Archive | February, 2015

राष्ट्रयपति ने श्री आर आर पाटिल के निधन पर शोक व्यरक्तस किया

Posted on 19 February 2015 by admin

राष्ट्रयपति श्री प्रणब मुखर्जी ने महाराष्ट्र के पूर्व उप.मुख्य मंत्री श्री आर आर पाटिल के निधन पर शोक व्यपक्तब किया है।

राष्ट्र पति ने दिवंगत नेता की पत्नी  श्रीमति सुमन आर आर पाटिल के नाम शोक संदेश में कहा कि मुझे श्री पाटिल के निधन का समाचार जानकर दुरूख हुआ।

श्री पाटिल महाराष्ट्र  में उप.मुख्यनमंत्रीए गृहमंत्री और विधानसभा के सदस्ये रहे थे। राज्यप के कल्याशण में उनके उल्लेाखनीय योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनकी मृत्युा से देश ने एक ऐसा नेता खो दिया है जो समाज के कमजोर और निचले वर्ग के साथ सदैव संपर्क में रहा करते थे।

मैं ईश्व र से प्रार्थना करता हूं कि वह दिवंगत परिवार और श्रीमति पाटिल को इस अपूर्णीय क्षति को सहन करने का साहस दें। कृपया मेरी संवदेना स्वीपकार करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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सहयोगपूर्णए प्रतिस्पआर्धात्मकक संघवाद के जरिये संरचनात्म क बदलाव से भारत के विकास की कायापलट

Posted on 19 February 2015 by admin

भारत की जनसंख्याण् में पिछले 65 वर्षों में जबर्दस्त  बदलाव आया और जनसंख्याा बढ़कर 121 करोड़ पर पहुंच गई। विकासए साक्षरता और संचार का स्तदर बढ़ने के कारण लोगों की आकांक्षाएं बढ़ गईए जिससे शासन प्रणाली में परिवर्तन और नये.नये प्रयोग करना अनिवार्य हो गया। यहां तक कि अर्थव्यवस्था् में भी बदलाव आया और कृषि हिस्से दारी जबर्दस्तब तरीके से गिरकर सकल घरेलू उत्पाकद का 15 प्रतिशत से भी कम पर आ गई और निजी क्षेत्र उभरने लगे। अब केन्द्रे सरकार की 12वीं पंचवर्षीय योजना 43 लाख करोड़ रूपये की हैए जो पहली पंचवर्षीय की तुलना में काफी अधिक है। पहली पंचवर्षीय योजना 2400 करोड़ रुपये की थी। पिछले कुछ वर्षों से राज्या राष्ट्री य विकास का वास्तीविक संवाहक बनने के लिए केवल केन्द्रल का अनुसरण कर रहे है। अतरू देश की प्रगति राज्यों  की प्रगति पर निर्भर है।
इस बदलती वास्तकविकता और बढ़ते बेमेलपन को पहचाना जा चुका है। विशेषज्ञों नेए जिनमें से कुछ तत्काकलीन योजना आयोग में रह चुके हैंए पुरानी कार्य प्रणाली को छोड़कर उचित बदलाव की सिफारिश की है और भारत तथा अन्यन देशों के पुराने अनुभवों पर आधारित नई कार्य प्रणाली अपनाने को कहा है। यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री और जाने.माने अर्थशास्त्रील डॉण् मनमोहन सिंह ने अप्रैल 2014 में आयोग में दिये गये अपने विदाई भाषण मेंए नये विश्वड में योजना आयोग की क्या  भूमिका होनी चाहिएए इसका जिक्र किया था। योजना आयोग क्याय अतिरिक्ता भूमिका निभा सकता है और इसे किस तरीके से बनाया जाएंए ताकि विकास की प्रक्रिया में इसकी प्रासंगिकता बनी रहे।
1950 से पहले प्राथमिकताओंए रणनीतियों और संरचनाओं के आधार पर योजना आयोग की स्थातपना की गई थीए जिस पर एक बार नये सिरे से नजर डाली गई। परिणामस्वनरूप सरकार ने योजना आयोग के स्था न पर नीति आयोग ;भारत में परिवर्तन के लिए राष्ट्रीगय संस्थाननद्ध की स्था पना कीए ताकि भारत की जनता की आकांक्षाओं और जरूरतों को बेहतर तरीकों से पूरा किया जा सकें। इससे सरकार को अपने बहुमूल्य  संसाधनों को कमजोर और हाशिये पर चले गये लोगों के सार्वजनिक कल्या ण जैसे खाद्यए पोषणए स्वारस्य्र  ए शिक्षा और आजीविका पर केन्द्रित करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नीति आयोग के अध्येक्ष हैंय गवर्निंग काउंसिल में सभी राज्यों  के मुख्यथमंत्री और केन्द्रक शासित प्रदेशों के उपराज्य।पाल हैंए जिसमें परिषदों का गठन एक से ज्यायदा राज्यम अथवा क्षेत्र को प्रभावित करने वालों मुद्दों का हल करने के लिए किया गया है। विशेष जानकारी रखने वालों को प्रधानमंत्री ने विशेष आमंत्रितों के रूप में मनोनीत किया हैए जो उपाध्याक्षएपूर्णकालिक और आंशिक सदस्योंू को मिलाकर बने विचारकों की सहायता करेंगे।
नीति और योजना आयोग के बीच अंतर
योजना आयोग को मंत्रालयों और राज्यं सरकारों को धन आवंटित करने का अधिकार था। नीति आयोग एक सलाहकार संगठन अथवा एक विचारक होगा। योजना आयोग के अंतर्गत राज्यों  की भूमिका राष्ट्री य विकास परिषद और योजना बैठकों के दौरान वार्षिक बातचीत तक सीमित थी तथा आयोग राष्ट्री य विकास परिषद को जानकारी देता थाए जिसमें राज्यी के मुख्यगमंत्री और केन्द्रग शासित प्रदेशों के उपराज्यषपाल होते थेए लेकिन नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल में राज्योंग के मुख्यरमंत्रीए उपराज्येपाल है। नीति आयोग के अंतर्गत‍ नीति बनाते समय और धनराशि आवंटित करते समय राज्योंं से सलाह की जाती है। नीति आयोग एक विचारक है और उसके पास नीतियों को लागू करने का अधिकार नहीं हैए योजना आयोग राज्योंि के लिए नीतियां तय करता है और मंजूर परियोजनाओं के साथ धन आवंटित करता है।
नीति आयोग के उद्देश्यो
नीति आयोग विकास की प्रक्रिया में महत्‍वपूर्ण दिशा और रणनीतिक जानकारी प्रदान करने का काम करता है। नीति आयोग नीति के धीमे और सुस्तव  कार्यान्वीयन को समाप्तत करेगा। इसके लिए दो मंत्रालयों और केन्द्र .राज्योंद के बीच बेहतर तालमेल की व्य वस्था  की जाएगी और सहयोगपूर्ण संघवाद को प्रोत्साेहन देकर इस बात को स्वीचकृति प्रदान की जाएगी कि मजबूत राष्ट्रर का निर्माण किया जा सकता है। इसके अलावा नीति आयोग कार्यक्रम के क्रियान्वीयन की निगरानी और मूल्यां कन करेगा तथा प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण और क्षमता निर्माण पर जोर देगा।
टिप्पेणी
विपक्षी दलों ने अपनी आदत के मुताबिक नीति आयोग की शुरूआत का उपहास उड़ाते हुए इसे खूबसूरती बढ़ाने वाले लेबल की संज्ञा दी थीए लेकिन सत्ताा दल ने यह कहते हुए इसे उचित बताया था कि नये बदलावों को देखते हुए राज्यन सरकारों के केवल मांगने वाले रवैये को बरकरार रखने की जरूरत नहीं हैए बल्कि इसके स्था न पर विकास के लिए स्वातंत्र कदम उठाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रह मोदी ने गवर्निंग काउंसिल की पहली बैठक में सभी मुख्य मंत्रियों का आह्वान किया कि वे सहयोगपूर्ण संघवाद का मॉडल तैयार करने के लिए केन्द्रब के साथ मिलकर कार्य करें। केन्द्रर और राज्ये.टीम इंडिया. मिलकर मतभेदों को दूर कर सकते है और प्रगति और समृद्धि की साझा कार्य प्रणाली तैयार कर सकते है। इस बात पर जोर देते हुए कि भारत सभी राज्यों  की प्रगति के बिना आगे नहीं बढ़ सकताए प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी राज्योंक को ष्सबका साथए सबका विकासष् के विचार के साथ एकजुट करना होगा।
प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि केन्द्रे राज्योंब को वित्तीकयए प्रौद्योगिकी और जानकारी के लिहाज से शक्ति सम्परन्नद बनाना चाहता हैए ताकि वे बेहतर योजना बना सकें और उन्हेंर बेहतर तरीके से लागू कर सकें। उन्हों ने कहा कि संघवाद के लिए राज्यों  को राष्ट्रींय उद्देश्यों  को बढ़ावा देने की अपनी भूमिका को बढ़ाना होगा।
अंत में नये विचारोंए तकनीकए संस्थाएनोंए प्रक्रियाओं को अपनाने का कार्य स्वंभाविक तरीके से नहीं होताए बल्कि कठोर परिश्रमए समाधान मिलने तक हुए प्रयोगों का नतीजा है। अनेक कारणों से बदलाव का विरोध स्वा्भाविक हैए लेकिन बदलाव विकास में अंतर्निहित है और सहयोगपूर्णए प्रतिस्पवर्धात्म क संघवाद के जरिये संरचनात्म क बदलाव सभी विरोधों को खत्मि कर सकता है और एक नये जोशपूर्ण भारत में प्रवेश किया जा सकता है।
’डॉण् एचण्आरण् केशवमूर्ति पत्र सूचना कार्यालयए कोलकाता में निदेशक हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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स्वासइन फ्लू से घबराएं नहींए पर सजग रहें

Posted on 19 February 2015 by admin

इस साल जनवरी से स्वा इन फ्लू धीरे.धीरे लेकिन व्यातपक स्तहर पर अपने संक्रमण से परेशान कर रहा है। सवाल यह है कि क्या‍ स्वाीइन फ्लू एक गंभीर बीमारी बन चुकी हैघ् या फिर महज एक मौसमी फ्लू है। एक जनवरी से 15 फरवरी के बीच सरकारी आंकड़े बताते हैं कि लगभग 8423 लोग पूरे भारत में स्वाइइन फ्लू से संक्रमित हो चुके हैं। दिल्लीलए गुजरातए राजस्थामन और तेलंगाना समेत पूरे भारत में अब तक लगभग 596 लोग इस संक्रमण के कारण दम भी तोड़ चुके हैं। लेकिन इस संक्रमण को हमें एक अलग नजरिए से देखने की जरूरत है।
पिछले कई हफ्तों से इस बात पर भी बहसबाजी चल रही है कि इस संक्रमण से हो रही मौतों के लिए सरकार जिम्मेोदार है या आम नागरिक। अगर इसे सीधे तौर पर देखा जाए तो स्वांइन फ्लू भारत में कोई नई बीमारी नहीं है। सबसे सीधी बात तो यह है कि भारत में 2009 में दस्त‍क दे चुकी इस बीमारी ने अपना स्वंरूप भी नहीं बदला है। इसमें नागरिकों की जगरूकता और सरकार की स्वाकस्य्े   सेवाएं दुरूस्ता होने की दरकार है।
मुझे याद है कि 2009 में सुअरों से इंसानों में प्रवेश करने वाले कीटाणु स्वा।इन फ्लू ने पूरी दुनिया में महामारी का रूप लिया था। उस वक्त  मैक्सिको से शुरू हुए इस संक्रमण ने पूरे भारत में लाखों लोगों को प्रभावित किया था। विश्व  स्वा स्य् इ  संगठन के अनुसार स्वाूइन फ्लू  सबसे पहले 1918 में एक संक्रमण के रूप में सामने आया था। ये पहला समय था जब सुअरों के बीच में रहने वाले इंसानों के भीतर इस वायरस ने हमला किया। हालांकि इस वायरस से उतने ज्यांदा लोगों की मौत की खबरें सामने नहीं आई थीं। पिछले दशकों में स्वा इन फ्लू के कम मामलों के सामने आने के पीछे बड़ा कारण अंडर रिपोर्टिंग रहा है। मतलब भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में अगर स्वााइन फ्लू का संक्रमण बहुत ज्याादा भी रहा होगाए तो भी डॉक्टारों के सामने नहीं आने की वजह से रिपोर्ट नहीं हो पाए होंगे।
स्वा इन फ्लू की रिपोर्टिंग को लेकर इस बार सरकार भी यही कह रही है। मसलन इस साल 15 फरवरी तक दिल्लीी में लगभग 1300 से ज्या दा स्वालइन फ्लू के मामले सामने आ चुके हैं पर इसकी वजह से मात्र 6 लोगों की मौत हुई है। हाल ही में केन्द्रीरय स्वा स्य्के  मंत्रालय ने बताया कि राजधानी दिल्लीर में स्वाोइन फ्लू के जरा से लक्षण सामने आने पर भी आम लोग अपनी जांच करा रहे हैं। समय पर जांच हो जाने के कारण सही समय पर इलाज भी शुरू हो रहा है। यही कारण है कि इस साल इतने ज्याादा मामले बढ़ने के बावजूद मृत्यु  दर कम है। लेकिन इसके उलट इस साल राजस्था न ;1631 मामलेध्130 मौतद्धए गुजरात ;1233 मामलेध्117 मौतद्धए तेलंगाना ;969 मामलेध्45 मौतद्धए महाराष्ट्रक ;352 मामलेध्51 मौतद्ध और मध्य प्रदेश में ;192 मामलेध्56 मौतद्ध के मामले सामने आए हैं। लेकिन अगर इस साल के कुल स्वा इन फ्लू के संक्रमित और मार गए लोगों की बात करेंए तो 2009 और 2010 में हुए मामलों से कोई तुलना नहीं है। मई.दिसंबरए 2009 में स्वा इन फ्लू से लगभग 27236 लोग प्रभावित हुए थे। इनमें से 981 लोगों की मौत भी हुई। इसी तरह 2010 में 20604 लोग संक्रमित हुए और 1763 लोगों ने दम तोड़ा। सरसरी निगाह से इन आंकड़ों को कोई भी देखाए तो पता लग सकता है कि देश में स्वामइन फ्लू के मामलों में बहुत ज्याोदा कमी आई।
इलाज की बात करें तो 2009 में बाजार में आई टमीफ्लू ही सबसे कारगर दवा साबित हो रही है। भले गुजरात और राजस्था0न में दवाओं की कमी की बात लगातार खबरों में आती रही है। लेकिन केन्द्र  और राज्य‍ सरकारों की माने तो ये ही दो ऐसे राज्यं हैंए जो न सिर्फ अपने स्थाहनीय मरीजों तक दवा पहुंचा रहे हैंए बल्कि अन्ये राज्यों् को भी दवाई मुहैया करा रहे हैं। अब चुनौती इस बात की है कि क्या  सरकारी मशीनरी स्वा इन फ्लू से लड़ने में नाकाम हो रही है या आम जनता के बीच जागरूकता की भारी कमी है। अखबारों और टीवी में आ रही खबरों से परे बहुत ही कम लोग जानते हैं कि स्वामइन फ्लू के लक्षण क्या  हैं।
विश्व  स्वांस्य्है  संगठन के अनुसार स्वासइन फ्लू को पहचानने के कुछ बड़े ही आसान तरीके हैं। पहलाए इसे श्श्ए.श्रेणीश्श् कहते है. अगर किसी व्याक्ति को जुकाम हो रहा होए नाक बह रही होए सांस लेने में तकलीफ हो रही होए गले से ऊपर दर्द और हल्का. बुखार हो तो एक बार डॉक्टोरी जांच जरूर करा लेना चाहिए। श्श्बी.श्रेणीश्श् में ऐसे मरीज आते हैं जिनकी इम्युानिटी बहुत कम होती है और दर्द गले से छाती तक फैली हो और सांस लेने में ज्या दा तकलीफ हो रही हो। तीसरे यानी सी श्रेणी में ऐसे लोग आते हैंए जो डायबटीज के मरीज हों या फिर 50 साल से ज्याेदा उम्र के हों या एचआईवीध्एड्स के मरीज हों। डॉक्टार और स्वांस्य् ज  विशेषज्ञ कहते हैं कि पहली श्रेणी का स्वा्इन फ्लू आम मौसमी फ्लू जैसा ही है। जिसमें सही खान.पान और आराम करने से अपने आप चला जाता है। दूसरी श्रेणी के लोगों के लिए किसी भी तरह के फ्लू को गंभीरता से लेने की जरूरत होती है और ऐसे लक्षण पाए जाने पर तुरंत डॉक्ट री सलाह लेना जरूरी है। इसके अलावा आखिरी श्रेणी के लोग वो हैं जिन्हेंन सबसे ज्याफदा स्वालइन फ्लू से खतरा हो सकता है। सी श्रेणी के लेागों को हमेशा डॉक्टंरी सलाह होती है कि ऐसे किसी भी लक्षण के दिखाई देने पर तुरंत अस्प ताल जाएं।
इन सबके बावजूद ज्यालदातर फैमिली डॉक्टहर सीधी सलाह देते हैं कि स्वााइन फ्लू के संक्रमण के समय भीड़भाड़ वाले इलाके जैसे बाजारए मेलाए शॅपिंग मॉल्सेए सिनेमा हॉल जैसी जगहों पर जाने से बचें। एक मामूली और महत्वापूर्ण बात यह भी है कि कुछ भी खाने से पहले साबुन से हाथ जरूर धोना चाहिए। सभी राज्यर सरकारों ने स्वािइन फ्लू के लक्षण पाए जाने पर मुफ्त जांच की सुविधा सभी स्वाचस्य्ज्  केन्द्रोंक में मुहैया कराई है। इसके अलावा संदेह होने पर भी इन स्वा स्य्भी  केन्द्रोंर में जांच के लिए जाया जा सकता है।
इस बार भले स्वावइन फ्लू के मामले में हो.हल्लाच बहुत ज्यातदा हो रहा हो। लेकिन अभी भी आपकी अपनी जागरूकता और समझदारी ही इससे निबटने में सबसे ज्या दा मदद कर सकती है। स्वाजइन फ्लू में एक ही वाक्यन सबसे सटीक फिट  होता है श्जानकारी ही बचावश्।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सत्र के दौरान प्रदेश सरकार सार्थक बहस को बढ़ावा देने के लिए कृत संकल्प: मुख्यमंत्री

Posted on 19 February 2015 by admin

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उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डेय ने आज से शुरू हुए बजट सत्र के सुचारू संचालन के लिए सभी राजनैतिक दलों के नेताओं से सहयोग का अनुरोध किया। आज विधान भवन में आयोजित एक बैठक में उन्होंने सभी दलों के नेताओं से विधान सभा की गरिमा के अनुरूप आचरण करने तथा विशेष रूप से प्रश्नकाल केे व्यवस्थित संचालन में हर सम्भव सहयोग का आग्रह किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री तथा नेता सदन श्री अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार विपक्ष की भावना का आदर करती है और सत्र के दौरान अधिक से अधिक सार्थक बहस को बढ़ावा देने के लिए कृत संकल्प है। उन्होंने कहा कि हाल ही में सम्पन्न भारत में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों की बैठक के निष्कर्षों से सभी सदस्यों को सहमत होते हुए विधान सभा की कार्रवाई व्यवधानरहित ढंग से संचालित करने में सहयोग देना चाहिए। विधान सभा में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष से उठने वाले हर मुद्दे से प्रदेश की जनता को ही लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि उनका दल विधान सभा संचालन में पूरा सहयोग प्रदान करेगा।
बैठक में बहुजन समाज पार्टी के श्री स्वामी प्रसाद मौर्य, भारतीय जनता पार्टी के श्री सुरेश कुमार खन्ना, कांगे्रस पार्टी के श्री प्रदीप माथुर तथा राष्ट्रीय लोकदल के श्री दलबीर सिंह ने भी विधान सभा अध्यक्ष को अपने-अपने दलों की ओर से पूरा सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री श्री मोहम्मद आजम खां, विकलांग कल्याण मंत्री श्री अम्बिका चैधरी, वस्त्र एवं रेशम उद्योग मंत्री श्री शिव कुमार बेरिया उपस्थित थे।
इससे पूर्व सभी दलों के साथ कार्य मंत्रणा समिति की बैठक भी सम्पन्न हुई, जिसमें लोक निर्माण मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव तथा व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री श्री अभिषेक मिश्रा, विधायक सुश्री सैय्यदा शादाब फातिमा, डाॅ. राधा मोहन दास अग्रवाल तथा श्री रामवीर उपाध्याय भी मौजूद थे।

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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही सरकार जनता से किए गए वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रही है: राज्यपाल

Posted on 19 February 2015 by admin

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज यहां उत्तर प्रदेश विधान मण्डल के वर्ष 2015 के दोनों सदनों के प्रथम सत्र के लिए आहूत एक साथ समवेत अधिवेशन को सम्बोधित किया। उन्होंने सरकार की प्राथमिकताओं का उल्लेख करते हुए सदस्यों से प्रदेश को तीव्र गति से आगे ले जाने के लिए सरकार को सहयोग प्रदान करने का आग्रह किया। कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही सरकार जनता से किए गए वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रही है। सरकार ने लगभग सभी वादों को पूरा भी किया है। सरकार हर वर्ष विकास का एजेण्डा निर्धारित करते हुए उस पर प्रभावी कार्रवाई करती है। इस प्रकार प्रदेश के गरीबों, कृषकों, पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, युवाओं के साथ-साथ सभी वर्गों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार के कुशल प्रबन्धन एवं सद्प्रयासों से वर्ष 2013-14 के लिए अद्यावधिक अनुमानों के अनुसार प्रदेश की विकास दर 5 प्रतिशत आकलित हुई है, जो देश की विकास दर 4.7 प्रतिशत से अधिक है। वर्ष 2012-13 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 33,482 रुपये आकलित हुई थी, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 36,250 रुपये आकलित हुई है।
राज्यपाल ने प्रगति के लिए अवस्थापना सुविधाओं को जरूरी बताते हुए कहा कि लगभग 15,000 करोड़ रूपए की लागत के आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। इससे प्रदेश की राजधानी तक सुगमता से पहुंचने के साथ-साथ सम्पूर्ण क्षेत्र में औद्योगिक विकास होगा एवं किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा। प्रत्येक जनपद को 4 लेन की सड़कों से जोड़ने तथा 4 शहरों में मेट्रो की व्यवस्था करने का ऐतिहासिक निर्णय भी लिया गया है। लखनऊ नगर में मेट्रो का कार्य धरातल पर शुरू हो गया है। सरकार के इन प्रयासों के फलस्वरूप निजी क्षेत्र में बड़ी-बड़ी कम्पनियां परियोजनाएं लगाने के लिए तत्पर हुई हैं। लखनऊ नगर में 18.64 एकड़ क्षेत्रफल में 615.44 करोड़ रूपए की लागत से जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र तथा 376 एकड़ हरित पट्टी पर 321.96 करोड़ रूपए की लागत से जनेश्वर मिश्र पार्क का विकास प्रगति पर है।
विद्युत उपभोक्ताओं को अधिक से अधिक विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्प है, इसलिए वर्ष 2014-15 में ऊर्जा विभाग के बजट में रिकार्ड वृद्धि की गई। वर्ष 2011-12 में जहां ऊर्जा विभाग का कुल बजट 8,933 करोड़ रुपये था, जिसे वर्ष 2014-15 में बढ़ाकर 33,717 करोड़ रुपये कर दिया गया। विद्युत उत्पादन, पारेषण एवं वितरण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य करने के अलावा सौर ऊर्जा क्षेत्र में भी काफी प्रगति हुई है। कुछ दिनों पूर्व जनपद महोबा में 10 मेगावाट के सौर ऊर्जा प्लाण्ट की शुरूआत होने की जानकारी देते हुए राज्यपाल ने बताया कि बुन्देखण्ड सहित प्रदेश में कई और परम्परागत एवं सौर ऊर्जा प्लाण्ट संचालित किए जाएंगे, जिससे प्रदेश को पर्याप्त, बेहतर एवं निर्बाध विद्युत उपलब्ध हो सके।
समाजवादी पेंशन योजना की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि पूरे देश में यह सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम है, जिसमें 40 लाख ऐसे परिवारों, जो पूर्व में विभिन्न योजनाओं के लाभ से वंचित रह गए हैं, के सीधे बैंक खाते में धनराशि प्रेषित की जा रही है। इतने बड़े पैमाने पर कोई भी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम किसी भी राज्य सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया है। राज्य सरकार को किसानों के हितों के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में निःशुल्क सिंचाई व्यवस्था लागू की गई है। कामधेनु योजना और कुक्कुट विकास नीति के तहत सैकड़ों किसानों को न केवल रोजगार मिला है, बल्कि दुग्ध सहित पशु उत्पादों की दिशा में अच्छा कार्य हुआ है।
राज्य सरकार द्वारा जहां ‘108’ समाजवादी स्वास्थ्य सेवा और ‘102’ नेशनल एम्बुलेंस सर्विस के तहत सफलतापूर्वक एम्बुलेंस संचालित कर लाखों लोगों को आकस्मिक इलाज की सुविधा प्रदान कराई गई, वहीं सरकारी मेडिकल काॅलेजों में एम.बी.बी.एस. की 500 सीटें बढ़ाकर होनहार बच्चों के लिए चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अधिक अवसर उपलब्ध कराए गए हैं। आगे आने वाले समय में सहारनपुर एवं बांदा के राजकीय मेडिकल काॅलेज संचालित हो जांएगे और लखनऊ में अत्याधुनिक कैंसर इंस्टीट्यूट का निर्माण कार्य भी प्रारम्भ हो जाएगा। जनपद बस्ती, बहराइच, फैजाबाद, फिरोजाबाद व शाहजहांपुर के जिला अस्पतालों को उच्चीकृत करते हुए मेडिकल काॅलेज स्थापित करने का निर्णय भी लिया गया है। सरकार शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। प्राथमिक विद्यालयों में हजारों नये शिक्षकों की भर्ती के साथ-साथ शिक्षा मित्रों का समायोजन किया गया है। इससे काफी हद तक शिक्षकों की कमी पूरी हुई है।
इसी वर्ष सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, सिद्धार्थनगर को क्रियाशील करने तथा बिजनौर, अम्बेडकरनगर एवं बांदा के राजकीय इंजीनियरिंग काॅलेजों को इनके नवनिर्मित भवनों में संचालित कराने का प्रयास किया जाएगा। युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस वर्ष सरकारी क्षेत्र में काफी संख्या में नौकरियां दी जाएंगी। इसके लिए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन किया गया है। इसी प्रकार कौशल विकास मिशन में 1 लाख से अधिक युवक-युवतियों को रोजगारपरक शिक्षा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रदेश के युवाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण दिलाने के लिए हाल ही में 9 प्रतिष्ठित कम्पनियों के साथ अनुबन्ध निष्पादित किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें 1090 वुमेन पावर लाइन प्रमुख है। इस व्यवस्था के माध्यम से अब तक 2.5 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता पहुंचाई गई है। इसके साथ ही 1090 मोबाइल एप भी शुरू किया गया है। महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष तथा आशा ज्योति केन्द्रों की स्थापना का निर्णय भी लिया गया है। इसके अलावा महिला उद्यमी योजना भी संचालित की जा रही हैै। सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के सर्वांगीण हितों की रक्षा के साथ-साथ उनकी अशिक्षा और बेरोजगारी समाप्त करने के लिए भी काम कर रही है। पहली बार 29 विभागों में संचालित 68 योजनाओं में अल्पसंख्यकों के लिए 20 प्रतिशत मात्राकृत लक्ष्य निर्धारित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। सरकार प्रदेश में अपराध नियंत्रण हेतु कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के प्रति प्रतिबद्ध है। पिछले 1 वर्ष में इस दिशा में तत्परता से काम किया गया है। विगत वर्षों में अराजकता फैलाने के प्रयासों के बावजूद राज्य सरकार सामाजिक सद्भाव कायम करने में सफल रही है। सरकार किसी भी स्थिति में साम्प्रदायिकता बर्दाश्त नहीं करेगी।
अपने सम्बोधन में राज्यपाल ने कहा कि जनता को बेहतर सुविधा देने और आईटी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए गम्भीरता से काम किया जा रहा है। इस दिशा में लखनऊ में एचसीएल जैसी प्रतिष्ठित कम्पनी द्वारा आईटी सिटी की स्थापना की जा रही है। इन्फोसिस कम्पनी द्वारा भी प्रदेश में निवेश किया जा रहा है, वहीं विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे वेबसाइट के माध्यम से दिए जाने की व्यवस्था की गई है। सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना एवं कृषि नीति 2013 के अंतर्गत कृषि क्षेत्र की विकास दर 5.1 प्रतिशत प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 15 जनवरी, 2015 तक खरीफ एवं रबी के लिए 51470.93 करोड़ रूपए का फसली ऋण वितरित किया गया है। आगामी वित्तीय वर्ष में इसे लगभग 84 हजार करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य है। किसानों को पर्यावरण हितैषी सोलर फोटो बोल्टिक इरीगेशन पम्प स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि उनकी सरकार ने जनकल्याण के क्षेत्र में समर्पित और सुविचारित नीतियों से प्रदेश में एक ऐसा माहौल तैयार करने का प्रयास किया है, जहां से विकास और समृद्धि के अनेक पथ निकलते हैं। पर्यटन, शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान, पर्यावरण आदि सभी क्षेत्रों में वर्तमान जरूरतों एवं नये परिवेश को ध्यान में रखते हुए काम किया जा रहा है। निश्चित रूप से राज्य सरकार के इन प्रयासों से उत्तर प्रदेश अन्य अग्रणी प्रदेशों की भांति अग्रिम पंक्ति में पुनः खड़ा हो सकेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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परीक्षा बच्चों की और मूल्यांकन माता-पिता का- पंडित हरि ओम शर्मा

Posted on 19 February 2015 by admin

परीक्षा बच्चों की अवश्य है किन्तु परीक्षा में मूल्यांकन माता-पिता का होता है। कौन माता-पिता कितने पानी मे है और किन माता-पिता ने अपने बच्चों के साथ कितना परिश्रम किया है, यह सब परीक्षाफल आते ही स्पष्ट हो जाता है। मूल्यांकन पत्र (मार्कशीट) में जो अंक लिखे होंगे वह भले ही बच्चे की योग्यतानुसार हों, किन्तु उनके पीछे चेहरा माता-पिता का होता है, कुछ माता-पिता का चेहरा मायूस दिखाई देता है तो कुछ माता-पिता प्रफुल्लित व खिलखिलाते दिखाई पड़ते हैं। अब आप अपना चेहरा रोते हुए देखना चाहते हैं या खिलखिलाकर हँसते हुए देखना चाहते हैं, यह आपके हाथ में है। आप एक योग्य व बुद्धिजीवी व सफल माता-पिता कहलाना चाहते हैं या फिर असफल, असहाय माता-पिता के तमगा से सुशोभित होना चाहते हैं, यह आपके हाथ में है। कहीं ऐसा तो नही है कि आप निश्चिंत बैठे हो कि परीक्षायें तो बच्चों की है, हमसे क्या मतलब? पास फेल तो बच्चों को होना है हमसे क्या मतलब? अच्छे अंको से उत्तीर्ण हुआ तो पीठ थपथपा देंगे और खराब अंको से उत्तीर्ण हुआ या फेल हो गया तो मारपीट लेंगे या डाँट-डपट लेगें। अब इससे काम नही चलेगा। अतः मेरे इस सुझाव को आत्मसात कर लीजिए कि परीक्षा बच्चों की कम और आपकी अधिक है। वह इसलिए कि बच्चे लायक है तो माता-पिता लायक है और यदि बच्चे नालायक सिद्ध हो गये तो माता-पिता कितने भी सफल व लायक क्यों न हो, उन्होंने कितनी ही ऊचाइयों को क्यों न छुआ हो किन्तु ‘नालायक सन्तानों’ के माता-पिता ऊपर नही, नीचे ही देखते हैं। इसलिए इस अभिशाप से बचाइये अपने आपको। सफल माता-पिता का तमगा आपका इन्तजार कर रहा है। परीक्षाफल आते ही पत्र-पत्रिकाओं की सुर्खियों में, मीडिया की चकाचैंध में आपका ही चेहरा दिखाई देगा। फोन की घंटी व मिलने वालों की बधाई से आप अपने आपको गौरवान्वित महसूस करेंगे। सच मानिये! यह कोई असम्भव कार्य नही है, यह संभव है, यह किया जा सकता है। आप केवल यह समझ लें कि यह परीक्षा बच्चों के साथ-साथ आपकी भी है। परीक्षा बच्चों की होनी है और मूल्यांकन आपका होना है। यदि आप मेरे इन चन्द सुझावों पर अमल कर लें तो आपकी राह आसान हो जायेगी।
बच्चे के साथ सोये व बच्चे से पहले जग जायें: पढ़ेगा बच्चा और जगेंगे माता-पिता तभी बच्चा सर्वोच्च अंको से उत्तीर्ण होगा। देखनेमें यह बात भले ही छोटी लग रही हो किन्तु परिणाम इसके बड़े होते हैं। विश्वास न हो तो करके देख लीजिए। आप बच्चे के पढ़ने तक जगे रहे, जब वह सो जाये तो आप भी सो जायें। प्रातः बच्चे से पहले उठकर उसको प्यार से जगाये, उसकी प्रशंसा करें, उसको प्रोत्साहित करें, उसके साथ जगे रहे। सच मानिये! आप अपनी परीक्षा में सफल होंगे और आपका बच्चा अपनी परीक्षा में सफल होगा, दोनो की बल्ले बल्ले!
पार्टी, दोस्ती, शादी विवाह को भूल जायें: पूरे जीवन भर निभाइये अपनी नाते-रिश्तेदारी, पार्टी और शादी विवाहों को, किन्तु परीक्षा के दिनों में इन सबको भूल जाये क्योंकि यह सब आपके बच्चों के भविष्य व आपके भविष्य से बड़े नही हो सकते है। अतः बिना किसी संकोच व हिचक के सभी से क्षमा याचना कर लीजिए। कार्ड, मनीआर्डर, गिफ्ट चेक भेज दीजिए और सम्पूर्ण समय अपने बच्चे को दीजिए, तभी सफल होगी आपकी तपस्या, तभी बनेंगे आप सफल माता-पिता।
घर का वातावरण परीक्षामय बनायें: आप जानते ही है कि परीक्षा भवन में कितनी शान्ति होती है, उतनी ही शान्ति आपके घर में होनी चाहिए। वह इसलिए कि परीक्षा आप व आपके बच्चे दोनो की है इसलिए ‘जस्सी जैसा कोई नही’ के स्थान पर गुनगुनाइये ‘मेरे बच्चे जैसा कोई नही’। कहने का आशय यह है कि टी0वी0 सीरियल व मूवी देखना कुछ दिन के लिए बंद कर दीजिए। हाँ, बच्चों के साथ बैठकर न्यूज अवश्य सुनिये, न्यूज आपकी परीक्षा में सहायक हो सकती है।
घर का वातावरण ईश्वरमय बनायें: आपस में लड़ाई-झगड़ा बंद करें, यदि आप लड़ते-झगड़ते रहेंगे तो परीक्षा कौन देगा? इसलिए अपना सबकुछ ईश्वर, अल्लाह, गुरूनानक व गाॅड को समर्पित कर दें। कर्म पर विश्वास करें, फल ऊपर वाले पर छोड़ दें यह पाठ नित्यप्रति आपने बच्चे को भी पढ़ाये, तभी मिलेगी सर्वोच्च सफलता। परीक्षा आप दे और फल ईश्वर पर छोड दे तभी आपको मिलेगा उच्च कोटि का परीक्षाफल!
खान-पान पर विशेष ध्यान दें: परीक्षा समय में खान-पान का विशेष महत्व होता है। कहावत है कि ‘आँत भारी तो माथ भारी’। अतः परीक्षा अवधि में हल्का व सुपाच्य खाना बनायें। जूस, सूप, हरी सब्जी, रोटी का ही सेवन करें व बच्चों को कराये। परीक्षा अवधि में बच्चो को फास्ट फूड व तले-भुने खाने से बचाये। यह सब न तो घर में बनाये व न ही बाजार से लायें, तभी आप परीक्षा में सर्वोच्चता सिद्ध कर सकते हैं, अन्यथा नहीं!
स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें: कहावत है कि स्वस्थ शरीर मे ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। अतः स्वास्थ्य का ध्यान रखना परम आवश्यक है। बदलता मौसम है लापरवाही न करें, कपड़े पहने रहे, न अधिक सोयें और न ही अधिक जगें, न अधिक खायें और न ही भूखे रहें। प्रत्येक चीज में सन्तुलन बनाये रखें, सामन्जस्य स्थापित करें तभी आप उच्च अंको के साथ सामन्जस्य बैठा सकते हैं अन्यथा नहीं।
बच्चों की स्कीम व परीक्षा समय तथा प्रश्नपत्र पर निगाह अवश्य रखें: किस विषय का प्रश्नपत्र कब है और कौन सी पाली में है, इसका विशेष ध्यान रखें। कई बार ऐसा देखा गया है कि पेपर प्रथम पाली में था परीक्षार्थी पहुँचा द्वितीय पाली में। जब आपका बच्चा पेपर देकर लौटे तो एक सरसरी निगाह से पेपर देखते हुए बच्चे की प्रशंसा अवश्य करें। यदि पेपर आशातीत नही भी हुआ है तब भी बच्चे की प्रशंसा करें। उसे ढाढस बधायें ‘बीति ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेउ’ वाली कहावत का उदाहरण देकर दूसरे पेपर की तैयारी हेतु प्रोत्साहित करे, तब आप देखेंगे कि इस पेपर में भी अच्छे अंक प्राप्त होंगे और अगले पेपर में अच्छे अंक प्राप्त होंगे। कुल मिलाकर आप बनेंगे अच्छे माता-पिता।
परीक्षा अवधि में बच्चों को अधिक समय दें: आप बच्चों को सबकुछ देते हैं, यह जग जाहिर है किन्तु यह बात भी जग जाहिर है कि आप बच्चों को समय देने में कंजूसी कर जाते हैं। अतः मेरी सलाह मानिये, बच्चों को दिल खोलकर समय दीजिए फिर आप देखेंगे कि परीक्षक ने भी दिल खोलकर अंक दिये हैं। सच मानिये! फिर आपकी सब लोग दिल खोलकर प्रशंसा करेंगे।
परीक्षा देने जाते समय प्यार व लौटते समय स्वागत करें: परीक्षा देना किसी कारगिल फतह से कम नही है। आपका बच्चा भी परीक्षा देने जा रहा है। अतः जाते समय प्यार करें, उसे दही पेड़ा खिलाकर भेजे तथा परीक्षा से लौटते समय उसका स्वागत ऐसे करें जैसे वह कोई बहुत बड़ा संग्राम जीतकर आया है। आपके इस छोटे से व्यवहार से बच्चे का उत्साह दोगुना बढ़ जायेगा और प्रश्नों का उत्तर पूर्ण मनोयोग व उत्साह के साथ देगा। निश्चित रूप से आपका बच्चा परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करेगा और आपका नाम रोशन करेगा।
बच्चे को तनाव से बचायें: परीक्षा का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छे महारथियों को पसीना आ जाता है तो परीक्षा अवधि में बच्चे का तनावग्रस्त रहना स्वाभाविक है। आप बच्चे के साथ बच्चा बनकर ही उसकी बातों को ध्यान से सुने ओर माता-पिता बनकर उन बातों का निराकरण कर बच्चे को तनावग्रस्त होने से बचायें। याद रखें कि आपका मेधावी बच्चा भी तनावग्रस्त होकर कुछ का कुछ उत्तर लिखकर आ सकता है। अतः बच्चे को तनाव मुक्त रखना अति आवश्यक है। यह महत्वपूर्ण कार्य केवल आप ही कर सकते हैं और कोई नही।
बच्चे में निहित ‘निज शक्ति’ को जगायें: अधिकाँश माता-पिता परीक्षा समय में बच्चे पर पढ़ने का दबाव बनाते हैं, पढ़ो और पढ़ो, खूब पढ़ो के अलावा वह कुछ कहते ही नही है। बच्चों का मन इस पढ़-पढ़ को सुनकर उड़ने लगता है, साथ ही उसे पढ़ने से चिढ़ हो जाती है। परिणामस्वरूप वह परीक्षा से डरने लगता है। बच्चे के अन्दर यही डर घर कर जाता है तो वह बीमार हो जाता है। इस कारण परीक्षा गड़बड़ा जाती है। अतः आप भूलकर भी बच्चे को पढ़ने के लिए न कहें बल्कि उससे यह कहें कि बेटा बहुत देर हो गई सो जाओ तुम तो हर समय पढ़ते ही रहते हो, तुम्हे सबकुछ तो याद है। देखना इस बार सर्वोच्च अंक तुम्हे ही प्राप्त होगें। आपके इन प्रोत्साहित भरे वचनों से बच्चे में निहित निजशक्ति जगेगी। सच मानिये! उसकी निज शक्ति जागृत होने के बाद बालक वह सफलता प्राप्त कर सकता है, जिसकी आपने कभी कल्पना भी नही की होगी। बस आपको बच्चे कि निजशक्ति को जागृत करना है और यह कार्य आप प्यार से व स्नेह से ही कर सकते हैं। तो इस कार्य में देरी मत करिये आज से और अभी से अपने बच्चे की निज शक्ति को जागृत करने का सतत प्रयास करना शुरू कर दीजिए। सच मानिये! आपके बच्चे को ही मिलेगी परीक्षा में सर्वोच्च सफलता।
डाँटे नही! प्यार करें: यह शाश्वत सत्य है कि माता-पिता बच्चे की भलाई के लिए ही डाँटते हैं किन्तु यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि बच्चे डाँट से बनते नही बिगड़ते हैं और यह समय डाँटने का नही प्यार करने का है, पढ़ाने का नही प्रोत्साहन देने का है, चीखने चिल्लाने का नही प्यार भरे शब्द बोलने का है। अतः आप भूलकर भी बच्चे को डाँटे नही, उसको प्यार दें, स्नेह दें, आत्मीयता से परिपूर्ण शब्दों का प्रयोग करें। फिर आप देखेंगे कि आपका बच्चा असंभव को भी संभव कर सकता है। यह परीक्षा किस खेत की मूली है बस आवश्यकता आपके संयम की है। आप संयम व शान्ति से बच्चे पर निगाह रखे उसे प्रोत्साहित करें तब आप पायेंगे कि आपके बालक ने परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त किये हैं।
ईश्वर पर विश्वास करें: आप केवल दो पर विश्वास करें - एक अपने बालक पर और दूसरे परमपिता परमात्मा पर विश्वास करें, ईश्वर, खुदा, गाॅड, गुरूनानक आप जिन्हें भी मानते हैं, उन पर विश्वास करें क्योंकि बिना ईश्वर के तो पत्ता भी नहीं हिलता है तो यह तो भारी भरकम परीक्षा का सवाल है। किसी ने कहा है –
तेरी सत्ता के बिना हे प्रभु मंगलमूल। पत्ता तक हिलता नही, खिले न कोई फूल।।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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उत्तर प्रदेश में स्वाइन फ्लू एक महामारी की तरह पूरे प्रदेश में फैलती चली जा रही है।

Posted on 19 February 2015 by admin

उत्तर प्रदेश में स्वाइन फ्लू एक महामारी की तरह पूरे प्रदेश में फैलती चली जा रही है। यदि सरकारी आंकड़ों पर विश्वास करें तो अब तक इसकी चपेट में आये 11 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। परन्तु इस महामारी का प्रसार एवं भय इस बात से उजागर होता है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को स्वाइन फ्लू के चलते बंद कर दिया गया है। उ0प्र0 में स्वाइन फ्लू की चपेट में आये व्यक्तियों की संख्या सरकारी आंकड़े लगभग 88 बताते हैं परन्तु वास्तविकता तो यह है कि छोटे जिलों, तहसीलों एवं ग्रामीण इलाकों में स्वाइन फ्लू की चपेट में आये लोगों की संख्या इससे कहीं अधिक है। स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए उ0प्र0 सरकार का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह विफल है तथा कोई भी सार्थक प्रयास करता नजर नहीं आ रहा है।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डाॅ0 हिलाल अहमद ने आज जारी बयान में कहा कि प्रदेश सरकार स्वाइन फ्लू को रोकने के लिए तुरन्त टीकों की व्यवस्था सम्पूर्ण प्रदेश में कराये। प्रदेश में इतने टीके भी उपलब्ध नहीं हैं कि वह डाक्टरों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ को टीकाकृत कर सके। यह मुख्य कारण है कि स्वाइन फ्लू के मरीजों को तुरन्त चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध नहीं हो रही है एवं सरकारी अस्पताल के कर्मचारी स्वयं चपेट में आने के डर से मरीजों को उचित एवं तुरन्त चिकित्सीय सहायता देने में विफल हैं। यह अत्यधिक शर्म की बात है कि स्वाइन फ्लू जो कि एक वार्षिक आपदा के रूप में सम्पूर्ण देश एवं उत्तर प्रदेश में पिछले तीन वर्षों से आ रही है परन्तु आज तक प्रदेश के बड़े अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड की सुविधा उपलब्ध नहीं हैं।
डाॅ0 हिलाल अहमद ने कहा कि केन्द्र सरकार का सहयोग यदि प्रदेश सरकारों को मिला होता तथा समय से स्वाइन फ्लू के टीकों की व्यवस्था देश भर में कर ली गयी होती तो सम्पूर्ण देश इस महामारी की चपेट में न होता और सैंकड़ों लोगों को असमय मृत्यु से बचाया जा सकता था। यह देश एवं प्रदेश की सरकार की उदासीनता एवं उनकी संवेदनहीन कार्यशैली को प्रदर्शित करता है।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में स्वाइन फ्लू से प्रभावित मरीजों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग का पूरी तरह तैयार न होना है। दुःख की बात यह है कि इस सच्चाई को प्रदेश सरकार मानने को भी तैयार नहीं है। कंाग्रेस पार्टी मांग करती है कि प्रदेश में तुरन्त स्वाइन फ्लू के टीकों की समुचित व्यवस्था की जाय। एन-90 मास्क की सुविधा समस्त प्रभावित मरीजों, उनके तीमारदारों तथा अस्पतालों में कार्य कर रहे चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मियों को उपलब्ध करायें और जिन परिवारों के जीविका के एकमात्र सदस्य की मृत्यु स्वाइन फ्लू एवं सरकार की लापरवाही की वजह से हुई है उन्हें सरकार तुरन्त उचित मुआवजा उपलब्ध कराये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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पंजाब एंड सिंध बैंक के राज्य स्तरीय ऋण शिविर

Posted on 19 February 2015 by admin

ए पंजाब एंड सिंध बैंक द्वारा लखनऊ ए इलाहाबाद ए वाराणसी ए गोरखपुर ए कानपूर ए झाँसी सहित प्रदेश के विभिन्न नगरों में कल एक साथ ऋण शिविरों का आयोजन किया गया जिसमें लघु एवं मध्यम व्यवसाइयों ए उद्यमियों ए कृषकों एवं निजी आवेदकों के ऋणों के प्रस्तावों की समीक्षा एवं स्वीकृति की प्रक्रिया की गयी तथा उन्हें बैंक की विभिन्न ऋण योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गयी प् बैंक के उप महा प्रबंधक श्री टीण् पीण् एसण् वालिया ने बताया कि छोटे उद्यमियों को एक करोड़ रुपये तक के ऋण बिना किसी अतिरिक्त गारंटी और सिक्योरिटी के उपलब्ध कराए जा रहे हैं तथा प्राथमिकता क्षेत्र के ऋणों पर विशेष जोर दिया जा रहा है प् श्री वालिया ने बताया कि पंजाब एंड सिंध बैंक ने पिछले एक वर्ष में उत्तर प्रदेश में अपनी शाखाओं का भारी विस्तार किया है प्

श्री वालिया ने कहा कि  भविष्य में इस तरह के ऋण शिविर अन्य तिथियों पर भी लगाये जायेंगे और बड़े स्तर पर ऋण संवितरण का प्रयास किया जायेगा ताकि प्रदेश के आर्थिक विकास में यथोचित योगदान दिया जा सके  प्

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि अब जब बोर्ड परीक्षा में घंटो का समय बाकी है, फिर भी परीक्षा केन्द्र बनाये जाने का खेल क्यों चल रहा है।

Posted on 18 February 2015 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि अब जब बोर्ड परीक्षा में घंटो का समय बाकी है, फिर भी परीक्षा केन्द्र बनाये जाने का खेल क्यों चल रहा है। पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने मांग की कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की होने वाली परिक्षाओं की सुचिता पर उठते सवालों के मद्देनजर मुख्यमंत्री हस्तक्षेप करे। उन्होंने कहा कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र में राजनैतिक दबाव में सहायता प्राप्त शासकीय विद्यालयों को कम परीक्षार्थी दिये गये, वहीं वित्त विहीन विद्यालयों में मानको को तोड़ते हुए राजनैतिक रसूख का ध्यान रखा गया।
मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर यू.पी. बोर्ड की 19 फरवरी से शुरू हो रही परीक्षाओं के पूर्व उठ रहे सवालों पर प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि राजधानी लखनऊ में अधिकारी किस दबाव में लाचारगी भरा बयान दे रहे हैै। शासन के आदेश पर परीक्षा केन्द्र क्यों बनाये जाने के निर्देश अभी तक हो रहे है जबकि परीक्षा में कुछ घंटे शेष है। राज्य में सुचारू रूप से नकल विहीन परीक्षाएं हो इस लक्ष्य का दावा करते मंत्री के उन वादो का क्या हुआ, जो दो माह पूर्व नकल रोकने के नाम किये गये थे। मसलन घोषणा के बाद भी परीक्षा केन्द्रों पर सी.सी.टी.वी. कैमरे क्यों नहीं लगे। कक्ष निरिक्षकों का परिचय पत्र निदेशालय से जारी किये जाने की घोषणा का क्या हुआ ? अब जो कमियां प्रकाश में आ रही उन पर मौन क्यों है। क्यों दागदार और दागी सूची में आये विद्यालयों को परीक्षा केन्द्र बनाये जाने की शीर्ष स्तर पर पैरवियां हो रही है।
उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में शिक्षा मफियाओं के काकस ने अपने राजनैतिक रसूख का प्रयोग करते हुए शुरूआती दौर से ही अपने मन माफिक परीक्षा केन्द्र तय कराने में रूचि ली। उनकी इस रूचि में सत्ता शीर्ष के उच्च पदस्थ लोगो का सहयोग मिला और नतीजे हुए कि शासनादेश है कि सहायता प्राप्त विद्यालयों को कम से कम 300 परीक्षार्थी दिये जाये किन्तु उसको दर किनार करते हुए वित्त विहीन विद्यालयों में तो ज्यादा बच्चे दिये गये जबकि वहीं बगल के सहायता प्राप्त विद्यालय में कम बच्चे हैं।
श्री पाठक ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि शिवली कालेज में पर्याप्त व्यवस्था होने के बावजूद 200 से 250 बच्चे जब कि राजनैतिक प्रभाव रखने वाले लोगो के नातेदारों द्वारा संचालित विद्यालयों 1200 से 1300 बच्चों को परीक्षा देने के लिए अवंटित किया गया। यही हाल दुर्गा जी इण्टर कालेज चण्डेश्वर का जहां 86 परीक्षार्थी है जबकि वहीं राजनैतिक प्रभाव वाले विद्यालयों में 1300 तक बच्चे है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में परीक्षा प्रारम्भ होने पहले ही परीक्षाओं की सुचिता को लेकर सवाल खड़े हो रहे है ऐसी स्थिति में आवश्यक है कि मुख्यमंत्री हस्तक्षेप करे। नकल विहीन परीक्षा हो इसके दावों के बजाय यह व्यवहारिक स्वरूप में हो इसकी सुचारू व्यवस्थाये की जाये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सनातन क्रिया के माध्यम से शरीर स्कल्पटिगं और सेल्फ हीलिंग

Posted on 18 February 2015 by admin

योगी अश्विनी योग और तन्त्र की प्राचीन और विशेषतम तकनीकों द्वारा अपने शरीर को इच्छानुसार आकार देने व आत्म चिकित्सा की विधि को उजागर करने के लिए अपनी शिष्या निकिता आनन्द, पूर्व मिस इंडिया यूनिवर्स, टी.वी. होस्ट, एंकर व अभिनेत्री के साथ लखनऊ के दौरे पर आएँगे। निकिता शारीरिक स्कल्पटिगं के परिणाम का एक जीवन्त प्रमाण हैं। वे न तो कोई मेकअप करती हैं, न जिम जाती हैं। उनकी चमक सुन्दरता व परफेक्ट फिगर उनकी विकसित चेतना स्तर का परिणाम है जो उन्हें योगी अश्विनी के सान्निध्य में शारीरिक स्कल्पटिगं तकनीकों द्वारा प्राप्त हुई।
योगी अश्विनी कहते हैं कि हमें जो शीशे में दिखाई देता है, हमारा अस्तित्व उस छाया से कई गुणा अधिक है और यही हमारे शरीर को नियंत्रित करता है। उनके शिष्यों और विश्वभर के सनातन क्रिया के साधकों को इस सत्य का ज्ञान है।
क्या आप सोच सकते हैं कि कैसे एक फैशन डिजाईनर जो वर्षों से बिना सफलता के जिम व परहेज द्वारा अतिरिक्त वजन घटाने की कोशिश कर रहा था सिर्फ तीन महीनों में आँखें बन्द कर अपने लक्ष्य को हासिल कर लेता है! क्या आप अन्दाजा लगा सकते है कि एक साधारण दिखने वाली इन्टीरियर डेकोरेटर ने कुछ हफ्तों में बिना उपचार, चिकित्सा या सर्जरी के इतना आकर्षण प्राप्त किया कि माॅडल व अभिनेत्रियां भी उससे ईष्र्या करने लगी! क्या यह बता पाना मुमकिन है कि कैसे 65 वर्षीय महिला ऐसे आसन प्रदर्शित करती है जो कि किशोरी करती हों और उनके चेहरे पर कोई शिकन व झुर्रियां भी न हों! और क्या बता पाना मुमकिन है कि कैसे एक सेल्समैन कुछ ही समय में बहुराष्ट्रीय कम्पनी का देश प्रबन्धक बन गया!
यह आकस्मिक संयोजन हो सकता है कि यह सारी असाधारण घटनाएं तब शुरू हुई जब इन लोगों ने योगी अश्विनी के मार्ग दर्शन में योग का अभ्यास शुरू किया इस तरह के संयोग ध्यान आश्रम के साधकों के साथ दैनिक रूप से होते है। चाहे वे डाॅक्टर हों या प्रसिद्ध चिकित्सालय के प्रमुख।
आईने में दिखने वाला भौतिक शरीर हमारा केवल 1/5वां भाग है, हमारे शरीर की चार और परतें है। ये परतें भौतिक शरीर को नियंत्रित करती है। यह एक संस्था के संगठन के उदाहरण द्वारा समझाया जा सकता है। आधार पर श्रमिक संघ है, उसके ऊपर प्रबन्धक फिर मुख्य प्रबन्धक और अन्त में सी.ई.ओ। एक मजदूर यदि संस्था में परिवर्तन लाना चाहता है तो उसे अत्यधिक पसीने, मेहनत और खून की आवश्यकता पड़ेगी और सम्भव है कि उसके जीवन में यह फलीभूत भी न हो पाएं। प्रबन्धक के लिए यह बदलाव लाना सरल है क्योंकि मजदूर का सामूहिक बल उसके नियन्त्रण में है। सी.ई.ओ. के स्तर पर यह बदलाव सबसे आसान हो जाता है क्योंकि वह संस्था के सभी स्तरों को नियन्त्रित करता है।
’’यही तथ्य शरीर के सत्य है। शरीर स्थूल  परत है और इस स्तर के माध्यम से परिवर्तन लाना सबसे मुश्किल है।’’ ऐसा सनातन क्रिया एन्टीएजिन्ग पुस्तक के लेखक योगी अश्विनी का कहना है जिनकी किताब को देश के प्रसिद्ध डाॅक्टरों ने एन्टीएजिन्ग की थीसिज कहा है।
योगी अश्विनी द्वारा रचित सनातन क्रिया जीवन को पूर्णतः से प्रभावित करती है - पाँच परतें, आधार से बाहर तक, जिससे जीवन के सभी क्षेत्रों में - भौतिक, मानसिक, वित्तीय व भावुक, पूर्ण संतुलन स्थापित होता है। इसका परिणाम एक संतुलित इंसान जिसमें रचनात्मक सोच, भावानात्मक स्थिरता व शारीरिक स्वास्थ्य मौजूद है- जो हर क्षेत्र में सफलता के लिए आवश्यक है।
ध्यान फाउंडेशन
ध्यान फाउंडेशन एक अध्यात्मिक व चैरीटेबल संस्था है जो विश्वभर में निःशुल्क ही योग के सही मार्ग से अवगत कराती है। यह संस्था अनेक प्रकार की दान व सेवा के कार्य जैसे मुफ्त खाने का वितरण, जानवरों को बचाना, घायल जानवरों की देखभाल, गरीब बच्चों के लिए निशुःल्क शिक्षा, नेत्रहीन व गरीब बच्चों की उच्च शिक्षा, बेरोजगारों के लिए रोजगार ढूंढना व पर्यावरण से सम्बन्धित मामलों से अवगत कराना इत्यादि में जुटी हुई है। यह संस्था स्वयंसेवकों ;चिकित्सक, व्यापारी, वकील, स्कोलरस, घरेलू स्त्रियां, डिजाईनरज इत्यादिद्ध द्वारा संचालित है, जो कि योगी अश्विनी के सान्निध्य में साधना और सेवा के मार्ग पर चल रहे है।
योगी अश्विनी
योगी अश्वनी योग के प्राचीन विज्ञान, तन्त्र, सपरिचयुल हीलिगं, मंत्र साधना, यज्ञ की विधि, पुर्नजन्म के अनुभव, वैदिक मार्शल आर्टश व गदाबाजी में कुशल है। अर्थशास्त्र में आॅनरज, प्रबन्ध में मास्टरज के साथ साथ वे एक सफल व्यापारी, मुख्य अखबारों व रसालों के जानेमाने लेखक, अन्र्तराष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध वक्ता, प्राचीन विज्ञान की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध किताबों के लेखक, अध्यात्मिक मैगंजीन ’’द इनर बल्र्ड’ के आॅनररी सम्पादक व ध्यान फाउन्डेशन के मार्गदर्शक है।
दो दशक तक जीवात्मा पर एकान्त में चिन्तन व अध्ययन कर तथा हिमालय के योगियों से ज्ञान अर्जित कर योगी अश्विनी ने अष्टांग योग पर आधारित सनातन क्रिया का निर्माण किया। इण्डियन मैडीकल ऐशोसिएशन के चिकित्सकों ने योगी अश्विनी की देखरेख में सनानत क्रिया की शक्तियों का अनुभव किया और कलैरवाइन्स के विज्ञान का सीधा प्रसारण उनके शिष्यों द्वारा देखा। एन्टीएजिगं के विषय पर की गई योगी अश्विनी की क्रान्तिकारी रिसर्च सनातन क्रिया- द एजलेस डाइमेशंन’ नामक किताब में प्रकाशित की गई जिसे देश के प्रसिद्ध डाक्टरों ने एन्टीएजिगं का थीसिज घोषित किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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