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स्वासइन फ्लू से घबराएं नहींए पर सजग रहें

Posted on 19 February 2015 by admin

इस साल जनवरी से स्वा इन फ्लू धीरे.धीरे लेकिन व्यातपक स्तहर पर अपने संक्रमण से परेशान कर रहा है। सवाल यह है कि क्या‍ स्वाीइन फ्लू एक गंभीर बीमारी बन चुकी हैघ् या फिर महज एक मौसमी फ्लू है। एक जनवरी से 15 फरवरी के बीच सरकारी आंकड़े बताते हैं कि लगभग 8423 लोग पूरे भारत में स्वाइइन फ्लू से संक्रमित हो चुके हैं। दिल्लीलए गुजरातए राजस्थामन और तेलंगाना समेत पूरे भारत में अब तक लगभग 596 लोग इस संक्रमण के कारण दम भी तोड़ चुके हैं। लेकिन इस संक्रमण को हमें एक अलग नजरिए से देखने की जरूरत है।
पिछले कई हफ्तों से इस बात पर भी बहसबाजी चल रही है कि इस संक्रमण से हो रही मौतों के लिए सरकार जिम्मेोदार है या आम नागरिक। अगर इसे सीधे तौर पर देखा जाए तो स्वांइन फ्लू भारत में कोई नई बीमारी नहीं है। सबसे सीधी बात तो यह है कि भारत में 2009 में दस्त‍क दे चुकी इस बीमारी ने अपना स्वंरूप भी नहीं बदला है। इसमें नागरिकों की जगरूकता और सरकार की स्वाकस्य्े   सेवाएं दुरूस्ता होने की दरकार है।
मुझे याद है कि 2009 में सुअरों से इंसानों में प्रवेश करने वाले कीटाणु स्वा।इन फ्लू ने पूरी दुनिया में महामारी का रूप लिया था। उस वक्त  मैक्सिको से शुरू हुए इस संक्रमण ने पूरे भारत में लाखों लोगों को प्रभावित किया था। विश्व  स्वा स्य् इ  संगठन के अनुसार स्वाूइन फ्लू  सबसे पहले 1918 में एक संक्रमण के रूप में सामने आया था। ये पहला समय था जब सुअरों के बीच में रहने वाले इंसानों के भीतर इस वायरस ने हमला किया। हालांकि इस वायरस से उतने ज्यांदा लोगों की मौत की खबरें सामने नहीं आई थीं। पिछले दशकों में स्वा इन फ्लू के कम मामलों के सामने आने के पीछे बड़ा कारण अंडर रिपोर्टिंग रहा है। मतलब भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में अगर स्वााइन फ्लू का संक्रमण बहुत ज्याादा भी रहा होगाए तो भी डॉक्टारों के सामने नहीं आने की वजह से रिपोर्ट नहीं हो पाए होंगे।
स्वा इन फ्लू की रिपोर्टिंग को लेकर इस बार सरकार भी यही कह रही है। मसलन इस साल 15 फरवरी तक दिल्लीी में लगभग 1300 से ज्या दा स्वालइन फ्लू के मामले सामने आ चुके हैं पर इसकी वजह से मात्र 6 लोगों की मौत हुई है। हाल ही में केन्द्रीरय स्वा स्य्के  मंत्रालय ने बताया कि राजधानी दिल्लीर में स्वाोइन फ्लू के जरा से लक्षण सामने आने पर भी आम लोग अपनी जांच करा रहे हैं। समय पर जांच हो जाने के कारण सही समय पर इलाज भी शुरू हो रहा है। यही कारण है कि इस साल इतने ज्याादा मामले बढ़ने के बावजूद मृत्यु  दर कम है। लेकिन इसके उलट इस साल राजस्था न ;1631 मामलेध्130 मौतद्धए गुजरात ;1233 मामलेध्117 मौतद्धए तेलंगाना ;969 मामलेध्45 मौतद्धए महाराष्ट्रक ;352 मामलेध्51 मौतद्ध और मध्य प्रदेश में ;192 मामलेध्56 मौतद्ध के मामले सामने आए हैं। लेकिन अगर इस साल के कुल स्वा इन फ्लू के संक्रमित और मार गए लोगों की बात करेंए तो 2009 और 2010 में हुए मामलों से कोई तुलना नहीं है। मई.दिसंबरए 2009 में स्वा इन फ्लू से लगभग 27236 लोग प्रभावित हुए थे। इनमें से 981 लोगों की मौत भी हुई। इसी तरह 2010 में 20604 लोग संक्रमित हुए और 1763 लोगों ने दम तोड़ा। सरसरी निगाह से इन आंकड़ों को कोई भी देखाए तो पता लग सकता है कि देश में स्वामइन फ्लू के मामलों में बहुत ज्याोदा कमी आई।
इलाज की बात करें तो 2009 में बाजार में आई टमीफ्लू ही सबसे कारगर दवा साबित हो रही है। भले गुजरात और राजस्था0न में दवाओं की कमी की बात लगातार खबरों में आती रही है। लेकिन केन्द्र  और राज्य‍ सरकारों की माने तो ये ही दो ऐसे राज्यं हैंए जो न सिर्फ अपने स्थाहनीय मरीजों तक दवा पहुंचा रहे हैंए बल्कि अन्ये राज्यों् को भी दवाई मुहैया करा रहे हैं। अब चुनौती इस बात की है कि क्या  सरकारी मशीनरी स्वा इन फ्लू से लड़ने में नाकाम हो रही है या आम जनता के बीच जागरूकता की भारी कमी है। अखबारों और टीवी में आ रही खबरों से परे बहुत ही कम लोग जानते हैं कि स्वामइन फ्लू के लक्षण क्या  हैं।
विश्व  स्वांस्य्है  संगठन के अनुसार स्वासइन फ्लू को पहचानने के कुछ बड़े ही आसान तरीके हैं। पहलाए इसे श्श्ए.श्रेणीश्श् कहते है. अगर किसी व्याक्ति को जुकाम हो रहा होए नाक बह रही होए सांस लेने में तकलीफ हो रही होए गले से ऊपर दर्द और हल्का. बुखार हो तो एक बार डॉक्टोरी जांच जरूर करा लेना चाहिए। श्श्बी.श्रेणीश्श् में ऐसे मरीज आते हैं जिनकी इम्युानिटी बहुत कम होती है और दर्द गले से छाती तक फैली हो और सांस लेने में ज्या दा तकलीफ हो रही हो। तीसरे यानी सी श्रेणी में ऐसे लोग आते हैंए जो डायबटीज के मरीज हों या फिर 50 साल से ज्याेदा उम्र के हों या एचआईवीध्एड्स के मरीज हों। डॉक्टार और स्वांस्य् ज  विशेषज्ञ कहते हैं कि पहली श्रेणी का स्वा्इन फ्लू आम मौसमी फ्लू जैसा ही है। जिसमें सही खान.पान और आराम करने से अपने आप चला जाता है। दूसरी श्रेणी के लोगों के लिए किसी भी तरह के फ्लू को गंभीरता से लेने की जरूरत होती है और ऐसे लक्षण पाए जाने पर तुरंत डॉक्ट री सलाह लेना जरूरी है। इसके अलावा आखिरी श्रेणी के लोग वो हैं जिन्हेंन सबसे ज्याफदा स्वालइन फ्लू से खतरा हो सकता है। सी श्रेणी के लेागों को हमेशा डॉक्टंरी सलाह होती है कि ऐसे किसी भी लक्षण के दिखाई देने पर तुरंत अस्प ताल जाएं।
इन सबके बावजूद ज्यालदातर फैमिली डॉक्टहर सीधी सलाह देते हैं कि स्वााइन फ्लू के संक्रमण के समय भीड़भाड़ वाले इलाके जैसे बाजारए मेलाए शॅपिंग मॉल्सेए सिनेमा हॉल जैसी जगहों पर जाने से बचें। एक मामूली और महत्वापूर्ण बात यह भी है कि कुछ भी खाने से पहले साबुन से हाथ जरूर धोना चाहिए। सभी राज्यर सरकारों ने स्वािइन फ्लू के लक्षण पाए जाने पर मुफ्त जांच की सुविधा सभी स्वाचस्य्ज्  केन्द्रोंक में मुहैया कराई है। इसके अलावा संदेह होने पर भी इन स्वा स्य्भी  केन्द्रोंर में जांच के लिए जाया जा सकता है।
इस बार भले स्वावइन फ्लू के मामले में हो.हल्लाच बहुत ज्यातदा हो रहा हो। लेकिन अभी भी आपकी अपनी जागरूकता और समझदारी ही इससे निबटने में सबसे ज्या दा मदद कर सकती है। स्वाजइन फ्लू में एक ही वाक्यन सबसे सटीक फिट  होता है श्जानकारी ही बचावश्।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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