राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य में बालिका संरक्षण विषय पर उ0प्र0 राज्य समाज कल्याण बोर्ढ द्वारा एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड, नई दिल्ली (महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार) के निर्देषन में उ0प्र0 राज्य समाज कल्याण बोर्ड के द्वारा दिनांक 24 जनवरी, 2013 दिन बृहस्पतिवार को कैपिटल सभागार, हजरतगंज, लखनऊ में किया गया। इस कार्यक्रम में लखनऊ परिक्षेत्र से जुड़े स्वैच्छिक संगठनों के संस्था प्रमुख, कार्यककर्ताओं के साथ साथ स्थानीय षिक्षण संस्थानों के छात्र छात्राओं एवं अनेक समाज सेवियों सहित कुल 500 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा0 (श्रीमती) दिव्या मिश्रा, मा0 अध्यक्ष (राज्यमंत्री), उ0प्र0 राज्य समाज कल्याण बोर्ड, लखनऊ द्वारा की गयी। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में डा0 श्रुति सिडोलिकर काटकर, कुलपति, भातखण्डे संगीत संस्थान, लखनऊ, डा0 नीरज बोरा, प्रबन्ध निदेषक, बोरा पाॅलीक्लीनिक लिमिटेड, लखनऊ, सुश्री राजेन्द्री वर्मा, उप निबन्धक, राज्य महिला आयोग,उ0प्र0 , श्री अनूप मुरारी रंजन, कार्यक्रम अधिकारी, प्लान इण्डिया, उत्तर प्रदेष, श्री महबूब अली, विषेष कार्याधिकारी, फ्री लीगल एड कमेटी ,उत्तर प्रदेष, श्री सुनील कुमार सिंह, अध्यक्ष, राही फाउण्डेषन, श्रीमती शालिनी माथुर, सचिव, सुरक्षा दहेज माॅग विरोधी संस्था तथा उ0प्र0 राज्य बोर्ड की स्थानीय सदस्यो की गौरवमयी उपस्थिति में कार्यक्रम की अध्यक्ष डा0 (श्रीमती) दिव्या मिश्रा, मा0 अध्यक्ष (राज्यमंत्री), उ0प्र0 राज्य समाज कल्याण बोर्ड, लखनऊ द्वारा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया ।
इस अवसर पर प्लान इण्डिया उत्तर प्रदेष एवं उ0प्र0 राज्य समाज कल्याण बोर्ड के संयुक्त प्रयास से बेटी है तो कल है विषय को फोकस करते हुये वार्षिक प्लान कलेन्डर का विमोचन तथा श्रीमती प्रिंसी सिंह द्वारा सेव गर्ल चाइल्ड विषय पर तैयार की गई पेन्टिगं का अनावरण भी कार्यक्रम की अध्यक्ष डा0 (श्रीमती) दिव्या मिश्रा, मा0 अध्यक्ष (राज्यमंत्री), उ0प्र0 राज्य समाज कल्याण बोर्ड, लखनऊ द्वारा किया गया।
इस अवसर पर सभागार में उपस्थित स्वैच्छिक संगठनों के प्रतिनिधियों, समाज सेवियों तथा छात्र छा़त्राओं एवं समस्त गणमान्य व्यक्तियों को सम्बोधित करते हुये डा0 (श्रीमती) दिव्या मिश्रा, मा0 अध्यक्ष (राज्यमंत्री), उ0प्र0 राज्य समाज कल्याण बोर्ड, लखनऊ ने कहा उ0प्र0 राज्य समाज कल्याण बोर्ड द्वारा केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड, नई दिल्ली (महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार) की अखिल भारतीय सम्मानित अध्यक्ष श्रीमती प्रेमा करियप्पा जी के निर्देषन में राष्ट्रीय स्तर पर बालिकाओं एवं महिलाओं के प्रति सोच को स्थापित करने के लिये लखनऊ के इस सभागार में राष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजन में लगे सभी व्यक्तियों, सभागार में उपस्थित स्वैच्छिक संगठनों के सभी प्रतिभागियों, गणमान्य व्यक्तियों, राज्य बोर्ड सदस्यों , बोरा इन्स्टीटयूट आफ मैनेजमेन्ट एण्ड साइंसेज के छात्रों तथा प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया का उ0प्र0 राज्य समाज कल्याण बोर्ड की ओर से आभार प्रकट करती हूॅं और आषा व्यक्त करती हूं कि इस आयोजन के उपरान्त सभी व्यक्ति एवं संगठन बालिकाओं को संबल एवं सुरक्षा प्रदान करने हेतु अपने दायित्व का पालन करेंगें ।
जहाॅं तक बालिकाओं की सुरक्षा एवं संरक्षण का प्रष्न है आज के परिवेष में समाज के कुछ घृणित व्यक्तियों द्वारा जिस तरह के कृत्य कालान्तर में किये गये हैं उनकी इस मंच से मेैं भरपूर भत्र्सना करती हॅंू और ईष्वर से प्रार्थना करती हूॅ कि उन बालिकाओं को, उनके परिवार के लोगो को एवं खुद प्रभावित व्यक्तियों को पुनः अपने को स्थापित करने के लिये शक्ति प्रदान करंे। जहाॅं तक बालिकाओं की स्थिति का प्रष्न है आज की बालिका कल इस देष के भविष्य के रूप में स्थापित होगी लेकिन जेन्डर स्तर पर एकरूपता प्रदान करने हेतु संसाधन और अवसर की आवष्यकता है। इस अवसर को प्रदान करने में अभिभावक, परिवार एवं समाज पूर्णतया असफल रहें है। यदि यह तीनों इकाइयाॅं अपने फर्ज का निर्वाहन बिना भेदभाव के किये होते तो बालिकाओं को इस समाज में स्थान प्राप्त करने के लिये संघर्ष की आवष्यकता नहीं पड़ती। विष्व की लगभग आधी आबादी औरतों की है और उनका सृष्टि की संरचना में हमेषा महत्वपूर्ण योगदान रहा है। नारी के बगैर सृष्टि की कल्पना पूर्णतया बेमानी है। आज की नारी ने हर क्षेत्र में अपने दखल एवं साहसिक कारनामोें से यह सिद्ध कर दिया है कि शारीरिक संरचना की विभिन्नता के बावजूद वे पुरूषों से किसी भी मायने में कम नहीं है। इसके बावजूद विष्व स्तर पर कुछ स्थानों को छोड़कर आज के पितृसत्तात्मक समाज के कारण स्त्री दूसरे स्थान पर रही है और इस दूसरे स्थान का खामियाजा सदैव उसे भुगतना पड़ा है। आज हमारे पूरे देष एवं प्रदेष में बालिकाओं एवं महिलाओं के प्रति अत्याचार, यौन उत्पीड़न एवं दुष्कर्म की घटनायें अखबारों की सुर्खियों में है। यह सब उसके बालिका होने से लेकर उसके महिला होने तक चलता रहता है। अनेक सर्वे इस बात केेेेे प्रतीक है कि महिलायें एवं बालिकायें आज घर के बाहर ही नहीं अपितु घर के भीतर भी असुरक्षित है। आज भी देष में बालिकाओं को जन्म नहीं लेने दिया जाता है और उन्हें गर्भ में ही समाप्त कर दिया जाता है और यह घृणित कार्य समाज के उन षिक्षित एवं समृद्ध लोगों के द्वारा किया जा रहा है जो अपने को षिक्षित एवं सभ्य समाज का प्रतीक मानते है। 2012 का आंकड़ा उत्तर प्रदेष राज्य में 0-6 आयु वर्ग की बालिकाओं की स्थिति को इंगित करने के लिये काफी है जिसमें 332 बालिकायें प्रतिदिन या तो गर्भ में मार दी गई है अथवा उनको मानव तस्करी के माध्यम से बेच दिया गया। क्या यही वास्तविक सभ्य समाज है़? मैं आप सभी का इस ओर ध्यान आकर्षित करने का अनुरोध करती हॅूं और अपील करती हूॅ कि आप अपने परिवार, मोहल्ले एवं आस-पास के लोंगो को इस घृणित कार्य के विरूद्ध संवेदित करने का ह्दय से प्रयास करें। प्रान्तीय स्तर पर सत्ता के शीर्ष पर बैठे सभी सम्मानित माननियों एवं केन्द्र में बैठे सभी सत्ता के प्रमुखों से अनुरोध करूॅंगीं कि उत्तर प्रदेष राज्य के लगभग 40 से अधिक जनपदों में 0-6 आयु वर्ग की बालिकाओं की हत्या के विरूद्ध आवाज उठाने एवं इसके समाधान हेतु नीति निर्धारित करने के लिये कुम्भकर्णीय निद्रा से जागे और इस घृणित कार्य के विरूद्ध दीर्घ कालिक नीति का निर्धारण करे वरना आगे आने वाले दिनों में प्रदेष की आधी आबादी अविवाहित रह जायेगी साथ ही इस समस्या के कारण यौन उत्पीड़न, बालिकाओं का शोषण आदि घटनायें समाज में बढेगीं और समाज विघटन के कगार पर खड़ा हो जायेगा ।
फिर भी मैं यह व्यक्तिगत तौर पर महसूस करती हूॅ कि आज के दौर में बेटा-बेटी एक समान है और यह जरूरी नहीं है कि बेटा जो कार्य कर सकेगा वह बेटी नहीं कर पायेगी । बदलते दौर में परम्पराओं के विरूद्ध जाकर बालिकाओं द्वारा अपने माॅ-बाप के अन्तिम क्रिया के संस्कारों को पूरा करते आज खूब देखा जा रहा है। जहाॅ एक बेटी अन्तरिक्ष में अपने को स्थापित करती है वहीं पर समाज के हर क्षेत्र में अपने कृतित्व से अपनी उपस्थिति सुनिष्चित करती है साथ ही समाज में अधिसंख्य अभिभावक ऐसे है जो बेटी और बेटा में किसी प्रकार का अन्तर नहीं रखते है जरूरत इस बात की है कि ऐसी सोच को सभी अभिभावको में बेटियों के प्रति रखने का जज्बा पैदा किया जाये । मैं अन्त में सभी से अपील करती हॅंू कि समाज का हर व्यक्ति बालिकाओं को हर क्षेत्र में संरक्षण एवं अवसर प्रदान करने में अपनी भूमिका का निर्वाहन करे क्योंकि बेटी है तो कल है ।
इसी कड़ी में उपसिथत जनों को सम्बोधित करते हुये कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डा0 श्रुति सिडोलिकर काटकर, कुलपति, भातखण्डे संगीत संस्थान, लखनऊ,ने कहा कि हजारो साल पुरानी भारतीय संस्कृृति पर हम गर्व करते है मनुष्य वंष के विस्तार के लिये आवष्यक दो पहलू पुरूष और स्त्री है और दोनों का अपना महत्व है केवल अकेले पुरूष वंषवृद्धि का कारण नही हो सकता है। जन्म देने वाली माँ होती है। जनन का कारण और वंष के संरक्षण का जिम्मा पुरूष पर है परन्तु उस वंष की पुष्टि, संस्कार, संयोजन तथा लालन पालन माँ करती है परन्तु अभी भी कई प्रदेषो के परिवारों में लड़की के जन्म को अभिषाप माना जाता है। नवजात कन्या षिषु को कुत्तो के खाने के लिये कूड़ादान में फेका जाता है अपने परिवारजनो से भी अगर बेटियां सुरक्षित नही है तो कौन से अधःपतित समाज में रह रहे है हम? अब हमारी बेटियो की सुरक्षा स्वयं महिलाओ को करनी पड़ेगी ऐसा प्रतीत होता है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये डा0 नीरज बोरा, प्रबन्ध निदेषक, बोरा पालीक्लीनिक लिमिटेड, लखनऊ, ने कहा कि बालिका संरक्षण के पहलुओं में बालिकाओं का स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता का विषय है जिस प्राथमिकता को राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार दोनों को गम्भीरता से लेने की आवश्यकता है क्योंकि कन्या भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध स्वास्थ्य सेवाओं से सीधे जुड़ा हुआ है लेकिन इसके निदान हेतु जन मानस स्तर पर हर व्यक्ति को प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि हमारी पराम्पराओं में विषमताएं बहुत है जिनमें मौलिक परिवर्तन की आवष्यकता है। ”दूधो नहाओ पूतो फलो” जैसे आर्षीवाद देने की परम्परा है उसके स्थान पर अब ”दूधो नहाओ पूत्री फलो” जैसे आर्षीवाद अब देने की आवष्यकता है। षिक्षा, पुलिस एवं कानूनों मेे सुधार की आवष्यकता पर जोर देते हुये कहा कि महिलाओं से सम्बन्धित अधिकार एवं कानूनों को षिक्षा को सम्मिलित किया जाना चाहिये। भारत की बेटियो ने विदेषो में भी जाकर भारत का नाम रोषन किया। कल्पना चावला एवं सुनीता विलियम्स इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। आज भारत में अधिकांष बालिकायें कुपोषण का षिकार है। यही कुपोषित बालिकायें आगे चलकर कुपोषित मातायें बनती है और परिणामस्वरूप मातृृत्व मृृत्यु दर में इजाफा होता है। इसलिये यहां पर उपस्थित छात्रायें यह संकल्प ले कि वह आने वाली सन्तान के लिये कोई भेदभाव नही रखेगी।
बालिका संरक्षण विषय पर प्लान इण्डिया की भूमिका एवं भावी कार्ययोजना विषय पर श्री अनूप मुरारी रंजन, कार्यक्रम समन्वयक, प्लान इण्डिया, उत्तर प्रदेष ने कहा कि हमारे लिए उ0प्र0 बोर्ड के साथ कार्य करना बहुत बड़े गौरव का विषय है प्लान इण्डिया ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेष में कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियान में निरन्तर बोर्ड को हर प्रकार का सहयोग प्रदान कर इस अभियान का सफल बनाया जायेगा साथ ही भविष्य की प्लान इण्डिया की आने वाली योजनाओं के लिए नीति निर्धारिण करते समय उ0प्र0 बोर्ड की निर्धारित प्राथमिकताओं को प्रमुखता से शामिल कर पूरे प्रदेष में महिलाओं और बच्चो के विकास हेतु बोर्ड के प्रयास में प्लान निरन्तर कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ेगा ।
सेमिनार को सम्बोधित करते हुये श्री महबूब अली, विषेष कार्याधिकारी, उ0प्र0राज्य विधिक प्राधिकरण, ने बालिकाओ के अधिकार एवं उनके संरक्षण से संबंधित कानून विषय पर जानकारी प्रदान की तथा महिलाओं से सम्बन्धित विभिन्न अधिनियमों एवं कानूनों की विस्तृृत रूप से व्याख्या की। इसी कड़ी में बालिकाओ के संरक्षण हेतु राज्य महिला आयोग की भूमिका विषय पर सुश्री राजेन्द्री वर्मा, उप निबन्धक, राज्य महिला आयोग,उ0प्र0 ने राज्य महिला आयोग द्वारा महिला संरक्षण की दिषा में किये जा रहे कार्याे के बारे में जानकारी प्रदान की तथा भविष्य में राज्य बोर्ड के साथ मिलकर कार्य करने की इच्छा व्यक्त की। श्रीमती शालिनी माथुर, सािचव, सुरक्षा दहेज माॅग विरोधी संस्था ने बालिका संरक्षण के अंतर्गत कठिन परिस्थितियों मे किषोरी बालिका विषय पर जानकारी प्रदान की तथा कहा कि आजादी के बाद जिन विषमतााअें से हमें जूझाना था वो थी गरीबी भूख, गांव का विकास, अस्प््ष्यता, अषिक्षा आदि। हम लोगो ने आर्थिक एवं तकनीकी तरक्की तो की है परन्तु सामाजिक दिक्कतो से अभी उबरना बाकी है। श्री सुनील कुमार सिंह, अध्यक्ष, राही फाउण्डेषन, उ0प्र0 ने पावर प्वाइंट के माध्यम से राज्य में कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध संचालित अभियान एवं कन्या भ्रूण हत्या से संबंधित आॅकड़ो की जानकारी देते कहा कि आज महिला पुरूष लिगं अनुपात अत्यन्त खराब स्थिति में है जिसमे कि 0-6 आयु वर्ग की बालिकाओ का गिरता लिगं अनुपात बहुत चिन्ता का विषय है तथा जनमानस का ध्यान गिरते हुये लिंग अनुपात की ओर आर्कषित करते हुये उपस्थित जन समुदाय से एक जुट होकर समस्या के समाधान में अपनी भागीदारी निभाने का आवंहन किया।
कार्यक्रम में आम जनमानस की सहभागिता एक हस्ताक्षर अभियान को चलाकर सुनिष्चित की गई। इस हस्ताक्षर अभियान में कार्यक्रम में उपस्थित लगभग 500 प्रतिभागियो अपने हस्ताक्षर दर्ज कर इस अभियान को सफल बनाने का संकल्प लिया।
सेमिनार में आये सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत श्री रणधीर कुमार सिंह, सचिव, उ0प्र0 राज्य समाज कल्याण बोर्ड, लखनऊ द्वारा करते हुये सेमिनार के प्रमुख बिन्दुओं पर प्रकाष डाला गया तथा कार्यक्रम के अन्त में सभी प्रतिभागियों एवं आगत अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। इस अवसर पर राज्य बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एवं कर्मचारी भी उपस्थित रहें।
कार्यक्रम का संचालन श्री एस0पी0 वर्मा, सत्याग्रह समिति, कुषीनगर के द्वारा किया गया ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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