उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आज यहां लाल बहादुर शास्त्री भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये:-
आठ जिलों के नाम परिवर्तित
मंत्रिपरिषद ने जनपद प्रबुद्धनगर का नाम शामली, जनपद भीमनगर का नाम संभल तथा जनपद पंचशीलनगर का नाम बदलकर हापुड़ करने का निर्णय लिया है।
इसी प्रकार जनपद महामाया नगर का नाम हाथरस, जनपद ज्योतिबाफुलेनगर का नाम अमरोहा, जनपद कांशीराम नगर का नाम कासगंज, जनपद छात्रपति शाहूजी महाराज नगर का नाम अमेठी तथा जनपद रमाबाई नगर का नाम परिवर्तित कर कानपुर देहात रखने का फैसला किया गया है।
गौरतलब है कि इन जनपदों के निवासियों एवं जनप्रतिनिधियों की ओर से इस आशय की मांग की जाती रही है कि विषयगत जनपदों के नाम से कोई शहर नहीं है, जिससे इन जनपदों की स्थिति की जानकारी नहीं हो पाती। इसके अलावा प्रदेश व प्रदेश से बाहर के लोगों को अपनी पहचान बताने, गंतव्य स्थान बताने तथा शासकीय अभिलेख बनवाने में अनेकों समस्याओं का सामना भी करना पड़ता था। इसलिए मंत्रिपरिषद ने आठ जनपदों के नाम परिवर्तित करने का निर्णय लिया।
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छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ का नाम
परिवर्तित कर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय करने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय, उ0प्र0 लखनऊ का नाम परिवर्तित कर ‘किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, उ0प्र0 लखनऊ’ किये जाने हेतु उत्तर प्रदेश छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2002 में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में मंत्रिपरिषद ने छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2012 के आलेख को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि किंग जार्ज मेडिकल कालेज केवल प्रान्तीय या राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं वरन् अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी लगभग 105 वर्षाें से चिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त है। इस मेडिकल कालेज ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विद्वानों और महान चिकित्सकों को उद्भूत किया और यहां से अध्ययन प्राप्त स्नातक एवं स्नातकोत्तर चिकित्सक आज भी अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड तथा अन्य पश्चिमी देशों में कार्यरत हैं और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अपनी ख्याति बनाये हुए हंै। इस संस्था की ख्याति अभी तक प्रदेश के अन्य भागों एवं विदेशों में ‘किंग जार्ज मेडिकल कालेज’ के नाम से है। संस्था का नाम छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय करने से इसकी ख्याति प्रभावित हुई है तथा देश के अन्य भागों एवं विदेशों में इस संस्था का नाम छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय बताये जाने के साथ-साथ इसके पूर्व नाम ‘किंग जार्ज मेडिकल कालेज’ बताये जाने की आवश्यकता होती है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय अधिनियम-2002 द्वारा किंग जार्ज मेडिकल कालेज, लखनऊ को उच्चीकृत करते हुए छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ की स्थापना की गयी थी। तत्पश्चात 17 दिसम्बर, 2003 को प्रख्यापित उ0प्र0 छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) अधिनियम-2003 द्वारा छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ का नाम परिवर्तित करके किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ कर दिया गया। तत्पश्चात वर्ष 2007 में उ0प्र0 छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम-2007 द्वारा इसका नाम परिवर्तित कर छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय, उ0प्र0 लखनऊ कर दिया गया।
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बाढ़ के कारण विस्थापित व्यक्तियों/परिवारों को पुनस्र्थापित
करने हेतु खरीद कर निःशुल्क भूमि आवंटित की जायेगी
मंत्रिपरिषद ने तीव्र बाढ़ के कारण नदियों के प्रवाह बदलने से ग्रामों में स्थित/नदियों के तट पर रिहायशी भूमि के अधिकांश भू-भाग नष्ट हो जाने की स्थिति में विस्थापित व्यक्तियों/परिवारों को पुनस्र्थापित करने हेतु भूमि खरीद कर निःशुल्क आवंटन करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके लिये उपयुक्त निकटतम ग्रामीण क्षेत्र में ही भूमि क्रय की जायेगी।
मंत्रिपरिषद द्वारा इसके लिये लाभार्थियों की पात्रता तथा प्राथमिकता भी निर्धारित कर दी गयी है। ग्राम सभा में निवास करने वाले अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग, गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले सामान्य श्रेणी के खेतिहर मजदूर या ग्रामीण शिल्पकार को अधिमान क्रम में भूमि आवंटित की जायेगी। इसी प्रकार गांव मंे निवास करने वाले किसी अन्य खेतिहर मजूदर या ग्राम के कारीगर के अलावा ग्राम सभा में निवास करने वाले, अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग, गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले सामान्य श्रेणी के व्यक्ति को अधिमान क्रम में वरीयता दी जायेगी। गांव में निवास करने वाले विकलांग व्यक्ति तथा विस्थापित सामान्य श्रेणी के सभी व्यक्ति/परिवार को निःशुल्क भूमि आवंटित की जाएगी।
इस सम्बन्ध में फैसला लिया गया है कि प्रभावित व्यक्तियों/परिवारों को 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि का आवंटन नहीं किया जाएगा। इस भूमि को लगान से मुक्त रखा गया है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को छोड़कर शेष अन्य लाभार्थियों को स्थल आवंटन की तिथि से 03 वर्ष के भीतर मकान बनाकर उसका उपयोग शुरू कर देना होगा। भूमि का प्रयोग प्रयोजन के अनुसार न करने पर उसका अधिकार समाप्त हो जायेगा और भूमि प्रबन्ध समिति अपने अधिकार क्षेत्र में ले लेगी।
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विधि परामर्शी निर्देशिका के विभिन्न प्रस्तरों में संशोधन
मंत्रिपरिषद ने विधि परामर्शी निर्देशिका के विभिन्न प्रस्तरों में संशोधन करने की मंजूरी प्रदान कर दी है। आज जिन प्रस्तरों में संशोधन का निर्णय लिया गया, उनमें प्रस्तर-7.03, 7.06, 7.08, 8.02, 8.03, 8.04, 8.05 व 8.06 सम्मिलित हैं।
उल्लेखनीय है कि शासकीय वादों की अधीनस्थ न्यायालयों में शासन की ओर से पैरवी करने हेतु फौजदारी/दीवानी एवं राजस्व पक्ष में जिला शासकीय अधिवक्ताओं/अपर जिला शासकीय अधिवक्ताओं/सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता तथा उप जिला शासकीय अधिवक्ता एवं नामिका वकील की व्यवस्था विधि परामर्शी निर्देशिका में वर्णित है। संशोधित प्रस्तर 7.03 व 7.06 आवेदन पत्र तथा योग्यतायें, 7.08 पदावधि का नवीनीकरण, 8.02 नामिका वकीलों के आवेदन पत्र, 8.03 श्रम नामिका वकील, 8.04 जिलाधिकारी तथा जिला न्यायाधीश की सिफारिशें, 8.05 नियुक्ति की अवधि तथा 8.06 नवीकरण की प्रक्रिया से सम्बन्धित हैं।
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उत्तर प्रदेश प्रसंस्कृत तिल निर्यात नीति (2012-17) लागू
मंत्रिपरिषद ने राज्य में प्रसंस्कृत तिल के निर्यात को प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश प्रसंस्कृत तिल निर्यात नीति (2012-17) लागू करने का निर्णय लिया है।
इस नीति के क्रियान्वयन में आने वाली कठिनाईयों के निवारण हेतु प्रमुख सचिव/सचिव कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार विभाग की अध्यक्षता में समिति गठित होगी, जो समय-समय पर तिल उत्पादकों/निर्यातकों तथा तिल के निर्यात में आने वाली व्यवहारिक कठिनाईयों का निराकरण करेगी। समिति में प्रमुख सचिव/सचिव खाद्य एवं रसद विभाग अथवा उनके द्वारा नामित अधिकारी, प्रमुख सचिव/सचिव कर एवं निबन्ध विभाग अथवा उनके द्वारा नामिति अधिकारी, उ0प्र0 तिल निर्यात एसोसियेशन के प्रतिनिधि तथा निदेशक मण्डी परिषद सदस्य के रूप में होंगे। निदेशक कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार को सदस्य/संयोजक बनाया गया है।
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उ0प्र0 सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली-2011 में
लिवर प्रत्यारोपण पर होने वाले व्यय के प्राविधान का प्रस्ताव अनुमोदित
प्रदेश के बाहर कराये गये उपचार पर चिकित्सा दावे की प्रतिपूर्ति
14 लाख रूपये तक के सम्पूर्ण पैकेज के तहत होगी
मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली-2011 में लिवर प्रत्यारोपण पर होने वाले व्यय का प्राविधान किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। लिवर प्रत्यारोपण के संबंध में प्रदेश के बाहर कराये गये उपचार पर चिकित्सा दावे की प्रतिपूर्ति 14 लाख रूपये तक के सम्पूर्ण पैकेज के तहत की जायेगी।
इस पैकेज में प्रत्यारोपण कराने वाले रोगी की आॅपरेशन से पूर्व की जांच हेतु 50 हजार रुपये, रोगी की आॅपरेशन से पूर्व स्वास्थ्य तैयारी के लिए 02 लाख रुपये, लिवर दान करने वाले व्यक्ति की जांच आदि के लिए 50 हजार रुपये का प्राविधान सम्मिलित है। इसके साथ ही पैकेज में आॅपरेशन हेतु रक्त की जांचे तथा रक्त अवयव के मूल्य के लिए 50 हजार रुपये से 01 लाख रुपये तथा प्रत्यारोपण आॅपरेशन के पैकेज हेतु 10 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति का प्राविधान भी शामिल है।
पैकेज में चार सप्ताह की रोगी की भर्ती फीस और 15 दिन का डोनर का भर्ती शुल्क औषधियों तथा अन्य सर्जिकल सामग्री का खर्च, थिएटर, बेहोशी आदि का शुल्क चिकित्सालय शैय्या शुल्क आई0सी0यू0 भर्ती एवं दो बार आवश्यक पेट के आॅपरेशन का शुल्क सम्मिलित है। इस अवधि के अतिरिक्त जो भी खर्चें होंगे उनका शुल्क बेड की कैटेगरी के अनुसार अग्रिम जमा करना पड़ेगा। रक्त एवं रक्त अवयव की आवश्यकता पड़ने पर 50 हजार रुपये से 01 लाख रुपये का खर्च वास्तविक खर्च के अनुसार देय होगा। लिवर डायलिसिस, आॅपरेशन से पूर्व अथवा आॅपरेशन के पश्चात, आवश्यकता पड़ने पर 02 लाख रुपये के खर्च पर अलग से देय होगा। उक्त खर्च में मेन्टीनेन्स इम्यूनो सप्रेसिव औषधियों का खर्च सम्मिलित नहीं है। इन औषधियों की खुराक रोगी के वजन के अनुसार तय की जाती है और इनका खर्च अतिरिक्त देय होगा।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार के कार्मिकों, पंेशनरों एवं उनके आश्रितों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराये जाने हेतु उनके चिकित्सा उपचार में हुए व्यय की प्रतिपूर्ति किये जाने की व्यवस्था हेतु उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली-2011 प्रख्यापित है। राज्य कार्मिकों एवं उनके आश्रितों द्वारा प्रदेश के बाहर लिवर संबंधी उपचार कराया जा रहा है क्योंकि एस0जी0पी0जी0आई0 लखनऊ में लिवर प्रत्यारोपण के उपचार की सुविधा उपलब्ध नहीं है। उ0प्र0 सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली-2011 के नियम-11 में यह प्राविधान है कि उपचार की लागत, राज्य के भीतर उपचार कराने की दशा में संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज एण्ड रिसर्च, लखनऊ (एस0जी0पी0जी0आई0) की तथा राज्य के बाहर उपचार कराने की दशा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली की दरों पर प्रतिपूरणीय होगी।
लिवर प्रत्यारोपण की व्यवस्था वर्तमान एस0जी0पी0जी0आई0 तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में उपलब्ध नहीं न होने के कारण इंस्टीट्यूट आॅफ लिवर एण्ड बाइलियरी साइंसेज, नई दिल्ली से लिवर प्रत्यारोपण पर होने वाले व्यय की सूचना प्राप्त की गयी। इसके साथ ही एस0जी0पी0जी0आई0 लखनऊ के सर्जिकल गैस्ट्र इन्टेरोलाॅजी एवं लिवर प्रत्यारोपण इकाई के विभागाध्यक्ष से लिवर प्रत्यारोपण पर होने वाले व्यय की सूचना भी प्राप्त की गयी।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में लिवर प्रत्यारोपण की व्यवस्था तथा उस होने वाले व्यय की दरों का जब तक निर्धारण नहीं हो जाता, तब तक प्रदेश के बाहर कराये गये उपचार पर एस0जी0पी0जी0आई0 द्वारा उपलब्ध करायी गयी दरों के अनुसार चिकित्सा दावे की प्रतिपूर्ति करायी जायेगी।
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कैंसर डायबिटीज हृदयवाहिका और स्ट्रोक नियंत्रण कार्यक्रम तथा
राष्ट्रीय वृद्ध स्वास्थ्य परिचर्या कार्यक्रम के क्रियान्वयन का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने कैंसर डायबिटीज हृदयवाहिका और स्ट्रोक नियंत्रण कार्यक्रम (एन0पी0सी0डी0सी0एस0) तथा राष्ट्रीय वृद्ध स्वास्थ्य परिचर्या कार्यक्रम (एन0पी0एच0सी0ई0) का प्रदेश में क्रियान्वयन कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। आय-व्ययक पर प्राविधान के माध्यम से इन राष्ट्रीय कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर होने वाले व्यय का केन्द्र द्वारा वहनीय 80 प्रतिशत अंश तथा राज्य सरकार द्वारा वहनीय 20 प्रतिशत अंश को व्यय करने के प्रस्ताव को भी मंत्रिपरिषद ने मंजूरी प्रदान करते हुए इस संबंध में निष्पादित किये जाने वाले एम0ओ0यू0 के आलेख को भी स्वीकृति प्रदान कर दी।
ज्ञातव्य है कि एन0पी0सी0डी0सी0एस0 तथा एन0पी0एच0सी0ई0 के प्रथम चरण में देश के 21 राज्यों के 100 जिलों को चयनित किया गया। इनमें प्रथम चरण में वर्ष 2010-11 के दौरान रायबरेली एवं सुल्तानपुर तथा द्वितीय चरण में वर्ष 2011-12 में झांसी, लखीमपुर खीरी, फर्रूखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, ललितपुर एवं जालौन जिलों को चयनित किया गया। इस प्रकार इन कार्यक्रमों के तहत अब तक प्रदेश के कुल 09 जिले चयनित कर लिये गये तथा इससे 12वीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत इन कार्यक्रमों से सभी जिलों को चरणबद्ध ढंग से आच्छादित किया जाना सम्भावित है।
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यू0पी0 इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को
पंचम वेतन आयोग की संस्तुति के तहत पुनरीक्षित वेतनमान देने का निर्णय
मंत्रिपरिषद द्वारा यू0पी0 इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड (यू0पी0एल0सी0) के पूर्णकालिक/नियमित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पंचम वेतन आयोग की संस्तुति के तहत पुनरीक्षित वेतनमान देने का निर्णय लिया गया है। पुनरीक्षित वेतनमान सार्वजनिक उद्यम अनुभाग-1 के शासनादेश दिनांक 18 जनवरी, 1999 के साथ संलग्न तालिका ‘अ’ एवं ‘ब’ के अनुसार दिनांक 01 जनवरी, 1996 से प्रकल्पित आधार पर पुनरीक्षण करते हुए वास्तविक लाभ शासनादेश निर्गत करने की तिथि से अनुमन्य किया गया है। इस सम्बन्ध में कोई एरियर नहीं दिया जायेगा। यह भी निर्णय लिया गया है कि पुनरीक्षित वेतनमान लागू किये जाने से आने वाले सम्पूर्ण अतिरिक्त व्ययभार को निगम ही वहन करेगा, इस हेतु राज्य सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं दी जायेगी।
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मंत्रिपरिषद को वर्ष 2012-13 की वार्षिक योजना
के सम्बन्ध में अवगत कराया गया
वार्षिक योजना वर्ष 2012-13 के 57,800 करोड़ रूपये के अब तक के सर्वाधिक वृहद आकार पर केन्द्रीय योजना आयोग के अनुमोदन के फलस्वरूप मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में प्रदेश की इस ऐतिहासिक उपलब्धि के सम्बन्ध में नियोजन विभाग द्वारा मंत्रिपरिषद के सूचनार्थ एक टिप्पणी प्रस्तुत की गयी।
नियोजन विभाग की टिप्पणी के अनुसार 18 जुलाई, 2012 को मुख्यमंत्री तथा उपाध्यक्ष योजना आयोग भारत सरकार के मध्य हुई बैठक में वर्ष 2012-13 की वार्षिक योजना के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। प्रदेश के विकास के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार के प्रयासों से प्रभावित होकर केन्द्रीय योजना आयोग द्वारा योजना का आकार 57 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 57,800 करोड़ रुपये के स्तर पर निर्धारित किया गया। महाकुम्भ इलाहाबाद के आयोजन हेतु योजना आयोग द्वारा गत वर्ष मात्र रु0 200 करोड़ रुपये का अनुदान इस शर्त के साथ उपलब्ध कराया गया था कि 70 प्रतिशत धनराशि राज्य द्वारा भी लगायी जायेगी।
इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री द्वारा यह तर्क किया गया कि महाकुम्भ राष्ट्रीय ही नहीं अपितु अन्तराष्ट्रीय स्तर का आयोजक है, इसके नाते केन्द्र सरकार द्वारा 90 प्रतिशत अनुदान स्वीकार किया जाना चाहिए। इस तर्क को स्वीकार करते हुए महाकुम्भ हेतु स्वीकृत 1318 करोड़ रुपये की लागत के कार्यों के लिए 90 प्रतिशत अनुदान हेतु सहमति दी गई। इसके लिए वर्ष 2012-13 में उपलब्ध 195.30 करोड़ रुपये के अनुदान के अतिरिक्त, केन्द्रीय योजना आयोग द्वारा 800 करोड़ रुपये की एकमुश्त विशेष सहायता अनुमन्य की गई। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
बैठक में राज्य सरकार द्वारा केन्द्रीय योजना आयोग का ध्यान इस तथ्य की ओर भी आकृष्ट किया गया कि वर्ष 2012-13 में प्रदेश के कर राजस्व में 22 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 62 हजार करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व जुटाया जायेगा। वित्तीय अनुशासन बनाये रखते हुए एफ.आर.बी.एम. एक्ट में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार कटिबद्ध है। पिछले वर्ष राज्य के स्वयं का कर-राजस्व सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 8 प्रतिशत था, जिसे इस वर्ष बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत तक ले जाया जा रहा है।
योजना आयोग को यह जानकारी भी दी गई कि राज्य के सामने अनेक चुनौतियां हैं जिनके आलोक में राज्य द्वारा विकास दर को बढ़ाने, विषमताओं को कम करने, प्रति-व्यक्ति आय में वृद्धि करने, कृषि को बढ़ावा देने, अवस्थापना विकास, निजी क्षेत्र के विनियोजन, अच्छी शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य तथा लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार किया जाना मुख्य उद्देश्य है।
बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतिम वर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त किया जाना लक्षित है। इस प्रकार पंचवर्षीय योजना की औसत विकास दर 8.5 प्रतिशत प्राप्त किये जाने का लक्ष्य है जिसमें कृषि की विकास दर 5 प्रतिशत, पशुधन, दुग्ध, मत्स्य तथा उद्यान में 10 प्रतिशत से अधिक की विकास दर प्राप्त किया जाना लक्षित है।
यह भी उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम आधारित मदों में वर्ष 2011-12 में राज्य को 5567 करोड़ रुपये की सहायता अनुमन्य हुई थी, जिसे वर्ष 2012-13 के लिए बढ़ाकर 9200 करोड़ रुपये के स्तर पर निर्धारित कराया गया है। इस प्रकार 65.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस प्रकार वर्ष 2012-13 की योजना का प्रस्तावित आकार 57,000 करोड़ रुपये को बढ़ाकर 57,800 करोड़ रुपये के स्तर पर निर्धारित कराया गया है, जो गत वर्ष के योजना आकार 47,000 करोड़ रुपये से लगभग 23 प्रतिशत अधिक है। यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012-13 हेतु उत्तर प्रदेश की योजना का आकार देश में सबसे बड़ा है। राज्य के 57,800 करोड़ रुपये के योजनागत व्यय के ऊपर भारत सरकार से लगभग 20,000 करोड़ रुपये से अधिक केन्द्रीय अंश भी उपलब्ध कराये जाने का आश्वासन दिया गया। इस प्रकार राज्य के विकास हेतु योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2012-13 में लगभग 77,800 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि उपलब्ध होगी, जो अपने आप में एक मिसाल होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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