माननीय प्रधानमंत्री ने 2 अक्तूाबर 2014 को स्वरच्छब भारत अभियान की शुरुआत की जिसने न केवल भारत में अपितु विश्व में सभी का ध्यानन आकर्षित किया है। सरकार ने अपने आसपास के इलाकों को स्वअच्छव और साफ बनाए रखने के लिए जनता में जागरुकता विकसित करने के कई कदम उठाए हैं। सरकार नदियोंए रेलवे स्टे शनोंए पर्यटन केन्द्रों और अन्यआ सार्वजनिक स्था नों की सफाई पर भी विशेष ध्यालन दे रही है।
स्व्च्छता का लक्ष्यभ हासिल करने के लिए जागरुकता के अलावा बेकार सामग्री को उपचारित करने की प्रौद्योगिकी विकसित किए जाने की जरूरत है। बेकार सामग्री को उपचारित करने की कई प्रौद्योगिकियां हैं। ये सभी प्रायरू बहुत महंगी मानी जाती हैं और समझने में जटिल हैं और केवल बड़े आकार की इकाइयों के लिए व्यारवहारिक हैं। साथ ही स्व देशी प्रौद्योगिकियों में कम पूंजीगत लागत होती है और इस्तेामाल करने में आसान हैं तथा इन्हेंा विभिन्नो आकार की इकाइयों में प्रयोग में लाया जा सकता है। भारत में खासतौर पर ये प्रौद्योगिकियां लघु व मध्यंम इकाइयों के लिए समुचित हैं। इस दिशा में परमाणु ऊर्जा विभाग ने अहमदाबाद में जनवरी 2015 को गुजरात प्रौद्योगिकी विश्वाविद्यालय में जलए व्योर्थ जल और ठोस कचरा प्रबंधन स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के बारे में राष्ट्रीपय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य1 भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्रर में स्वीच्छक भारत अभियान के अंतर्गत विकसित ऐसी स्वउदेशी प्रौद्योगिकियों की जानकारी का प्रसार करना और अनुसंधान केन्द्रों में अनुसंधान तथा प्रौद्योगिकियों के व्या वहारिक अनुप्रयोग के बीच की खाई को दूर करना था।
बीएआरसी इन प्रौद्योगिकियों के विकास में महत्व्पूर्ण भूमिका निभा रहा है। इनमें से कुछ प्रौद्योगिकियां निम्नंलिखित हैं.
स्व देशी जल शोधन प्रौद्योगिकियां
इन प्रौद्योगिकियों से छोटे गांवों और बड़े शहरों में पेय जल की गुणवत्ताइ में सुधार लाया जा सकता है। इनमें दबाव से चालित मेमब्रेन प्रक्रियाओं का इस्तेलमाल किया जाता है। ये सभी क्षमता की इकाइयों के लिए समुचित हैं। इन्हें् घरेलू स्तेर की इकाई या सामुदायिक स्तयर की इकाई से लेकर बड़े स्त र की इकाई में काम में लाया जा सकता है। जल शोधन प्रौद्योगिकियां परमाणु और सौर ऊर्जा में भी इस्तेामाल होती हैं।
पर्यावरण हितैषी प्लास्मार प्रौद्योगिकियां
ठोस कचरा डालने के स्थामनों या लैंडफिल स्थांनों के लिए अधिक बड़ी भूमि की जरूरत होती है जो कि शहरी क्षेत्रों में उपलब्धि नहीं है। ठोस कचरे को इस तरह जमा करने से पर्यावरण प्रदूषित होता है बशर्तें कि जमा कचरे का डिजाइन या प्रचालन सही तरीके से न किया जाए। कचरा उपचार के लिए थर्मल प्लामस्मा प्रौद्योगिकी सर्वश्रेष्ठे है। इस प्रौद्योगिकी से खतरनाक और विषैले तत्वों को अधिक तापमान में मूल रासायनिरक तत्वोंह में अलग.अलग किया जाता है और इनओर्गेनिक सामग्री को विट्रीफाइड मास में और ओर्गेनिक सामग्री को पायरोलाइज्डै या गैसीफाइड में बदलकर उड़नशील गैसों ;एच2 और सीओद्ध और निचली हाईड्रोकार्बन गैसों में कम तापमान ;500.600 ओसीद्ध में परिवर्तित किया जाता है। शेष बची सामग्री को प्लाैसमा पायरोलेसिस के इस्ते0माल से निपटाया जाता है।
अनूठे बहुचरणीय उपचार सोल्यूाशन
अनूठे बहुचरणीय उपचार सोल्यूलशन का कार्यान्वेयन वर्तमान एसटीपी से किया जा सकता है जो सीवेज को पूरी तरह कुशलता के साथ उपचारित नहीं कर सकते। इस सोल्यूसशन का कार्यान्वीयन नदियों या नालों के मुहाने पर मॉड्यूलर या कंटेनर के रूप में किया जा सकता है क्यों कि इन स्थादनों से नदियों में व्यडर्थ पानी गिरता है। इसका कार्यान्व यन आवासीय परिसरों और छोटी सोसायटियों में भी किया जा सकता है। इसके फायदे हैं. कोई दुर्गंध नहींए बिजली की कम लागतए पम्पिग से वापिस कचरा नहीं आना।
जल संसाधन विकास और प्रबंधन में पर्यावरणीय आईसोटॉप तकनीक की भूमिका
इस तकनीक का इस्तेरमाल जमीन के स्त र पर पानी और भू.जल में मिलावट की किस्मा का पता लगाने के लिए किया जाता है। इससे मिलावट के स्रोतए जलाशयों में प्रदूषण के स्त रए भू.जल में क्षारता आदि का पता चलता है जिससे उपचार के उपाय किए जा सकते हैं।
घरेलू जल शोधन के लिए यएफ मेमब्रेन प्रौद्योगिकी
बीएआरसी ने मेमब्रेन आधारित जल शोधन प्रौद्योगिकी के वाटर फिल्टसर विकसित किए हैं जिनका निर्माण सोंधका द्वारा किया गया है। इनका इस्तेवमाल बहुत आसान है और पानी में मिलावट और अन्यस खतरनाक तत्वोंा को हटाने में कम लागत आती है।
आकृति कार्यक्रम के माध्यरम से ग्रामीण क्षेत्रों में बीएआरसी घरेलू जल शोधक
आकृति कार्यक्रम के अंतर्गत सुरक्षित पेय जलए ग्रामीणों के साथ संपर्कए घरेलू जल शोधक उत्पा दनों के लिए उद्यमशीलता के विकास और जागरुकता के लिए सर्वेक्षण किए गए हैं। ग्रामीण मानव और संसाधन विकास सुविधा बीएआरसी प्रौद्योगिकियों का प्रसार कर रही है जिसके तहत गांवों के लिए शुद्ध पेय जल की स्कीपम शुरू की गई है।
स्थाेनीय निकाय सीवेज सलज रेडिएशन हाईजीनाईजेशन
घरों से निकले मानवीय मल तथा अन्यज मल से निकले व्युर्थ जल को सीवेज कहा जाता है। इसमें 99ण्9 प्रतिशत पानी और लगभग 0ण्1 प्रतिशत ठोस होता है। यह ठोस पदार्थ ओर्गेनिक होता है और इसे एसटीपी में अलग.अलग करके सीवेज सलज का उत्पा्द बनाया जाता है। रेडियेशन हाइजीनाईजेशन प्रक्रिया में सलज को रेडिएशन टैक्नो लॉजी से हाइजेनाइज किया जाता है। ऐसे रेडिएशन संयंत्र चिकित्साम उत्पाशदों को स्टजरलाइज करने के लिए काम कर रहे हैं।
रिफ्यूज से बने र्इंधनरू स्थानीय निकाय ठोस कचरे का उभरता प्रसंस्क रण
ऐसे प्रसंस्कनरण को कोयला ऊर्जा का स्थाननापन्नक माना जाता है। कचरे को ईंधन के लिए उपयोगी बनाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है।
निष्कीर्षरू उपरोक्ति वर्णित प्रौद्योगिकियां जल उपचार और ठोस कचरा प्रबंधन में काफी मददगार साबित हो सकती हैं। ठोस कचरे को आमतौर पर चिंता का विषय माना जाता है। अगर इसका समुचित उपचार किया जाए तो यह ऊर्जा का सतत स्रोत बन सकता है।
इन प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देना उद्देश्यय होना चाहिए। अनुसंधान के बाद अनुसंधान और जमीनी स्तंर पर कार्यान्व़यन की खाई दूर की जानी चाहिए। इस काम में विभिन्नन विभागोंए शहरी स्थावनीय निकायों ए परामर्शदाताओं और ठेकेदार जैसे सभी पक्षों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि इन प्रौद्योगिकियों का इस्तेनमाल लघुए मध्यरम और बड़ी इकाइयों में किया जा सके और इनसे भारत को स्वोच्छ बनाने के लिए स्वओच्छक भारत अभियान के अंतर्गत महत्व पूर्ण योगदान दिया जा सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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