Archive | April, 2015

मुख्यमंत्री ने लखनऊ में आईजीसीएल टूर्नामेण्ट का उद्घाटन किया

Posted on 07 April 2015 by admin

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य सरकार गांव एवं शहर को एक साथ आगे ले जाने का प्रयास कर रही है। निश्चित रूप से प्रदेश सरकार के इस प्रयास से राज्य जिस मुकाम पर पहुंचेगा, इसका मुकाबला कोई अन्य प्रदेश नहीं कर सकता। इण्डियन ग्रामीण क्रिकेट लीग (आईजीसीएल) टूर्नामेण्ट की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को गांव, कस्बा एवं जनपद स्तर से ऊपर उठकर राज्य स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आईपीएल या किसी अन्य उच्च स्तर के क्रिकेट टूर्नामेण्ट आयोजन के बजाय विभिन्न कारणों से पीछे रह जाने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के नौजवानों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रही है।
मुख्यमंत्री आज यहां केडी सिंह बाबू स्टेडियम में आईजीसीएल टूर्नामेण्ट के उद्घाटन अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस टूर्नामेण्ट में जनपद लखनऊ के विभिन्न कस्बों के अलावा हरदोई, गाजीपुर, कन्नौज, बदायूं, आजमगढ़, इटावा, सुलतानपुर, प्रतापगढ़, मऊ, देवरिया, बाराबंकी, चन्दौली, कानपुर, फिरोजाबाद, गोण्डा, सीतापुर, अमेठी, उन्नाव, रायबरेली, फैजाबाद एवं बस्ती आदि जनपदों के साथ-साथ सैफई की क्रिकेट टीम भाग ले रही है।
मुख्यमंत्री ने आईजीसीएल द्वारा आयोजित टूर्नामेण्ट की सराहना करते हुए कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में खेल भावना का विकास होगा। नौजवानों को क्रिकेट की नई एवं बेहतर तकनीक सीखने का मौका मिलने के साथ ही उन्हें बड़े स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका भी मिलेगा। सबसे पहले आईजीसीएल की शुरुआत सैफई में की गई थी, तब किसी को यकीन नहीं था कि यह संस्था प्रदेश के सभी जनपदों में क्रिकेट टीम तैयार करने का साहसी काम कर पाएगी। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि सुविधाहीन ग्रामीण स्तर की क्रिकेट टीमों को प्रदेश की राजधानी में अपने कौशल को दिखाने का मौका मिलेगा। क्रिकेट को एक लोकप्रिय खेल बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे नगरों के अलावा खेतों-खलिहानों में नौजवानों को खेलते हुए देखा जाना आम बात है।
गत दिवस केडी सिंह बाबू स्टेडियम में आयोजित नेशनल साइकिलिंग-2015 एवं ग्रीन राइड प्रतियोगिता का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कतिपय राजनैतिक दलों को राज्य सरकार द्वारा जन सामान्य से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन अच्छा नहीं लग रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार समाजवादी विचारधारा में विश्वास करती है। इसीलिए गरीब, किसान, मेहनतकश, नौजवान और छात्रों के लिए आवागमन के सबसे सस्ते एवं सुलभ साधन साइकिल को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है। इससे पर्यावरण की हिफाजत के साथ-साथ स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचता है। साइकिल चलाने वाले जीवन को भी संतुलित ढंग से चलाने का तजुर्बा प्राप्त कर लेते हैं। उन्होंने साइकिल को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की आलोचना करने वालों को जवाब देते हुए कहा कि दुनिया के विकसित राष्ट्रों में साइकिल चलाना प्रतिष्ठा की बात मानी जाती है। राज्य सरकार केवल साइकिल को ही नहीं, बल्कि अन्य खेलों को भी बढ़ावा दे रही है। हाल ही में 13वीं राजीव गांधी स्लम नेशनल चैम्पियनशिप की विजेता उत्तर प्रदेश टीम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस टीम के साथ उन्होंने स्वयं फुटबाॅल खेलकर और खिलाडि़यों को आर्थिक तथा संसाधनों की मदद देकर इन्हें प्रोत्साहित करने का काम किया है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार खेलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ विकास कार्यों को भी बड़े पैमाने पर संचालित कर रही है। लखनऊ मेट्रो रेल, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का उल्लेख करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि 15 लाख निःशुल्क लैपटाॅप वितरित करके राज्य सरकार ने नौजवानों को तकनीक के क्षेत्र में जो सहूलियत प्रदान करने का काम किया है, इस स्तर का काम दुनिया में और कहीं नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि जो राजनैतिक दल समाजवादी पार्टी को गांव की पार्टी बताते थे, वही अब वाईफाई की बात कर रहे हैं, लेकिन ये दल यह नहीं बताते हैं कि उनके द्वारा प्रदान की गई वाईफाई की सुविधा का लाभ बिना लैपटाॅप के कैसे प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने स्टेडियम में उपस्थित नौजवानों का आहवान करते हुए कहा कि आगे आने वाले समय में उनकी (नौजवानों की) महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने नौजवानों को बड़ा सपना देखने और समाज में बराबरी के लिए काम करने का आहवान भी किया।
खेलकूद एवं युवा कल्याण राज्य मंत्री श्री रामकरन आर्य ने कहा कि हमारे देश एवं प्रदेश की 80 प्रतिशत जनता गांव में निवास करती है। उन्होंने कहा कि जिस मुल्क के नौजवानों की सेहत ठीक नहीं रहती, उस देश की सीमाएं भी सुरक्षित नहीं रहती। इसीलिए राज्य सरकार प्रदेश के नौजवानों में खेलकूद को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।
बाॅलीवुड अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने आईजीसएल को लोकतांत्रिक शुरुआत बताते हुए कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मंच मिलेगा। उन्होंने प्रदेश के माहौल को बेहतर बताते हुए कहा कि फिल्म के लिए वाराणसी एवं लखनऊ नगर में काम करते हुए उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा। अनेक हिन्दी फिल्मों से जुड़े श्री सुधीर मिश्रा ने आईजीसीएल टूर्नामेण्ट को अच्छा प्रयास बताया। इस मौके पर बाॅलीवुड के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में राजनैतिक पेंशन मंत्री श्री राजेन्द्र चैधरी, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री श्री योगेश प्रताप सिंह, आईजीसीएल के अध्यक्ष डाॅ0 अनुराग भदौरिया सहित बड़ी संख्या में खेल प्रेमी, अधिकारी, छात्र-छात्राएं एवं नौजवान उपस्थित थे।

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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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कर्मचारी,अधिकारी और सरकार मिलकर काम करें तो प्रगति तयःमहामहिम कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण होगाःगोप

Posted on 07 April 2015 by admin

उत्तर प्रदेश ड्राइं स्टाफ परिसंघ, टेक्निकल असिस्टेन्ट्स एसोसिएशन का स्मारिका विमोचन और महाधिवेशन सम्पन्न
उत्तर प्रदेश ड्राइं स्टाफ परिसंघ, टेक्निकल असिस्टेन्ट्स एसोसिएशन का स्मारिका विमोचन प्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री राम नाईक और विशिष्ठ अतिथि,प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग के.एस. अटोरिया, मोहन बाबू गुप्ता विशेष सचिव लोनिवि, विभागाध्यक्ष लोनिवि इं.ए.के.गुप्ता की उपस्थिति में  और महाधिवेशन और कार्यशाला के मुख्य अतिथि प्रदेश के मंत्री  अरविन्द कुमार सिंह ‘‘गोप’’,श्री अभिषेक मिश्रा और सदस्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड श्री राजेश यादव ‘राजू’ की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। स्मारिका ‘प्रावैधिक व्यू’ विमोचन के अवसर पर प्रदेश महामहिम राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में सबसे ज्यादा युवा है। भारत के लोगों में अन्य देशों की अपेक्षा बौद्धिक क्षमता भी अधिक है। ड्राइंग एक ऐसी विद्या है जो पुरातन काल से चली आ रही है। जिस समय कागज नही थे तब भी ड्राइंग का कार्य होता था। शुन्य का अविष्कार करने वाले भारत में शुन्य के आगे बिन्दुओं की लाइन ही ड्रांइग कहलाई। मंगल गृह यात्रा से लेकर हवाई यात्रा, यातायात, सड़क, बाधों जैसे विकास कार्यो में ड्राइंग का अपना महत्व हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारी,अधिकारी और सरकार मिलकर काम करें तो प्रगति तय है। इसलिए सरकार के हर कर्मचारी का दायित्व है कि वह प्रदेश और अपने देश के विकास में अपनी भूमिका का समुचित निवर्हन करें।  कार्यक्रम का संचालन राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के पूर्व महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने किया।
महाधिवेशन और कार्यशाला  को सम्बोधित करते हुए कबीना मंत्री अरविन्द सिंह गोप ने कहा कि आपके मांग पत्र में जो मांगे दी गई है। जायज है अतिशीघ्र मैं प्रयास करूगा कि आपके प्रतिनिधि मण्डल की माननीय मुख्यमंत्री से मुलाकात करा सके और मुझे आशा है कि एक माह में आपकी समस्याओं का निराकरण कर दिया जाएगा। जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य श्री राजेश यादव ‘राजू’ ने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारी संवर्ग के प्रति संवेदनशील है सरकार का पूरा प्रयास समाज के हर वर्ग को उसके हक दिलाने के लिए जारी है, आपकी समस्याओं का शीघ्र निराकरण होगा। कार्यशाला का सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश ड्राइंग एसोसिएशन के महासचिव अमरजीत मिश्रा ने कहा कि ड्राइंग ही ऐसी विद्या है जिसकों जितना ज्यादा निखारा जाए उतना ही निर्माण कार्य बेहतर,गुणवत्ता युक्त एवं लम्बी समयावधि वाला होगा। अगर वाकई प्रशिक्षण के जरिये प्रतिवर्ष एक माह का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाए तो इसके बेहतर परिणाम सरकार और समाज को देखने को मिलेगें। जबकि टेक्निकल असिस्टेन्ट्स एसोसिएशन के महामंत्री शत्रघन प्रसाद नायक ने कहा कि इंजीनियरिंग  संवर्ग से जुड़ा यह पेशा वाकई रोमांचित करने वाले परिणाम देता है, कार्यशाला के माध्यम से केवल हम केवल इतना कहना चाहेगें कि किसी भी नक्शें पर कितनी मेहनत की जाए कितनी बार की जाए इसका कोई पैमाना नही है लेकिन इतना तय है कि जितनी बार भी ड्राइंग पर कलम चलेगी उसमें निखार आने के साथ ही उसकी भूमिका बढ़ती ही जाएगी। बेहतर से बेहतर परिणाम लाने के लिए मेहनत ही मूल मंत्र हैं। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए आयोजक रामसुरेश सिंह ने कहा कि ड्राइंग/प्राविधिक संवर्ग को विशेष संवर्ग को विशेष प्रशिक्षण देकर और बेहतर बनाया जा सकता है। इससे कम कीमत में बेहतर निर्माण होगा। ड्राइंग संवर्ग के लिए ‘‘ अभियंत्रण एक विचारःड्राइंग उसका मूर्तरूप है’’ इस कार्यशाला का शीषर्क इसी आधार पर बनाया गया है। यह परिचर्चा हमारे संवर्ग के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इस अवसर पर के.जी. श्रीवास्तव,जवाहर भवन इन्दिरा भवन कर्मचारी महासंघ के सतीश कुमार पाण्डेय, इंजीनियर्स महासंघ के आर.के. सोनी, डिप्लोमा संघ के इं. दिवाकर राय, रामराज दुबे, भारत सिंह यादव, त्रिलोक सिंह यादव, माताप्रसाद यादव, सुनील यादव, प्रमोद कर्नाटक, सुरेन्द्र वर्मा, संजय कुमार सिंह, उदय प्रकाश पाण्डेय, अजीत कुमार निगम, संजीव पाठक, उमाशंकर मिश्रा आदि कई संगठनों के कर्मचारी नेताओं ने सम्बोधित किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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रविवार 5 अपै्रल को रिसियाँ बहराईच में श्री महाराजा अग्रसेन वाटिका का लोकार्पण एवं जिला स्तरीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ।

Posted on 07 April 2015 by admin

रविवार 5 अपै्रल को रिसियाँ बहराईच में श्री महाराजा अग्रसेन वाटिका का लोकार्पण एवं जिला स्तरीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ।  इस अवसर पर मुख्य अतिथि अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के प्रान्तीय अध्यक्ष श्री सुधीर एस. हलवासिया ने महाराजा अग्रसेन की विशाल मूर्ति का अनावरण एवं लोकार्पण किया।  श्री हलवासिया ने अपने संबोधन में सभी अग्र बन्धुओं से निवेदन किया कि वे अपने-अपने घरों में अग्रवाल समाज के जन्मदाता एवं कलयुग के अवतारी महाराजा अग्रसेन जी का चित्र अवश्य लगायें एवं वर्ष में एक बार अग्रोहा धाम तीर्थ जरूर जायें। विशिष्ठ अतिथि श्री भागीरथ मल पचेरीवाल ने यह अपील की कि सभी अग्र बंधु अपने घरों में होने वाले सभी कार्यक्रमों में अनावश्यक खर्चों में कमी करके समाज उत्थान में अपना योगदान दें ंतथा अपने संबोधन में उन्होंने समाज को एकजुट होने का संकल्प दिलाया।  कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री आदर्श अग्रवाल ने की तथा संचालन ई0 कांशीराम अग्रवाल ने किया।
इस मौके पर भारी संख्या में अग्र बन्धुओं के साथ-साथ रिसियाँ अग्रवाल सभा के अध्यक्ष महेश कुमार अग्रवाल, जगदीश जिन्दल, श्यामकरण टेकड़ीवाल, सुरेन्द्र अग्रवाल, नवनीत अग्रवाल, धर्मपाल अग्रवाल, के.के. अग्रवाल, राम अवतार अग्रवाल रिसियाँ नगर पंचायत की चेयरमैन राजेश निगम, आनन्द अग्रवाल, सुरेश चन्द्र लाठ आदि लोग उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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प्रधानमंत्री ने यमन से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद के लिए नागरिक सेवाओं और रक्षा अधिकारियों तथा संगठनों को नमन किया

Posted on 07 April 2015 by admin

प्रधानमंत्री ने यमन से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद के लिए नागरिक सेवाओं और रक्षा अधिकारियों तथा संगठनों को नमन किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रक मोदी ने यमन से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करने के लिए नागरिक सेवाओं और रक्षा अधिकारियों तथा संगठनों को नमन किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा दृ श्श्मैं यमन से हमारे नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद के लिए हमारी नागरिक सेवाओं और रक्षा अधिकारियों तथा संगठनों को सलाम करता हूं। आप अपने प्रयास जारी रखें! संगठनों के बीच बेजोड़ सहयोग रहा. विदेश मंत्रालयए नौसेनाए वायुसेनाए एयर इंडियाए शिपिंगए रेलवे और राज्ये सरकारों ने बचाव कार्य में बड़ी मदद की। सहयोगी श्रीमतीु सुषमा स्वएराज और जनरल वी के सिंह ;जो कई दिनों से घटना स्थील पर हैंद्ध ने नागरिकों को यमन से सुरक्षित बाहर निकालने के प्रयासों में सराहनीय योगदान किया। मुझे खुशी है कि भारत ने कई गैर भारतीय नागरिकों को भी यमन से बाहर निकाला। भारतीय नागरिकों की सुरक्षित स्वीदेश वापसी के प्रयास से यह पता चलता है कि हम अपने लोगों की सेवा करने के इच्छु‍क और आपत्ति में फंसे अन्यत लोगों की मदद के लिए तैयार हैं जो भारत का चरित्र है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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प्रधानमंत्री ने राज्ये पर्यावरण एवं वन मंत्रियों के सम्मेेलन का उद्घाटन किया

Posted on 07 April 2015 by admin

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र  मोदी ने आज कहा कि भारतए जहां प्रकृति के साथ समन्व्य से रहने की लंबी परंपरा रही हैए को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का नेतृत्व  करनी चाहिए। आज नई दिल्ली  में राज्ये पर्यावरण एवं वन मंत्रियों के सम्मे्लन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने निराशा व्यपक्तव की कि प्रकृति से प्रेम करने तथा उसका सम्मा न करने की भारतीय संस्कृ ति को वैश्विपक पटल पर पर्याप्त  तरीके से नहीं उभारा गया हैए और देश को कई बार जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक अवरोधक की तरह देखा जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लोग प्रकृति के रक्षक और भक्तव रहे हैं। उन्हों्ने कहा कि हमें इस तथ्य  को उचित तरीके से प्रचारित करनी चाहिए जिससे कि विश्व  यह महसूस कर सके कि इस मामले में भारत से सवाल नहीं किया जा सकता। उन्होंेने कहा कि भारतीयों ने हमेशा प्रकृति का संरक्षण किया है और आज भी भारत दुनिया में प्रति व्योक्ति कार्बन उत्संर्जन के मामले में सबसे नीचे है। उन्होंैने कहा कि आगे का रास्ता  केवल प्रतिबंध लगाना भर नहीं है बल्कि जीवन शैली में परिवर्तन लाना है। उन्हों्ने कहा कि पुनर्चक्र और पुनरू उपयोग की संस्कृेति भारत के लिए नई नहीं है। दूसरों द्वारा अनुशंसित मानदंडों का अनुसरण करने को बाध्यो होने की जगह भारत को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में विश्वर का नेतृव करना चाहिए।

श्री नरेन्द्रव मोदी ने कहा कि विकास और पर्यावरण सुरक्षा दोनों साथ.साथ चल सकते हैंए लेकिन इस बारे में गंभीर भ्रांतियां फैलायी जा रही हैं। भूमि अधिग्रहण विधेयक का उदाहरण देते हुए उन्होंइने कहा कि विधेयक के प्रावधान जनजातीय और वनभूमि को नहीं छूते लेकिन इस विधेयक को लेकर गंभीर भ्रांतियां और झूठ फैलाए जा रहे हैं। उन्होंूने ऐसे झूठ फैलाने वालों से इससे बचने का आग्रह किया और कहा कि समाज को बरगलाने के प्रयास राष्ट्र  को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने विश्वर से आग्रह किया कि वे भारत में नाभिकीय ईंधन के आयात पर प्रतिबंध पर ढील दें जिससे कि भारत भी बड़े पैमाने पर स्व च्छी नाभिकीय ऊर्जा का उत्पाबदन कर सके। उन्होंरने कहा कि सरकार सौर विकिरणए पवन एवं जैव ईंधन के जरिए व्यापपक तरीके से स्व च्छा ऊर्जा सृजन पर ध्याछन केंद्रित कर रही है।

प्रधानमंत्री को भारत में बाघों की यथास्थिति पर एक रिपोर्ट पेश की गई। प्रधानमंत्री ने देश में बाघ की आबादी में वृद्धि की रिपोर्ट पर संतोष जाहिर किया और कहा कि यह प्रकृति के प्रति सम्माेन की भारत की प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है।

इससे पहलेए प्रधानमंत्री ने सम्मेरलन स्थतल पर एक प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंहने श्स्टैंनडर्ड टर्म्स ऑफ रेफरेंस फॉर इनवायरमेंट इम्पैअक्ट। एनालिसिसश् पुस्तकक का अनावरण किया जिसे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने श्व्यटवसाय करने में सुगमताश् में योगदान देने की दिशा में एक कदम बताया। प्रधानमंत्री ने एक राष्ट्री य वायु गुणवत्ता  सूचकांक भी लांच किया जो सही समय के आधार पर देश के सभी बड़े शहरी केंद्रों में वायु की गुणवत्ताि की निगरानी करेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना. युवा सशक्तिूकरण की नई दिशा

Posted on 07 April 2015 by admin

किसी भी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए कौशल और ज्ञान दो प्रेरक बल हैं। वर्तमान वैश्विीक माहौल में उभरती अर्थव्यकवस्थाजओं की मुख्यक चुनौती से निपटने में वे देश आगे हैं जिन्हों्ने कौशल का उच्चउ स्त्र प्राप्तज कर लिया है।
किसी भी देश में कौशल विकास कार्यक्रम के लिए मुख्य  रूप से युवाओं पर ही जोर होता है। इस मामले में हमारा देश अच्छीय स्थि ति में है। जनसंख्याओ का एक बड़ा हिस्साद उत्पानदक आयु समूह में है। यह भारत को सुनहरा अवसर प्रदान करता हैए परंतु एक बड़ी चुनौती भी पेश करता है। हमारी अर्थव्योवस्थार को इसका लाभ तभी मिलेगा जब हमारी जनसंख्या  विशेषकर युवा स्व स्थ्ए शिक्षित और कुशल होगी।
भारत के पास एक अतुलनीय युवा जनसंख्या‍ है जिससे आने वाले समय में सामाजिक.आर्थिक विकास को जोरदार बढ़ावा मिलना तय है। हमारे पास 60ण्5 करोड़ लोग 25 वर्ष से कम आयु के हैं। रोजगार के लिए उपयुक्तत कौशल प्राप्तज करके ये युवा परिवर्तन के प्रतिनिधि हो सकते हैं। वे न केवल अपने जीवन को प्रभावित करने के काबिल होंगे बल्कि  दूसरों के जीवन में भी बदलाव ला सकेंगे।
हाल में ही मंजूर की गई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना ;पीएमकेवीवाईद्ध युवाओं के कौशल प्रशिक्षण के लिए एक प्रमुख योजना है। इसके तहत पाठ्यक्रमों में सुधारए बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षित शिक्षकों पर विशेष जोर दिया गया है। प्रशिक्षण में अन्य  पहलुओं के साथ व्यिवहार कुशलता और व्यकवहार में परिवर्तन भी शामिल है।
नवगठित कौशल विकास और उद्यम मंत्रालय राष्ट्री य कौशल विकास निगम ;एनएसडीसीद्ध के माध्यतम से इस कार्यक्रम को क्रियान्वित कर रहा है। इसके तहत 24 लाख युवाओं को प्रशिक्षण के दायरे में लाया जाएगा है। कौशल प्रशिक्षण नेशनल स्किइल क्वा2लिफिकेशन फ्रेमवर्क ;एनएसक्यू एफद्ध और उद्योग द्वारा तय मानदंडों पर आधारित होगा। कार्यक्रम के तहत तृतीय पक्ष आकलन संस्था‍ओं द्वारा मूल्यां्कन और प्रमाण पत्र के आधार पर प्रशिक्षुओं को नकद पारितोषिक दी जाएगी। नकद पारितोषिक औसतन 8ए000 रूपए प्रति प्रशिक्षु होगी।
कौशल प्रशिक्षण एनएसडीसी द्वारा हाल ही में संचालित कौशल अंतर अध्य यनों के जरिए मांग के आकलन के आधार पर दिया जाएगा।
केन्द्र और राज्य सरकारोंए उद्योग और व्यावसायिक घरानों से विचार विमर्श कर भविष्यओ की मांग का आकलन किया जाएगा। इसके लिए एक मांग समूहक मंच भी शुरू किया जा रहा है।
कौशल विकास के लक्ष्यए निर्धारित करते समय हाल में ही लागू किये गय प्रमुख कार्यक्रम जैसे कि श्मेक इन इंडियाए डिजिटल इंडियाए राष्ट्री य सौर ऊर्जा मिशन और स्वीच्छौ भारत अभियान के मांगों को भी ध्यांन में रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत मुख्यए रूप से श्रम बाजार में पहली बार प्रवेश कर रहे लोगों पर जोर होगा और विशेषकर कक्षा 10 व 12 के दौरान स्कूरल छोड़ गये छात्रों पर ध्यालन केंद्रित किया जाएगा। योजना का क्रियान्वेयन एनएसडीसी के प्रशिक्षण साझेदारों द्वारा किया जाएगा। वर्तमान में लगभग 2ए300 केंद्रों के एनएसडीसी के 187 प्रशिक्षण साझेदार हैं। इनके अलावा केंद्र व राज्यग सरकारों से संबंधित प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाकओं को भी इस योजना के तहत प्रशिक्षण के लिए जोड़ा जाएगा। सभी प्रशिक्षण प्रदाताओं को इस योजना के लिए योग्यत होने के लिए एक जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा। पीएमकेवीवाई के तहत सेक्टयर कौशल परिषद व राज्य  सरकारें भी कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों की निगरानी करेंगे।
योजना के तहत एक कौशल विकास प्रबंधन प्रणाली ;एसडीएमएसद्ध भी तैयार की जाएगी जो सभी प्रशिक्षण केंद्रों के विवरणों और प्रशिक्षण व पाठ्यक्रम की गुणवत्ता  की जांच करेगी और उन्हें दर्ज भी करेगी। जहां तक संभव होगा प्रशिक्षण प्रक्रिया में बायोमिट्रिक सिस्ट म व वीडियो रिकार्डिंग भी शामिल की जाएगी जो पीएमकेवीआई से जानकारी ली जाएगी जो पीएमकेवीआई की प्रभावशीलता का मूल्यांएकन का मुख्यज आधार होंगे। शिकायतों के निपटान के लिए एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र भी शुरू किया जाएगा। इसके अलावा कार्यक्रम के प्रचार.प्रसार के लिए एक ऑनलाइन नागरिक पोर्टल भी शुरू की जाएगी।
कुल 1120 करोड़ रुपए के परिव्यय से 14 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा और इसमें पूर्व शिक्षा.प्रशिक्षण को चिह्नित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इस मद में 220 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। युवाओं को जुटाने तथा जागुरुकता फैलाने के लिए 67 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। युवाओं को कौशल मेलों के जरिए जुटाया जाएगा और इसके लिए स्थानीय स्तर पर राज्य सरकारोंए स्थानीय निकायोंए पंचायती राज संस्थाओं और समुदाय आधारित संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा।
कौशल व उद्यम विकास वर्तमान सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। नवगठित कौशल व उद्यम विकास मंत्रालय की श्श् मेक इन इंडियाश्श् अभियान के लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। यह अभियान भारत को एक विनिर्माण केन्द्र के रूप में परिवर्तित करने के लिए अहम पहल है। विकासशील अर्थव्यवस्था के विनिर्माण क्षेत्र समेत सभी क्षेत्रों की मांग के अनुसार प्रशिक्षित कार्यबल तैयार करने में इस मंत्रालय की अहम भूमिका है।
इस दिशा में उठाये गए सभी उपायों को शामिल करने के लिए एक नयी राष्ट्रीय कौशल व उद्यम विकास नीति भी तैयार की गयी है। इस नीति के जरिए उच्च गुणवत्ता वाले कार्यबल के साथ विकास को बढ़ावा देने की रूपरेखा तैयार की जा रही है। वर्ष 2022 तक 50 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस दिशा में प्रयास मिशन के तौर पर किया जा रहा है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के तहत तीन संस्थान कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कौशल विकास प्रयासों को नीतिगत दिशा दे रही है और इनकी समीक्षा भी कर रही है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कौशल विकास समन्वय प्रधानमंत्री की परिषद के नियमों को लागू करने के लिए रणनीतियों पर कार्य कर रहा है। एनएसडीसी एक गैर.लाभ कंपनी है और गैर संगठित क्षेत्र समेत श्रम बाजार के लिए कौशल प्रशिक्षण की जरुरतों को पूरा कर रही है।
भारत ने विश्व में सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी पहचान बना ली है। उम्मीद है कि भारत शीघ्र ही विश्व की तीन सबसे बड़े अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा। वर्ष 2020 तक भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा विनिर्माण केन्द्र भी बन जाएगा। जनसंख्या के सकारात्मक कारकों और उच्च गुणवत्ता वाले कार्यबल की सतत उपलब्धता की मदद से हमारा देश विश्व अर्थव्यवस्था में विशेष छाप छोड़ सकता है।
भविष्य के बाजारों के लिए कौशल विकास से लेकर मानव संसाधन विकसित करने के लिए हाल में ही घोषित प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से अवश्य ही हमारी अर्थव्यवस्था को पूर्ण लाभ मिलेगा। नई नीति के तहत मिशन के तौर पर लागू की गई यह योजना मानव संसाधन और उद्योग के विकास में एक नए युग की शुरुआत करेगी।
’सुश्री अर्चना दत्ता एक स्वतंत्र लेखिका हैं और पूर्व महानिदेशकए डीडी न्यूज और महानिदेशकए एनएसडी ;एआईआरद्ध हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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शोक संवेदना

Posted on 07 April 2015 by admin

आज दिनांक 06 अपै्रल 2015। भारतीय जनता पार्टी, एन0जी0ओ0 प्रकोष्ठ के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य राजीव दीक्षित के पिता स्व0 रामानंद दीक्षित पूर्व निर्देशक निर्माण एवं यांत्रिक विभाग नरेन्द्र देव विश्व विद्यालय फैजाबाद, निवासी 2218 राजाजी पुरम लखनऊ में  दिनांक 06 अप्रैल 2015 को प्रातः 09 बजे निधन हो गया है। जिनका अंतिम संस्कार बैकुण्ठ धाम में किया गया।
उनके निधन पर अवध क्षेत्र कार्यालय में एक शोक सभा आयोजित की गयी। सभा में क्षेत्रीय अध्यक्ष मुकुट बिहारी वर्मा जी एवं क्षेत्रीय संगठन मंत्री अशोक तिवारी जी ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला। शोक सभा में उपस्थित क्षेत्रीय उपाध्यक्ष मान सिंह, राजेश कटियार, क्षेत्रीय महामंत्री भिखारी सिंह, क्षेत्रीय कोषाध्यक्ष प्रदीप भार्गव, क्षेत्रीय मंत्री धीरेन्द्र बहादुर सिंह, राजीव मिश्रा, नीरज सिंह, क्षेत्रीय प्रवक्ता दिलीप श्रीवास्तव, क्षे0 मीडिया प्रभारी अंजनी कुमार श्रीवास्तव, श्यामजीत सिंह, जितेन्द्र सिंह, रामऔतार तिवारी पण्डित जी आदि सभी ने उनकी आत्मा की शांति के लिए 02 मिनट का मौन रखकर ईश्वर से उनके परिवार को इस दुःख की घड़ी में शक्ति देने की प्रार्थना करते हुए उन्हें श्रृद्धांजली अर्पित की।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विगत विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सत्ता में आने के बाद प्रदेश में लगातार जिस तरह कानून व्यवस्था ध्वस्त हुई है,

Posted on 07 April 2015 by admin

कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विगत विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सत्ता में आने के बाद प्रदेश में लगातार जिस तरह कानून व्यवस्था ध्वस्त हुई है, भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया है और प्रशासनिक अधिकारियों का राजनीतिकरण किया गया है, उसी का परिणाम है कि प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार के तीन वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था पर कोई पकड़ नहीं बना पायी है।
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता सिद्धार्थप्रिय श्रीवास्तव ने आज यहां जारी बयान में कहा कि कांग्रेस पार्टी शुरू से ही समाजवादी पार्टी पर अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दिये जाने का आरोप लगाती रही है और समय-समय पर इस बात की पुष्टि भी हुई है किन्तु अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने के बजाय समाजवादी पार्टी की सरकार ने हमेशा ही अपराधियों को संरक्षण देने का कार्य किया है। चाहे वह लोकायुक्त द्वारा खनन मंत्री के विरूद्ध की गयी टिप्पणी अथवा उ0प्र0 लोक सेवा आयोग के चेयरमैन पर भर्ती घोटाले में संलिप्तता के आये दिन लग रहे भ्रष्टाचार के आरोप के बावजूद भी इस सरकार की कान में जूं नहीं रेंगा।
प्रवक्ता ने कहा कि बेहतर कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार मुक्त शासन का ढोल पीटने वाली समाजवादी पार्टी के शासन में आते ही हत्या, लूट, बलात्कार, राहजनी, डकैती जैसे जघन्य घटनाओं में बाढ़ सी आयी। इतना ही नहीं प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी पूरी तरह असुरक्षित हो गयी। महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या की तमाम घटनाओं चाहे व गौरी हत्याकाण्ड हो, दो-दो बार एटीएम कैश वैन लूटने की घटना हो, जिसमें एचडीएफसी के एटीएम कैशवैन को दिनदहाड लूटने के बाद बदमाशांें ने तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी, जिसका अभी तक पुलिस सुराग तक नहीं लगा पायी है और हत्याओं का सिलसिला अभी तक नहीं थमा है। हास्यास्पद तो यह है कि अल्प समय में हत्या और लूट का खुलासा करने का दावा करने वाली पुलिस और प्रदेश सरकार अब इन हत्याओं और लूट में आतंकवादियों का हाथ होने की बात कह रही है।
श्री श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तर प्रदेश दहशतगर्दी के मकड़जाल में फंसा हुआ लग रहा है। प्रदेश की सरकार और पुलिस अपनी नाकामी को छिपाने के लिए रोजाना नई कहानियां बना रही है और अपराधियों पर नकेल कसने के बजाय घटनाओं में आंतकी हाथ होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रही है। अभी कल ही लूट और हत्याओं के सिलसिले में पुलिस के खुलासे ऐसा लग रहा है कि आतंकवादियों का चरागाह उ0प्र0 बना हुआ है। पुलिस के इतने बड़े खुलासे के बाद भी कड़े कदम उठाने के बजाय प्रदेश सरकार आम जनता की जिंदगी से बेपरवाह होकर पूरी तरह उदासीन बनी हुई है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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सरकार को जागने प्रदेश के चतुर्थ श्रेणी कार्मिकांें की दस को रैली बाइस सूत्रीय मांगों के निस्तारण के लिए 25 मार्च से जारी महासंघ का क्रमिक आन्दोल

Posted on 06 April 2015 by admin

प्रदेष के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सरकार की उपेक्षा से नाराज है अपनी 22 सूत्रीय मांग पत्र 25 मार्च से प्रदेश चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ का क्रामिक आन्दोलन जारी है। अब तक सरकार की तरफ से कोई जबाब न आने से नाराज प्रदेश का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के बैनर तले 10 अप्रैल को राजधानी प्रान्तीय रैली करेगा। उत्तर प्रदेषीय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे और महामंत्री जगदीष सिंह बताया कि चतुर्थ श्रेणी संवर्ग की वर्षों से लम्बित 22 सूत्रीय मांग पत्र पर विस्तार से चर्चा के उपरान्त क्रमिक एवं वृहद आन्दोलन का निर्णय लिया गया था। क्रमिक आन्दोलन के रूप में 25 फरवरी से पूरे प्रदेष में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने काला फीता बाॅधकर विरोध प्रदर्षन किया जा चुका है। 9 मार्च से 20 मार्च तक सभी जिला एवं मण्डल मुख्यालयों पर गेट सभा तथा राजधानी स्तर पर समस्त विभागों के समक्ष आमसभा कर विरोध प्रदर्षन और 23 मार्च को जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्षन तथा जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को 22 सूत्रीय ज्ञापन/मांग पत्र भेजा जा चुका है इसके उपरान्त 27 मार्च को मण्डलायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना एवं ज्ञापन दिया गया। इसके पष््चात भी समस्याओं का निदान न होने पर 10 अप्रैल को राजधानी में विषाल प्रदर्षन का निर्णय लिया गया।
बैठक की जानकारी देते हुए कार्यवाहक अध्यक्ष महेन्द्र पाण्डेय ने बताया  कि प्रदेष के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सबसे ज्वलंत समस्या यह है कि वर्शों से इस संवर्ग में भर्ती न करके करके सरकार संविदा प्रणाली को बढ़ावा देकर इस संवर्ग को समाप्त करने का कुचक्र रच रही है। चतुर्थ श्रेणी समूह घ के रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती कराई जाए तथा संविदा प्रणाली को समाप्त किया जाए। प्रदेष के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को वेतन संषोधन/उच्चीकरण का लाभ बैण्ड एक रुपये 5200-20200 एवं ग्रेड वेतन 1800 वर्ष 2006 काल्पनिक रूप से अनुमन्य कराते हुए वास्तविक लाभ 8 सितम्बर 2010 से दिया गया है इसे केन्द्र सरकार की भाॅति एक जनवरी 2006 से वास्तविक लाभ दिया जाए। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को एक जनवरी 2006से ग्रेड वेतन 1800 रुपये अनुमन्य होने पर 30 नवम्बर 08 से पूर्व व्यवस्था के अन्तर्गत षासनादेष संख्या वे.आ.-2-627/10-2007-44/2001टी.सी. 21 जून 2007में दी गयी समयमान वेतनमान देने की व्यवस्था के अन्तर्गत एक जनवरी 06 को मूल ग्रेड वेतन 1800 होने पर प्रथम प्रोन्नति वेतनमान/ग्रेड वेतन 1900(इग्नोर कर) अगला वेतनमान/ग्रेड वेतन 2000 एवं द्वितीय प्रोन्नति/ग्रेड वेतन 2400 (इग्नोर कर) को छोडकर 2800 वेतनमान ग्रेड वेतन दिया जाए। एक दिसम्बर 2008 से लागू सुनिष्चित कैरियर प्रोन्नयन (एसीपी) का तृतीय लाभ ग्रेड वेतन 4200 दिया जाए। पंचायती राज विभाग के अधीन कार्यरत सफाईकर्मिकों को ग्राम प्रधानों के नियंत्रण से मुक्त किया जाए। इनके कार्य के धन्टे निर्धारित किए जाए। 29 जुलाई 91 के पष््चात के समस्त विभागों में कार्यरत दैनिक वेतन/वर्कचार्ज कर्मिकों को नियमित कर पेंषन, ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाए।वर्दी भत्ते को लेकर किए गए वर्गीकरण को समाप्त करते हुए प्रदेष के समस्त चतुर्थ श्रेणी कर्मिकों को वर्दी भत्ता दिया जाए।  बेसिक षिक्षा परिषद द्वारा संचालित पूर्व माध्यमिक परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत स्नातक/परास्नातक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सेवारत प्रषिक्षण दिलाकर प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर पदोन्नति दी जाए। इन कर्मचारियों की सेवानियमावली बनाकर पदोन्नति का प्राविधान एवं मृतक आश्रित नियमवली 1974 का लाभ दिया जाए। प्रान्तीय रैली की समीक्षा बैठक में भारत सिंह यादव,जगदीष सिंह, रामसुरेष, रामयष, अमित यादव, दूधनाथ, ऊदल यादव, मायादेवी, नौरिषपाॅल, रामजी तिवारी, सत्यदेव वर्मा, दयाषंकर दीक्षित, सनंत मिश्रा, कृष्ण बहादूर गोकुल तिवारी, ओमप्रकाष, जगन्नाथ सिंह, धंनजंय मौर्या, गणेष यादव, हैदर हसन,षलीमुद्दीन, वरूण, अमृत लाल, रामबदल दुबे, सुनील कुमार जितेन्द्र नाथ, दीनानाथ वर्मा, अंजनी शुक्ला, जय प्रकाष, रामेन्द्र श्रीवास्तव, मालती कष्यप, जीतेन्द्र नेगी, मितुल सोनकर, षिवपूजन, हरिषचन्द्र उपस्थित थे। बैठक में विषेष रूप से आमंत्रित इन्दिरा भवन जवाहर भवन क अध्यक्ष सतीष कुमार पाण्डेय एवं राजकीय वाहन चालक संघ लोनिवि के अध्यक्ष त्रिलोक सिंह ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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बी.एस.पी. द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति-दिनांक 05.04.2015

Posted on 06 April 2015 by admin

मीडिया बन्धुओं, आज की यह प्रेस कान्फ्रेेंस खासतौर से उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर और साथ ही केन्द्र में बीजेपी व श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रही एन.डी.ए. सरकार के भी लगभग दस महीने पूरे होने पर इनकी अब तक रही ‘‘नीतियों व कार्यकलापों’‘ के सम्बन्ध में अपनी पार्टी की प्रतिक्रिया ज़ाहिर करने के लिए बुलायी गई है और इस सम्बन्ध में सबसे पहले मैं उत्तर प्रदेश के बारे में यह कहना चाहूँगी कि उत्तर प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार ने अभी पिछले महीने ही अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे किये हैं और इस मौक़े पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में सपा सरकार के मुखिया ने अपनी घोर ‘‘विफलताओं’’ को छिपाने की कोशिश में एक हवाई दावा यह किया है कि सपा सरकार द्वारा सारी की सारी चुनावी घोषणायें तीन वर्ष में ही पूरी कर ली गयी हैं जबकि इस मामले में हकीकत यह है कि ’’उत्तर प्रदेश की सपा सरकार के पिछले 3 वर्षों का कार्यकाल हर मामले में व हर स्तर पर बहुत ही ज्यादा खराब, दुःखदायक व कष्टदायक एवं अति चिन्ताजनक’’ रहा है और खासतौर से प्रदेश में अपराध नियन्त्रण एवं कानून-व्यवस्था के मामले में वर्तमान सपा सरकार अपने सभी पुराने रिकार्ड को तोड़ते हुये इस बार इतनी ज्यादा ‘‘लचर सरकार‘‘ साबित हो रही है कि अब यहाँ आम लोगों का विश्वास ‘‘कानून-व्यवस्था एवं इस सरकार‘‘ से काफी हद तक उठ चुका है।
इसके साथ ही, प्रदेश में ‘‘शासन-प्रशासन‘‘ व्यवस्था लगभग यहाँ ध्वस्त हो चुकी है। प्रदेश में हर तरफ सपा के ‘‘गुण्डों, बदमाशों, माफियाओं एवं अराजक व भ्रष्ट‘‘ तत्वों का बोलबाला है। साथ ही यहाँ ‘‘कानून-व्यवस्था व अपराध नियन्त्रण‘‘ के मामले में इस सरकार के मुखिया की ‘‘लाचारी‘‘ इस बात से भी साफ झलकती है कि जब प्रदेश का मुख्यमंत्री यह कहे कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था को ठीक करने के लिए क्या मैं खुद पुलिस की वर्दी पहन लूँ। इस प्रकार से कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश केे मुख्यमंत्री के मुँह से दिया गया यह बयान यहाँ प्रदेश की ‘‘शर्मनाक‘‘ कानून-व्यवस्था की स्थिति को स्वयं दर्शाता है और साथ ही यह बयान सरकार की ‘‘लाचारी‘‘ को भी दर्शाता है, जो कि अत्यन्त ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इतना ही नहीं बल्कि पिछले 3 वर्षों में पूरे प्रदेश में चोरी, डकैती, हत्या, लूटमार, फिरौती, अपहरण, बलात्कार, साम्प्रदायिक दंगे व तनाव आदि की वारदातें भी यहाँ काफी ज्यादा चरमसीमा पर पहुँच चुकी है। इसलिए अधिकांश लोग अब यहाँ इस प्रदेश को उत्तर प्रदेश नहीं बल्कि ‘‘क्राईम प्रदेश‘‘ ही कहने लगे हैं।
इसके साथ-साथ इस सरकार में विकास के कार्य जमीन पर बहुत कम और मीडिया में ही ज्यादा प्रचारित किये जा रहे हैं। इसके अलावा इस सरकार के मुखिया ने अभी तक प्रदेश में ‘‘विकास व जनहित’’ के जिन भी कार्याें के ‘उद्घाटन’ आदि किये है, तो उनमें से ज्यादातर कार्य ‘‘बी.एस.पी.‘‘ की सरकार में ही शुरू कर दिये गये थे। इसी क्रम में नोएडा व गाजियाबाद में ‘‘मेट्रो-ट्रेन’’ चलाने के बाद, राजधानी लखनऊ में भी ‘‘मेट्रो-ट्रेन व मोनो रेल’’ के संचालन हेतु अन्तिम रूपरेखा भी बी.एस.पी. की ही सरकार में तैयार कर दी गयी थी। इसके साथ ही कुछ और भी ऐसे कार्य हैं, जिनकी भी शुरूवात बी.एस.पी. की ही सरकार में की गयी थी। जिनका पूरा ‘‘श्रेय‘‘ अब यह सपा सरकार खुद ही लेने की कोशिश में लगी हुई है। लेकिन प्रदेश की जनता इससे पूरी तरह से वाकिफ है। इतना ही नहीं बल्कि यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि वर्तमान सपा सरकार प्रदेश की आमजनता के ‘‘हित व कल्याण‘‘ पर बराबर ध्यान देने के बजाये, अपना ज़्यादातर ‘‘ध्यान व धन’’ अपने पैतृक गांव सैफई पर ही लगाने की इस गलत परम्परा को अभी तक भी लगातार जारी रखे हुये हैं। इस प्रकार की अनेकों और गलत ‘‘कार्य-प्रणाली‘‘ का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश में सभी वर्गों एवं विभिन्न क्षेत्रों में लगे लोग और उसमें भी इस समय सबसे ज्यादा यहाँ ‘‘लाखों गन्ना किसान’’ अभी तक भी, काफी ज्यादा बदहाल व परेशान हैं।
साथ ही प्रदेश में अभी हाल की हुई ‘‘बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि’’ आदि से काफी भयानक तरीके से संकट में फंसे लाखों किसानों की आर्थिक मदद की मांग का भी इस सरकार पर फिलहाल अभी तक भी कोई खास असर नहीं पड़ रहा है। इनके साथ-साथ इस सरकार में खासकर दलित वर्ग के लोगों का और उसमें भी विशेषतौर से सरकारी कर्मचारियों का ‘‘जातिगत व राजनैतिक द्वेष‘‘ की भावना से इनका काफी ज्यादा शोषण किया जा रहा है। और इसी ही मानसिकता के तहत् चलकर अभी हाल ही में इस सरकार ने सिंचाई विभाग के दलित कर्मचारियों को बड़े-पैमाने पर ‘‘रिवर्ट‘‘ ;त्मअमतजद्ध करने का भी फैसला लिया है। जिसकी हमारी पार्टी कड़े शब्दों में निन्दा भी करती है। हालांकि लगभग यही रवैया इस सरकार में अति पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ भी अपनाया जा रहा है। इनके इलावा इस सरकार में ‘‘धार्मिक अल्पसंख्यक‘‘ समाज में से खासकर मुसलमानों व अपरकास्ट समाज में से गरीब लोगों की भी कोई खास अच्छी हालत नहीं रही है। और इन सब कारणों से ही पूरे प्रदेश की आमजनता में हर स्तर पर काफी ज़्यादा निराशा व्याप्त है। जिनकी तरफ से ध्यान हटाने के लिए ही अब यह सपा सरकार ‘‘अधिकांश विज्ञापनों व होर्डिंगों’’ आदि पर करोड़ों रूपये ख़र्च करके, कोरी हवाई, प्रचार-प्रसार का ही सहारा लेने का प्रयास कर रही है। ऐसी स्थिति में अब यहाँ सपा सरकार की ‘‘इमेज’‘ लगातार गिरती जा रही है।
किन्तु इसके बावजूद भी यदि सपा सरकार का यह विश्वास व दावा है कि उसने अपने सभी चुनावी वायदांे को अब पूरा करके दिखा दिया है, तो निश्चय ही इसकी अच्छी फसल काटने के लिए फिर समाजवादी पार्टी को बिना कोई देरी किये हुये तत्काल ही इन्हें विधानसभा भंग करके, व मध्यावधि चुनाव कराकर, यहाँ नया जनादेश प्राप्त कर लेने की घोषणा कर देनी चाहिए। परन्तु हवाई बातें करने वाली यह पार्टी कदापि ऐसा कुछ करने वाली नहीं है।
और अब मैं केन्द्र सरकार की ‘‘नीतियों व कार्य-कलापों’’ के बारे में भी यह कहना चाहूँगी कि केन्द्र में बीजेपी व श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. की सरकार को भी बने हुये  अब ‘‘लगभग दस महीने’’ पूरे हो चुके हैं। और इस अवधि में इन्होंने ‘देश व जनहित’ में किये गये, अपने चुनावी वायदों को निभाने की तरफ बहुत कम और यहाँ ‘‘बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों’’ आदि के हितों को ही साधने की तरफ ज्यादा अपना ध्यान दिया है। इसके साथ ही इन ‘‘दस महीनों’’ के अन्दर इनको ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुँचाने के लिये इस सरकार ने अभी तक अनेकों ‘‘नियम व कानूनों’ में काफी ज्यादा संशोधन भी कर दिये हैं। और खासकर ‘‘भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून’’ इस बात का जीता-जागता उदाहरण है। जिसको लेकर, पूरे देश के ‘‘किसान लोग’’ काफी ज्यादा ‘‘गुस्से‘‘ में हैं व ‘‘आन्दोलित‘‘ भी हैं। इसके साथ ही बी.एस.पी. सहित, लगभग सभी विपक्ष की पार्टियाँ भी, इस ‘‘भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक‘‘ के खुलकर विरोध में हैं। हालांकि इसके विरोध में अभी कुछ दिन पहले ‘‘संसद सत्र’’ के दौरान् ही जब विपक्ष ने मिलकर कांग्रेस पार्टी की ‘‘अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गाँधी’‘ की अगुवाई में माननीय राष्ट्रपति जी से मिलने के लिये एक ‘‘पैदल-मार्च’’ निकालने का कार्यक्रम आयोजित किया था तब उसमें हमारी पार्टी के सांसदों ने अपने पूर्व के कई खराब अनुभवों को ध्यान में रखकर व पार्टी हित में, इस मार्च में शामिल नहीं होने का फैसला लिया था। और इस सन्दर्भ में, वैसे आप लोगों को भी यह मालूम है कि जब आज से कुछ वर्ष पहले ‘‘श्रीमती सोनिया गाँधी‘‘ मेरे खुद के जन्म-दिन के मौके पर, मुझे जन्म-दिन की बधाई देने के लिये, दिल्ली के बी.एस.पी. केन्द्रीय कार्यालय में पहुँची थी तो तब उसके बाद, इसकी आड़ में खासकर, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के लोगों ने, इसका यहाँ कुछ समय के बाद होने वाले विधानसभा के आमचुनाव में बी.एस.पी. के साथ मिलकर, चुनाव लड़ने का जानबूझ कर यह गलत प्रचार करके, फिर इसका राजनैतिक लाभ उठाने का भी पूरा-पूरा प्रयास किया था और इनका यह गलत प्रचार, उस समय तब थमा था, जब हमारी पार्टी के उम्मीदवारों को, सभी सीटों पर पार्टी का चुनाव-चिन्ह आवंटित हो गया था। लेकिन फिर भी उस चुनाव में हमारी पार्टी को इसका काफी कुछ नुकसान हुआ था, जिसे मध्यनजर रखते हुये अब हमारी पार्टी आगे ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाना चाहती है जिससे पूर्व की तरह, फिर से हमारी पार्टी को खासकर यहाँ उत्तर प्रदेश में राजनैतिक नुकसान पहुँचे। इसीलिये हमने खासतौर से उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी के हित को ध्यान में रखकर इनके इस पैदल मार्च में शामिल नहीं होने का फैसला लिया था।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी पार्टी, वर्तमान केन्द्र की सरकार के ‘‘भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक‘‘ के खिलाफ नहीं है, अर्थात हमारी पार्टी इसके पूरेतौर से विरोध में है। जबकि किसानों के हित में मैंने ‘‘दिनांक 19 मार्च’’ को राज्यसभा के अन्दर स्पष्टतौर से यह कहा था कि वर्तमान केन्द्र की भाजपा की एन.डी.ए. सरकार का भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक किसानों के हित में नहीं है बल्किी यह पूर्णरूप से किसान विरोधी है। ऐसी स्थिति में केन्द्र की वर्तमान सरकार को इस संशोधित विधेयक को वापिस लेकर व इसके स्थान पर ‘‘सन् 2013’’ में बने भूमि अधिग्रहण कानून को ही लागू कर देना चाहिये।
हालांकि इसके साथ ही, उसी ही दिन मैंने उत्तर प्रदेश सहित देश के अधिकांश राज्यों में, पिछले कुछ समय से ‘‘बेमौसमी बारिश (बरसात) व ओलावृष्टि’’ आदि की हुई  इस कुदरती मार से पीडि़त किसानों को भी, राज्यों के साथ-साथ केन्द्र की सरकार से भी समय से उन्हें ‘‘उचित मुआवजा’’ देने की भी जबरदस्त गुजारिश की थी। लेकिन अभी तक भी ऐसा नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा आज पूरे देश में, इस सच्चाई से भी कौन इन्कार कर सकता है कि भारतीय जनता पार्टी व श्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा आमचुनाव के दौरान् देश के ‘‘सभी वर्गों व धर्मांे’’ के खासकर गरीब एवं बेरोजगार लोगों के हितों में और साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में लगे लोगों के हितों में भी जो इन्हें किस्म-किस्म के अनेकों ‘‘प्रलोभन-भरे’‘ चुनावी वायदे किये थे उन्हें पूरा करने के मामले में अब यह सरकार अपने लगभग दस महीने के कार्यकाल में हमें कभी भी गम्भीर प्रयास करती हुई नजर नहीं आयी है।बल्किी इसके ठीक विपरीत इस सरकार की ‘‘कार्यशैली व सोच एवं तत्परता‘‘ केवल उन मुठ्ठी भर बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों आदि को ही अधिकांश फ़ायदा पहुँचाने में ही लगी रही है। जिनके ‘‘धन-बल’’ के सहयोग से यह पार्टी केन्द्र की सत्ता में आयी है और अब इस सरकार की निगाह में ‘‘पूँजीपतियों का विकास‘‘ ही देश का विकास है। गरीब जनता चाहे भूखी मरते रहे, किसान चाहे आत्महत्या करते रहें, या हजारों लोग स्वाइन फ्लू जैसे रोग से मरते रहें। या फिर हमारे सैनिक अपने देश की रक्षा के लिये आयेदिन यहाँ सीमाओं पर शहीद होते रहे। किन्तु फिर भी केन्द्र की मौजूदा सरकार इस प्रकार की ‘‘राष्ट्रीय चिन्ताओं‘‘ से अधिकांश हमें मुक्त ही नज़र आती है।
इसके साथ ही वर्तमान केन्द्र की सरकार की कार्यशैली व सोच जनहित के खास मुद्दों व सामाजिक न्याय एवं सामाजिक सुरक्षा जैसे मामलों के प्रति भी अधिकांश ठीक नहीं है और खासकर ‘‘दलितों एवं अन्य पिछड़े वर्गांे‘‘ को मिलने वाली ‘‘आरक्षण‘‘ की सुविधा को भी इस सरकार में जिस प्रकार से एकदम ‘‘निष्प्रभावी‘‘ बना दिया गया है। उससे यह भी साबित होता है कि यह सरकार अपनी वास्तविक संवैधानिक जिम्मेदारियों से मुँह मोड़कर अब पूँजीपतियों के हाथों में ही खेलती हुई एक लाचार व मजबूर सरकार बन गयी है। इतना ही नहीं बल्कि इन वर्गों के अर्थात् दलितों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के ‘‘सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों‘‘ को आदर-सम्मान देने के मामले में भी मौजूदा केन्द्र की सरकार का भी रवैया अधिकांश हमें जातिगत द्वेष की भावना से ‘‘पक्षपात‘‘ वाला ही नजर आया है। और इस मामले में वैसे आप लोगों को यह मालूम है कि अभी हाल ही में केन्द्र की सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री ‘‘श्री अटल बिहारी वाजपेयी व पण्डित मदन मोहन मालवीय‘‘ को जो ‘‘भारत रत्न‘‘ की उपाधि से सम्मानित किया गया हैे, इसके हमारी पार्टी कतई भी खिलाफ नहीं है अर्थात् इसका हमारी पार्टी स्वागत भी करती है, किन्तु इनके साथ-साथ यहाँ हमारी पार्टी का यह भी कहना है कि बहुजन नायक ‘‘मान्यवर श्री कांशीराम जी व अन्य और हमारे महापुरूषों‘‘ का भी खासकर यहाँ ‘‘सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति‘‘ के लिए, किये गये उनके कार्यों का, कोई कम योगदान नहीं रहा है। लेकिन दुःख की बात यह है कि पूर्व की कांग्रेसी सरकार की तरह ही अब वर्तमान केन्द्र की भाजपा सरकार भी हमारे इन महापुरूषों को ‘‘भारत रत्न‘‘ की उपाधि से सम्मानित करने के मामले में अभी तक भी पूरेतौर से चुप्पी साधे हुये हैं। इससे इनकी इन वर्गों के प्रति आज भी ‘‘हीन व जातिवादी मानसिकता‘‘ साफ झलकती है।
इसके साथ ही देशहित के सबसे बड़े मुद्दे अर्थात ‘‘भ्रष्टाचार के अभिशाप से मुक्ति‘‘ के मामले में भी देश की आमजनता को अब तक केवल ‘‘उपदेश व कोरी बयानबाज़ी‘‘ ही सुनने को मिली है। और इस सम्बन्ध में देश की जनता को ठोस व गम्भीर प्रयास कुछ भी होते हुये अभी तक भी नज़र नहीं आ रहे हंै। इसके अलावा, केन्द्र की वर्तमान सरकार द्वारा अभी हाल ही में पेश किया गया पहला पूर्ण ’’बजट’’ भी यह साबित करता है कि सामाजिक सुरक्षा से सम्बन्धित मामलों में यह सरकार काफी ज्यादा उदासीन है। और इससे जुड़े बजट में इस बार बीस प्रतिशत अर्थात् 2,200 करोड़ रूपयों की कटौती कर दी गयी है, जिससे अब शिक्षा, स्वास्थ्य व महिला उत्थान (सशक्तीकरण) आदि से सम्बन्धित क्षेत्र की कल्याणकारी योजनायें प्रभावित होंगी। और लाखों लोगों को इसका नुकसान भी होगा।    इसके साथ ही इस सरकार द्वारा ’’खाद्यान्न, खाद व पेट्रोलियम पदार्थों’’ आदि पर मिलने वाली रियायत (सब्सिडी-छूट) को भी घटाकर ग़रीब व आमजनता के हितों के खि़लाफ काम किया गया है। जबकि ‘‘धन्नासेठों व कारपोरेट जगत’’ के लाभ के लिये कारपोरेट टैक्स पाँच प्रतिशत घटाकर अब इसे 25 प्रतिशत कर दिया गया है। इस प्रकार केन्द्र सरकार के इस पहले बजट से ही ‘‘पूँजीपतियों व कारपोरेट, जगत‘‘ को हर प्रकार से ख़ुश करने का प्रयास किया गया है। कुल मिलाकर वर्तमान केन्द्र की सरकार का बजट भी, उनकी जनविरोधी गलत सोच को, पक्का करके, गरीबों और अमीरों के बीच की गैर-बराबरी को और ज्यादा बढ़ाने वाला प्रतीत होता है।
जहाँ तक देश के खासकर ‘‘दलितों एवं अन्य पिछड़े वर्गों‘‘ की स्थिति का मामला है तो इन वर्गों के लोगों के प्रति भी श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार का रवैया प्रारम्भ से ही हर मामले में उन्हें मायूस करने वाला रहा है। और इन दबे-कुचले लोगों के ‘‘हित व कल्याण’’ में कुछ ठोस काम करना तो बहुत दूर की बात है, बल्कि इस सम्बन्ध में कुछ सही व सहानुभूतिपूर्ण बोलना भी यह सरकार उचित नहीं समझती है। और इतना ही नहीं बल्किी राष्ट्रपति जी के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान् जब हमारी पार्टी ने इन वर्गों के हितों को लेकर राज्यसभा में बोलते हुये केन्द्र सरकार का ध्यान आकर्षित कराया तो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व इनकी सरकार ने इस मामले में कुछ भी कहना मुनासिब नहीं समझा, इससे इनकी इन वर्गों के प्रति ‘‘हीन व जातिवादी’’ मानसिकता साफ झलकती है। और इसी ही प्रकार जबसे केन्द्र में बीजेपी के नेतृत्व में एन.डी.ए. की सरकार बनी है तबसे लेकर अभी तक भी, पूरे देश में ‘‘धार्मिक-अल्पसंख्यक’’ समाज के लोग और उसमें भी खासकर मुस्लिम व ईसाई समुदाय के लोग, हमें हर मामले में काफी ज्यादा ‘‘दुःखी व असुरक्षित’‘ नजर आते हैं। क्योंकि आयेदिन बीजेपी व इनके सभी हिन्दूवादी संगठन, किसी ना किसी मुद्दे की आड़ में, अक्सर इन पर हमला ही बोलते रहते हैं। साथ ही, देश में साम्प्रदायिक सौहार्द को भी बिगाड़ने का हर सम्भव प्रयास करते रहते हैं जिससे बचने के लिये, पहले अमेरिका के राष्ट्रपति ने और अब सुप्रीम-कोर्ट के एक जज ने भी, श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को इसकी हिदायत दी है। लेकिन दुःख की बात यह है कि, इनका इस सरकार पर, अभी तक भी कोई खास ’’असर’’ होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। यह भी अपने देश के लिए बहुत ही चिन्ता की बात है। और इसके साथ ही इससे इस सरकार के मूलमन्त्र अर्थात् ‘‘सबका साथ, सबका विकास‘‘ की भी हवा निकलती है।
इसके साथ ही, बीजेपी व इनके सहयोगी संगठनों द्वारा अपने विरोधी दलों के नेताओं के ऊपर भी अब आयेदिन ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणी की जा रही है जिससे देश में ‘‘कानून-व्यवस्था‘‘ की स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है इसके अलावा लोगांे को ‘‘बेहतर शासन-व्यवस्था व विकास‘‘ के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, देश के बड़े राज्यों ख़ासकर ’उत्तर प्रदेश का विभाजन’ करने व लोगों को सस्ता एवं सुगम न्याय उपलब्ध कराने हेतु ’’पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की एक बेंच’’ स्थापित करने की जनहित से जुड़ी इन जरूरी मांगों पर भी केन्द्र की यह सरकार अभी तक भी कोई कदम नहीं उठा पा रही है।
जहाँ तक देश को खाद्यान्न के मामले में आत्म-निर्भर बनाने वाले ’किसान समाज’ की बात है। तो यह सरकार देश के ‘‘सकल घरेलू उत्पाद’’ अर्थात् जी.डी.पी. में 18 प्रतिशत अंशदान करने वाले किसानों के हितों पर  भी कुठाराघात करती हुई, नजर आती है। साथ ही किसानों की ज़मीन एक प्रकार से उनकी मजऱ्ी के खि़लाफ, उनसे छीनकर बड़े-बड़े पूँजीपतियों को देने की ग़लत नीति अपनाने के मामले में भी यह सरकार हमें एक नया रिकार्ड बनाती हुई प्रतीत होती है। इस प्रकार से हर मामले में व हर स्तर पर ‘‘बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठांे‘‘ को लाभ पहुँचाने के मामले में वर्तमान केन्द्र की यह सरकार कांग्रेस पार्टी की सरकारों से भी चार क़दम आगे निकल जाने का अनुचित प्रयास कर रही है, जिसके खि़लाफ आज अकेले बी.एस.पी. ही नहीं बल्किी पूरा देश खड़ा नज़र आ रहा है, और इन सब कारणों से ही अपने खिसकते हुये जनाधार को देखकर अब इस पार्टी को कर्नाटक स्टेट के बैंगलोर में हुई ‘‘अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी‘‘ की बैठक में भी इन सब मामलों को लेकर ‘‘मंथन‘‘ करने के लिए कुछ हद तक जरूर मजबूर होना पड़ा है। संक्षेप में अब मेरा यही कहना है कि उत्तर प्रदेश में सपा सरकार का पिछले 3 वर्षों का कार्यकाल व केन्द्र की वर्तमान सरकार का भी लगभग 10 महीनों का कार्यकाल ज्यादातर मामलों में ‘‘विफल व निराशाजनक‘‘ ही रहा है।
एक सवाल के जवाब में सुश्री मायावती जी ने कहाकि दलितों का वोट हासिल करने के इरादे से विभिन्न विरोधी पार्टियां हमेशा ही अनेकों प्रकार की नाटकबाजी करती रहती हैं, परन्तु दलित समाज के लोग ना तो पहले कभी इनके बहकावे में आये हैं और नहीं आगे आने वाले हैं, क्यांेकि दलित समाज के लोगों को मालूम है कि उनकी असली हितैषी कौन है और किस पार्टी ने बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के कारवां को मुस्तैदी से आगे बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहाकि भाजपा का ढोंग दलितों को गुमराह नहीं कर सकता है। लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी की हवा में भी दलित समाज अपने बी.एसपी. से तिल भर नहीं खिसका और ना केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में मजबूत पत्थर की तरह बी.एस.पी. मूवमेन्ट से जुड़ा रहा है।
उन्होंनें कहाकि दिनांक 6 दिसम्बर सन् 1956 को बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के देहान्त के बाद लम्बे समय तक केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार रही, जिस दौरान बाबा साहेब को आदर-सम्मान देते हुये ’भारतरत्न’ देने की मांग लगातार की जाती रही, परन्तु कांग्रेस ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद सन् 1977 में गैर-कांग्रेसी सरकार केन्द्र में बनी, जिसके मुख्य घटक में भाजपा (तब जनसंघ) के लोग भी थे। तब भी बाबा साहेब को आदर-सम्मान देने के मामले केन्द्र सरकार का रवैया नकारात्मक बना रहा। अन्ततः सन 1989 में जब श्री वी.पी. सिंह के नेतृत्व में केन्द्र में जनता दल की सरकार बनी तो बी.एस.पी. ने तीन शर्तों के आधार पर उसे अपना बाहर से समर्थन दिया। पहली शर्त भी बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को भारतरत्न से सम्मानित करना। दूसरी शर्त थी मण्डल आयोग की सिफारिश को लागू करना व तीसरी शर्त थी श्री आडवाणी की रथयात्रा को उत्तर प्रदेश में आने से पहले रोकना। बी.एस.पी. की इन तीनों शर्तों को श्री वी.पी. सिंह की सरकार ने मान लिया, परन्तु भाजपा ने इनका विरोध किया और अपना समर्थन वापस लेकर श्री वीपी. सिंह की सरकार को गिरा दिया। इसके बाद सन् 1996 से 2004 तक श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केन्द्र में भाजपा की सरकार रही। परन्तु इस दौरान भी बार-बार मांग करने के बावजूद भी दिल्ली के अलीपुर रोड स्थित उस मकान को जहाँ बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने आखिरी सांस ली थी, ’’राष्ट्रीय स्मारक’’ घोषित नहीं किया गया और ना ही बाबा साहेब के अनुयायी मान्यवर श्री कांशीराम जी को पहले कांग्रेस व अब भाजपा द्वारा जातिवादी मानसिकता के तहत चलते हुये मरणोपरान्त भी ’’भारतरत्न’’ से सम्मानित किया गया है।
इस प्रकार, खासकर भाजपा द्वारा 14 अप्रैल को बाबा साहेब डा. अम्बेडकर जयन्ती मनाने की घोषणा से दलित समाज के लोग गुमराह होने वाले नहीं हैं। वे जानते है कि कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियां इस प्रकार की नाटकबाजी पहले भी करती रही हैं व साथ ही साथ वे यह भी जानते है कि खासकर उनके मसीहा परमपूज्य डा. भीमराव अम्बेडकर व उनके कारवां को आगे बढ़ाने वाले मान्यवर श्री कांशीराम जी को आदर-सम्मान देने के मामले में कांग्रेस व भाजपा दोनों का ही रवैया हमेशा ही ’’कितना अधिक नकारात्मक व विषैला’’ रहा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

sa@upnewslive.com

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