उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने 17 पिछड़ी जातियों (कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडि़या, मांझी तथा मछुआ) को राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में 7.5 प्रतिशत मात्रात्मक लाभ प्रदान किए जाने का निर्णय लिया है।
उल्लेखनीय है कि इन सभी 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में समिमलित करने हेतु संस्तुति सहित प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जा चुका है, जिस पर अभी तक कोर्इ अनितम निर्णय नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ने इन जातियों के उत्थान हेतु विभिन्न सरकारी योजनाओं में मात्रात्मक लाभ उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया है। इन जातियों के पात्र व्यकितयों को, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा 24 अगस्त, 2013 को निर्गत शासनादेश की तर्ज पर, सम्यक विचारोपरान्त विभिन्न योजनाओं के नियमों में कोर्इ शिथिलीकरण न करते हुए 7.5 प्रतिशत मात्रात्मक लाभ दिया जाएगा।
इन्हें कृषि, लघु सिंचार्इ, पशुधन, पंचायती राज, पिछड़ा वर्ग कल्याण, व्यावसायिक शिक्षा, विकलांग कल्याण, उधान एवं खाध प्रसंस्करण, कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार, ग्राम्य विकास, ऊर्जा, लघु उधोग, बेसिक शिक्षा, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, दुग्ध विकास, गन्ना विकास, मत्स्य विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, लोक निर्माण, सिंचार्इ, खादी ग्रामोधोग, रेशम विकास, पर्यटन, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, युवा कल्याण, नगर विकास, समाज कल्याण, महिला कल्याण तथा समग्र ग्राम विकास विभाग की कुल 76 योजनाओं में 7.5 प्रतिशत मात्रात्मक लाभ उपलब्ध कराया जाएगा।
प्रमुख सचिव समाज कल्याण श्री सुनील कुमार द्वारा सोमवार को जारी किए गए शासनादेश के अनुसार इन पिछड़ी जातियों को उपरोक्त विभागों द्वारा संचालित की जा रही इन योजनाओं में 7.5 प्रतिशत मात्रात्मक लाभ उपलब्ध कराया जाएगा। परन्तु किसी भी योजना के मानदण्डों, मानकों अथवा पात्रता शर्तों में किसी प्रकार का परिवर्तन अथवा उसमें किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाएगी और ये योजनाएं अपने मूलरूप में ही संचालित होती रहेंगी।
सम्बनिधत विभाग, जिसके अन्तर्गत कार्यक्रमयोजना संचालित हो रही है, इस कार्यक्रमयोजना हेतु नोडल विभाग होगा। राज्य स्तर से सम्बनिधत विभाग जनपदवार उपरोक्त 17 जातियों के लिए अपने विभागीय लक्ष्य का 7.5 प्रतिशत मात्राकृत करते हुए तत्काल जनपद स्तरीय विभागीय अधिकारियों को संसूचित करेंगे तथा अपने विभाग से सम्बनिधत योजना की नियमित समीक्षा हेतु निर्धारित प्रपत्रों में यथावश्यकता आवश्यक संशोधन करके उस पर जिलों से सूचना प्राप्त कर समीक्षा करेंगे। उक्त 17 जातियों के लिए मात्राकृत लक्ष्यों की प्रापित के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के संचालन, क्रियान्वयन एवं मानक अनुसार संतृप्तीकरण हेतु सम्बनिधत विभाग के अधिकारी प्रत्येक स्तर पर उत्तरदायी हाेंगे।
इन कार्यक्रमोंयोजनाओं के लक्ष्यों की पूर्ति का अनुश्रवण जिलाधिकारी द्वारा अपनी मासिक बैठकों में अनिवार्य रूप से एक अलग एजेण्डा बिन्दु के रूप में किया जाएगा। राज्य स्तर पर सम्बनिधत विभाग इन कार्यक्रमों के अन्तर्गत नियत लक्ष्य के सापेक्ष उपलबिधयोें के सम्बन्ध में मासिक आधार पर प्रगति की समीक्षा करेंगे तथा तिमाही आधार पर कार्यान्वयन प्रगति की रिपोर्ट अगली तिमाही के 15वें दिन सचिव, समाज कल्याण विभाग को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराएंगे।
योजना के क्रियान्वयन में भविष्य में आने वाली कठिनाइयों के निराकरण, योजना में किसी प्रकार के संशोधन की आवश्यकता अनुभव होने एवं किसी विभाग की कोर्इ अन्य योजना, जो इस योजना की परिधि में आती है, को समिमलित करने के लिए निर्णय लेने हेतु मुख्यमंत्री अधिकृत होंगे। इस निर्णय का क्रियान्वयन सभी सम्बनिधत विभाग उलिलखित योजनाओं पर यथावत लागू करेंगे तथा इसके लिए पुन: मंत्रिपरिषद के समक्ष जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
यदि किसी विभाग को किसी योजना में लक्ष्यों के उपयर्ुक्तानुसार मात्राकरण के सम्बन्ध में कोर्इ कठिनार्इ होती है, तो सम्बनिधत विभाग प्रमुख सचिव समाज कल्याण व मुख्य सचिव के माध्यम से इस बारे में मुख्यमंत्री के आदेश प्राप्त कर लेंगे। सम्बनिधत विभाग द्वारा यह सुनिशिचत किया जाएगा कि उक्त मात्राकरण से केन्æ पुरोनिधानित योजनाओं में भारत सरकार से योजनाओं हेतु अनुमन्य धनराशि प्राप्त होने में कठिनार्इ न हो।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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