- 10 फीसदी विकास दर प्राप्त करने तथा
- 10 मिलियन लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य
- ई-पेमेन्ट, ई-प्रेक्योरमेन्ट तथा ई-टेण्डरिंग की व्यवस्था लागू की जायेगी
- धान खरीद से पहले अतिरिक्त भण्डारण की व्यवस्था की जाये
- तेजी से विकास के लिये ऊर्जा, सिंचाई तथा यातायात क्षेत्रों कोे विशेष महत्व
- 22 साल बाद हुई राज्य योजना आयोग की बैठक
- प्रदेश की 12वीं पंचवर्षीय योजना 2012-17 तथा वार्षिक योजना 2012-13 अनुमोदित
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित राज्य योजना आयोग की बैठक पिछले 22 वर्षों से नहीं हुई थी। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा पहल करते हुए पुनर्गठित राज्य योजना आयोग की बैठक आज यहां शास्त्री भवन में सम्पन्न हुई। इस बैठक में लोक निर्माण एवं सिंचाई मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव, नगर विकास मंत्री श्री मो0 आजम खाँ, पंचायती राज मंत्री श्री बलराम यादव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री अहमद हसन तथा बेसिक शिक्षा मंत्री श्री राम गोविन्द चैधरी के अलावा उ0प्र0 राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री नवीन चन्द्र बाजपेयी, मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी सहित अन्य सदस्यगण जिनमें कृषि उत्पादन आयुक्त, औद्योगिक विकास आयुक्त, प्रमुख सचिव वित्त, तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में प्रदेश की 12वीं पंचवर्षीय योजना तथा वार्षिक योजना 2012-13 के प्रस्तावों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में राज्य की टर्मिनल विकास दर 10 फीसदी प्राप्त करने तथा 10 मिलियन लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि कृषि आधारित राज्य होने के कारण कृषि की विकास दर 05 फीसदी तक बढ़ाने के अलावा दुग्ध विकास, पशुपालन, मत्स्य पालन तथा औद्यानिक क्षेत्रों की विकास दर 10 प्रतिशत से अधिक पाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि राज्य के चैमुखी विकास के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना में 3,61,000 करोड़ रूपये का प्रस्ताव केन्द्रीय योजना आयोग को भेजा जा रहा है।
श्री यादव ने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में उद्योग के क्षेत्र में 11.2 फीसदी तथा सेवा क्षेत्र में 11.9 फीसदी का लक्ष्य प्राप्त किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के विकास के लिये निर्धारित किये गये लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये कई स्तरों पर प्रयास किया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस हेतु नई कृषि नीति, समग्र चीनी नीति, औद्यानिक एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति बायोटेक्नोलाॅजी नीति, रेन्यूवल ऊर्जा नीति के अलावा निजी क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिये नई औद्योगिक नीति, उच्च शिक्षा नीति, सूचना प्रौद्योगिकी नीति तथा आवास एवं पुनर्वास नीति तैयार कर लागू की जायेगी। साथ ही, सभी ऊर्जा परियोजनाओं को समय से पूरा करने तथा 75 प्रतिशत पूर्ण परियोजनाओं को शीघ्र पूरा किया जायेगा। विकास कार्यक्रमों का सतत सत्यापन तथा समीक्षा की जायेगी। ई-पेमेन्ट, ई-प्रेक्योरमेन्ट तथा ई-टेण्डरिंग की व्यवस्था लागू की जायेगी।
श्री यादव कहा कि नई कृषि नीति को लागू कर कृषि के क्षेत्र में 05 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त की जायेगी। 12वीं पंचवर्षीय योजना में कृषि तथा कृषि आधारित कार्यों के लिये 33,677.44 करोड़ रूपये का प्रस्ताव किया जा रहा है। राज्य सरकार खाद्यान्न के उत्पादन को बढ़ाने के साथ ही उत्पादकता में भी वृद्धि तथा किसानों को कृषि उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिये कृत संकल्प है। उन्होंने कहा कि उर्वरकों की समय से पर्याप्त उपलब्धता तथा अगले 05 वर्षों में 17.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त औद्यानीकरण करके किसानों की आय में बढ़ोत्तरी का प्रयास किया जायेगा। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार की सर्वाधिक संभावना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अभी राज्य देश में सर्वाधिक दूध का उत्पादन करता है, लेकिन दूध से निर्मित वस्तुओं के मामले में पीछे है। उन्होंने अधिकारियों को दूध आधारित उत्पादों में वृद्धि के लिये निर्देशित करते हुए कहा कि अगले 05 वर्षों में लगभग 64 फीसदी दुग्ध उत्पादन तथा लगभग 65 फीसदी अण्डा उत्पादन का अतिरिक्त लक्ष्य प्रस्तावित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने अन्न भण्डारण की क्षमता बढ़ाने के लिये गम्भीरता से प्रयास करने के निर्देश देते हुए मुख्य सचिव को 10.5 लाख मीट्रिक टन क्षमता के निर्माणाधीन गोदामों की प्रगति की समीक्षा करने के लिये भी कहा, ताकि धान खरीद से पहले राज्य सरकार के पास अतिरिक्त भण्डारण की क्षमता उपलब्ध हो सके। गन्ना किसानों की वर्तमान स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों तथा राज्य की आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिये नई चीनी मिलों की स्थापना तथा को-जनरेशन के लिये नई समग्र नीति शीघ्र तैयार की जाये। उन्होंने सभी किसानों को किसान क्रेेडिट कार्ड उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिये।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के तेजी से विकास के लिये ऊर्जा, सिंचाई तथा यातायात क्षेत्रों के विकास के लिये विशेष महत्व दे रही है। इसीलिए 12वीं पंचवर्षीय योजना में आर्थिक आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिये 1,25,835.16 करोड़ रूपये का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने कहा कि जनपद मुख्यालयों को चार लेन की सड़कों से जोड़ा जायेगा। इसके अलावा 500 आबादी वाले बसावटों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पी0एम0जी0एस0वाई0) के माध्यम से तथा 250-500 आबादी वाले बसावटों को राज्य के संसाधनों द्वारा पक्की सड़क से जोड़ा जायेगा। इसके अलावा 12वीं पंचवर्षीय योजना में 300 पुल तथा 01 हजार रेलवे ओवर ब्रिज (आर0ओ0बी0) के निर्माण की योजना भी बनायी गयी है।
ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक सुधार पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों पर विगत काफी वर्षों से ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में घटिया गुणवत्ता के ट्रांसफार्मर व अन्य विद्युत उपकरणों का प्रयोग किया गया, जिसके कारण विगत 03 माह में काफी संख्या में ट्रांसफार्मर जल गये। उनकी सरकार प्रदेश की विद्युत व्यवस्था सुधारने के लिये प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में 16,274 मेगावाट अतिरिक्त विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 10,868 मेगावाट निजी क्षेत्र से प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
श्री यादव ने यह भी अवगत कराया कि मानव संसाधन विकास के लिये प्रदेश सरकार शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, स्वच्छ पेयजल, सफाई व्यवस्था, आवास, नगर विकास तथा सामाजिक सुरक्षा आदि क्षेत्रों पर पूरा ध्यान देते हुए इनके विकास के लिए गम्भीरता से प्रयास कर रही है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में इन क्षेत्रों के लिये 1,01,931.48 करोड़ रूपये का प्रस्ताव किया गया है। वर्ष 2017 तक नगरीय क्षेत्रों को साफ पीने का पानी, ठोस अपशिष्ट निस्तारण तथा सीवर व्यवस्था से आच्छादित किया जायेगा। 12वीं पंचवर्षीय योजना में राज्य को पूरी तरह साक्षर करने तथा प्राथमिक शिक्षा से ड्राप आउट 05 प्रतिशत तक घटाने का प्रयास किया जायेगा। स्वास्थ्य एवं पोषण के क्षेत्र में भी महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं, जिन्हें प्राप्त किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाने तथा सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिये भी ठोस उपाय किये जायेंगे।
12वीं पंचवर्षीय योजना के प्रस्तावों पर विचार करते समय यह तथ्य भी संज्ञान में आया कि राज्य को भारत सरकार के विभिन्न स्रोतों से उपलब्ध होने वाली सहायता का समुचित अंश नहीं मिल पाया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि केन्द्र सरकार से सहायता उपलब्ध कराये जाने हेतु पत्र भेजकर अनुरोध किया जाए कि अन्य राज्यों की तरह ही उत्तर प्रदेश को भी यहां के पिछड़ेपन तथा जनता की आवश्यकताओं/अपेक्षाओं के अनुरूप सहायता प्रदान की जाये। उन्होंने कहा कि राज्य के चहुमुखी विकास में केन्द्र के साथ सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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