मंत्रिपरिषद द्वारा अध्यापक पात्रता परीक्षा-2011 को अर्हकारी परीक्षा बनाने का निर्णय
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आज यहां लाल बहादुर शास्त्री भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में अध्यापक पात्रता परीक्षा-2011 को अर्हकारी परीक्षा बनाये जाने का निर्णय लिया है।
उल्लेखनीय है कि अध्यापक पात्रता परीक्षा की परिकल्पना के पीछे भारत सरकार की मंशा एक अर्हकारी परीक्षा के रूप में की गयी है। इसलिए अध्यापक पात्रता परीक्षा-2011 को अर्हकारी बनाया जाना विधि की मूल मंशा के अनुरूप है। इस निर्णय के फलस्वरूप राज्य सरकार को तत्काल अध्यापक पात्रता परीक्षा आयोजित नहीं करनी होगी और अध्यापक पात्रता परीक्षा-2011 के अर्ह अभ्यर्थियों को शिक्षक के रूप में चयनित किया जाना संभव होगा। जो अभ्यर्थी उच्च प्राथमिक स्तर के ही अध्यापक पात्रता परीक्षा 2011 उत्तीर्ण हैं वे बेसिक शिक्षा परिषद के अध्यापक के पदों के लिए पात्र नहीं होंगे, वरन् वे शासकीय सहायता प्राप्त और अन्य निजी विद्यालयों में रिक्त पदों के लिए ही पात्र होंगे।
यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने अध्यापक पात्रता परीक्षा-2011 को अर्हकारी परीक्षा बनाये जाने की संस्तुति की थी। मंत्रिपरिषद द्वारा समिति की संस्तुति को स्वीकार कर लेने के बाद अध्यापकों के चयन का आधार पूर्व की भांति अभ्यर्थी की शैक्षिक योग्यता तथा विभिन्न स्तरों पर पाये गये अंकों को बनाया जायेगा। इससे अध्यापक पात्रता परीक्षा-2011 की अनियमितता का प्रभाव चयन प्रक्रिया पर न्यून होगा। मंत्रिपरिषद के निर्णय के बाद वर्तमान बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली को पुनः संशोधित कर पूर्व व्यवस्था को बहाल किया जायेगा। वर्तमान में नियुक्ति हेतु जारी विज्ञप्ति को निरस्त कर संशोधित नियमावली के आधार पर पुनः जनपद स्तर से विज्ञप्ति जारी करके नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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