राज्य मंे अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के उत्पीड़न की रोकथाम अधिनियम को और प्रभावी तरीके से लागू करने की जरूरत है। साथ ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिये। इस दिशा में मुख्य मंत्री के नेतृत्व में गठित समिति को और कार्य करने की जरूरत है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति सांसदों एवं विधायकों की एक समिति भी गठित की जानी है। यह उद्गार आज यहां केन्द्रीय सामाजिक कल्याण एवं अधिकारिता मंत्री श्री मुकुल वासनिक ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए व्यक्त की।
श्री वासनिक की अध्यक्षता में आज यहां योजना भवन में ‘’उत्तर प्रदेश में नागरिक अधिकारों की सुरक्षा और अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम की समीक्षा ’’ बैठक आयोजित की गयी। बैठक में उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री श्री इन्द्रजीत सरोज और प्रमुख सचिव समाज कल्याण, पुलिस महानिदेशक और प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
श्री वासनिक ने कहा कि गत वर्षोंे के आंकड़ांे से पता चलता है कि अनुसूचित जाति एवं जनजातियों पर अत्याचार के मामलों में उत्तर प्रदेश में लगातार वृद्धि हुई है। इनकी रोकथाम के लिये अनुसूचित जाति एवं जनजातियों में कानूनी अधिकार के प्रति जागरूकता लानी होगी तथा समाज और मीडिया को अपनी अह्म भूमिका निभानी होगी।
श्री वासनिक ने न्यायालयों में लंबित मामलों की बड़ी संख्या और उनके धीमें निस्तारण पर चिंता व्यक्त की। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न के सर्वाधिक मामले दर्ज हुए हैं। उन्होंने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि कानून तथा नीतियाॅं बनाने के साथ-साथ उनके कार्यान्वयन पर भी विशेष ध्यान दिया जाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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