Posted on 15 April 2013 by admin
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि श्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व के प्रति जनता के बढ़ते विश्वास और श्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व में लिए गए तमाम जनहितकारी निर्णयों से विपक्षी दलों की नींद उड़ गई है। यह कैसी बिडम्बना है कि दिखावे में एक दूसरे के विरोधी सभी एक स्वर एक तान में समाजवादी पार्टी सरकार की बुराई पर उतर आये हैं। उनके पास विरोध का कोई ठोस कारण नहीं है। इसलिए वे विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के समर्थन में खुलकर प्रचार करने वाले साल भर में ही बेचैन हो गये हैं। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने मुस्लिमों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। मुस्लिम छात्राओं को छात्रवृत्ति, शादी के लिए अनुदान, प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग तथा हास्टल सुविधा, यूनीफार्म, कब्रिस्तानों की चहारदीवारी का निर्माण, मदरसों को मदद, हज सम्बन्धी सुविधाएं समाजवादी पार्टी सरकार की देन हैं। राज्य सरकार ने मुस्लिम समाज के हित में निर्णय लिए हैं किसी व्यक्ति विशेष के लाभहानि को नजर में रखकर नहीं। किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि सरकार उसकी बंधक बनकर रहेगी क्योंकि प्रदेश की 20 करोड़ से ज्यादा जनता ने अपने भाग्य निर्धारण के लिए श्री अखिलेश यादव को कमान सौंपी है।
सरकार विरोधी बयानों के पीछे की मानसिकता समझ में आती है। एक दल के नेता बिना सत्ता के रह नहीं सकते हैं। विधानसभा चुनाव में पिटने के बाद अब लोकसभा चुनाव में भी उन्हें अंधेरा ही नजर आ रहा है। अब इस दल का भविष्य डूबता नजर आ रहा है। इससे प्रदेश अध्यक्ष सहित इसके छोटे-बड़े सभी नेता हताश निराश और कुंठित हैं एवं अनर्गल बयानबाजी करने लगे हैं।
भाजपा की दिक्कत यह है कि उ0प्र0 में वह तीसरे चैथे नम्बर की स्पद्र्धा वाली पार्टी बन गई है और उसके नेतृत्व वाले राजग में भी दरार पड़ गई है। श्री मुलायम सिंह यादव के प्रयासों से तीसरी ताकतों का खेमा तैयार हो रहा है। खुद भाजपा में नेता पद के कई उम्मीदवारों के बीच रस्साकसी चल रही है। वे सब एक दूसरे से भयभीत हैं। डरे हुए इन लोगों को श्री मुलायम सिंह यादव से भी डर लग रहा है। साम्प्रदायिक दंगों के दागी को यह देश कभी स्वीकार नहीं करेगा।
सच तो यह है कि समाजवादी पार्टी ने अपने पंाच साल के तमाम वायदे एक साल में ही पूरे करके एक नया रिकार्ड कायम किया है। जिन विषम परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी, उनमें मुख्यमंत्री ने दबावों को दरकिनार करते हुए लोकहित के निर्णय लिए हैं, जिनसे उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में मदद मिलेगी। सरकार के कामकाज को लेकर जो आक्षेप लगा रहे हैं, वे प्रदेश की प्रगति के विरोधी रहे हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 April 2013 by admin
१२ अप्रैल । जर्जर विद्युत लाइनो के भरोसे इलाके में विद्युत आपूर्ति हो रही है। तीन चार दशक पुरानी लाइनों मे आये दिन कोई न कोई समस्या उत्पन्न्न होती रहती है जिससे प्रायः विद्युत आपूर्ति प्रभावित रहती है।
उधर के०एन०आई० उपकेन्द्र से लगभग सौ सवा सौ गांवो को विद्युत आपूति की जा रही है। पूरे क्षेत्र मे लगभग डेढ सौ कि०मी० लम्बे विद्युत तारो का जाल फैला है लगभग तीन चार दशक पूर्व स्थापित विद्युत लाइनो की अब तक एक बार भी मरम्मत न होने से विद्युत व्यवस्था की दशा बदहाल हो चुकी है।
क्षेत्र के पन्न्ना टिकरी, भदैयां, जगदीशपुर, बेलासदा, पखरौली आदि गांवो के विद्युत तार काफी पुराने हो चुके है और कही कही पर लकडी की बल्लियां लगाई है इन गांवो के तार तो पुराने हो चुके है किसी पोल पर लगाये गये लकडी पर इन्सुलेटर नीचे लटक गये है और पोल पर लगे कास आर्म भी सड चुके है कई स्थानो पर कास आर्म की जगह लकडी के डण्डे बांधे गये है।
विजली के तारो ने झूलो का रूप ले लिया है इतना ही नही कई स्थानो पर तो तार नीचे लटक गये है जिससे किसी भी समय दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। पोल पर लगे हुए इन्सुलेटर भी सुरक्षित नही है। क्षेत्र मे एक साथ हर जगह पर बिजली नही रहती कही न कही तो फाल्ट बना ही रहता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 April 2013 by admin
१२ अप्रैल । जनपद सुलतानपुर से होकर गुजरने वाली शारदा सहायक नहर में पूरे दिन तैर कर बहती हुई लाश पहेली बनी हुई है । आखिरकार उक्त लाश सुबह मुसाफिरखाना क्षेत्र से जनपद सुलतानपुर में बहते हुए प्रवेश कर गई जनपद के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को उक्त लाश के बहने की सूचना के बावजूद भी लाश निकालने की कोशिस नही की गई । सभी पुलिस अधिकारी अभी तक अपने अपने थाना क्षेत्र से लाश को पार करने का इन्तजार करते रहे । शाम तक लाश पीपरपुर थाना क्षेत्र जनपद अमेठी में पहुच गई । लगता है पुलिस प्रशासन व प्रशासनिक अधिकारी संवेदना शून्य हो चुके है । समाचार लिखे जाने तक किसी भी थाना क्षेत्र के पुलिस अधिकारी द्वारा लाश को नहर से नही निकाला गया ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 April 2013 by admin
१२ अप्रैल । जनपद मे निजी स्कूलो व शिक्षा अधिकारियो के गठजोड के चलते स्कूलो मे रंग बिरंगी किताबो व कापियां मनमानी रेट पर जबरन छात्रो को बेची जा रही है ।
हैरत है कि सरकार कानून व अध्यादेश किसके लिये बनाती है जबकि शिक्षा विभाग शासन के नियमो और अधिनियमो को मानता ही नही जिला बेसिक शिक्षा अधिनियमो व उनकी ए.बी.एस.ए. की टीम स्वयं इस काले धंधे मे लिप्त है।
कभी भी किसी विद्यालय का निरीक्षण नही किया जाता न ही कभी इस गोरखधंधो पर रोक लगायी जाती है और तो और शिक्षा विभाग किसी भी तरह के विद्यालयो को मान्यता दे देता है चाहे मानक पूरे करते हो या नही।
शिक्षा का अधिकार अधिनियमो का इन नियंत्रणहीन अधिकारियो के नजर मे कोई मायने नही है निजी विद्यालय प्राईवेट प्रकाशन की उहृंचे मूल्य की छपी किताबो को फुल रेट पर बच्चो के अभिभावको को अपने विद्यालय से ही खरीदने पर मजबूर करते है।
टाई, ड्रेस, जूता, मोजा, बेल्ट, डायरी, बस्ता तक अपनी भारी कमीशन खोरी कर बेंच रहे है दरियापुर व महुअरिया स्थित सेंट जेवियर्स स्कूल कर्मचारी स्वयं स्कूल से हजारो रुपये मे सामान बेंच रहे है न वाणिज्यकर न आयकर न शिक्षा विभाग न जिला प्रशासन कोई भी इस धांधले गर्दी को नही रोकना चाहता स्कूल नही शिक्षा की दुकान बन गई है जिसके संरक्षक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी है ।
कारण साफ है कि शासन का साफ दिशा निर्देश है निजी स्कूलो के लिए मगर सब कुछ होते हुए भी शायद ही किसी स्कूल के खिलाफ इन अधिकारियो ने कोई कार्यवाही की हो या मान्यता रद्द की हो और तो और नगर शिक्षा अधिकारी कार्यालय को यह भी नही मालूम कि कितने निजी अंग्रेजी स्कूल नगर मे चल रहे है।
उनकी मान्यता है कि नही वो कौन से नियमो के तहत चल रहे है नही मालूम शिक्षा विभाग के बाबुओ और अधिकारी के सिर्फ अपने कमीशन से मतलब कुछ विद्यालय ऐसे है जिनका पता कही का स्कूल चल कही रहा है।
मान्यता के समय लगभग सभी ने शिक्षण शुल्क नगण्य दिखाया है मगर रसीद काट कर भारी भरकम फीस वसूली जा रही है। क्या यह कानूनन आर्थिक अपराध नही है मानक की ऐसी तैसी कर सब कुछ किया जा रहा है सी०बी०एस०ई० बोर्ड, यू०पी० बोर्ड की किताबें है ही नही मथुरा आगरा बदायूं प्रकाशन की चिकने पन्न्ने की किताबें भारी मूल्य के प्रिंट रेट पर स्कूल बेच रहे है उसके एवज मे ६० प्रतिशत तक कमीशन एडवांस लिया जाता है।
जब कि उन किताबो की विषय वस्तु न तो सी०बी०एस०ई० बोर्ड लायक है न यू०पी० बोर्ड लायक है यानि कि शिक्षा जैसे पाक साफ क्षेत्र मे आर्थिक अपराध ने जड जमा ली है कारण कुछ नही विभाग व प्रशासन स्वयं सरकार व कानून को निजी स्वार्थ में बेच डाल रहा है।
चाहकर भी सपा सरकार इन शिक्षा अधिकारियो व निजी स्कूलो के गठजोड़ को तोड नही पा रही है खामियाजा बेचारी जनता भुगत रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 April 2013 by admin
१२ अप्रैल । नगर की सडको को चैडा कराने एवं सड़कों के बीच डिवाइडर बनवाना निश्चय ही प्रशासन का सराहनीय कार्य है परन्तु इन मार्गो पर आवागमन की व्यवस्था पूर्णतः ठीक ढंग से न करा पाना प्रशासन की बहुत बडी असफलता है । मार्गो को चैडा कराने का प्रशासनिक उद्देश्य तो आवागमन को आसान बनाना था लेकिन इन मार्गो का अधिकांश भाग गाडियों की पार्रि्कग के रुप मे इस्तेमाल हो रहा है ।
इस हकीकत को नगर की किसी भी सडक पर आसानी से देखा जा सकता है ऐसे मे तो यही अंदाजा लगता है कि प्रशासन जान बूझकर इन तथ्यों की अनदेखी कर रहा है । बस स्टैड से लेकर गोलाघाट तक सडको को यातायात हेतु अच्छी तरह से परिमार्जित किया गया लेकिन इसके रखरखाव की जिम्मेदारी से मुंह मोड लिया गया है अवंतिका जलपान गृह, सवेरा होटल और बैड बाक्स की दुकानो के सामने यातायात हेतु बनी सडको का अधिकांश हिस्सा पार्रि्कग या कहे अवैध पार्रि्कग के रुप मे इस्तेमाल हो रहा है ।
मोटर साइकिल और चार पहिया वाहन इस तरह से यहीं खडे किये जाते है कि आने जाने वाले लोगो और वाहनो के लिए नाममात्र की जगह बचती है परिणाम स्वरुप दिन भर जाम की समस्या झेलनी पडती है । आगे बढें तो ठीक यही हाल रमाशंकर मार्केट के सामने है । सडक के दूसरे किनारे पर प्राइवेट सवारी वाहनो का अनाधिकृत स्टैड । और आगे बढे तो गोलाघाट स्थित आई. सी.आई.सी.आई. बैंक और अगल बगल की दुकानो के सामने भी अवैध रुप से दिनभर दो पहिला और चार पहिया वाहनो द्वारा सडक का भरपूर उपयोग पार्किग हेतु दिनभर किया जाता है ।
हैरानी की बात ये है कि यह स्थिति जिलाधिकारी निवास के ठीक सामने की है तो बाकी जगह की बात ही क्या । जिलाधिकारी हो सकता है इस स्थिति से अनजान हो क्योकि बंद गाडी में बैठकर आने जाने मे उन्हे पता ही नही लगता होगा कि आस पास क्या स्थिति है । इन सारी स्थितियों को देखकर यातायात पुलिस प्रशासन की कर्तव्य विमुखता ही सिद्ध होती है या फिर से माना जाय कि सक्षम अधिकारियों और कर्मचारियों के उहृपर वर्कलोड इतना ज्यादा है कि उन्हे यह सब दिखाई ही नही दे रहा है । कुछ भी हो नगर की सूरते हाल यही है शासन प्रशासन की सफलता असफलता का निर्णय आप खुद करिये । प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता ?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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