती रहती।
प्रेसवार्ता में खाद्य सुरक्षा के सम्बन्ध में पूछे गये एक सवाल के जवाब में सुश्री मायावती जी ने कहाकि गरीब हित की इस योजना से ’’सैद्धान्तिक’’ तौर पर हमारी पार्टी सहमत हैं, परन्तु मा. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के बावजूद करीब सवा दो साल के बाद उठाये गये इस कदम को जल्दबाजी मे जैसे-तैसे में अध्यादेश के जरिये लाने के बजाय राजनीतिक पार्टियों से विचार-विमर्श करके आम राय बनाकर संसद में विधिवत विधेयक लाकर अगर इस काम को किया जाता तो यह ज्यादा बेहतर होता। फिर भी सरकार का यह फैसला एक प्रकार से देर आयेद, दुरूस्त आयेद है।
इसके साथ ही गरीबी रेखा का नया पैमाना तय करके देश में गरीबी की संख्या काफी कम करके बताना और फिर कुतर्क देना कि 5 रूपये में दिल्ली में और 12 रूपये में मुम्बई में भरपेट खाना खाया जा सकता है, इस सम्बन्ध में एक सवाल के जवाब में बी.एस.पी. प्रमुख सुश्री मायावती जी ने कहाकि जो लोग इस तरह की बात करते हैं वे लोग ऐसा लगता है कि गरीब और गरीबी कभी देखी ही नहीं है। इस प्रकार की बात करना ठीक नहीं है,  गलत है।
इसी प्रकार, चुनाव-पूर्व सर्वेक्षण में बी.जे.पी. को उत्तर प्रदेश में बढ़त दिखाये जाने के प्रश्न के जवाब में सुश्री मायावती जी ने कहाकि वास्तविकता इससे उलट दिखाई पड़ती है, जिस कारण यह कहा जा सकता है कि ये ’’हवाई बातें’’ हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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कांगे्रसी नेताओं ने कभी गरीबी नही देखी

Posted on 29 July 2013 by admin

edited-bjp_presidentbjym_president_photo127-july-20135 रूपये, 12 रूपये और एक रूपये मंे भर पेट भोजन मिलने का दावा करने वाले कांगे्रसी नेताओं ने कभी गरीबी नही देखी है। मंहगाई की मार झेल रही जनता के लिए यह बयान जले पर नमक छिड़कने जैसा है। उक्त बाते भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा0 लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने भारतीय जनता युवा मोर्चा व महिला मोर्चा द्वारा बाजारों में होटल, रेस्टोरेंट, ढ़ाबों में 5 रूपये मंे खाना मांगने के कार्यक्रम में कहा।
डा0 बाजपेयी ने कार्यक्रम में उपस्थित युवा मोर्चा व महिला मोर्चा के कार्यकर्ताओं को सम्बोंधति करते हुए कहा कि कांगे्रस के एसी कल्चर के नेता देश में गरीबी और भूखमरी की कगार पर खड़े निर्दोष लोगों का मजाक बना रहे है। अगर कांगे्रसी नेताओं में दम है तो उन्हे किसी सामान्य रिक्से वाले, गरीब मजदूर के साथ किसी ढ़ाबे में 5 रूपये में भोजन करके दिखाना चाहिये। संवेदनहीनता और जनसमस्याओं से किनारा करना कांगे्रस का चरित्र है। कांगे्रसी नेताओं के बयान से यह सिद्ध हो गया है कि देश के गरीबों, आम जनों की समस्याओं से उनका कोई सरोकार नही हैं।
डा0 बाजपेयी ने प्रदेश की सपा सरकार से पूंछा कि क्या वे कांगे्रस के नेताओं के बयान से सहमत है, यदि सहमत है तो जनता उनका भी हिसाब 2014 के लोकसभा चुनाव में चुकता करेगी और यदि असहमत है तो दिल्ली में केन्द्र सरकार को दे रहे समर्थन को वापस ले।
भाजयुमों प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष राय ने कहा कि यूपीए सरकार आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। केन्द्र और प्रदेश सरकार को चलाने वाली पार्टीयों का आम जनता, महिलाओं, छात्रों बेरोजगारों और नौजवानों से कोई लेना देना नही है। खुद को आम जनता का हितैषी बताने वाली समाजवादी पार्टी गरीबों का मजाक उड़ा रही है और कांगे्रस की सरकार चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यहीं हाल सामंतवादी विचारधारा की बहुजन समाज पार्टी का हैं। भाजयुमों कांग्रेस सपा व बसपा की हर जनविरोधी नीति का गांव-गांव तक विरोध करेंगी और आम जनमानस को इनके असली चेहरों से परिचित करायेगी। edited-bjp_presidentbjym_president_photo227-july-2013
इसके पूर्व भाजपा मुख्यालय से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा0 लक्ष्मीकांत बाजपेयी व भाजयुमो अध्यक्ष आशुतोष राय के नेतृत्व में  भाजपा, युवामार्चा, महिला मोर्चा के कार्यककर्ता ने जी.पी.ओ., जनपथ, दारूलशफा व लालबाग के होटलों व ढ़ाबों में जाकर 5 रूपयें मे ंखाना मांगा। जहां दुकानदारों ने बढ़ती हुई मंहगाई का हवाला देकर खाना देने से मना कर दिया।
भाजपा प्रदेश मुख्यालय से प्रारम्भ हुये मार्च में भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष शुक्ल, भाजयुमों के प्रदेश सदस्यता प्रभारी आनन्द शाही, सह सदस्यता प्रभारी सुनील पाठक, विजेन्द्र त्यागी, सुनीता बंसल, सुमन शुक्ला, राघवेन्द्र तिवारी, प्रत्यूष मणि त्रिपाठी, राहुल मिश्र, पुष्पा चैहान, कुॅवर निषाद, सोनू सिंह, जितेन्द्र सिंह, साकेत शर्मा, अभिजात मिश्र, सुशीला वर्मा, विमला सिंह, मधुबाला, सच्चिदानन्द राय, अवधेश गुप्ता, सुशील चैरासिया, संजय सूर्यवंशी, सत्यव्रत त्रिपाठी, विनोद तिवारी अप्पू, अनिल यादव, सोनू गोस्वामी, अभिनव अस्थाना, रूपाली रस्तोगी, सुमित त्रिपाठी, पप्पू मालवीय, मो0 नईम, धर्मेन्द्र तिवारी, विक्रम सिंह, हिमांशु दीक्षित, संजय मिश्रा, संदीप त्यागी, विनीत यादव, शैलेन्द्र, अमित अवस्थी, अजीत बाजपेयी जितेन्द्र शुक्ला, सूरज अवस्थी, विनोद शुक्ला, अनूज तिवारी, विकास खरे, अंकुर अवस्थी सहित सैकड़ो कार्यकर्ता मौजूद रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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छात्रों के संघर्ष की जीत

Posted on 29 July 2013 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था को वापस लेने को छात्रों के संघर्ष की जीत बताया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा0 लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को चयन की धांधली का अड्डा बताया। उन्होंने आयोग के अध्यक्ष डा0 अनिल यादव को बर्खास्त कर लोकसेवा आयोग को भंग करने की मांग प्रदेश सरकार से की है।
प्रदेश अध्यक्ष डा0 बाजपेयी ने आयोग से पूंछा कि इस तिकड़म भरे त्रिस्तरीय आरक्षण के फार्मूले के तहत कितने चयन किये गये है? उन्होनंे कहा कि यदि कोई चयन इस फार्मूले के तहत किया गया है तो उसे तत्काल रदद् करके प्रतिस्पर्धियों को न्याय दिया जाये। संघर्षशील छात्रों द्वारा आयोग को निर्णय वापस लेने पर मजबूर करने के लिए छात्रों व विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को बधाई।
डा0 बाजपेयी ने आरोप लगाया कि प्रदेश का लोकसेवा आयोग गम्भीर सन्देह के घेरे में है।  प्रतियोगियों का इस आयोग पर बिल्कुल भी भरोसा नही है। एक तरफा चयन की शिकायते आम है तथा भ्रष्टाचार की चर्चा जन मानस में तैर रही है। उन्होंने कहा कि आयोग की कार्य प्रणाली पारदर्शी नही है। डा0 बाजपेयी ने मांग की कि इस आयोग द्वारा की गई भर्तियों की न्यायिक जांच हो तथा भविष्य में पारदर्शी चयन प्रक्रिया आयोग को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। आयोग में भ्रष्ट व्यवस्था को छिपाने के लिए तथा पारदर्शी बनाने के लिए कोडिंग का खेल चल रहा है। इस खेल के कारण सैकड़ो प्रतियोगी छात्र अन्याय के शिकार हो रहे है।
पार्टी प्रवक्ता डा0 बाजपेयी ने आयोग के अध्यक्ष डा0 अनिल यादव को तत्काल बर्खास्त किये जाने की मांग की तथा आयोग को भंग कर प्रदेश के प्रतियोगियों को न्याय दिलाया जाये। आंदोलन के दौरान छात्रों के ऊपर दर्ज मुकदमों को बिना शर्त वापस लिया जाये। चयन प्रक्रिया पर भरोसा दिलाये जाने के लिए एक वैधानिक प्रक्रिया अपनाये जाने की आवश्यकता है। सरकार को आयोग की शुचिता को बहाल करने की हर संभव प्रयास सुनिश्चित करने चाहिए। डा0 बाजपेयी ने चेताया कि पार्टी छात्रों के साथ खिलवाड़ को बर्दाश्त नही करेगी। जरूरत पड़ी तो हर तरह संघर्ष पार्टी करेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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