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सहयोगपूर्णए प्रतिस्पआर्धात्मकक संघवाद के जरिये संरचनात्म क बदलाव से भारत के विकास की कायापलट

Posted on 19 February 2015 by admin

भारत की जनसंख्याण् में पिछले 65 वर्षों में जबर्दस्त  बदलाव आया और जनसंख्याा बढ़कर 121 करोड़ पर पहुंच गई। विकासए साक्षरता और संचार का स्तदर बढ़ने के कारण लोगों की आकांक्षाएं बढ़ गईए जिससे शासन प्रणाली में परिवर्तन और नये.नये प्रयोग करना अनिवार्य हो गया। यहां तक कि अर्थव्यवस्था् में भी बदलाव आया और कृषि हिस्से दारी जबर्दस्तब तरीके से गिरकर सकल घरेलू उत्पाकद का 15 प्रतिशत से भी कम पर आ गई और निजी क्षेत्र उभरने लगे। अब केन्द्रे सरकार की 12वीं पंचवर्षीय योजना 43 लाख करोड़ रूपये की हैए जो पहली पंचवर्षीय की तुलना में काफी अधिक है। पहली पंचवर्षीय योजना 2400 करोड़ रुपये की थी। पिछले कुछ वर्षों से राज्या राष्ट्री य विकास का वास्तीविक संवाहक बनने के लिए केवल केन्द्रल का अनुसरण कर रहे है। अतरू देश की प्रगति राज्यों  की प्रगति पर निर्भर है।
इस बदलती वास्तकविकता और बढ़ते बेमेलपन को पहचाना जा चुका है। विशेषज्ञों नेए जिनमें से कुछ तत्काकलीन योजना आयोग में रह चुके हैंए पुरानी कार्य प्रणाली को छोड़कर उचित बदलाव की सिफारिश की है और भारत तथा अन्यन देशों के पुराने अनुभवों पर आधारित नई कार्य प्रणाली अपनाने को कहा है। यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री और जाने.माने अर्थशास्त्रील डॉण् मनमोहन सिंह ने अप्रैल 2014 में आयोग में दिये गये अपने विदाई भाषण मेंए नये विश्वड में योजना आयोग की क्या  भूमिका होनी चाहिएए इसका जिक्र किया था। योजना आयोग क्याय अतिरिक्ता भूमिका निभा सकता है और इसे किस तरीके से बनाया जाएंए ताकि विकास की प्रक्रिया में इसकी प्रासंगिकता बनी रहे।
1950 से पहले प्राथमिकताओंए रणनीतियों और संरचनाओं के आधार पर योजना आयोग की स्थातपना की गई थीए जिस पर एक बार नये सिरे से नजर डाली गई। परिणामस्वनरूप सरकार ने योजना आयोग के स्था न पर नीति आयोग ;भारत में परिवर्तन के लिए राष्ट्रीगय संस्थाननद्ध की स्था पना कीए ताकि भारत की जनता की आकांक्षाओं और जरूरतों को बेहतर तरीकों से पूरा किया जा सकें। इससे सरकार को अपने बहुमूल्य  संसाधनों को कमजोर और हाशिये पर चले गये लोगों के सार्वजनिक कल्या ण जैसे खाद्यए पोषणए स्वारस्य्र  ए शिक्षा और आजीविका पर केन्द्रित करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नीति आयोग के अध्येक्ष हैंय गवर्निंग काउंसिल में सभी राज्यों  के मुख्यथमंत्री और केन्द्रक शासित प्रदेशों के उपराज्य।पाल हैंए जिसमें परिषदों का गठन एक से ज्यायदा राज्यम अथवा क्षेत्र को प्रभावित करने वालों मुद्दों का हल करने के लिए किया गया है। विशेष जानकारी रखने वालों को प्रधानमंत्री ने विशेष आमंत्रितों के रूप में मनोनीत किया हैए जो उपाध्याक्षएपूर्णकालिक और आंशिक सदस्योंू को मिलाकर बने विचारकों की सहायता करेंगे।
नीति और योजना आयोग के बीच अंतर
योजना आयोग को मंत्रालयों और राज्यं सरकारों को धन आवंटित करने का अधिकार था। नीति आयोग एक सलाहकार संगठन अथवा एक विचारक होगा। योजना आयोग के अंतर्गत राज्यों  की भूमिका राष्ट्री य विकास परिषद और योजना बैठकों के दौरान वार्षिक बातचीत तक सीमित थी तथा आयोग राष्ट्री य विकास परिषद को जानकारी देता थाए जिसमें राज्यी के मुख्यगमंत्री और केन्द्रग शासित प्रदेशों के उपराज्यषपाल होते थेए लेकिन नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल में राज्योंग के मुख्यरमंत्रीए उपराज्येपाल है। नीति आयोग के अंतर्गत‍ नीति बनाते समय और धनराशि आवंटित करते समय राज्योंं से सलाह की जाती है। नीति आयोग एक विचारक है और उसके पास नीतियों को लागू करने का अधिकार नहीं हैए योजना आयोग राज्योंि के लिए नीतियां तय करता है और मंजूर परियोजनाओं के साथ धन आवंटित करता है।
नीति आयोग के उद्देश्यो
नीति आयोग विकास की प्रक्रिया में महत्‍वपूर्ण दिशा और रणनीतिक जानकारी प्रदान करने का काम करता है। नीति आयोग नीति के धीमे और सुस्तव  कार्यान्वीयन को समाप्तत करेगा। इसके लिए दो मंत्रालयों और केन्द्र .राज्योंद के बीच बेहतर तालमेल की व्य वस्था  की जाएगी और सहयोगपूर्ण संघवाद को प्रोत्साेहन देकर इस बात को स्वीचकृति प्रदान की जाएगी कि मजबूत राष्ट्रर का निर्माण किया जा सकता है। इसके अलावा नीति आयोग कार्यक्रम के क्रियान्वीयन की निगरानी और मूल्यां कन करेगा तथा प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण और क्षमता निर्माण पर जोर देगा।
टिप्पेणी
विपक्षी दलों ने अपनी आदत के मुताबिक नीति आयोग की शुरूआत का उपहास उड़ाते हुए इसे खूबसूरती बढ़ाने वाले लेबल की संज्ञा दी थीए लेकिन सत्ताा दल ने यह कहते हुए इसे उचित बताया था कि नये बदलावों को देखते हुए राज्यन सरकारों के केवल मांगने वाले रवैये को बरकरार रखने की जरूरत नहीं हैए बल्कि इसके स्था न पर विकास के लिए स्वातंत्र कदम उठाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रह मोदी ने गवर्निंग काउंसिल की पहली बैठक में सभी मुख्य मंत्रियों का आह्वान किया कि वे सहयोगपूर्ण संघवाद का मॉडल तैयार करने के लिए केन्द्रब के साथ मिलकर कार्य करें। केन्द्रर और राज्ये.टीम इंडिया. मिलकर मतभेदों को दूर कर सकते है और प्रगति और समृद्धि की साझा कार्य प्रणाली तैयार कर सकते है। इस बात पर जोर देते हुए कि भारत सभी राज्यों  की प्रगति के बिना आगे नहीं बढ़ सकताए प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी राज्योंक को ष्सबका साथए सबका विकासष् के विचार के साथ एकजुट करना होगा।
प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि केन्द्रे राज्योंब को वित्तीकयए प्रौद्योगिकी और जानकारी के लिहाज से शक्ति सम्परन्नद बनाना चाहता हैए ताकि वे बेहतर योजना बना सकें और उन्हेंर बेहतर तरीके से लागू कर सकें। उन्हों ने कहा कि संघवाद के लिए राज्यों  को राष्ट्रींय उद्देश्यों  को बढ़ावा देने की अपनी भूमिका को बढ़ाना होगा।
अंत में नये विचारोंए तकनीकए संस्थाएनोंए प्रक्रियाओं को अपनाने का कार्य स्वंभाविक तरीके से नहीं होताए बल्कि कठोर परिश्रमए समाधान मिलने तक हुए प्रयोगों का नतीजा है। अनेक कारणों से बदलाव का विरोध स्वा्भाविक हैए लेकिन बदलाव विकास में अंतर्निहित है और सहयोगपूर्णए प्रतिस्पवर्धात्म क संघवाद के जरिये संरचनात्म क बदलाव सभी विरोधों को खत्मि कर सकता है और एक नये जोशपूर्ण भारत में प्रवेश किया जा सकता है।
’डॉण् एचण्आरण् केशवमूर्ति पत्र सूचना कार्यालयए कोलकाता में निदेशक हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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