सरकार का दमनात्क रूख, कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी हड़ताल को हवा मिली
मंच की बैठक में सरकार के खिलाफ भड़के कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी
लखनऊ20अक्टूम्बर 18। कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी-पुरानी पेंशन बहाली मंच की तीन दिवसीय हड़ताल के परिपेक्ष्य में मुख्य सचिव स्तर पर डीएम और मण्डलायुक्तों केा भेजे गए दमनात्मक आदेश ने कर्मचारियों की हड़ताल को हवा दे दी है।कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी-पुरानी पेंशन बहाली मंच की महाबैठक में वक्ताओं और उपस्थिति पदाधिकारियों का आक्रोश स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था। हड़ताल की तैयारी बैठक में मंच के नेताओं ने आठ अक्टूबर की महारैली के दौरान लगभग चार से पाॅच लाख कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी अनुशासन में रहे। हम उसी तरह अनुशासन में रहकर हड़ताल कर अपना विरोध दर्ज करायेगे। वक्ताओं ने कर्मचारी शिक्षक और अधिकारियों की एकता का हवाला देते हुए इस बाॅत पर जोर दिया की हमारी हड़ताल होकर रहेगी। हम शान्ति पूर्ण तरीके से हड़ताल पर जा रहे है। सरकार ने अगर दमनात्मक रूख अपनाया तो इसके परिणाम स्वरूप किसी भी स्थिति की जिम्मेदारी सरकार की होगी। मंच के नेताओं ने स्पष्ट किया कि मुख्य सचिव स्तर पर हुई वार्ता में तथ्यात्मक आधारों रखी गई नई पेंशन योजना की खामियों को आला अफसरों ने स्वीकार भी किया लेकिन जबाब सकारात्मक नही रहा। परिणाम स्वरूप तीन दिवसीय हड़ताल अपनी तय तिथि पर होगी। हड़ताल के तीसरे दिन 27 अक्टूबर को प्रान्तीय बैठक कर अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया जा सकता है।
कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच की प्रस्तावित हड़ताल की तैयारी बैठक मंच के अध्यक्ष डा. दिनेश चन्द शर्मा की अध्यक्षता में डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ लोक निर्माण विभाग के प्रेक्षागृह में हुई। बैठक में पुरानी पेंशन बहाली पर सरकार की ‘‘ नानकुर ’’ पर कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी आक्रोषित दिखे। 25,26 और 27 अकटूबर 2018 हड़ताल के लिए बुलाई गई बैठक का संचालन करते हुए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने बताया कि प्रदेश के मुख्य सचिव की ओर से जिला प्रशासन के लिए जारी दिशा निर्देशों को लेकर मंच के प्रान्तीय पदाधिकारियों ने कड़ी निन्दा की है। आलोचना करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सेवा संघों द्वारा पहले भी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की गई पर हड़ताल से पूर्व शासन द्वारा ऐसा रवैया कभी नही अपनाया गया। मंच द्वारा आठ अक्टूबर को विशाल रैली में कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी की भीड़ पूरी कानून व्यवस्था बनाए रखकर अपना विरोध दर्ज करा चुका है। वक्ताओं ने इस बाॅत का पुरजोर तरीके से रखा कि कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी शान्तिपूण्र्र तरीके से हड़ताल पर जा रहे है इस दबाने या कुचलने और उत्पीड़न और उकसाने का प्रयास सरकार या शासन तंत्र ने किया तो इसके परिणाम स्वरूप जो स्थिति उत्पन्न होगी उसके लिए सरकार और शासन ही जिम्मेदार होगा। भारत के संविधान में अपने उत्पीड़न, हक पर डाके के खिलाफ प्रदर्शन का पूरा अधिकार है। सरकार प्रदेश के कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी को उनके हक और अधिकार से वंचित नही कर सकती। वक्ताओं ने कहा कि देश के लगभग 2.50 करोड राज्य कर्मचारी और 36 लाख केन्द्रीय कर्मचारियों की नई पेंशन योजना के तहत अब तक लगभग दस हजार करोड़ रूपये नई पेंशन के नाम पर केन्द्र और राज्य कर्मचारियों के नाम से लिए गए लेकिन इस बड़ी धनराशि का कोई लेखा जोखा सरकारों के पास नही है।सरकार को केन्द्र और राज्य कर्मचारियों को उनका हक ‘‘ पेंशन’’ तो देनी ही पड़ेगी। सरकार की इस योजना से छोटे से लेकर बड़े स्तर तक के कर्मचारी नाराज है, लेकिन आला अफसर डर के मारे विरोध नही कर पा रहे है लेकिन अन्दर से वे भी हमारे साथ है। नई पेंशन योजना सीधे सीेधे धोखा है। सरकार ऐसा नही कर सकती एक वर्ग को पेंशन मिलेगी और दूसरे को नही मिलेगी यह दोहरी नीति और कर्मचारी शिक्षक बर्दाश्त नही करेगें। मंच संयोजक हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि लम्बे अरसे से हम राज्य सरकार को पुरानी पेंशन बहाली के लिए शांति पूर्ण तरीके से अनुरोध कर चुके है। पुरानी पेंशन बहाली के लिए वर्ष 2013 में साइकिल रैली के माध्यम से भी सरकार को आगह किया गया है। लगातार मंच के माध्यम से नई पेंशन योजनाओं की खमियोओ और कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी को होने वाली आर्थिक हानि से अवगत करा चुके है। सरकार अब हमें टकराव के लिए मंजबूर कर रही है। मंच पूरे देश में भ्रमण कर चुका है, पुरानी पेंशन बहाली के लिए महौल बन चुका है अब फैसला सरकार को लेना है। अगर सरकार फैसला नही लेती तो परिणाम ठीक नही होगें। सरकार को चेतावनी दी कि अब कर्मचारी अकेला नही शिक्षक और अधिकारी भी उसके साथ है। बैठक को अधिकारी महापरिषद के पूर्व अध्यक्ष बाबा हरदेव सिंह, इन्द्रासन सिंह, डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के अध्यक्ष इं. राकेश त्यागी, डी.एन.सिंह, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के पूर्व अध्यक्ष अमरनाथ यादव, कामरेड़ आर.के. पाण्डेय, जे.पी. सिंह इनकम टैक्स, वीरेन्द्र तिवारी पोस्टल,एच.एन मिश्रा, शिक्षक संघ के संजय सिंह, शिवशंकर पाण्डेय, देवेन्द्र श्रीवास्तव, वंदना श्रीवास्तव, कांति सिंह,सुधीर पावर, हरिनाम सिंह, भूपेश अवस्थी पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष संयुक्त परिषद, बलराम सिंह, निखिल शुक्ला, अनुज शुक्ला,आईएन त्रिपाठी, ,यादवेन्द्र मिश्रा, ओंकार नाथ तिवारी, आनंद वर्मा, रामअचल, अर्जुन यादव,रामफेर पाण्डेय,मिठाई लाल,संतोष तिवारी, जे.पी. यादव, सत्यप्रकाश तिवारी, अमित सिंह प्रातींय चिकित्सक सेवा संघ, एच.एन. मिश्रा, रामराज दुबे, संजीव गुप्ता, अमिता त्रिपाठी, अविनाश चंद श्रीवास्तव, वी.एस. डोलिया, कमलेश वर्मा, बलराम सिंह, नरेन्द्र सिह नेगी, रामनगीना सिंह, अमरजीत मिश्रा, गौतम त्रिपाठी, अवधेश मिश्र, प्रेम कुमार सिंह, डा. वी.एस. चैहान, सुनील यादव, गंगेश कुमार शुक्ल, एन.पी. त्रिपाठी, अजय ंिसह वित्त विहीन शिक्षक संघ, विवेक द्विवेदी, इं. एन.डी. द्विवेदी, इं. करन पटेल, इं. दिवाकर राय, किरन कुमारी दुबे इं. एस.पी. गुप्ता, इं. एस.डी. द्विवेदी, डा. वी.एस. चैहान, नरेन्द्र नेगी, रामनागीना,राममूरत यादव, गौतम त्रिपाठी,प्रेम कुमार सिंह, सत्यप्रकाश मिश्रा,सुरेश सिंह यादव, नीवन सिंह, खादी बोर्ड के ब्रजेश मिश्रा, हरिगेन्द सिंह , अवधेश कुमार, राकेश पाण्डेय, रतन लाल, कामत प्रसाद, शिवराम, रमेश कटियार, दिनेश श्रीवास्तव, अतुल टण्डन, कमलेश मिश्र, उर्मिला राय,इं. देशराज, सुनीता गौतम,सहित लगभग सौ से अधिक महासंघ, परिषद, एसोसिएशन के पदाधिकारियो ने इस महाबैठक में भाग लिया।