भारतीय जनता पार्टी ने कहा रैलियों में अखिलेश सरकार की उपलबिधयों की तुलना गुजरात व नरेन्द्र मोदी से करने की सेखी बघारते सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव अब खुद ही कह रहे है कि सरकार की वजह से पार्टी कमजोर हो रही है। पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा दोनों में से कोर्इ बात तो असत्य है। दरअसल पार्टी में जारी गुटबाजी निष्क्रयता और सरकार में शामिल मंत्रियों की मौज मस्ती के कारण लगातार सपा के घटते ग्राफ से चिनितत सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव का बयान सच की स्वीकारोकित है। पार्टी के राज्य मुख्यालय पर मंगलवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि रैलियाें में विकास के फर्जी डुगडुगी पीट रही सपा जानती है कि वास्तविकता इससे इतर है। विकास ÞकागजोंÞ में शिलांयास कार्यक्रमों, सूचना विभाग के प्रचारपटों में ही हो रहा है। सड़कों की खराब होती दुर्दशा से सभी वाकिफ है और अभी जब भाजपा की रैलियों से तुलना के चक्कर में सरकारी संसाधनों के भरोसे समाजवादी शो हुआ उसमें भी सच उजागर हो गया क्योंकि जो जनता आयी उसने भी इस मुददे पर अपनी राय व्यक्त की। सरकार बिजली, पानी, सड़क जैसे आधारभूत सुविधाओं पर कोर्इ ध्यान नही दे रही है और इस सच को सपा नेतृत्व भी बाखूबी समझ रहा है और यही सच अब जुबा पर भी निकल रहा है।
उन्होने कहा राज्य में सुपर सीएम की तरह काम कर रहे सपा प्रमुख खुद कहते है कि मंत्री मौज-मस्ती में जुटे है। सरकार में चापलूसी से काम हो रहा है, निकम्मे मंत्री हटाये जायेंगे। पर यह कब होगा? चयन का आधार निकम्मे मंत्रियों का क्या होगा? जब पूरी सरकार ही निकम्में लोगों की है तो किसे किसे हटायेंगे कहां से लायेंगे? पार्टी से लेकर सरकार तक अराजकता का वातावरण है उनकी नसीहतों का न तो पार्टी पर असर पड़ता है न ही सरकार पर। बार-बार कानून का पालन करने की नसीहते जारी होती है पर नतीजा सिफर है। कानून व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता है। प्रतिस्पर्धा चल रही है कौन किसकी वजह से कमजोर हो रहा है? सरकार में बैठे लोग पार्टी कार्यकर्ताओं की कारस्तानियों से कमजोर हो रहे है। पार्टी में बैठे लोग कह रहे है कि सरकार की वजह से पार्टी कमजोर हो रही है पर सच यह है कि इन दोनों की वजह से उत्तर प्रदेश विकास की दौड़ में पिछड़ रहा है। कानून व्यवस्था के मोर्चे पर तो सरकार पूरी तौर पर फेल ही है मां बहनों की इज्जत तार-तार होने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। श्री पाठक ने सपा प्रमुख से सवाल करते हुए कहा कि बेहतर हो कि वे यह देख ले कि उन्होने अब तक कितनी बार नसीहते दी और उनका कितना असर पार्टी पर हुआ कितना असर सरकार पर हुआ। नसीहतों का दौर जारी है, सरकार बनते ही सपा प्रमुख ने नसीहते देनी शुरू की। सरकार की कार्यशैली को लेकर सवाल उठाये, पर दो वर्ष होने को है न तो नसीहतों का कोर्इ असर हुआ और न ही नसीहते कम हुर्इ। तय कर लिया है न वे नसीहत देने से बाज आयेंगे और न ही जिनके लिए नसीहते दी जा रही है वे मानने से बाज आयेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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