दिनंाक-7.04.2013
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि पाॅच साल तक पूरे प्रदेश में अंधेर राज चलाने वाली पूर्व मुख्यमंत्री को अब नए इलहाम होने लगे हैं। अब तक उन्होंने लूट, झूठ और उत्पीड़न की राजनीति की है। उनकी पार्टी का न तो कोई नीति वक्तव्य है और नहीं जनता के लिए कोई चुनाव घोषणा पत्र। उनकी मनमानी ही पार्टी की नीति निर्देशक सिद्धांत हैं। इस पार्टी में लोकतंत्र की दूर-दूर तक पहचान नहीं है।
अब सुश्री मायावती को अचानक सांप्रदायिकता का नया पाठ पढ़ने का मन हुआ है। वे पहली बार मुख्यमंत्री बनी तो भाजपा की बैसाखी के सहारे। आगे भी वे सत्ता सुख भोगने के लिए भाजपा की शरण में रहीं। गुजरात में नरेन्द्र मोदी के पक्ष में प्रचार करने में भी उन्हें संकोच नहीं हुआ। भाजपा से उनके रिश्ते आज भी बने हुए हैं। बसपा ने आज तक जातीय राजनीति को ही हवा दी। इसी संकीर्ण राजनीति से शासन प्रशासन को भी प्रदूषित करती रही है।
दूसरी ओर, श्री मुलायम सिंह यादव प्रारम्भ से ही धर्म निरपेक्षता की राजनीति करते रहे हैं। बाबरी मस्जिद को ध्वंस से बचाकर उन्होंने संविधान और राष्ट्रीय एकता की रक्षा की। इसके लिए उन्होंने अपनी सरकार को भी खतरे में डालने में संकोच नहीं किया था। सच्चर कमेटी ने मुस्लिमों की दलितों से बदतर हालत बताई। उनको आरक्षण का लाभ देने की माॅग श्री यादव ने ही उठाई है। उन पर आक्षेप करके बसपा की अध्यक्षा ने खुद अपने को ही बेनकाब किया है।
श्री मुलायम ंिसंह यादव की रणनीति से केन्द्र में सांप्रदायिक ताकतें फिर सत्ता में नहीं आ सकीं। अपने सिद्धातों के प्रति अडिग श्री यादव हमेशा धर्मनिरपेक्ष तत्वों को अपना समर्थन और सहयोग देते रहे है। उन्होंने हमेशा जातीयता और सांप्रदायिकता से लोहा लिया है। उनका प्रयास गैर भाजपा-गैर कांगे्रस विचारधारा को आगे बढाते हुये तीसरी ताकतों के रूप में विकल्प देने का है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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