Archive | August 23rd, 2017

दलित, अल्पसंख्यक और लिंचिंग के नाम पर राष्ट्रवादी शक्तियों को बदनाम करने की साज़िश कर रहे हैं

Posted on 23 August 2017 by admin

20170823_145901प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नन्दकुमार जी ने कहा कि खतरनाक वामी विचारधारा के बारे में देश को पता चलना चाहिए। कम्युनिस्ट पार्टी हर देशविरोधी काम कर रहे हैं। वह दलित, अल्पसंख्यक और लिंचिंग के नाम पर राष्ट्रवादी शक्तियों को बदनाम करने की साज़िश कर रहे हैं। वह आतंकवादी, नक्सलवादी, माओवादियों का समर्थन करते हैं।

केरल में हो रही राष्ट्रवादियों पर वामपंथी हिंसा विषयक संवाद में बोलते हुए कहा कि 1948 में संघ के कार्यक्रम में पूज्य गोलवलकर जी के ऊपर हमला करके इसकी शुरुआत की थी। दलित और अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा के कथित आरोपों को राष्ट्रीय मीडिया का हिस्सा बना दिया गया। बगैर किसी कारण के कथित लिंचिंग के नाम पर देशव्यापी अभियान खड़ा किया गया। केरल में अगर 1948 में ही असंवैधानिक, ग़ैरकानूनी हिंसा के वामपंथी के खतरे को बुद्धिजीवियों ने उठाया होता तो आज हजारों हत्याएं नहीं होतीं। वामपंथ का मकसद तानाशाही है। मजबूरी में वह लोकतांत्रिक तरीके को अपना रहे हैं। उनको लोकतांत्रिक नैतिक मूल्यों की अवमानना चाहिए। वामपंथ विपक्षियों को आदर देना तो दूर उनकी उपस्थिति को भी बर्दाश्त नहीं करता है। बुद्धदेव भट्टाचार्य के कार्यकाल में बंगाल में भी 44 हजार हत्याएं हुईं। वामपंथी बंगाल में जब जब सत्ता में आते हैं वह संघ कार्यकर्ताओं पर हमले करते हैं।
उन्होंने बताया कि संघ के स्वयंसेवक पलायनवादी नहीं होते। वह भागने के बजाय जुटकर काम करने के आदी होते हैं लिहाज़ा उनको जान गवानी पड़ती है। केरल में वामपंथी जनसमर्थन लगातार घट रहा है। 2015 के बाद से केरल में संघ कार्य लगातार बढ़ रहा है। वामपंथी लगातार घट रहे हैं। केरल में शाखा में वामपंथी पार्टी छोड़कर आने वाले कार्यकर्ता होते हैं। अभी तक 287 लोगों की हत्या हो चुकी है। वह कार्यकर्ताओं को हमला कर मार देते हैं। केरल में आरएसएस और वामपंथी हिंसा चल रही है ऐसा प्रचार मिथ्या है। केरल में वामपंथी बनाम सभी का संघर्ष है। वामपंथियों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भी हत्या की। कांग्रेस इसका जिक्र करने का साहस भी नहीं करती है। केरल के मंत्री मणि ने चार साल पहले सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मारने की घोषणा की थी। मणि दो महीने में जेल से बाहर आ गया। वामियों ने मणि को बिजली मंत्री बनाया है। वहां मुस्लिम लीग, दूसरे वाम दलों के लोगों की भी हत्याएं की हैं। कहने का मतलब केरल का संघर्ष लेफ़्ट बनाम रस्ट है। पूरे भारत में लोकतंत्र के समर्थक दलों से आग्रह है कि वह केरल की हिंसा के बारे में सामूहिक प्रयास करें। केरल में वामपंथी कार्यकर्ता लोगों का खाना, पीना, पहनना, संबंध रखना तक तय करते हैं। केरल में 285 हत्याएं हुईं हैं। इसमें 60 दलित 6 महिलाएं और सौ के आसपास पिछड़ों की हत्याएं हुईं हैं। केरल में राजनीतिक हत्याओं को लेकर वहां के राज्यपाल पी शतशिवम ने मुख्यमंत्री और डीजीपी को समन जारी किया है। इस पर मजबूरन मुख्यमंत्री ने पीस फोरम शुरुआत करने का नाटक किया।

श्री कुमार ने बताया कि मीडिया के लोग हिम्मतवाले लोग हैं। वह जेएनयू, अख़लाक़, हैदराबाद के बारे में बताते हैं। केरल के मुख्यमंत्री ने खुद सरेआम मीडिया के लोगों को गाली दी है। केरल उच्च न्यायालय ने वामी कार्यकर्ता के खिलाफ फैसला सुनाया। उस कार्यकर्ता ने कोर्ट के बाहर मार्च निकालकर निर्णय का विरोध किया। केरल की सबसे बड़ी पार्टी सीपीआई है, उसके पास वहां जन और अर्थ संसाधन सबसे अधिक हैं। केरल में मरने वाले स्वयंसेवक सबसे ज्यादा पिछड़े, दलित और महिलाएं शामिल हैं। भारी मन से मुझे यह बताना पड़ रहा है कि भारत के एक प्रदेश में वैचारिक मतभेद के कारण किस तरह से हत्याएं की जा रही हैं।

उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि केरल में राज्यपाल शतशिवम और गृहमंत्री ने रिपोर्ट मांगी है। केंद्र किसी राज्य के कानून व्यवस्था के प्रश्न पर एक सीमा तक ही दखल दे सकता है। केरल की हिंसा को लेकर सर्वोच्च अदालत में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाना चाहिए तभी विचाराधीन मामलों को सुना जा सकता है। पहली बार मुस्लिम लीग को सत्ता में भागीदारी देने वाले वामपंथी ही हैं। केरल के कन्नूर से ही अधिकतम बड़े वामपंथी नेता आते हैं। इसलिए ही कन्नूर इनका आइडियल डिस्टिक है। कन्नूर के किले को बचाकर रखना चाहते हैं। जिसको लेकर यहां अधिक हत्याएं हुईं हैं। केरल हिंसा के पहले अभियुक्त पिलराई विजयन ही हैं जो आज मुख्यमंत्री ही हैं।

कन्नूर में अधिकतम हिंसा के सवाल पर उन्होंने बताया कि केरल में कम्युनिज्म नहीं कन्नुरिज्म की सरकार है। केरल में सौ फीसदी साक्षरता है इसके पीछे वहां सरकार या वामपंथ का कोई योगदान नहीं है। वहां श्री नारायण गुरु, शंकराचार्य सहित कई आध्यात्मिक धर्मगुरुओं ने इसमें अहम योगदान दिया है। केरल में विद्या मंदिरों के स्कूलों तक पर आक्रमण कर रहे हैं। बाल संस्कार केंद्रों में आने वाले बच्चों पर भी हमले हो रहे हैं। केरल में राष्ट्रवादी विचारधारा लगातार बढ़ रही है। कम्युनिस्ट पार्टी लगातार अवनति की ओर बढ़ रही है। 1957 में भारी बहुमत से सत्ता में आए वामपंथी आज मुस्लिम लीग सहित सात दलों को लेकर सरकार चला रहे हैं।

केरल में शंकराचार्य, चैतन्य स्वामी, नारायण गुरु के समाधि लेने के बाद वामियों ने काम शुरू किया। संघ ने उनके काफी दिन बाद काम शुरू किया था। केरल दुनिया मे पहले नम्बर पर प्रचार में आती है। शबरीमाता और अय्यप्पा मंदिर को जला दिया गया था। उनके जांच आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर नहीं रखी गई है।

केरल में धर्मांतरण और मानव तस्करी भी बड़े विषय है। 70 सालों से संघ वहां काम कर रहा है। उस पर संघ की क्या योजना है। एमएम अक़बर को लेकर हमारा पूरा विरोध है। अभी सर्वोच्च अदालत ने लव जेहाद के मामले पर जांच करने का आदेश दिया है। संघ के कार्यकर्ताओं ने अखिला के विषय को उठाया है। मामले के कोर्ट में जाते ही अचानक एक पतिदेव प्रकट हो गए। कोर्ट ने पहली बार दो वयस्कों की शादी को कटघरे में खड़ा किया। पहली बार सर्वोच्च अदालत ने लव जेहाद को न सिर्फ स्वीकार किया है बल्कि जांच करने का आदेश दिया है। केरल में 50 फीसदी हिंदू हैं। 25 फीसदी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ हैं। 25 फ़ीसदी के बीच मे संघ को काम आगे बढ़ा रहा है। संघ इतनी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी 5000 शाखाएं संचालित कर रहा है। केरल में जहां भी बीजेपी जीतने की स्थिति में हैं वहां सभी महागठबंधन बनाकर आ जाते हैं। इस बार बीजेपी ने अभेद्य किले में भी कमल खिलाकर दिखाया है। एक केस चल रहा है जिसमें बीजेपी के उम्मीदवार को जबरन 82 मतों से हराया गया है।

नेशनल फ़्लैग कोड के हिसाब से किसी भी भारतीय को राष्ट्रध्वज फहराने का संवैधानिक अधिकार दिया है। दो साल पहले स्कूल प्रबंधन ने परिसर में आने का अनुरोध किया था। सरसंघचालक जी दो साल पहले एक कार्यक्रम के दौरान 15 अगस्त के कार्यक्रम में शामिल होने की सहमति दे दी थी। उस कार्यक्रम को बगैर किसी अधिकृत आदेश के ध्वजारोहण कार्यक्रम को रोकने का कुत्सित प्रयास किया गया। बालकाट जिले के अकेले स्कूल में अकेले व्यक्ति को ध्वजारोहण को रोकने के लिए एक फ़र्जी आदेश जारी किया गया। अभी तक संघ प्रमुख के ध्वजारोहण करने के ख़िलाफ़ किसी ने शिकायत नहीं की। संघ ने खुद जिलाधिकारी के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया गया और डीएम को हटाया गया है।

संघ ने कई केस दर्ज करवाएं हैं। सर्वोच्च अदालत से फास्ट ट्रैक कोर्ट की मांग की है। सैकड़ों स्वयंसेवक अपाहिज हो गए हैं। हुतात्मा स्वयंसेवकों के परिवारजनों के लिए संघ के कार्यकर्ता अपनी तनख्वाह से आधा हिस्सा इनके परिवारों को भेजतेे हैं। मैं पूरी हिम्मत और गर्व के साथ बता रहा हूं समर्पण कार्यक्रमों के जरिए संघ सभी परिवारजनों को न्यूनतम सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है। मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव जयराजन ने वामी नेता के ख़िलाफ़ एक जज ने पूछा क्या आप कन्नूर को अपना राज समझते हैं । इस पर जयराजन ने जज को सार्वजनिक मंच से गाली दी थी। केरल में राजनीतिक हिंसा का दौर जल्द खत्म होगा हम सब ऐसी उम्मीद करते हैं। कानूनी, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रयास चल रहे हैं। वामी अपनी जमीन खो रहे हैं। यह उनका अंतिम प्रयास है खुद को जिंदा रखने का। केरल में वामपंथी दीया बुझने से पहले फड़फड़ा रहा है। बीजेपी और संघ के साथ अन्य संस्थाएं जुड़कर काम करने को आ रहे हैं। कार्यक्रम में मंच श्री कुमार के साथ सह प्रान्त कार्यवाह श्री नरेन्द्र तथा वरिष्ठ स्तम्भ लेखक राजनाथ सिंह सूर्य भी मौजूद थे। कार्यक्रम विश्व संवाद केंद्र के सभागार में सम्पन्न हुआ।

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पीएम मोदी ने निभाया मुस्लिम बहनों को इंसाफ का वायदा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय - शलभ मणि त्रिपाठी

Posted on 23 August 2017 by admin

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा है कि ट्रिपल तलाक पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के उस सपने की जीत है जिसमें महिलाओं के सशक्तिकरण और बराबरी की बात कही गई थी। पीएम मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार की ईमानदार और मजबूत पैरवी के चलते ही अदालत में मुस्लिम बहनों की जीत हुई और ये फैसला स्वागतयोग्य है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि इस फैसले से ना सिर्फ मुस्लिम बहनों में बल्कि समाज के हर वर्ग में खुशी है और इस फैसले के अच्छे नतीजे सामने आएंगे। श्री त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में भी ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम बहनों की मदद का भरोसा दिलाया था और कहा था कि पार्टी उनकी लड़ाई लड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट से आया फैसला इस बात का सबूत है कि भारतीय जनता पार्टी और पीएम मोदी जी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने अपना ये वायदा भी निभाया है।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि ट्रिपल तलाक का मामला काफी वक्त से अदालत में लंबित था। मुस्लिम बहनें लंबे समय से ट्रिपल तलाक को लेकर इंसाफ मांग रही थीं। लेकिन पहली बार श्री नरेंद्र मोदी जी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने अदालत में इस मामले की ना सिर्फ मजबूत पैरवी की बल्कि सरकार मुस्लिम बहनों की आवाज भी बनी। इसके सकारात्मक नतीजे आज सबके सामने हैं। अदालत ने मुस्लिम बहनों की पीड़ा को महसूस किया है और उनके पक्ष में फैसला सुनाया है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बार-बार ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर आवाज उठाई थी। उन मामलों को लेकर दुख और चिंता भी जताई थी जिसमें ट्रिपल तलाक के चलते तमाम मुस्लिम बहनों की जिंदगी तबाह हो गई है।
प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी और केंद्र सरकार की कोशिशों का ही नतीजा है कि आज देश में एक नए अध्याय की शुरूआत हुई है। महिलाओं की सुरक्षा और उनके सम्मान को लेकर ये एक ऐतिहासिक फैसला है और इस फैसले को देश के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। खासतौर पर मुस्लिम बहनों और उनके परिवार वालों के लिहाज से ये फैसला मील का पत्थर साबित होगा। श्री त्रिपाठी ने अदालत के फैसले पर मुस्लिम बहनों, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और देश के लोगों को बधाई दी है।

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बी.एस.पी. द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति-दिनांक 22.08.2017

Posted on 23 August 2017 by admin

(1)    मुस्लिम महिलाओं के तीन तलाक के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के आज आये फैसले का स्वागत।
(2)    अब माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश व उसकी मंशा के अनुसार बिना कोई संकीर्ण व आर.एस.एस. के गुप्त एजेण्डे की राजनीति किये हुये केन्द्र सरकार से आगे की कार्यवाही करके समय से क़ानून बनाने की माँग।
(3)    और यह अच्छा होता यदि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड खुद ही पूरी तत्परता के साथ तीन तलाक के मामले में कार्रवाई करता, परन्तु ऐसा नहीं किया गया, जिस कारण ही माननीय कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी।

लखनऊ, 22 अगस्त, 2017: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने मुस्लिम महिलाओं के तीन तलाक के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के आज दिये गये फैसले का स्वागत करते हुये कहा कि अब केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह बिना कोई संकीर्ण व आर.एस.एस. के गुप्त एजेण्डे की राजनीति किये हुये माननीय न्यायालय के फैसले के निर्देश व उसकी सही मंशा के मुताबिक सम्बन्धित मामले में समय सीमा के भीतर ही उचित कदम उठाये, अर्थात् कानून बनाये।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि वैसे तो माननीय सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ पूरे फैसले का बारीकी से अध्ययन किया जाना बाकी है, परन्तु मीडिया से प्राप्त खबर के मुताबिक माननीय सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों की संविधान पीठ ने 3-2 के बहुमत के फैसले से तीन तलाक को असंवैधानिक करार देकर इस पर पाबन्दी लगाते हुये केन्द्र सरकार से इस सम्बन्ध में छह महीने के भीतर कानून बनाने के लिये कहा है, जिसका समय से अनुपालन किया जाना चाहिये।
सुश्री मायावती जी ने यह भी कहा कि यह अच्छा होता, यदि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड खुद ही पूरी तत्परता के साथ तीन तलाक के मामले में कार्यवाही करता, इसके साथ ही इस बुराई की रोकथाम के लिये जितनी तत्परता से इस पर कार्रवाई की जानी चाहिये थी वह नहीं की गयी, ऐसा कोर्ट का मानना है। इस कारण ही माननीय कोर्ट को ऐसा हस्तक्षेप करना पड़ा है। इसका अब सभी को मुस्लिम महिलाओं के हित में स्वागत किया जाना चाहिये।
और अब संक्षेप में यही कहना है कि देश में तीन तलाक के मामले में व इसकी आड़ में मुस्लिम महिलाओं का वर्षों से जो यहाँ काफी ज्यादा शोषण व उत्पीड़न आदि हो रहा था, तो उसे मध्यनजर रखते हुये आज माननीय सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में जो फैसला आया है, उसका बी.एस.पी. ने दिल से स्वागत किया है।

जारीकर्ता:
बी.एस.पी. राज्य कार्यालय उ.प्र.
12 माल ऐवेन्यू, लखनऊ

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