Archive | March, 2015

प्रधानमंत्री ने 13 गुजराती पत्रकारों को प्रदान किए बतुकभाई दीक्षित पुरस्कार

Posted on 19 March 2015 by admin

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में 13 गुजराती पत्रकारों को सूरत शहर पत्रकार कल्याण निधि का वार्षिक बतुकभाई दीक्षित पुरस्कार प्रदान किया। प्रधानमंत्री ने पुरस्कार पाने वाले सभी विजेताओं को बधाई दी।
इस अवसर पर श्री सीआर पाटिल समेत संसद के कुछ सदस्य मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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प्रधानमंत्री 22 मार्च को श्मन की बातश् में किसानों को संबोधित करेंगे

Posted on 19 March 2015 by admin

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी श्मन की बातश् कार्यक्रम की अगली कड़ी में देश के किसानों को संबोधित करेंगे। यह कार्यक्रम आकाशवाणी पर 22 मार्च को सुबह 11 बजे प्रसारित किया जाएगा। श्मन की बातश् कार्यक्रम की यह छठी कड़ी होगी। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री देश के नागरिकों से अपने विचार साझा करते हैं। इस बार प्रधानमंत्री किसानों व उनसे जुड़ें मुद्दों पर बात करेंगे। इस संबंध में उन्होंने लोगों से विचार और सुझाव भी मांगे हैं। लोग इस विषय पर अपने विचार और सुझाव डलळवअण्पद पर साझा कर सकते हैं।

इससे पहले श्मन की बातश् कार्यक्रम की पांच कड़ियां प्रसारित हुई हैं जिनमें प्रधानमंत्री ने विभिन्न विषयों पर लोगों से सीधे बातचीत की। उन्होंने लोगों के दिल के करीब के मुद्दों जैसे स्वच्छ भारत अभियानए खादी को प्रोत्साहनए कौशल विकासए विकलांग बच्चों के लिए छात्रवृत्तिए शिक्षण संस्थानों के लिए बुनियादी सुविधाएं और नशे की समस्या पर अधिक जोर दिया है। मन की बात की पिछली कड़ी 22 फरवरी को प्रसारित की गई थी जिसमें प्रधानमंत्री ने परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों से तनाव व चिंता त्यागकर सकारात्मक रुख रखने के लिए कहा था।
कार्यक्रम को देश भर की जनता से उत्साहजनक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। आकाशवाणी और दूरदर्शन पर इसका सीधा प्रसारण होता है। इसके अलावा इस कार्यक्रम को रेडियो पर विविध भारतीए एफएम गोल्ड और एफएम रेन्बो पर भी सुना जा सकता है। प्रधानमंत्री का आधिकारिक वेबसाइट पर भी इसकी लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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राष्ट्रपति श्इंडियन पार्लियामेंटेरी डिप्लोमेसी . स्पीकर्स पर्सपेक्टिवश् की पहली प्रति प्राप्त करेंगे

Posted on 19 March 2015 by admin

राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी कल ;19 मार्चए 2015द्ध राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में श्इंडियन पार्लियामेंटेरी डिप्लोमेसी . स्पीकर्स पर्सपेक्टिवश् की पहली प्रति प्राप्त करेंगे।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार द्वारा लिखित इस पुस्तक का प्रकाशन लोकसभा सचिवालय ने किया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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कन्याी बचाओ वह एक धन न कि एक बोझ!!

Posted on 19 March 2015 by admin

हमारी सभ्याता की नियति को संवारने में महिलाओं की भूमिका अहम है। फिर भी ज्याीदातर महिलाओं की अनदेखी होती है और उन्हें  असमानता व अभाव से भी जूझना पड़ता है। यदा.कदा उन्हें  क्रूर हिंसाध्अपराध का सामना करना पड़ता है। भारत में परंपराएंध्रीति.रिवाज बेटियों के अस्तिकत्व  को नकारते रहे हैं। महिलाओं को बराबरी देने के तमाम दावों और इस उद्देश्यक के लिए बनाए गए कानूनों के बावजूद आज भी बड़ी संख्याब में नवजात बच्चि यों को कूड़ेदान में फेंक दिया जाता हैए गर्भ में पल रही बच्च्यिों के लिए भी उनकी माताओं को दुत्काकर दिया जाता है। पक्षपात और भेदभाव के साथ हमारा समाज कन्या ओंध्महिलाओं के साथ दुर्व्यतवहार करता है और इसकी शुरूआत उनके जन्मा से पहले ही हो जाती है। इस पक्षपातपूर्ण रवैये व दुर्व्यकवहार का सामना उन्हेंउ बचपनए किशोरावस्था। और वयस्कण ;गर्भावस्थाबद्ध से लेकर पूरी जिन्द गी करना पड़ता है।
यद्यपि सतीए जौहर और देवदासी जैसी पुरातन कुरितियां अब प्रतिबंधित हैं और आधुनिक भारत में इनके लिए कोई जगह नहीं हैए फिर भी देश के दूरदराज इलाकों से आज भी कुछेक घटनाएं सामने आती हैं। इसी प्रकारए पर्दा प्रथा का प्रचलन शहरों और अभिजात्यं वर्ग में कम हो रहा हैए परंतु ग्रामीण परिवारों में यह आज भी प्रचलित है। घरेलू हिंसाए दहेजए बलात्काहरए छेड़खानीए यौन शोषण और देहव्या पार आदि चिन्ताा के अन्यु विषय हैं। भारत में घरेलू हिंसा सर्वव्याएपी हो गई है और यह तब है जबकि महिलाओं को घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कानूनी तौर पर सुरक्षा प्रदान की गई है।
कन्यााओं के प्रति पक्षपात के कई रूप हैं दृ अपर्याप्तल स्तननपान व भोजन और स्वायस्य्रत  स्वाास्य्े   सेवाओं में देरी उन्हें  कुपोषण का शिकार बनाती हैंए जबकि देखभाल में कमी और अनदेखी उन्हेंा भावनात्म‍क रूप से कमजोर कर देती है। परिवार में कन्याबओं के लिए स्वा स्य्ी  ए पोषणए व्य क्ति त्वप विकास और शिक्षा आदि के लिए पर्याप्ता संसाधन नहीं रखे जाते हैं। ये सभी महिलाओं में उच्चव मृत्युिदर के कारण हैं। भ्रूणहत्याि संभवतरू महिलाओं के प्रति हिंसा का क्रूरतम रूप हैए जो उन्हें् एक आधारभूत और मौलिक अधिकार से वंचित करता हैए जो है दृश्जीने का अधिकारश्। पुराने जमाने में अवांछित कन्याम शिशु को जहर देकरए गला घोंटकर व अन्यर विधियों से मार दिया जाता था।
हमारे समाज में कन्याज शिशु हत्याअ का प्रचलन पुराने समय से हैए लेकिन चिकित्सा  विज्ञान की प्रगति के साथ ही कन्याश भ्रूण हत्याप में लगातार वृद्धि होती चली गई। तकनीकी प्रगति की वजह से जन्मस.पूर्व ;प्री नेटलद्ध लिंग निर्धारण संभव होने लगा और इससे कन्याक भ्रूण हत्याि के मामले बढ़ते चले गए। बेटों को प्राथमिकता या पुत्र मोह की सदियों से चली आ रही परंपराए चिकित्साे तकनीकों के साथ मिलकर भारतीय परिवार को विकल्प  उपलब्धऔ कराता है कि वे बेटियों के लिए भारी दहेज देने के लिए तैयार रहे या फिर जन्मी से पहले ही उन्हेंह खत्म‍ कर दे। परिणामस्व रूपए अभिनव चिकित्साा प्रौद्योगिकी और अधुनातन लिंग निर्धारण तकनीक ;सेल फ्री फोएटल डीएनए टेस्टिं गए अल्ट्रा साउंड स्कै नए एमीनोसेंटेसिस और कोरियोनिक विलस सैम्पेलिंगद्ध का उपयोग या दुरूपयोग कन्या्ओं के जन्मड से पूर्व ही उनसे छुटकारा पाने के लिए किया जाने लगा ।
भारत में जन्म  से ही कन्याय को एक भार.भोजन के लिए अतिरिक्तम मुंह. माना जाता है। कुल मिलाकर कन्यामओं को बोझ और पराया धन समझा जाता है। दूसरी तरफ बेटों का जन्मक वंश का नाम आगे बढ़ाने के लिए आवश्य क माना जाता है। इसलिए बेटों के जन्मन के लिए मनौतियां मांगी जाती हैं। कन्याेओं को सदैव वित्तीमय बोझ के रूप में देखने वाला हमारे घोर पैतृक समाज में इन रूढ़ीवादी कुरितियों की वजह से निम्नत लिंगानुपात वाले ग्रामीण इलाकों में बलात्का रए देहव्याहपार और श्पत्नीप साझा करनाश् समेत महिलाओं के प्रति अन्यव अपराधों में वृद्धि हो रही है।
थॉमसन रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के लिए भारत विश्व  में श्चौथा सर्वाधिक खतरनाक देशश् है।
कुछ क्रूर हाथों ने हमसे साहसी और आने वाले समय में फिजियोथेरेपिस्टव बनने वाली श्निर्भयाश् को छीन लिया। निर्भया के माता.पिता को उसे जन्म‍ देने के लिए बधाई दी जानी चाहिए। सभी की सहानुभूति उनके साथ है। बेटा जो आगे चलकर बलात्कािरी बनता हैए उसकी निन्दाक उचित है। यहां वह कन्या  ;निर्भयाद्ध ही प्रशंसा की हकदार है।
हमें ना‍गरिकोंए विशेषकर पुरूषोंए की मानसिकता और सोच बदलने की जरूरत है। पुरूषों को यह समझाने की जरूरत है कि उन्हेंं सभी उम्र की महिलाओं की इज्जमत करनी चाहिए और इन मूल्योंक को बचपन से ही उनकी मानसिकता में मजबूती से ढालने की जरूरत है। एक बालक को यह समझाने की जरूरत है कि वह न केवल अपनी माताए बहनों और सगे संबंधियों का सम्माान करे बल्कि सम्पकर्क में आने वाली सभी कन्यारओंध्महिलाओं का आदर करे। तभी हमारा समाज शांतिपूर्ण ढंग से रहने के लिए एक सुरक्षित स्थासन होगा।

पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की जनसंख्याे को मापने के लिए लिंगानुपात एक कारगर मानदण्ड  है। जनगणना 2011 के अनुसारए हमारी जनसंख्याग में 1000 पुरूषों पर केवल 940 महिलायें हैं और यह निम्नग लिंगानुपात को दर्शाता है। घटता बाल लिंगानुपात ;0.6 वर्षद्ध गहरी चिंता का विषय है। देश के प्रख्यानत जनसंख्याा विशेषज्ञ प्रोफेसर आशीष बोस ने लुप्तं होती कन्या यें ;मिसिंग गर्ल्साद्ध को लेकर खतरे की घंटी बजाई है और 6 वर्ष से कम उम्र की जनगणना आंकड़ों का अलग से मूल्यां कन करने पर जोर दिया है। जनगणना 2011 के मुताबिक बाल लिंगानुपात घटकर 919 बालिका प्रति 1000 बालक हो गया है। हरियाणाए पंजाबए दिल्ली ए महाराष्ट्रद और गुजरात जैसे विकसित राज्यब भी राष्ट्री य औसत से काफी पीछे हैं। दिल्ली  में बाल लिंगानुपात ;871 बालिकायेंध्1000 बालकद्ध सर्वाधिक कम है। यपिय     राष्ट्रीीय स्त।र पर लिंगानुपात एक सकारात्मबक ट्रेंड को दर्शाता हैए पर बाल लिंगानुपात का गिरना गहरी चिंता का विषय है। महिला जन्म दर के गिरने का एक बड़ा कारण जन्मह के समय कन्याबओं के प्रति हिंसात्महक व्य्वहार भी माना जाता है।
एक ताजा अध्य्यन ;2011द्ध से पता चला है कि 1980 से लेकर 2010 के दौरान करीब 1ण्2 करोड़ कन्या  भ्रूण को गर्भपात के जरिए समाप्त् किया गया। मेक फर्सन ;2007द्ध ने भी पाया था कि प्रत्येकक वर्ष भारी संख्याा में गर्भपात सिर्फ इस वजह से कराया जाता है कि वे कन्याथ भ्रूण हैं। यह भी उल्ले खित किया गया है कि सम्परन्नस और शिक्षित परिवारों में भी लिंग को लेकर गर्भपात कराने की प्रवृत्ति पाई जाती है। यदि पहले से कन्या‍ है तो दूसरे और तीसरे जन्मे में कन्याी भ्रूण की वजह से गर्भपात ज्यापदा होते हैं। महिलायें और बच्चेर अच्छें तादाद के साथ जनसंख्याम का महत्वभपूर्ण हिस्सात हैं और वे राष्ट्र  निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी महिलायें और कन्यामयें असमानता और बहुअयामी अभाव का सामना कर रही है और जब तक भेदभाव का यह कुचक्र समाप्तय नहीं होता तब तक  समावेशी विकास संभव नहीं है। किसी ने सच कहा है कि श्जब हम एक पुरूष को शिक्षित करते हैं तो हम एक व्यनक्ति को शिक्षित कर रहे होते हैंय परन्तुए जब हम एक कन्याेध्महिला को शिक्षित करते हैंए हम पूरे परिवार या कहें तो पूरे राष्ट्रक और मानवता को शिक्षित कर रहे होते हैं।श्
कई महिलाओं ने विभिन्ने क्षेत्रों में राष्ट्री य और अंतर्राष्ट्रीहय स्त रों पर ऊंचाइयों को छुआ है। यदि उनके माता.पिता भी कन्याम भ्रूण हत्याऔ को अपनाते तो समाज के विकास में हम उनके योगदान से वंचित रहते।
कन्यान और महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए किए गए उपाय और पहल निम्ना हैं रू
ऽ        बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ. श्श् प्रधानमंत्री ने हाल में ही इस योजना का शुभारम्भक किया। योजना का एक उद्देश्ये निम्ने बाल लिंगानुपात वाले 100 जिलों में स्थिति को सुधारना है और यह माना जा रहा है कि यदि इसे सही ढंग से क्रियान्वित किया गया तो यह भारत को एक आधुनिक लोकतंत्र बनाने में बेहद कारगर होगा।
ऽ        सेव द गर्ल चाइल्डं का उद्देश्य लिंग के आधार पर गर्भपात को समाप्तं करना है ताकि कन्या  भ्रूण हत्या  से निजात मिले।
ऽ        भारत सरकार ने 2001 को श्महिला सशक्तिकरण ;स्वकशक्तिद्ध वर्षश् घोषित किया थाय राष्ट्री य महिला सशक्तिकरण नीति लागू की गई।
ऽ        कन्यासओं को जीवन के विभिन्नल चरणों में सशर्त नकद प्रोत्‍साहन और छात्रवृत्तियां दी जाती हैं और एकध्दो कन्यावओं के माता.पिता के लिए उच्चो पेंशन लाभ का भी प्रावधान है।
ऽ        बालिकाओं को सशक्तिकरण के लिए लाडली योजना शुरू की गई है और राज्यों् में भी इस तरह की योजनायें चलाई जा रही हैं।
ऽ        सुकन्याल समृद्धि योजनाए बालिका समृद्धि योजना और किशोरी शक्ति योजना

कन्या ओं से संबंधित कुछ मुद्दों को राष्ट्रीनय बाल नीतियों में समाहित किया गया है और निम्न  कार्यक्रमों के तहत उन पर ध्यारन दिया जाता है रू
ऽ        राष्ट्री य बाल नीतिए 1974
ऽ        राष्ट्री य बाल कार्य योजनाए 2005
ऽ        प्री.नेटल डेग्नोास्टिक टेक्नी7क्सा.रेगूलेशन एण्ड  प्रीवेन्शजन ऑफ मिसयूज ;पीएनडीटीद्ध एक्ट.ए 1994
ऽ        प्री. कॉन्सेोप्शिनए प्री.नेटल डेग्नो्स्टिक टेक्नीशक्सन.रेगूलेशन एण्ड  प्रीवेन्शकन ऑफ मिसयूज ;पीसीपीएनडीटीद्ध एक्ट‍ए 2004
ऽ        देह व्याकपार ;इमोरल ट्रेफिकद्ध रोकथाम अधिनियमए 1986
      चूंकि बाल लिंगानुपात तेजी से घट रहा है। सर्वोच्चल न्यारयालय ने कन्या् भ्रूण हत्याश जैसी सामाजिक बुराई की रोकथाम के लिए राज्योंे को उन परिवारों को प्रोत्सानहित व लाभान्वित करने के निर्देश दिए हैं जो कन्‍याओं का श्सम्माान और आदरश् करते हैं।
      समाज में कन्याहध्महिला के सकारात्म क छवि स्था पित करने के लिए नीति निर्धारकोंए योजनाकारोंए प्रशासकोंए प्रशासनिक एजेंसियों और मुख्यम रूप से समुदायों को लिंग भेदी मानसिकता के खिलाफ जागरूक करना बेहद जरूरी है।
      ग्रामीण व कमजोर वर्ग समेत सभी महिलाओं को तत्कांल शिक्षित और सशक्त  करना जरूरी है। इससे परिवार और समुदाय में उनकी स्थिति सुधरेगी। महिला सशक्तिकरण से ही बहुअयामी प्रगति होगीए साथ ही रूढ़ीवादी मान्य ताओं व गैरवैज्ञानिक प्रचलनों से निजात मिलेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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पीले जर्द चेहरों से अब शायद महिलाओं को मुक्ति मिलेः देश में लगभग 6 करोड़ शौचालय बनेंगे - अनुपमा जैन.

Posted on 19 March 2015 by admin

घिरती सांझ का अंधियाराए महिलाओं के कुछ झुंड घूंघट से मुँह ढके कुछ किशोरियों के साथ गांव की दहलीज से निकल कर तेजी से गांव से दूर खेतों की तरफ जा रही हैंए पास की सड़क किनारे कुछ महिलायें बैठी हैंए जो सड़क पर वाहन की रोशनी पड़ते ही तेजी से  उठ कर पीछे की तरफ चल देती हैं। ये तमाम लड़कियां और महिलायेंए वो हैं जो शौच जाने के लिये पीले पड़ते जर्द चेहरों के साथ सांझ गहराने का इंतजार करती हैं ताकि शौच के लिये जा सकेंए या सुबह होने से पहले अंधेरे में घर से बाहर खेतों में या जंगलों मे शौच के लिये चली जाती हैं। यह स्थिति सिर्फ शहरी आबादी से दूर गांवों की ही नहीं है बल्कि शहर की छोटी या यूं कहें गरीब बस्तियों की भी हैए जहां महिलाओं को तो शौच से निवृत होने के लिये शाम का इंतजार करना पड़ता है और पुरूषों को रेल की पटरियों या इधर.उधर भटकना पड़ता है। आंकड़ों के अनुसार आज़ादी के तकरीबन 68 साल बादए आज भी भारत में 62 करोड़ लोग यानी लगभग आधी आबादी खुले में शौच के लिये जाती है। खासकर महिलाओं एवं बच्चि‍यों द्वारा खुले में शौच करने की मजबूरी हमारे लिए बेहद शर्मिंदगी की बात है। आलम यह है कि अनेक गर्भवती माताएं पेट भर खाना महज इसलिये नही खाती है क्योंकि वक्त बेवक्त शौच जाने जैसी बुनियादी सुविधा उन्हे हासिल नहीं है। नतीजतन गर्भ में पल रहा बच्चा तक कुपोषण का शिकार हो जाता है। तमाम प्रयासों के बावजूद भारत में आज भी 12 करोड़ शौचालयों की कमी है। हालांकि निराशा के इस आलम में एक राहत की बात है कि शौचालय बनाना सरकार की अब सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है। इसी समस्या ने निबटने के लिये सरकार की ओर से केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2015.16 का बजट पेश करते हुए ऐलान किया कि उनकी सरकार आने वाले सालों में लगभग 6 करोड़ शौचालय बनाएगी। इसमें 2014.2015 तक 50 लाख शौचालय बना भी लिए गए हैं।

प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी खुद साफ.सफाई को लेकर श्स्वच्छ भारत अभियानश् पर  काफी जोर देते रहे हैं। सरकार का यह ऐलान इसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है। महात्मा गांधी शौचालय को श्सामाजिक बदलाव के औजारश् के तौर पर देखते थे।  गांधीजी को एक प्रेरणा के रूप में रखते हुए गत 02 अक्तूबर को श्स्वच्छ भारत अभियानश् शुरू किया गयाए ताकि वर्ष 2019 में गांधीजी के जन्म की 150वीं वर्षगांठ तक गांधीजी के श्स्वच्छ भारत के सपनेश् को साकार किया जा सके। महात्मा गांधी ने हमेशा स्वच्छता पर बहुत जोर दिया। उनका कहना था कि श्स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा जरुरीश् है।

शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा की कमी के कारण लोगों को खुले में शौच जाने के लिये मजबूर होना पड़ता है। निश्चय ही यह देश की एक बड़ी समस्या है। 2011 की जनगणना के मुताबिक देश भर में 53 प्रतिशत घरों में आज भी शौचालय नहीं हैं। ग्रामीण इलाकों के 69ण्3 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं हैं। सिर्फ गांवों की ही बात करें तो ज्यादातर राज्यों में स्थिति बेहद खराब हैं। झारखंड के 92 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं हैं। ओडिशा के 85ण्9 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं हैं। छत्तीसगढ़ के 85ण्5 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं हैं। बिहार के82ण्4 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं हैं। राजस्थान के 80ण्4  प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के 78ण्2 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं हैं।

पिछले तकरीबन 20 वर्षों के दौरान इस मोर्चे पर हुई प्रगति के बावजूद पूरी दुनिया में सर्वाधि‍क लोग भारत यानी अपने देश में ही शौचालय न होने या आदत अथवा प्रवृत्तिे के कारण खुले में शौच करते हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता के अनुसारए आदत की वजह से खुले मे शौच जाने का तर्क गले ही नहीं उतरता है। यह सभी जगह एक मजबूरी है। अच्छा है अब यह समस्या मुख्य एजेंडा बन गई है। खुले में शौच की शर्मनाक समस्या से वर्ष 2019 के आखि‍र तक निजात पाने संबंधी प्रधानमंत्री के लक्ष्य को सफलतापूर्वक पाने के लिए सभी से इसमें योगदान अथवा श्रमदान करने का आह्वान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉरपोरेट सेक्टर से भी अपील की है कि वे स्कूलों में बच्चि‍योंए लड़कियों के वास्ते शौचालय बनवाने के लिए आगे आएं। इसी प्रयास के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान में लोगों की अधिक से अधिक सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये केंद्रीय कैबिनेट ने ष्स्वच्छ भारत कोषष् का गठन किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत सप्ताह इसकी मंजूरी दे दी। स्वच्छ भारत मिशन में दान देकर देश.विदेश में बैठे लोग आयकर छूट प्राप्त कर सकते हैं। इस दान की धनराशि का उपयोग नये शौचालयों के निर्माण के साथ पुराने शौचालयों की मरम्मत और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में बंद पड़े शौचालयों को चालू करने में किया जाएगा। सरकारीए प्राइमरी व माध्यमिक स्कूलों के साथ आंगनवाड़ी में भी शौचालय बनाने पर जोर दिया जाएगा। लड़कियों के स्कूल में शौचालय बनाने को अहम प्राथमिकता दी जाएगी। शौचालयों में पानी की आपूर्ति की लाइनों की मरम्मत और स्वच्छता कर्मियों को प्रशिक्षण देने में यह धनराशि खर्च की जायेगी। हालांकि इस कोष को नवंबर में ही लांच कर दिया गया थाए पर कैबिनेट के ताजा फैसले से इसे और प्रोत्साहन मिल गया है। गौरतलब है कि किशोरियों की एक बड़ी संख्या स्कूलों मे शौचालय नहीं होने अथवा उनके खस्ताहाल होने की वजह से प्राईमरी शिक्षा के बाद ही स्कूल छोड़ देती है। यह भी सच है कि बच्चि‍यों और महिलाओं के खुले में शौच के लिए जाने के दौरान वह यौन हिंसा की शिकार हो जाती हैंए शौचालय न होने का बड़ा सामाजिक असर महिलाओं की सुरक्षा और साक्षरता पर भी पड़ रहा है। स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से साफ़.सुरक्षित शौचालय के अभाव मेंए किशोर उम्र की लड़कियां अक्सर स्कूल जाना छोड़ देती हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक.करीब 47 फ़ीसदी लड़कियां स्कूल में शौचालय ना होने की वजह से स्कूल छोड़ रही हैं। इसके अलावा 11 से 14 वर्ष उम्र की लगभग 6 फ़ीसदी लड़कियों का स्कूल में नाम तक नहीं लिखवाया जा रहा।

बजट से पूर्व भी केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कहा था कि श्स्वच्छ भारत मिशनश् के तहत बनने वाले सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने राज्यसभा में कहा था कि मिशन के तहत 25 महिलाओं पर एक सामुदायिक शौचालय सीट और 50 महिलाओं पर एक सार्वजनिक शौचालय सीट का निर्माण किया जाएगा। जबकि 35 पुरुषों पर एक सामुदायिक शौचालय सीट व 100 पुरुषों पर एक सार्वजनिक शौचालय सीट का निर्माण किया जाएगा।

हालांकिए ष्खुले में शौचष् आसानी से टाले जा सकने वाली डायरिया जैसी बीमारी का एक अहम कारण है और सिर्फ इसके कारण 5 साल से कम उम्र के तकरीबन 563 बच्चे हर दिन काल के गाल में समा जाते हैं। खुले में शौच के चलते ढेर सारी बीमारियां हमारे देशवासियों को अपनी गिरफ्त में लेती जा रही हैं। इससे हम कमोबेश अनभि‍ज्ञ हैं। इसके अलावा अस्वच्छ भारत के कारण पर्यटक नाक.भौं सिकोड़ते हैं। इस वजह से भी देश में विदेशी मुद्रा का प्रवाह नहीं बढ़ पाता है। हैरानी की बात है कि 1986 से अब तक शौचालय बनाने पर 18 हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और ये रकम भारत के श्मिशन मंगलश् पर खर्च से 40 गुना ज्यादा है। पिछले 30 साल में 10 करोड़ शौचालय बनेए लेकिन हालात खास बेहतर नहीं हुए। खुशी की बात यह है कि अब जा कर इतनी बड़ी इस समस्या को सर्वोच्च प्राथमिकता माना गया है। खुले में शौच करने वाले विकासशील देशों को देखें तो इसके सबसे ज्यादा त्रस्त होने वालों में भारतीय हैं। बांग्लादेश और नेपाल में भी हालात भारत से बेहतर हैं। आंकड़े निराशाजनक जरूर हैं पर एक उम्मीद सी जगी है कि अब खुले में शौच करने की समस्या शीघ्र ही समाप्त होगी। सभी के लिए शौचालय.सुविधा सुनिश्चित करने के लिए हमें राजनीतिक दृढ़ इच्छाशक्ति अब नज़र आने लगी है। लगता है शौचालय जैसी सुविधा का बुनियादी हक सभी को मिलेगा और स्वच्छ भारत एक हकीकत होगा। घर की कोई बेटी.बहू पीले पड़ते जा रहे चेहरे से शौच के लिये शाम का इंतजार नही करेगी और कोई बच्चा या पुरूष शौच जाने के लिये रेल की पटरी या इधर.उधर किसी कोने के लिये नही भटकेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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स्वअच्छ भारत अभियानरूभाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र ;बीएआरसीद्ध द्वारा विकसित स्वअदेशी प्रौद्योगिकियों की भूमिका

Posted on 19 March 2015 by admin

माननीय प्रधानमंत्री ने 2 अक्तूाबर 2014 को स्वरच्छब भारत अभियान की शुरुआत की जिसने न केवल भारत में अपितु विश्व  में सभी का ध्यानन आकर्षित किया है। सरकार ने अपने आसपास के इलाकों को स्वअच्छव और साफ बनाए रखने के लिए जनता में जागरुकता विकसित करने के कई कदम उठाए हैं। सरकार नदियोंए रेलवे स्टे शनोंए पर्यटन केन्द्रों  और अन्यआ सार्वजनिक स्था नों की सफाई पर भी विशेष ध्यालन दे रही है।
स्व्च्छ‍ता का लक्ष्यभ हासिल करने के लिए जागरुकता के अलावा बेकार सामग्री को उपचारित करने की प्रौद्योगिकी विकसित किए जाने की जरूरत है। बेकार सामग्री को उपचारित करने की कई प्रौद्योगिकियां हैं। ये सभी प्रायरू बहुत महंगी मानी जाती हैं और समझने में जटिल हैं और केवल बड़े आकार की इकाइयों के लिए व्यारवहारिक हैं। साथ ही स्व देशी प्रौद्यो‍गिकियों में कम पूंजीगत लागत होती है और इस्तेामाल करने में आसान हैं तथा इन्हेंा विभिन्नो आकार की इकाइयों में प्रयोग में लाया जा सकता है। भारत में खासतौर पर ये प्रौद्योगिकियां लघु व मध्यंम इकाइयों के लिए समुचित हैं। इस दिशा में परमाणु ऊर्जा विभाग ने अहमदाबाद में जनवरी 2015 को गुजरात प्रौद्योगिकी विश्वाविद्यालय में जलए व्योर्थ जल और ठोस कचरा प्रबंधन स्‍वदेशी प्रौद्योगिकियों के बारे में राष्ट्रीपय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य1 भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्रर में स्वीच्छक भारत अभियान के  अंतर्गत विकसित ऐसी स्वउदेशी प्रौद्योगिकियों की जानकारी का प्रसार करना और अनुसंधान केन्द्रों  में अनुसंधान तथा प्रौद्योगिकियों के व्या वहारिक अनुप्रयोग के बीच की खाई को दूर करना था।
बीएआरसी इन प्रौद्योगिकियों के विकास में महत्व्पूर्ण भूमिका निभा रहा है। इनमें से कुछ प्रौद्योगिकियां निम्नंलिखित हैं.
स्व देशी जल शोधन प्रौद्योगिकियां
इन प्रौद्योगिकियों से छोटे गांवों और बड़े शहरों में पेय जल की गुणवत्ताइ में सुधार लाया जा सकता है। इनमें दबाव से चालित मेमब्रेन प्रक्रियाओं का इस्तेलमाल किया जाता है। ये सभी क्षमता की इकाइयों के लिए समुचित हैं। इन्हें् घरेलू स्तेर की इकाई या सामुदायिक स्तयर की इकाई से लेकर बड़े स्त र की इकाई में काम में लाया जा सकता है। जल शोधन प्रौद्योगिकियां परमाणु और सौर ऊर्जा में भी इस्तेामाल होती हैं।
पर्यावरण हितैषी प्लास्मार प्रौद्योगिकियां
ठोस कचरा डालने के स्थामनों या लैंडफिल स्थांनों के लिए अधिक बड़ी भूमि की जरूरत होती है जो कि शहरी क्षेत्रों में उपलब्धि नहीं है। ठोस कचरे  को इस तरह जमा करने से पर्यावरण प्रदूषित होता है बशर्तें कि जमा कचरे का डिजाइन या प्रचालन सही तरीके से न  किया जाए। कचरा उपचार के लिए थर्मल प्लामस्मा प्रौद्योगिकी सर्वश्रेष्ठे है। इस प्रौद्योगिकी से खतरनाक और विषैले तत्वों  को अधिक तापमान में मूल रासायनिरक तत्वोंह में अलग.अलग किया जाता है और इनओर्गेनिक सामग्री को विट्रीफाइड मास में और ओर्गेनिक  सामग्री को पायरोलाइज्डै या गैसीफाइड में बदलकर उड़नशील गैसों ;एच2 और सीओद्ध और निचली हाईड्रोकार्बन गैसों में कम तापमान ;500.600 ओसीद्ध में परिवर्तित किया जाता है। शेष बची सामग्री को प्लाैसमा पायरोलेसिस के इस्ते0माल से निपटाया जाता है।
अनूठे बहुचरणीय उपचार सोल्यूाशन

अनूठे बहुचरणीय उपचार सोल्यूलशन का कार्यान्वेयन वर्तमान एसटीपी से किया जा सकता है जो सीवेज को पूरी तरह कुशलता के साथ उपचारित नहीं कर सकते। इस सोल्यूसशन का कार्यान्वीयन नदियों या नालों के मुहाने पर मॉड्यूलर या कंटेनर के रूप में किया जा सकता है क्यों कि इन स्थादनों से नदियों में व्यडर्थ पानी गिरता है। इसका कार्यान्व यन आवासीय परिसरों और छोटी सोसायटियों में भी किया जा सकता है। इसके फायदे हैं. कोई दुर्गंध नहींए बिजली की कम लागतए पम्पिग से वापिस कचरा नहीं आना।
जल संसाधन विकास और प्रबंधन में पर्यावरणीय आईसोटॉप तकनीक की भूमिका
इस तकनीक का इस्तेरमाल जमीन के स्त र पर पानी और भू.जल में मिलावट की किस्मा का पता लगाने के लिए किया जाता है। इससे मिलावट के स्रोतए जलाशयों में प्रदूषण के स्त रए भू.जल में क्षारता आदि का पता चलता है जिससे उपचार के उपाय किए जा सकते हैं।
घरेलू जल शोधन के लिए यएफ मेमब्रेन प्रौद्योगिकी
बीएआरसी ने मेमब्रेन आधारित जल शोधन प्रौद्योगिकी के वाटर फिल्टसर विकसित किए हैं जिनका निर्माण सोंधका द्वारा किया गया है। इनका इस्तेवमाल बहुत आसान है और पानी में मिलावट और अन्यस खतरनाक तत्वोंा को हटाने में कम लागत आती है।
आकृति कार्यक्रम के माध्यरम से ग्रामीण क्षेत्रों में बीएआरसी घरेलू जल शोधक
आकृति कार्यक्रम के अंतर्गत सुरक्षित पेय जलए ग्रामीणों के साथ संपर्कए घरेलू जल शोधक उत्पा दनों के लिए उद्यमशीलता के विकास और जागरुकता के लिए सर्वेक्षण किए गए हैं। ग्रामीण मानव और संसाधन विकास सुविधा बीएआरसी प्रौद्योगिकियों का प्रसार कर रही है जिसके तहत गांवों के लिए शुद्ध पेय जल की स्कीपम शुरू की गई है।
स्थाेनीय निकाय सीवेज सलज रेडिएशन हाईजीनाईजेशन
घरों से निकले मानवीय मल तथा अन्यज मल से निकले व्युर्थ जल को सीवेज कहा जाता है। इसमें 99ण्9 प्रतिशत पानी और लगभग 0ण्1 प्रतिशत ठोस होता है। यह ठोस पदार्थ ओर्गेनिक होता है और इसे एसटीपी में अलग.अलग करके सीवेज सलज का उत्पा्द बनाया जाता है। रेडियेशन हाइजीनाईजेशन प्रक्रिया में सलज को रेडिएशन टैक्नो लॉजी से हाइजेनाइज किया जाता है। ऐसे रेडिएशन संयंत्र चिकित्साम उत्पाशदों को स्टजरलाइज करने के लिए काम कर रहे हैं।
रिफ्यूज से बने र्इंधनरू स्था‍नीय निकाय ठोस कचरे का उभरता प्रसंस्क रण
ऐसे प्रसंस्कनरण को कोयला ऊर्जा का स्थाननापन्नक माना जाता है। कचरे को ईंधन के लिए उपयोगी बनाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है।
निष्कीर्षरू उपरोक्ति वर्णित प्रौद्योगिकियां जल उपचार और ठोस कचरा प्रबंधन में काफी मददगार साबित हो सकती हैं। ठोस कचरे को आमतौर पर चिंता का विषय माना जाता है। अगर इसका समुचित उपचार किया जाए तो यह ऊर्जा का सतत स्रोत बन सकता है।
इन प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देना उद्देश्यय होना चाहिए। अनुसंधान के बाद अनुसंधान और जमीनी स्तंर पर कार्यान्व़यन की खाई दूर की जानी चाहिए। इस काम में विभिन्नन विभागोंए शहरी स्थावनीय निकायों ए परामर्शदाताओं और ठेकेदार जैसे सभी पक्षों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि इन प्रौद्योगिकियों का इस्तेनमाल लघुए मध्यरम और बड़ी इकाइयों में किया जा सके और इनसे भारत को स्वोच्छ‍ बनाने के लिए स्वओच्छक भारत अभियान के अंतर्गत महत्व पूर्ण योगदान दिया जा सके।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि

Posted on 19 March 2015 by admin

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश की सत्ता सम्हालते ही यह स्पष्ट कर दिया था कि अब कानून का ही राज चलेगा। अपराधियों की जगह जेल में होगी और किसी निर्दोष को व्यर्थ परेशान नहीं किया जाएगा। महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों एवं किसी भी वर्ग के कमजोर लोगों पर जुल्म ज्यादती बर्दाश्त नहीं होगी। अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग रोका जाएगा तथा दहशतगर्दी के झूठे आरोपों में फंसे नौजवानों को रिहा किया जाएगा।
प्रदेश में अपराध नियंत्रण के लिए कई स्तरों पर प्रभावी कदम उठाए गए हैं। बड़े महानगरों के चैराहों पर सीसीटीवी कैमरे जीपीएस युक्त पेट्रोल वाहन से गश्त तथा आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित कानपुर व लखनऊ में कंट्रोल रूम की स्थापना और साइबर क्राइम ब्रांच के गठन के साथ प्रदेश में दो साइबर इकाइयां आगरा व लखनऊ में स्थापित की गई है। समाजवादी सरकार ने राज्य सुरक्षा आयोग का भी पुर्नगठन किया हैं। इसको राज्य में दक्ष, प्रभावी एवं उत्तरदायी पुलिस बलका विकास करने के मार्गदर्शक सिद्धांत तय करने की जिम्मेदारी दी गई है।
समाजवादी सरकार ने प्रदेश में सिटी सर्विलांस सिस्टम लागू किए जाने हेतु मुख्यमंत्री जी ने वर्ष 2015-16 के बजट में 50 करोड़ रूपए की व्यवस्था की है। मुख्य महानगरों में एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली के लिए भी 50 करोड़ रूपए बजट में रखे गए है। प्रदेश के सभी जनपदो में सड़क दुर्घटनाओं आदि की सूचना देने हेतु टोल फ्री ट्रैफिक हेल्पलाइन के लिए टेलीफोन नं0 1073 स्थापित किया गया है।
मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में गत दिवस हुई कैबिनेट की बैठक में अपराधिक तत्वों पर कठोर अंकुश लगाने के लिए उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अध्यादेश 2015 तथा उत्तर प्रदेश गुण्डा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक 2015 को मंजूरी दी गई है। इसके तहत गोवध,मवेशियों की तस्करी, पशुओं के प्रति क्रूरता में संलग्न लोगों पर कार्यवाही होगी। जाली नोट छापने, चलाने और नकली दवा के धंधे से जुड़े लोगों पर गैंगस्टर ऐक्ट में कार्यवाही होगी।
राज्य की सुरक्षा, लोक व्यवस्था और जीवन को गति को प्रभावित करनेवाले अपराधों में संलिप्त होनेवालों पर भी नए गैंगस्टर ऐक्ट के तहत कार्यवाही करने का सरकार ने निर्णय ले लिया है। दरअसल सरकार अपराधों पर नियंत्रण के लिए बड़ी ईमानदारी से कोशिश कर रही है क्योंकि मुख्यमंत्री जी बारबार यह कह चुके हैं कि कानून व्यवस्था की स्थिति से ही सरकार की छवि प्रभावित होेती है। इसलिए वे पुलिस में 41,610 आरक्षी पदों की भर्ती प्रक्रिया भी शुरू कर रहे है। उनके इन प्रयासों से शीघ्र ही प्रदेश आदर्श प्रदेश बन सकेगा।
खेद है कि कुछ विपक्षी बराबर बिगड़ती कानून व्यवस्था का रोना रोते रहकर माहौल बिगाड़ने से लगे रहते है। इनमें वे विपक्षी दल शामिल है जिनके समय अपराधो की एफआईआर भी दर्ज नहीं होती थी। एक दल की अध्यक्ष ने तो सार्वजनिक रूप से माना था कि उनके दल में 500 अपराधी तत्व है। उनके कई मंत्री और विधायक हत्या, बलात्कार, लूट में जेल भी गए थे। ऐसे लोग जब समाजवादी पार्टी की आलोचना करते हैं तो आश्चर्य होता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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उत्तराखण्ड महोत्सव पांचवा दिन (18 मार्च 2015)

Posted on 19 March 2015 by admin

पावन गोेमती तट प0 गोबिन्द बल्लभ पंत पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन में उत्राखण्ड महापरिषद द्वारा (10 दिवसीय महोत्सव) 23 मार्च तक चलने वाले इस उत्राखण्ड महेात्सव मे अनेक प्रदेश राजस्थान, असम, मणिपुर गुजरात हरियाणा  पंजाब झारखण्ड उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के सांस्कृतिक दलो ने अपने कला व संस्कृति की अनोखी छटा को बिखेरते हुये अपना प्रर्दशन किया। वही उत्राखण्ड महोत्सव के पांचवे दिन काफी भीड़ देखने को मिली
उत्राखण्ड महापरिषद के अध्यक्ष श्री मोहन सिंह बिष्ट जी ने बताया कि गुरूवार को होने वाले सायःकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मशहुर बालीवुड पाश्र्व गायक अलताफ राजा मुम्बई से अपने पुरी टीम के साथ तथा उत्राखण्ड से दिगारी इवेन्टस एंव म्यूजिकल के कलाकार लखनऊ पहुच रहें है।
महापरिषद के महासिचव श्री हरीश चंद पंत ने बताया कि श्री राजेन्द्र चैधरी, माननीय कैबिनेट मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार एवं श्री गोपाल टंण्डन माननीय विधायक लखनऊ पूर्वी क्षेत्र द्वारा उत्तराखण्ड महोत्सव के अवसर पर उत्राखण्ड महापरिषद भवन के लिए पांच लाख रूपये की घोषणा की जिसके लिए उत्तराखण्ड महापरिषद द्वारा उनका आभार व्यक्त किया गया।
उत्तराखण्ड महापरिषद के सचिव श्री भरत सिंह बिष्ट ने बताया कि महोत्सत स्थल पर भारत सरकार विकास आयुंक्त हस्त शिल्प एंव उत्राखण्ड हथकरघा एंव हस्तशिल्प विकास परिषद उद्योग निदेशालय देहरादून द्वारा लगे स्टालो मे बनारस की बनारसी साड़ी पंजाब की फूलकारी सूट एंव साड़ी रामपुर की मशहुर पैचवर्क साड़ी फैन्सी सूट बैड सीट व दीवान सैट गुजराती साड़ी भागलपुर (विहार) की प्योर टसर सिल्क साड़ी और वर्ड क्लास के कपड़े महिलाओं और बच्चो आदि के स्टाल लगे है उत्राखण्ड की शाल जूट काटन के  कुर्तंे कमीज, जूट से निर्मित चप्पले विभिन्न प्रकार की पहाड़ी दाल मसाले पापड़ जूस, गेठी, जो जोड़ दर्द व शुगर के मरीज को फायदा करती है अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई सहित कई सामग्री महोत्सव में आये लोग जमकर खरीद रहे है।
महोत्सव के सायः कालीन सत्र पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का विधिवत सुभारम्भ दीप प्रज्वलन करके श्री किशन सिंह बिष्ट कुमाऊॅ ज्वैलर्स एवं श्री दीपक हेडिया दीप ज्योति तथा श्री खुशाल सिंह बिष्ट भाग्यश्री इलैक्ट्रिानिक्स लखनऊ द्वारा किया गया। तत्पश्चात अध्यक्ष श्री मोहन सिंह बिष्ट महासचिव            श्री हरीश चन्द्र पंत सचिव श्री भरत सिंह, श्री मंगल सिंह रावत श्री दिवान सिंह अधिकारी द्वारा अतिथियों का माल्यापर्ण एवं  कर अतिथि का स्वागत प्रतीक चिन्ह भेट कर सम्मानित किया।
देव भूमि उत्तराखण्ड के पारम्परिक एवं प्रेरणादायी परम्पराओं पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का विवरण-
1.    हेेमा बिष्ट व अजंली के निर्देषन मे उत्तराखण्ड महापरिषद की प्रस्तुति गणेष वन्दना -गणेषा गणेषा से-षुरूवात हुयी कलाकार अजंली यादव ,मानसी, भूमिका, आंचल, कामना बिष्ट ,तान्या मेहरा,
2.    त्रिलोचनी रावत  के निर्देषन मे उत्तराखण्ड महापरिषद की प्रस्तुति झोड़ा नृत्य- मै तै नीति बौडर माजी कसीकै जौला कलाकार- लाजवती नैथानी, विजय नेगी, सर्वेषी सिमवाल,षकुन्तला धुमा, मधू, कमला, विमला रावत, कुसमा नेगी, सुषीला नेगी, हेेमा बिष्ट
3.    हेेमा डोलिया  के निर्देषन मे उत्तराखण्ड महापरिषद की प्रस्तुति झोड़ा नृत्य- बागेष्वर की विमला छोरी त्वीलै धारू बौला कलाकार-हेमा डोलिया,आषा डोलिया, आषा बिष्ट शुधा चन्दोला,भावना  दीपा मेहता, माया नेगी, सावित्री बोरा पूनम, लता देवड़ी।
4.    रीना कंचन के निर्देषन में कंचन मधुर कला संगम की प्रस्तुति अवधी नृत्य- सौ रूपये की साड़ी दो सौ कढाई, सरोता कहा भूलि गयो प्यारे नन्दोईया, र
5.    राजस्थानी नृत्य-मारू पी बाडो भालों लागे -कलाकार - सुरेष शर्मा अर्चना , रतन माला , राम शरन, सुषील शोलंकी, पिंटू चैहान, राजू दीवाना,
6.    गायन -रीना कंचन जी
7.    श्रीमती रिचा जोषी की एकल गायन प्रस्तुति कुमाऊॅनी गढवाली एवं अवधी भोजपुरी।
8.    सरोेज खान डांस एकेडमी की प्रस्तुती -सुफी नृत्य, ऐ दीपा मिजात दीपा, भोजपुरी नृत्य  - छोरा हुआ जवान - - ख्वाजा मेरे ख्वाजा -दीक्षा, अमित, आकाष, प्रीती, शालीनी, अपर्णा प्रियंका, अमित कुमार, अष्विनी, राधव, अमन, रत्नेष,
9.    तनमय चतुर्वेदी की एकल गायन प्रस्तुती  को दर्षकों ने काफी सराहा।
10.    कल के कार्यक्रम- दिनांक 19 मार्च 2015 (गुरूवार)
1.    दिन में 2 बजे से विभिन्न प्रतियोगिताएं डास, गायन, मेंहदी रचना आदि।
2.    सांयकाल में मुम्बई के मषहूर वालीउड पाष्र्व गायक ‘‘अल्ताफ़ रजा‘‘ की प्रस्तुति।
3.    उत्तराखण्ड महापरिषद के कलाकारों की प्रस्तुतियाॅ।
4.    दिगारी इवेन्टस एवं म्यूजिकल ग्रुप की भब्य एवं सुन्दर प्रस्तुति।
5.    राजस्थान के कलाकारों द्वारा भवई एवं अन्य प्रस्तुतियाॅ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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फिटजी लखनऊ के 65 छात्र एनटीएसई परीक्षा 2015 के पहले चरण में चुने गए

Posted on 19 March 2015 by admin

उत्तर प्रदेश के लखनउ जिले से फिटजी के 65 छात्रों ने अपनी बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। उन्हांेने नेशनल टैलेंट सर्च एग्जामिनेशन यानी एनटीएसई-2015 की पहले चरण की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। ये सभी छात्र फिटजी के लाॅंग ड्युरेशन क्लासरूम कार्यक्रम के हैं।
नेशनल टैलेंट सर्च एग्जामिनेशन स्कूली छात्रों के लिए आयोजित होने वाली देश की सबसे प्रतिष्ठित स्काॅलरशिप योग्यता परीक्षा है। इस परीक्षा का संयोजन स्टेट काउंसिल आॅफ एजुकेशन रिसर्च एंड टृेनिंग, इलाहाबाद द्वारा किया गया था। फिटजी देश भर में स्कूली स्तर की तमाम परीक्षाओं की सफल तैयारी के मामले में देश का सबसे प्रतिष्ठित संस्थान है।
अपनी सफलता से बेहद उत्साहित छात्रों ने कहा कि, ’’यह प्रतियोगिता बेहद कठिन थी, जिसमें दिमागी स्तर पर जंग लड़नी थी। इसकी सफलता का मूल मंत्र था, बेहद कम समय सीमा में काॅंसेप्ट और रीज़निंग से जुड़े सवालों के जवाब देना। इस तरह की परीक्षाएं उत्तीर्ण करने के लिए बेहद कठिन प्रैक्टिस की जरूरत होती है। हम फिटजी के अपने फैकल्टी के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने अपने स्टडी मटीरियल, डाउट्स क्लीयर करने के तरीकों और व्यक्तिगत दिशानिर्देशन के माध्यम से हमारा आईक्यू स्तर इस प्रतियोगी परीक्षा के स्तर का बनाया। हमारी सफलता के सबसे बड़े कारणों में से ये एक कारण है।’’
नैशनल टैलेंट सर्च एग्जामिनेशन-2015 के पहले  चरण की राज्य स्तरीय परीक्षा का आयोजन 2 नवंबर 2014 को किया गया था और इसके परिणामों की घोषणा 12 मार्च 2015 को की गई है।
उत्तीर्ण छात्र एनटीएसई-2015 की द्वितीय चरण की परीक्षा में हिस्सा लेंगे, जिसका आयोजन एनसीईआरटी, दिल्ली द्वारा इसी साल मई महीने के दूसरे सप्ताह में किया जाएगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी होली मिलन समारोह का आयोजन

Posted on 19 March 2015 by admin

प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी होली मिलन समारोह का आयोजन दिनंाक 19.3.2015 को सायं 4.00 बजे संघ भवन, डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ, लो0नि0वि0, 96 एम0जी0 मार्ग, लखनऊ मे किया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि इं0 ए0के0 गुप्ता, प्रमुख अभियंता, ष्विकास एवं विभागाध्यक्ष, लो0नि0वि0 होंगे। संघ द्वारा अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया है, इस कार्यक्रम में आप सादर आमंत्रित है।
अतः आपसे अनुरोध है कि उक्त समारोह के कवरेज हेतु प्रतिनिधि/छायाकार भेजने का कष्ट करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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