Posted on 06 August 2018 by admin
प्रक्षेत्र फसलों के उत्पादन में व्रद्धि हेतु जैविक कृषि तथा किसानों की आय को दोगुना करने हेतु एक कृषक गोष्ठी उप निदेशक (कृषि), लखनऊ एवं कृषि विज्ञान केंद्र, भाकृअनुप – भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में 6 अगस्त 2018 को आयोजित की गयी। संगोष्ठी का उदघाटन करते हुए श्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह, माननीय कृषि राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि वे संगोष्ठी में मृदा स्वास्थ्य के सुधार, प्रक्षेत्र फसलों की उपज बढ़ाने तथा जैविक विधि का प्रयोग करके तथा लागत घटाकर किसानों की आय दोगुना करने के बारे में प्रधान मंत्री, भारत सरकार एवं मुख्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार के संदेशवाहक के रूप में किसान भाइयों को जानकारी देने के लिए आए हैं। माननीय मंत्री जी ने प्रक्षेत्र फसलों में जीवामृत को अपनाने पर ज़ोर दिया जिससे कीटनाशी तथा रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग से बचकर केंसर जैसे खतरनाक रोगों से बचा जा सके। उन्होने बताया कि जीवामृत अन्य अवयवों के साथ देसी गायों के मूत्र से बनाया जाता है । मंत्री महोदय ने अपने द्वारा जीवामृत विधि से की गयी खेती के अनुभव सहभागिता कर रहे किसानों, केवीके के वैज्ञानिकों तथा उत्तर प्रदेश सरकार के विकास अधिकारियों के बीच में बाँटे।
डॉ. एस.के. शुक्ल, परियोजना समन्वयक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने देश भर में गन्ना आधारित फसल प्रणाली में जैविक खाद की महत्ता को रेखांकित किया। डॉ. शुक्ल ने धान-गेहूं फसल प्रणाली में कार्बन सीक्वेसट्रैशन की उपयोगिता पर ज़ोर दिया तथा वर्तमान में उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा अपनाई जा रही फसल प्रणालियों में मृदा की उर्वरता को अक्षुण रखकर फसलों की सतत उत्पादकता लेने के बारे में विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के सह-आयोजक के रूप में बोलते हुए डॉ. एस.एन. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, लखनऊ ने मृदा की उर्वरता को अक्षुण रखने हेतु फसल अवशेषों की रिसाइकलिंग द्वारा मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाने तथा किसानों द्वारा फसलों की कटाई के पश्चात अज्ञानतावश फसल अवशेषों के जलाने से होने वाले वातावरणीय प्रदूषण से बचने की सलाह दी। डॉ. सिंह ने एकल फसल की खेती के बजाय प्रक्षेत्र फसलों में दलहनी तथा हरी खाद वाली फसलों को अंतरसस्य पद्धति में उगाने का सुझाव दिया जिससे रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशियों के न्यूनतम प्रयोग से मृदा स्वास्थ्य सुधारा जा सकता है। इस अवसर पर जैविक कृषकों के साथ ही साथ डॉ. सोराज सिंह, कृषि निदेशक, उत्तर प्रदेश ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किए। डॉ.सी.पी. श्रीवास्तव, उपनिदेशक (कृषि), उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुख्य अतिथि, सहभागिता कर रहे किसानों एवं उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग द्वारा प्रदेश में चलाये जा रहे विभिन्न कृषि विकास कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। इस अवसर पर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड तथा अन्य पुरस्कारों का भी वितरण किया गया। कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष महोदय एवं किसानों को धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। कार्यक्रम में 300 से अधिक किसानों ने सहभागिता की।
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प्रदेश में डेयरी क्षेत्र के विकास की व्यापक सम्भावनाएं: मुख्यमंत्री
इन सम्भावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए सम्मिलित प्रयास की आवश्यकता
वर्ष 2017-18 में सर्वाधिक दुग्ध आपूर्ति के लिए श्री वरूण सिंह को 02 लाख रु0 का प्रथम तथा श्रीमती कुसुम को डेढ़ लाख रु0 का द्वितीय पुरस्कार
मुख्यमंत्री ने ‘पराग’ फाॅर्टीफाइड दूध का शुभारम्भ किया
सोयाबीन पाउडर के अपमिश्रण की त्वरित जांच हेतु टेस्टिंग स्ट्रिप का विमोचन
राज्य सरकार के प्रयास से दुग्ध उत्पादन में
1.32 लाख लीटर की वृद्धि: दुग्ध विकास मंत्री
लखनऊ: 06 अगस्त, 2018
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रदेश में डेयरी क्षेत्र के विकास की व्यापक सम्भावनाएं हैं। डेयरी विकास के अनुकूल परिस्थितियां, आवश्यक संसाधन, मार्केट आदि सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं। इन सम्भावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए सम्मिलित प्रयास की आवश्यकता है। नए डेयरी संयत्रों की स्थापना, नयी दुग्ध समितियों का गठन, किसानों को उन्नत प्रजाति के दुधारू पशुओं को उपलब्ध कराकर दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां गोकुल पुरस्कार वर्ष 2017-18 के वितरण समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने वर्ष 2017-18 में प्रदेश में सर्वाधिक दुग्ध आपूर्तिकर्ता जनपद लखीमपुर खीरी की दुग्ध समिति बेलवामोती के सदस्य श्री वरूण सिंह को 02 लाख रुपए का प्रथम पुरस्कार तथा जनपद मेरठ की दुग्ध समिति महिला नागौरी की सदस्य श्रीमती कुसुम को डेढ़ लाख रुपए का द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया। श्री वरूण सिंह ने वर्ष 2017-18 में 1,23,650.50 लीटर तथा श्रीमती कुसुम ने 96,023.89 लीटर दूध की आपूर्ति की है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने पी0सी0डी0एफ0 द्वारा जनता के उत्तम स्वास्थ्य के लिए विकसित ‘पराग’ फाॅर्टीफाइड दूध का शुभारम्भ किया। यह दूध विटामिन ‘ए’ एवं विटामिन ‘डी’ से युक्त होगा। साथ ही, पी0सी0डी0एफ0 के गुणवत्ता आश्वासन अनुभाग द्वारा सोयाबीन पाउडर के अपमिश्रण की त्वरित जांच हेतु विकसित टेस्टिंग स्ट्रिप का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में प्रदेश के 73 जनपदों के सर्वाधिक दुग्ध उत्पादकों को गोकुल पुरस्कार के रूप में 51 हजार रुपए प्रदान कर सम्मानित किया गया। पुरस्कार प्राप्त करने वालों में 17 महिलाएं भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री जी ने सम्मानित दुग्ध उत्पादकों की सराहना करते हुए कहा कि इन सबने ‘जहां चाह वहां राह’ के सूत्र के आधार पर सफलता प्राप्त की है। बिना प्रयास के सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती। अपने प्रयास से सफल होकर आज सम्मानित हो रहे दुग्ध उत्पादकों का कार्य अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इनकी कार्यशैली सभी के सामने आनी चाहिए, जिससे अन्य लोग भी उसे अपनाकर अपना मार्ग प्रशस्त कर सकें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। केन्द्र एवं राज्य दोनों सरकारों द्वारा इसके लिए अनेक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। किसान की आय बढ़ाने के दुग्ध उत्पादन की बड़ी भूमिका हो सकती है। किसान खेती करते हुए भी दुग्ध उत्पादन कर सकता है। प्रदेश की आबादी 22 करोड़ से अधिक है। यहां पर 18 मण्डल, 75 जिले, 653 नगर निकाय और लगभग 60 हजार ग्राम पंचायतें हैं, जबकि दुग्ध समितियों की संख्या 6735 है, जो कि ग्राम पंचायतों के 10वें हिस्से से कुछ ही अधिक है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों की संख्या के दृष्टिगत दुग्ध समितियों की संख्या काफी कम है। इसे बढ़ाकर कम से कम 60 हजार किया जाना चाहिए। दुग्ध विकास विभाग जितनी जल्दी यह लक्ष्य प्राप्त कर लेगा, उतनी जल्दी ही किसानों के जीवन में समृद्धि और खुशहाली आएगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में 10 डेयरियों की स्थापना तथा चार डेयरियों का विस्तार हो रहा है। प्रदेश में पहले 60-70 डेयरियां थीं। इनके बन्द होने के कारणों का उपचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के सभी जनपदों में डेयरी संयत्र स्थापित किए जाने आवश्यक हैं। इस दिशा में प्रयास किया जा रहा है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए दुग्ध विकास मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयास से दुग्ध उत्पादन में 1.32 लाख लीटर की वृद्धि हुई है। इसमें अभी और वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि एन0डी0डी0बी0 के प्रस्ताव के अनुरूप कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रेचुय्टी में वृद्धि की जानी चाहिए। कार्यक्रम को कृषि उत्पादन आयुक्त डाॅ0 प्रभात कुमार ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव दुग्ध विकास डाॅ0 सुधीर एम0 बोबडे, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबन्धक श्री ए0के0 सिंह, एन0डी0डी0बी0 उत्तरी क्षेत्र के उप महाप्रबन्धक श्री ए0के0 अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी, टाटा ट्रस्ट के प्रतिनिधि श्री विवेक अरोड़ा तथा बड़ी संख्या में दुग्ध उत्पादक उपस्थित थे।
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जातियों को उपजाति में बांटकर गन्दी राजनीति करने में जुटी भाजपा-लौटन राम
लखनऊ 06 अगस्त 2018। केन्द्र सरकार द्वारा सामान्य वर्ग की जातियों को आर्थिक आधार पर 15 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन पर किये जा रहें विचार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चै0 लौटन राम निषाद ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है, लेकिन जातिगत विद्वेष को दूर करने के लिए सवर्ण जातियों को आर्थिक आधार पर नहीं बल्कि जातिगत आधार पर 15 प्रतिशत आरक्षण संविधान संशोधन कर देने की मांग किया है। उन्होंने कहा कि सेन्सस आॅफ इण्डिया 2011 के अनुसार एस0सी0, एस0टी0, धार्मिक अल्पसंख्यक, ट्रांसजेण्डर व द्विवांग की जनगणना को उजागर कर दिया गया है। लेकिन ओ0बी0सी0 की जनगणना को साजिश के तहत छिपा दिया गया। जब कि मोदी सरकार ने ओ0बी0सी0 की जातिगत, सामाजिक रिपोर्ट उजागर करने के लिए 449 करोड़ अतिरिक्त धन मुहैया कराया था। यदि ओ0बी0सी0 की जनगणना रिपोर्ट उजागर कर दी गयी होती तो सवर्ण जातियों को भी असली जनसंख्या सामने आ गयी होती।
श्री निषाद ने कहा कि मण्डल मीशन के तहत 1980 में अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों की संख्या 52 प्रतिशत थी। लेकिन बाद में तमाम जातियों को ओ0बी0सी0 में शामिल कर लिया गया। जिसके कारण इस समय ओ0बी0सी0 की जनसंख्या 60 प्रतिशत से अधिक होगी लेकिन उन्हें मात्र 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, जो नैसर्गिक न्याय के प्रतिकूल है। संविधान के अनुच्छेद 341व 342 के अन्तर्गत एस0सी0 व एस0टी0 में सूचीबद्ध जातियों को जनसंख्या के अनुपात में कार्यपालिका व विधायिका में आरक्षण दिया जा रहा है तो ओ0बी0सी0 की जनगणना रिपोर्ट उजागर कर 340 के अन्तर्गत ओ0बी0सी0 में शामिल जातियों को जनसंख्यानुपाती आरक्षण क्यों नहीं? तमिलनाडू में 69 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका के निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने 11 जुलाई, 2013 को कहा था कि कोई भी राज्य सरकार अपने राज्य में जितने भी प्रतिशत आरक्षण देना चाहे, दे सकती है, बशर्ते कि उसके पास जनगणना का पुष्ट आकड़ा उपलब्ध होना चाहिए।
श्री निषाद ने भाजपा पर जातियों को उपजातियों, खापो, फिरको व गोत्रों में बांटकर गन्दी राजनीति करने पर उतारू है। हिन्दुत्व की बात करने वाली भाजपा लोक सभा चुनाव 2019 को जीतने के लिए यादव समाज को ग्वाल व डड़होर में विभक्त कर इनमें वैमनस्यता व फिरका परस्ती की भावना भरकर मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव को डड़होर यादवों का नेता बताकर ग्वालों को अपने पक्ष में करने की गन्दी राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि जो ग्वाल नेता भाजपा की इस गन्दी राजनीति का अनुसरण कर यादवी एकता को खण्डित करने का तुच्छ निजस्वार्थ के लिए गन्दा काम कर रहें है वह अक्षम्य है। उन्होंने धर्मेन्द्र प्रधान, भूपेन्द्र यादव , डाॅ0 सुधा यादव, नन्द किशोर राय, राम कृपाल यादव, लक्ष्मी नारायण यादव, गंगा राम अहिर, आदि को विभीषण बताते हुए यादव शक्ति को ही नहीं बल्कि पिछड़े वर्ग की ताकत को कमजोर करने का दोषी बताया।
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लखनऊ: 06 अगस्त, 2018
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों का आगामी सत्र (वर्षाकालीन सत्र) 23 अगस्त, 2018 को आहूत करने हेतु अपनी सहमति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि ‘‘भारत का संविधान‘‘ के अनुच्छेद 174 के खण्ड (1) के प्राविधान के अनुसार, राज्यपाल को समय-समय पर राज्य विधान-मण्डल के सदनों या प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझंे, अधिवेशन के लिए आहूत करने की शक्ति प्रदान की गयी है।
उल्लेखनीय है कि राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों का विगत सत्र 8 फरवरी, 2018 को आहूत किया गया था। उक्त सत्र में विधान सभा एवं विधान परिषद की अंतिम बैठकें क्रमशः 27 मार्च, 2018 एवं 28 मार्च, 2018 को हुई थीं। राज्यपाल की अनुमति से दोनों सदनों का सत्रावसान 06 अप्रैल, 2018 से कर दिया गया था।
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जनपद देवरिया के महिला आश्रय गृह में हुई घटना बहुत ही शर्मनाक और घिनौनी घटना है। यह मुख्यमंत्री जी के घर से मात्र 60-70कि.मी. के अन्दर है। यह कैसा शासन-प्रशासन है कि एक संस्था जिसका लाइसेंस रद्द हो चुका है बच्चियों को पालने का कार्य आखिर किसके संरक्षण पर हो रहा है? किसकी अनुमति से चल रहा है? क्या मुख्यमंत्री जो कह रहे हैं ठोस कार्यवाही की जायेगी, क्या अभी तक जानबूझकर लचर कार्यवाहियां की हैं जो अब ठोस कार्यवाही करने की बात कर रहे हैं? पिछली तमाम कार्यवाहियों का अब तक कोई परिणाम नहीं निकला है, अब एक और ठोस कार्यवाही की बात कर रहे है?
उन्होने कहा कि जो भी प्रशासनिक अधिकारी और जो भी राजनीतिक व्यक्ति हैं, जिनके संरक्षण में यह हो रहा है, पला है, उन्हें कठोर सजा मिलनी चाहिए। विभागीय मंत्री एवं मुख्यमंत्री को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।
राजबब्बर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी बार-बार कहते हैं कि बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ, कहीं यह जुमला तो नहीं है? देश में जहां-जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है बच्चियों और महिलाओं के साथ बेतहाशा रेप की घटनाएं हो रही हैं चाहे वह मुजफ्फरपुर (बिहार) हो अथवा अब उ0प्र0 में देवरिया हो। जुमलों को बेंचकर बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा नहीं कर सकते। यही है महिलाओं की सुरक्षा? यही है बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के नारे की हकीकत? ढोल में पेाल है? वही दूसरी ओर काग्रेस की अदिति सिंह, विधायक,रायबरेली ने भी योगी सरकार पर हमला बोलते कहा है कि सरकार कहती है कि श्बेटी बचाओ बेटी पढाओश् लेकिन जब बेटियां सुरक्षित होंगी तभी वे पढ़ पाएंगी तभी वे आगे बढ़ेंगी। बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के बाद अब अपने यूपी के देवरिया के एक नारी संरक्षण गृह में भी देह व्यापार कराए जाने का मामला सामने आया है। अखबारों व टीवी चैनलों के माध्यम से मुझे पता चला कि छोटी.छोटी मासूम बच्चियों से देह व्यापार कराया जा रहा था। वहीं छापे में मौके पर केवल 24 मिलींए बाकी 18 लड़कियों का पता लगाया जा रहा है। यूपी पुलिस से मेरा निवेदन है कि जल्द इन बच्चियों का पता लगाया जाए आरोप लग रहे हैं। वहीं सरकार से गुजारिश है कि इस मामले में बड़ी कार्रवाई हो। आए दिन जिस तरह से एक के एक बाद घटनाएं आ रही हैं जिसने पूरे प्रदेश को शर्मसार कर दिया है। छोटी.छोटी बच्चियां शिकार बनती जा रही हैं। इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटनाएं आए दिन सामने आ रही हैं। मेरी ये भी गुजारिश है कि अन्य शहरों में भी इस तरह की शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई की जाए। बिना बेटियों के इस संसार की कल्पना नहीं की जा सकती। बेटियों को न्याय दिलाने के लिए हमें सड़क से सदन तक लड़ाई लड़नी होगी।
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लखनऊ. 06 जून 2018. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बांसकार समाज के
प्रतिनधिमंडल ने सोमवार को उनके सरकारी आवास 5 कालीदास मार्ग पर मुलाकात की।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष एवं
आंबेडकर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने किया। इस
दौरान मुख्यमंत्री को तीन सूत्री मांगों का ज्ञापन भी सौंपा गया। इसके साथ ही
बांसकार शिल्पबोर्ड बनाए जाने की भी मांग की गई।
गौरतलब है कि अनुसूचित जातियों में अतिदलित में शामिल बांसकार समाज आज भी बांस
का लघु उद्योग करने पर गुजर बसर करने पर मजबूर है। वह आर्थिक स्थिति से इस तरह
से कमजोर है कि उसकी पहुंच न तो शहर तक है और न ही गांव में उसे बाजार मिला पाता
है। इसको लेकर बांसकार समाज के प्रतिनिधि मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार की लांडी
योजना की तरह ही 2 लाख 10 हजार रुपए की व्याज मुक्त कर्ज दिए जाने की मांग की
है। बांस की खेती के लिए और बांस प्लांटेशन के लिए जमीन आवंटन की मांग के साथ
ही बांसकार शिल्पबोर्ड बनाए जाने की भी मुख्यमंत्री से अपेक्षा की गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी मांगों को लेकर विचार करने का भरोसा दिया
है।
इसके पहले 10 जून को लखनऊ के आंबेडकर महासभा में बांसकार समाज का राष्ट्रीय
सम्मेलन था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे, लेकिन
दौरे की वजह से वह इसमें शामिल नहीं हो पाए थे। फलस्वरूप मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ ने बांसकार समाज के प्रतिनिधि मंडल को आज मुलाकात के लिए आमंत्रित
किया था।
यह भी उल्लेखनीय है कि सड़क के किनारे बांस का काम करने वाले बांसकार समाज को
आवास देने की मुहिम भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से शुरू की है।
इसके तहत 76 बांसकारों को जल्द ही आवास दिए जाएंगे।
प्रतिनिधिमंडल में मुलाकात करने वालों में डॉ. कौलेश्वर प्रियदर्शी, सीमा
धारिया, माधुरी वर्मा, लालजी धानुक, जय धारिया, सूरजनाथ, आरसी धारिया, रविशंकर
हवेलकर, उषा देवी, ब्रम्हानंद धारिया, परदेशी वर्मा, घनश्याम बेनकर, दिलीप
कुमार धारिया, मनोज कुमार वेणु और संतोष धरिकार प्रमुख रहे।
Posted on 06 August 2018 by admin
लखनऊ 06 अगस्त 2018, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने आज पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारो से चर्चा करते हुए कहा कि मोदी सरकार काम करने में समय से पहले और लक्ष्य से ज्यादा प्राप्त किया। पिछली सरकारों के मुकाबले विकास के पैमाने पर कई गुना तेजी से बढ़त बनाए हुए है।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी देश और प्रदेश की प्रगति की रीढ़ उसकी सड़कें होती हैं। देश और प्रदेश की सरकारें मिलकर सड़कों की बेहतरी के लिए कार्य कर रही हैं। सरकार के अभिनव प्रयोंगों से ही सड़क परियोजनायों की लंबी और उबाऊ प्रक्रियाओं में लगने वाला समय आश्चर्यजनक रूप से कम हुआ है। साथ ही सरकारें भी बजटीय समर्थन में भी खास उत्साह नहीं दिखातीं थीं। कोई बैंक भी इस क्षेत्र में पैसा लगाने को तैयार नहीं थीं। यूपीए के शासनकाल में जहां प्रतिदिन 12 किमी. सड़क निर्माण होता था वहीं आज 27 किमी. सड़क निर्माण हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में यूपीए के 69 किमी के तुलना में 134 किमी सड़क का निर्माण हो रहा है।
श्री शुक्ला ने कहा कि आजादी के बाद से देश की सबसे बड़ी और क्रांतिकारी परियोजना उज्ज्वला योजना में अकेले उत्तर प्रदेश में 87 लाख महिलाओं को एलपीजी का कनेक्शन मिला। साथ ही पूरे देश में 5 करोड़ महिलाओं को कनेक्शन दिया गया। भविष्य का लक्ष्य 8 करोड़ कर दिया गया है जिसे आवश्यकता पड़ने पर बढाया भी जा सकता है। मुद्रा योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश में 3.49 करोड़ नव उद्यमियो को 12.27 करोड़ का ऋण दे चुकी है।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से अब तक आर्थिक अपराध और काली कमाई को रोकने को लेकर लचर व्यवस्था थी। लेकिन बीते 4 वर्षों में आश्चर्यजनक रूप से अकेले प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले आंकड़ों से 686 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए 38,500 करोड़ रुपये की सम्पत्ति जब्त की है। यह मोदी सरकार की भ्रष्टाचार के लेकर प्रतिबद्धता ही है कि प्रवर्तन निदेशालय की कार्यवाही में 1000 जगह छापे डाले गए और 110 लोगों की गिरफ्तारी हुई।
श्री शुक्ल ने कहा कि पूर्व की सरकारों में राजनैतिक इच्छाशक्ति की जबरदस्त कमी के कारण फाइलें लटकी रहती थीं। तमाम विभागों में समन्यव की कमी थी। राष्ट्रीयता और अवैध घुसपैठ की स्थिति पर 1985 से अबतक लटकी हुई थी उसे भी मोदी सरकार ने ही निपटारा किया। आने वाले दिनों में इसके दूरगामी परिणाम होंगें। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही केन्द्र सरकार व उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा उन्हीं बातों को ध्यान में रखकर सरकार की नीतियों का निर्माण आमजन के कल्याण के लिए किया जा रहा है। आमजन में पार्टी की स्वीकार्यता लगातार बढ़ रही है।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सपा-बसपा की सरकारों में जो सूबा भ्रष्टाचार और अराजकता के लिए जाना जाने लगा था, अब उसी प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था और बेहतर कानून व्यवस्था के चलते निवेश की होड़ लगी हैं।