उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आज यहाँ सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 का प्रारूप मंजूर
प्रदेश में औद्योगिक वातावरण तैयार करने और अधिक से अधिक पूंजी निवेश के लिए ‘अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012’ के प्रारूप को मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी है। इस नीति में प्रदेश में निवेश को बढ़ाने के लिए सर्वाधिक तथा आकर्षक प्रयत्न किए गए हैं। समस्त स्टेक होल्डर्स, औद्योगिक संगठनों तथा प्रमुख उद्यमियों के सुझाव प्राप्त कर नीति को तैयार किया गया है। इसे तैयार करने में अन्य राज्यों की औद्योगिक नीतियों का तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि इस नीति को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जायेगा। राज्य की अवस्थापना एवं औद्योगिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक से डेढ़ महीने के भीतर अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति से संबंधित समस्त शासनादेश जारी कर दिये जायेंगे।
नई अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति के तहत 11.2 प्रतिशत औद्योगिक विकास की दर की वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश के पूर्वांचल, मध्यांचल एवं बुन्देलखण्ड में स्थापित होने वाली औद्योगिक इकाइयों को स्टाम्प शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इसी के साथ सड़क, बिजली, थोक बाजार, ट्रान्सशिपमंेट केन्द्र, वेयर हाऊस, कोल्ड स्टोरेज आदि पर तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, एग्रो प्रोसेसिंग इकाइयों को भी स्टाम्प शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट उपलब्ध कराई जाएगी। निजी क्षेत्र में स्थापित किये जा रहे औद्योगिक क्षेत्रों को भी 25 प्रतिशत की स्टाम्प शुल्क प्रतिपूर्ति उपलब्ध कराई जाएगी। लोहा तथा इस्पात पर प्रवेश कर से छूट उपलब्ध कराई जाएगी। अधिकाधिक कच्चे माल व पैकिंग सामग्री को 4 प्रतिशत कर देयता की श्रेणी में लाकर अनुसूची को विस्तृत किया जाएगा।
पूर्व में संचालित निवेश प्रोत्साहन योजना में नई इकाइयों की पात्रता सीमा, पूर्वांचल, मध्यांचल व बुन्देलखण्ड में 10 करोड़ रुपए से घटाकर 5 करोड़ रुपए की गई है तथा इसके अतिरिक्त जनपदों में 25 करोड़ रुपए से घटाकर 12.50 करोड़ रुपए की गई है। इस योजना में 10 वर्ष तक इकाइयों द्वारा जमा कराए गए वैट व केन्द्रीय बिक्री कर के योग के समतुल्य धनराशि ब्याज मुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी।
नीति में नई पूंजीगत ब्याज उपादान योजना शुरु की गई है, जिसमें बुन्देलखण्ड, पूर्वांचल व मध्यांचल में स्थापित होने वाली नई औद्योगिक इकाइयों को प्लाण्ट व मशीनरी के लिए, लिये गए ऋण पर ब्याज दर में 5 प्रतिशत की दर से 5 वर्ष तक अधिकतम 50 लाख रुपए की प्रतिपूर्ति की जाएगी। इकाईयों द्वारा अपने उपयोग हेतु अवस्थापना सुविधाओं यथा सड़क, सीवर, जल निकासी तथा पावर लाईन आदि को विकसित करने के लिए यदि ऋण लिया जाता है, तो उस पर देय ब्याज की, ‘अवस्थापना ब्याज उपादान योजना’ के अन्तर्गत 5 प्रतिशत की दर से 5 वर्ष तक एक करोड़ रुपए की सीमा तक प्रतिपूर्ति की जाएगी।
औद्योगिक उत्पादों की गुणवत्ता के सुधार हेतु ‘औद्योगिक गुणवत्ता विकास उपादान योजना’ लागू की गई है, जिसमें टेस्टिंग लैब, क्वालिटी सर्टिफिकेशन लैब एवं टूलरूम आदि स्थापित करने हेतु लिए गए ऋण पर 5 प्रतिशत की दर से 5 वर्ष तक अधिकतम एक करोड़ रुपए की सीमा तक धनराशि की प्रतिपूर्ति की जाएगी। रोजगार को बढ़ावा देने की दृष्टि से विशेष ‘ई0पी0एफ0 प्रतिपूर्ति योजना’ लागू की गई है, जिसमें नई इकाईयों द्वारा 100 या इससे अधिक श्रमिकों को यदि रोजगार उपलब्ध कराया जाता है तो, श्रमिकों के लिए जमा कराए गए ई0पी0एफ0 के 50 प्रतिशत की धनराशि, 3 वर्ष तक सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाईयों हेतु भारत सरकार की योजना को लागू करने के साथ-साथ अन्य लाभकारी योजनाओं का प्राविधान किया गया है।
नीति में अवस्थापना सुविधाओं के लिए सड़क, रेल व वायु परिवहन के सुदृढ़ीकरण, गैस पाईप लाईन के विस्तारीकरण, वृहद् ऊर्जा उत्पादन, उद्योगों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति, नेशनल इन्वेस्टमेन्ट एण्ड मैनुफैक्चरिंग जोन क्लस्टर डेवलेपमेन्ट, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप तथा औद्योगिक विकास प्राधिकरणों तथा निगमों द्वारा लैण्ड बैंक के सुदृढ़ीकरण पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है। इसके अलावा औद्योगिक वातावरण में सुधार के अन्तर्गत श्रम, ऊर्जा, पर्यावरण, वाणिज्य, मण्डी आदि विभागों के नियम एवं प्रक्रियाओं का सरलीकरण भी किया गया है। इसके साथ ही ई-गवर्नेन्स, उद्योग बन्धु, निवेशक सहायता व्यवस्था तथा पुलिस सुरक्षा के सुदृढ़ीकरण द्वारा भी औद्योगिक वातावरण में वृहद् सुधार लाया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश की पिछली नीति वर्ष 2004 में निर्धारित की गई थी। इस दौरान औद्योगिक परिवेश में हुए व्यापक परिवर्तन को दृष्टिगत रखते हुए वर्तमान सरकार द्वारा अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास नीति घोषित की गई है। पूर्वांचल तथा बुन्देलखण्ड क्षेत्रों के लिए बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि पड़ोसी राज्यों से बेहतर व आकर्षक योजनाएं नीति में शामिल की गई हैं। औद्योगिक विकास के क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के इरादे से पूर्वांचल, बुन्देलखण्ड तथा मध्यांचल क्षेत्र में विशेष सुविधाएं प्रदान की गई हैं। वर्तमान सरकार द्वारा लखनऊ, कानपुर तथा इसके आस-पास के क्षेत्रों को और अधिक औद्योगिक गति देने के उद्देश्य से मध्यांचल क्षेत्र को भी पूर्वांचल एवं बुन्देलखण्ड के साथ-साथ विशेष सुविधाएं देने के लिए चुना गया है। यह नीति औद्योगिकीकरण से जुड़े सभी विभागों के लिए एक मार्गदर्शी नीति होगी, जिसका लाभ सभी विभागों जैसे - खाद्य प्रसंस्करण, चीनी, सूक्ष्म एवं लघु उद्योग आदि को प्राप्त होगा।
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इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की दरों में संशोधन
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी (ड्यूटी) अधिनियम 1952 की धारा- 03 के अन्तर्गत इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1997 से अब तक विद्युत मूल्य में समय-समय पर वृद्धि हुई है, लेकिन इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। अन्य राज्यों की तुलना में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की दरें उत्तर प्रदेश में काफी कम है। 03 जनवरी, 1997 से जारी 09 पैसे प्रति यूनिट की दर से इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी ली जा रही है। इसे अब विभिन्न श्रेणियों/स्लैब में बढ़ा दिया गया है। घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं तथा राज्य सरकार द्वारा उपभोग की जाने वाली बिजली के लिए अब प्रति यूनिट 09 पैसे के स्थान पर विद्युत चार्ज की 05 प्रतिशत दर पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी निर्धारित की गई है।
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उ0प्र0 राज्य विधि आयोग अधिनियम, 2010 को निरसित करने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग अधिनियम, 2010 को निरसित करने का निर्णय लिया है।
राज्य विधि आयोग के गठन के पश्चात् यह अनुभव किया जा रहा था कि जिस उद्देश्य से उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग का गठन किया गया था उसकी पूर्ति राज्य विधि आयोग द्वारा नहीं हो पा रही थी। अतः इस आयोग की उपयोगिता नहीं रह गयी थी। ऐसे में राज्य में विधि आयोग को बनाये रखना अनावश्यक और उद्देश्यहीन था। इसके दृष्टिगत राज्य विधि आयोग को तुरन्त समाप्त करने के लिए उक्त अधिनियम को निरसित किए जाने का प्रस्ताव किया गया। चूंकि राज्य विधानमण्डल सत्र में नहीं है, इसलिए अधिनियम को तुरन्त निरसित कराए जाने के लिए मंत्रिपरिषद द्वारा उ0प्र0 राज्य विधि आयोग (निरसन) अध्यादेश, 2012 के प्रख्यापन का प्रस्ताव भी अनुमोदित किया गया है।
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केबिल टी0वी0 नेटवर्क सेवा पर कराधान के सम्बन्ध में वित्तीय वर्ष 2012-13 में एकमुश्त समाधान योजना लागू
मंत्रिपरिषद ने केबिल टी0वी0 नेटवर्क सेवा पर कराधान के सम्बन्ध में वित्तीय वर्ष 2012-13 में एकमुश्त समाधान योजना लागू किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। प्रस्ताव के अनुसार वर्ष 2012-13 में एक वर्ष की अवधि हेतु समाधान योजना का विकल्प प्रस्तुत करने वाले केबिल आपरेटर के केबिल टी0वी0 केन्द्र पर वित्तीय वर्ष 2011-12 के विभिन्न माहों हेतु देय मनोरंजन कर की सकल धनराशि में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ कतिपय शर्तों के अधीन केबिल टी0वी0 सेवा पर कराधान सम्बन्धी एकमुश्त समाधान योजना वर्ष 2012-13 के लिए लागू कर दी जाएगी।
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दस हार्सपावर तक के डीजल इन्जन पम्प सेट पर 30 सितम्बर, 2008 से 31 मार्च, 2011 तक की अवधि में 4 प्रतिशत $ यथा अतिरिक्त कर से अधिक आरोपित कर की राशि को माफ किए जाने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने दस हार्सपावर तक के डीजल इन्जन पम्प सेट पर 30 सितम्बर, 2008 से 31 मार्च, 2011 तक की अवधि में 4 प्रतिशत $ यथा अतिरिक्त कर से अधिक आरोपित कर की राशि को माफ किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार दस हार्सपावर तक के डीजल इन्जन पम्प सेट पर 30 सितम्बर, 2008 से 31 मार्च, 2011 तक की अवधि में 4 प्रतिशत $ यथा अतिरिक्त कर से अधिक देय एवं आरोपित कर की बकाया धनराशि तथा उस पर नियमानुसार देय ब्याज को माफ कर दिया जाएगा, बशर्ते उक्त अवधि में व्यापारियों द्वारा क्रेताओं/उपभोक्ताओं से 04 प्रतिशत $ यथा अतिरिक्त कर से अधिक देय कर की धनराशि की वसूली नहीं की गई हो।
इसके अतिरिक्त जिन व्यापारियों से उक्त अवधि में देय/आरोपित कर की वसूली कर ली गई है, उसे वापस नहीं किया जाएगा। माफी का आदेश पारित करने का अधिकार सम्बन्धित कर निर्धारक अधिकारी को प्रदान किया गया है।
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संगमरमर हैंडीक्राफ्ट्स वैट से मुक्त
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मार्बल हैंडीक्राफ्ट्स की कुछ वस्तुओं को वैट से मुक्त कर दिया गया है। संगमरमर की केवल 600 रुपए मूल्य तक की ही हैंडीक्राफ्ट्स वस्तुएं करमुक्त की गई हैं, जिनके निर्माण में विद्युत ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं किया गया हो।
प्रदेश में 12.5 प्रतिशत कर की दर से कर दायित्व वाली जिन वस्तुओं पर अतिरिक्त कर की दर एक प्रतिशत थी उसे बढ़ाकर 1.5 प्रतिशत कर दिया गया है। मंत्रिपरिषद ने जिन वस्तुओं पर अतिरिक्त कर एक प्रतिशत से बढ़ाकर 1.5 प्रतिशत किया है, वे हैं - एयरकंडीशनर, रेफ्रीजरेटर, मोटर वेहिकल, कास्मेटिक्स, शैम्पू, फर्नीचर, सैनिटरी गुड्स, टाइल्स, इलेक्ट्रिकल एप्लाइन्सेज, ट्रान्सफार्मर, वाटर प्योरीफायर, कैमरा तथा 10 हजार रुपए कीमत से अधिक के मोबाइल फोन्स, कुक्ड फूड सप्लीमेन्ट, कोल्डड्रिंक्स, लुब्रीकेन्ट, इण्डस्ट्रियल एलपीजी, घडि़यां, बीड़ी, एयरक्राफ्ट एवं उनके पाट्र्स, फायर फाइटिंग इक्यूपमेन्ट्स, क्रेन, बुलडोजर, मैटेªसेज, टिम्बर, आइवरी गुड्स, सीमेन्ट, मशीनरी आदि पर अतिरिक्त कर एक प्रतिशत से बढ़ाकर 1.5 प्रतिशत किया गया है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात में 12.5 प्रतिशत की दर से कर देय वस्तुओं पर 2.5 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 1.5 प्रतिशत तथा आन्ध्र प्रदेश में 2 प्रतिशत की दर से अतिरिक्त कर लिया जाता है।
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अल्पसंख्यक समुदाय के कब्रिस्तानों/अन्त्येष्टि स्थलों की भूमि की सुरक्षा योजना हेतु निर्धारित दिशा-निर्देशों को मंजूरी
मंत्रिपरिषद ने अल्पसंख्यक समुदाय के कब्रिस्तानों/अन्त्येष्टि स्थलों की भूमि की सुरक्षा योजना हेतु निर्धारित किये गए दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश मंे स्थित कब्रिस्तानों की भूमि पर अवैध कब्जों को रोकने व भूमि की सुरक्षा हेतु चहारदीवारी का निर्माण कराये जाने का निर्णय मंत्रिपरिषद की 15 मार्च, 2012 की बैठक मंे लिया गया था।
उक्त योजना को ‘अल्पसंख्यक समुदायों के कब्रिस्तानों/अन्त्येष्टि स्थलों की भूमि की सुरक्षा योजना’ नाम से संचालित किए जाने का निर्णय लिया गया है। इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश के विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों यथा-मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध, जैन एवं पारसी समुदायों के कब्रिस्तानों/अन्त्येष्टि स्थलों को शामिल किया गया है, जो पूर्ण रूप से ;मगबसनेपअमसलद्ध उनके द्वारा प्रयोग में लाया जा रहा हो। इस योजना के अन्तर्गत जिला स्तर पर कार्यान्वयन हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में ‘कार्यान्वयन समिति’ का गठन किया जाएगा, जिसमें पुलिस अधीक्षक, मुख्य विकास अधिकारी, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व), सम्बन्धित तहसील के उप जिलाधिकारी या नगर मजिस्ट्रेट, सम्बन्धित परियोजना प्रबन्धक, सी0 एण्ड डी0एस0, उ0प्र0 जल निगम तथा जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के साथ, जिलाधिकारी द्वारा नामित अल्पसंख्यक समुदाय के एक संभ्रान्त व्यक्ति भी सदस्य होंगे।
इस योजना के अन्तर्गत जनपदों में कब्रिस्तान/अन्त्येष्टि स्थल की चहारदीवारी का निर्माण कराये जाने हेतु सी0 एण्ड डी0एस0, उ0प्र0 जल निगम को ‘कार्यदायी संस्था’ नामित किया गया है। योजनान्तर्गत कराए जाने वाले निर्माण कार्यों की गुणवत्ता तथा प्रभावी अनुश्रवण, जिला स्तरीय कार्यान्वयन समिति/जिलाधिकारी तथा अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के स्तर से सुनिश्चित किया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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