प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि भारतए जहां प्रकृति के साथ समन्व्य से रहने की लंबी परंपरा रही हैए को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का नेतृत्व करनी चाहिए। आज नई दिल्ली में राज्ये पर्यावरण एवं वन मंत्रियों के सम्मे्लन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने निराशा व्यपक्तव की कि प्रकृति से प्रेम करने तथा उसका सम्मा न करने की भारतीय संस्कृ ति को वैश्विपक पटल पर पर्याप्त तरीके से नहीं उभारा गया हैए और देश को कई बार जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक अवरोधक की तरह देखा जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लोग प्रकृति के रक्षक और भक्तव रहे हैं। उन्हों्ने कहा कि हमें इस तथ्य को उचित तरीके से प्रचारित करनी चाहिए जिससे कि विश्व यह महसूस कर सके कि इस मामले में भारत से सवाल नहीं किया जा सकता। उन्होंेने कहा कि भारतीयों ने हमेशा प्रकृति का संरक्षण किया है और आज भी भारत दुनिया में प्रति व्योक्ति कार्बन उत्संर्जन के मामले में सबसे नीचे है। उन्होंैने कहा कि आगे का रास्ता केवल प्रतिबंध लगाना भर नहीं है बल्कि जीवन शैली में परिवर्तन लाना है। उन्हों्ने कहा कि पुनर्चक्र और पुनरू उपयोग की संस्कृेति भारत के लिए नई नहीं है। दूसरों द्वारा अनुशंसित मानदंडों का अनुसरण करने को बाध्यो होने की जगह भारत को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में विश्वर का नेतृव करना चाहिए।
श्री नरेन्द्रव मोदी ने कहा कि विकास और पर्यावरण सुरक्षा दोनों साथ.साथ चल सकते हैंए लेकिन इस बारे में गंभीर भ्रांतियां फैलायी जा रही हैं। भूमि अधिग्रहण विधेयक का उदाहरण देते हुए उन्होंइने कहा कि विधेयक के प्रावधान जनजातीय और वनभूमि को नहीं छूते लेकिन इस विधेयक को लेकर गंभीर भ्रांतियां और झूठ फैलाए जा रहे हैं। उन्होंूने ऐसे झूठ फैलाने वालों से इससे बचने का आग्रह किया और कहा कि समाज को बरगलाने के प्रयास राष्ट्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने विश्वर से आग्रह किया कि वे भारत में नाभिकीय ईंधन के आयात पर प्रतिबंध पर ढील दें जिससे कि भारत भी बड़े पैमाने पर स्व च्छी नाभिकीय ऊर्जा का उत्पाबदन कर सके। उन्होंरने कहा कि सरकार सौर विकिरणए पवन एवं जैव ईंधन के जरिए व्यापपक तरीके से स्व च्छा ऊर्जा सृजन पर ध्याछन केंद्रित कर रही है।
प्रधानमंत्री को भारत में बाघों की यथास्थिति पर एक रिपोर्ट पेश की गई। प्रधानमंत्री ने देश में बाघ की आबादी में वृद्धि की रिपोर्ट पर संतोष जाहिर किया और कहा कि यह प्रकृति के प्रति सम्माेन की भारत की प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है।
इससे पहलेए प्रधानमंत्री ने सम्मेरलन स्थतल पर एक प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंहने श्स्टैंनडर्ड टर्म्स ऑफ रेफरेंस फॉर इनवायरमेंट इम्पैअक्ट। एनालिसिसश् पुस्तकक का अनावरण किया जिसे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने श्व्यटवसाय करने में सुगमताश् में योगदान देने की दिशा में एक कदम बताया। प्रधानमंत्री ने एक राष्ट्री य वायु गुणवत्ता सूचकांक भी लांच किया जो सही समय के आधार पर देश के सभी बड़े शहरी केंद्रों में वायु की गुणवत्ताि की निगरानी करेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com