१२ अप्रैल । जनपद मे निजी स्कूलो व शिक्षा अधिकारियो के गठजोड के चलते स्कूलो मे रंग बिरंगी किताबो व कापियां मनमानी रेट पर जबरन छात्रो को बेची जा रही है ।
हैरत है कि सरकार कानून व अध्यादेश किसके लिये बनाती है जबकि शिक्षा विभाग शासन के नियमो और अधिनियमो को मानता ही नही जिला बेसिक शिक्षा अधिनियमो व उनकी ए.बी.एस.ए. की टीम स्वयं इस काले धंधे मे लिप्त है।
कभी भी किसी विद्यालय का निरीक्षण नही किया जाता न ही कभी इस गोरखधंधो पर रोक लगायी जाती है और तो और शिक्षा विभाग किसी भी तरह के विद्यालयो को मान्यता दे देता है चाहे मानक पूरे करते हो या नही।
शिक्षा का अधिकार अधिनियमो का इन नियंत्रणहीन अधिकारियो के नजर मे कोई मायने नही है निजी विद्यालय प्राईवेट प्रकाशन की उहृंचे मूल्य की छपी किताबो को फुल रेट पर बच्चो के अभिभावको को अपने विद्यालय से ही खरीदने पर मजबूर करते है।
टाई, ड्रेस, जूता, मोजा, बेल्ट, डायरी, बस्ता तक अपनी भारी कमीशन खोरी कर बेंच रहे है दरियापुर व महुअरिया स्थित सेंट जेवियर्स स्कूल कर्मचारी स्वयं स्कूल से हजारो रुपये मे सामान बेंच रहे है न वाणिज्यकर न आयकर न शिक्षा विभाग न जिला प्रशासन कोई भी इस धांधले गर्दी को नही रोकना चाहता स्कूल नही शिक्षा की दुकान बन गई है जिसके संरक्षक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी है ।
कारण साफ है कि शासन का साफ दिशा निर्देश है निजी स्कूलो के लिए मगर सब कुछ होते हुए भी शायद ही किसी स्कूल के खिलाफ इन अधिकारियो ने कोई कार्यवाही की हो या मान्यता रद्द की हो और तो और नगर शिक्षा अधिकारी कार्यालय को यह भी नही मालूम कि कितने निजी अंग्रेजी स्कूल नगर मे चल रहे है।
उनकी मान्यता है कि नही वो कौन से नियमो के तहत चल रहे है नही मालूम शिक्षा विभाग के बाबुओ और अधिकारी के सिर्फ अपने कमीशन से मतलब कुछ विद्यालय ऐसे है जिनका पता कही का स्कूल चल कही रहा है।
मान्यता के समय लगभग सभी ने शिक्षण शुल्क नगण्य दिखाया है मगर रसीद काट कर भारी भरकम फीस वसूली जा रही है। क्या यह कानूनन आर्थिक अपराध नही है मानक की ऐसी तैसी कर सब कुछ किया जा रहा है सी०बी०एस०ई० बोर्ड, यू०पी० बोर्ड की किताबें है ही नही मथुरा आगरा बदायूं प्रकाशन की चिकने पन्न्ने की किताबें भारी मूल्य के प्रिंट रेट पर स्कूल बेच रहे है उसके एवज मे ६० प्रतिशत तक कमीशन एडवांस लिया जाता है।
जब कि उन किताबो की विषय वस्तु न तो सी०बी०एस०ई० बोर्ड लायक है न यू०पी० बोर्ड लायक है यानि कि शिक्षा जैसे पाक साफ क्षेत्र मे आर्थिक अपराध ने जड जमा ली है कारण कुछ नही विभाग व प्रशासन स्वयं सरकार व कानून को निजी स्वार्थ में बेच डाल रहा है।
चाहकर भी सपा सरकार इन शिक्षा अधिकारियो व निजी स्कूलो के गठजोड़ को तोड नही पा रही है खामियाजा बेचारी जनता भुगत रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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