Archive | September 1st, 2012

बुन्देलखण्ड में उत्पादित होने वाली विद्युत में से आधी इस क्षेत्र को दी जाये

Posted on 01 September 2012 by admin

देश के अति पिछड़े क्षेत्र बुन्देलखण्ड में लगभग 975 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है। इस क्षेत्र के मिर्चवारा (जनपद ललितपुर) में 1980 मेगावाट विद्युत यूनिट उत्पादन का निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया है एवं भारत सरकार द्वारा 4000 मेगावाट विद्युत उत्पादन केन्द्र जनपद टीकमगढ़ में स्थापित किये जाने पर कार्य किया जा रहा है। इस प्रकार निकट भविष्य में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में लगभग 7000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन प्राप्त होने लगेगा। वर्तमान में बुन्देलखण्ड में उत्पादित हो रही विद्युत को पहले नेशनल ग्रिड में भेजा जाता है जहाँ से फिर उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश को दी जाती है। तदोपरान्त प्रदेश सरकार अपनी मर्जी से फैसला करती हैं कि किन जिलों को कितनी विद्युत आपूर्ति की जानी है।
पारीछा थर्मल पावर में लगभग 900 मेगावाट विद्युत का उत्पादन पूरी क्षमता से किया जा रहा है, जो बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिये अच्छा संकेत है। जब भी पारीछा थर्मल पावर में विद्युत उत्पादन किसी कारण से बाधित होता है तो सबसे पहले बुन्देलखण्ड क्षेत्र खास कर झाँसी की विद्युत आपूर्ति ठप्प कर दी जाती है, और जब पारीछा थर्मल पावर अपनी पूरी क्षमता से विद्युत उत्पादन करता है तब भी इस क्षेत्र को मात्र 14-15 घण्टे विद्युत आपूर्ति प्राप्त होती है। प्रदेश में विद्युत उत्पादन यूनिट स्थापित करने से पूर्व किये जाने वाले डण्व्ण्न्ण् में यह स्पष्ट किया जाता है कि उत्पादित होने वाली विद्युत में से सम्बन्धित राज्य को कितनी विद्युत प्राप्त होगी। इसी प्रकार बुन्देलखण्ड में उत्पादित की जा रही कुल विद्युत का उत्तर प्रदेश के 7 जिलों को यदि एक चैथाई भाग भी (260 मेगावाट) प्राप्त हो जाये तो हमें 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति प्राप्त हो सकेगी व उत्तर प्रदेश के 7 जिलों एवं मध्य प्रदेश के 6 जिलों को बुन्देलखण्ड में उत्पादित होने वाली विद्युत का आधे से कम भाग (480 मेगावाट) प्राप्त होेने लगे तो अखण्ड बुन्देलखण्ड को 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति प्राप्त होने लगेगी जिससे अनेक उद्योगपति इस क्षेत्र में उद्योग लगाने के लिये आकर्षित होंगे।
विद्युत उत्पादन पर होने वाले प्रदूषण को झेलता बुन्देलखण्ड क्षेत्र है और 24 घण्टे विद्युत मिलती है सैफई, इटावा, अकबरपुर, लखनऊ आदि जनपदों को। पठार पर बसे बुन्देलखण्ड के साथ विद्युत आपूर्ति मंे किया जाने वाला सौतेला व्यवहार तुरन्त बन्द होना चाहिये।
आपसे आग्रह है कि बुन्देलखण्ड को विकास के पथ पर आगे ले जाने के लिये इस क्षेत्र मंे उत्पादित होने वाली विद्युत मंे से आधी विद्युत इस क्षेत्र को दिलाये जाने की कृपा की जाये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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विष्व हिन्दू परिशद ने आठ बिन्दुओं पर हिन्दु समाज को झकझोरने का खाका तैयार किया है

Posted on 01 September 2012 by admin

उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री अखिलेष यादव प्रदेष को अपनी दोनों आॅंखें बन्द कर आजम खाॅं एवं अहमद हसन की आॅंखों से देखते हैं यह दोनों जो कहते है मुख्यमंत्री वही सही मान का लागू करा देते हैं। अगर कभी अपनी तीसरी आॅंख से देख भी लिया तो वह आॅंख मौलाना बुखारी की होती है ऐसे में प्रदेष का क्या होगा यह जनता स्वयं सोचे कि उत्तर प्रदेष उत्तम प्रदेष बनेगा या मजहबी प्रदेष? यह उदगार बजरंग दल के प्रान्त संयोजक राकेष वर्मा एवं द्विविभाग संगठन मंत्री अनिल जी ने एक पत्रकार वार्ता में व्यक्त किए।
श्री अनिल ने बताया कि विष्व हिन्दू परिशद ने आठ बिन्दुओं पर हिन्दु समाज को झकझोरने का खाका तैयार किया है। 1 सितम्बर से 30 सितम्बर तक राश्ट्र व्यापी अभियान चलाकर विष्व हिन्दू परिशद बजरंग दल सहित सभी आयामों के कार्यकर्ता 1 लाख गाॅंवों का भम्रण कर 51 लाख लोगों को संगठन से जोडकर ‘‘हितचिन्तक’’ बनाया जायेगा। श्री अनिल ने बताया कि गााजियाबाद में हुई प्रबंध समिति की बैठक में काफी विचार विमर्ष के बाद हिन्दुत्व के जागरण हेतु कार्यक्रम तय हुए और नारा दिया गया ‘‘हिन्दू जगेगा तो देष बचेगा’’। इसी मंत्र को लेकर विहिप एवं बजरंग दल हिन्दू समाज का जागरण करेगा और संगठन से लोगो को जोडेगे। हमारे लाखों कार्यकर्ता टोली बनाकर गाॅंव-गाॅंव सम्पर्क कर देष और प्रदेष में उभर रहे मजहबी उन्माद के संबंध में लोगो को बतायंेगे। आसाम में किस प्रकार बग्लादेषी घुसपैठिये मुस्लिमों ने वहाॅं के मूल हिन्दू निवासियों को मार रहें है भागा रहे हैं आसाम में जम्मू जैसे हालात पैदा हो गए हैं जैसे जम्मू से कष्मीरियों को भगाया गया था ठीक उसी प्रकार आसाम से हिन्दुओं को भगाने का प्रयास चल रहा है।
प्रान्त संयोजक बजरंग दल श्री राकेष वर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेष मंे हम इस अभियान के तहत 15 हजार गाॅंवांे में जाकर 15 लाख हितचिन्तक बनायंेगे। गाॅंवों में कार्यक्रम होंगे। श्री वर्मा ने बताया कि केन्द्र सरकार ने पिछडा वर्ग आरक्षण में से 4.5 प्रतिषत कोटा निर्धारित कर दिया था। परन्तु विहिप के आन्दोलन एवं विहिप से जुडे अधिवक्ताओं की पैरवी के बल पर हाई कोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया। अब केन्द्र सरकार घायल भेंडिये जैसे मुस्लिमों को 18 प्रतिषत आरक्षण देने का मसौदा तैयार कर रही है। श्री वर्मा ने बताया देष की आजादी के समय देष में हिन्दुओं की संख्या 24 करोड़ थी और मुस्लिमों की संख्या 8 करोड थी। 8 करोड संख्या बल पर देष का विभाजन हो गया हम 24 करोड संगठिन न होने के कारण कुछ न कर सके। वर्तमान में देष में 18.5 करोड मुस्लिम एवं 3.5 करोड मुस्लिम घुसपैठिये कुल 22 करोड के करीब मुस्लिम हैं।
श्री अनिल एवं श्री वर्मा ने सपा सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जब से यह सरकार बनी है प्रदेष में 100 से ज्यादा स्थानों पर मुस्लिमों ने दंगे किए हैं और प्रषासन सरकार के दबाव में हिन्दुओं को ही प्रताडित कर रहा है।
ऐसे में जब यह मुस्लिम परस्त सरकार हिन्दुओं की रक्षा नहीं कर रही है तो हिन्दुओं को उठना ही होगा अपनी और अपने समाज की रक्षा के लिए। दोनों ने हिन्दू समाज से अपील की कि हिन्दू समाज विष्व हिन्दू परिशद के साथ जुडकर समाज की रक्षा में अपनी भूमिका निभाये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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घटिया सामग्री से बनी स्कूल की निर्माणाधीन दिवाल गिरी

Posted on 01 September 2012 by admin

भदैंयाॅ।  भ्रष्टाचार की हद उस समय पार हो गई जब एक स्कूल के अतिरिक्त कक्ष के निर्माण में लगे घटिया किस्म की सामग्री लगने से पोल खुल गई , जब घटिया सामग्री से बनी दीवाल भरभरा कर गिर गई। मामला विकास खण्ड भदैंयाॅ स्थित ग्राम कैभा  का है जहाॅ  पर एक अतिरिक्त कक्ष कक्ष का निर्माण बनवाने की जिम्मेदारी वहाॅ पर तैनात प्रधानाचार्य ने घटिया सामग्री के प्रयोग से पूर्व माध्यमिक विद्यालय  के अतिरिक्त कक्ष का निर्माण करवाया परन्तु घटिया सामग्री के प्रयोग होने के कारण निर्माणाधीन दिवाल भरभरा कर गिर गयी।  गिरे कक्ष निर्माण के मलवे आनन-फानन में मजदूरों से हटवा दिया गया और  गिरी दीवारों का निर्माण पुनः करवाये जाने लगा।  मजेदार बात यह कि दो दिन बीत जाने के बाद भी खण्ड षिक्षाधिकारी  बैज नाथ वैष्य को इस घटना की जानकारी नहीं हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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बसाहट के मुद्दे पर चिल्कादांड गोलबंद

Posted on 01 September 2012 by admin

युवाओं के द्वारा एक “उत्पीडन प्रतिरोध समिति” का गठन

नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड और नैशनल थर्मल पावर कारपोरशन के द्वारा पिछले २५
वर्षों से जारी उत्पीडन के खिलाफ स्थानीय जनता ने प्रतिरोध का बिगुल फूंक दिया
है. ३० अगस्त २०१२ दिन बृहस्पतिवार की शाम चिल्कादांड, निमिया दंड, दियापहरी
और रानीबाड़ी के ३०० से ज्यादा लोगो ने निमियादांड स्थित बरगद के नीचे ५ बजे
से एक सभा की जिसमे एक उत्पीडन प्रतिरोध समिति का गठन किया गया. वर्षों से
किसी सांगठनिक पहल के अभाव में स्थानीय जनता में दबा आक्रोश सभा के दौरान
थोड़ी थोड़ी देर पर उठने वाले नारों के माध्यम से झलक रहा था और ये नारे इस
बात का आभास दिला रहे थे की चिल्कादांड के निवासी सन ८५ के उस आन्दोलन की
यादें अपने दिलों में संजोय बैठे हैं जब इसी एन टी पी सी से लड़ कर उन्होंने
वो जमीन हासिल की थी जिस पर पिछले २५ वर्षो से वे रह रहे हैं और इन २५ वर्षों
में एन सी एल और एन टी पी सी के धीरे धीरे होते विस्तार ने लड़ कर छिनी गयी इस
जमीन को एक ऐसे क्षेत्र में तब्दील कर दिया है जहां मानव जिन्दगिया तो दूर,
कीड़े मकौड़े भी स्वेच्छा से जिन्दा रहना कबूल न करें.

बताते चलें की चिल्कादांड उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के शक्तिनगर थाणे में
पड़ने वाले उन ५ गावों का एक सामूहिक नाम है, जिन्हें पहली बार १९६० में रिहंद
डैम बनाने के लिए और फिर १९७९ में एन टी पी सी के शक्तिनगर परियोजना के कारण
विस्थापित होना पडा है. दो बार विस्थापन का दर्द झेल चुके लगभग ३० हज़ार की इस
आबादी को १९८४ में एक बार फिर से विस्थापित करने की कोशिश की गयी थी जब एन सी
एल को कोयला खनन का ठेका दिया गया था. पहले से ही राष्ट्र के विकास के नाम पर
२ बार छले जा चुके लोगों ने तीसरी बार विस्थापन के खिलाप जबरदस्त आन्दोलन
किया, और अपनी जगह पर जमे रहे. आज चिल्कादंड एक तरफ एन सी एल की खदान से तो
दूसरी ओर शक्तिनगर रेल स्टशन से बुरी तरह घेरा जा चूका है.

चिल्कादांड पुनः संगठित हो रहा है. इस बार मुद्दा विस्थापन का विरोध नहीं, एक
बेहतर बसाहट है. दिन रात उडती कोयले की धुल, कोयला ले कर २४ घंटे आते जाते
बड़े बड़े डम्फर, ब्लास्टिंग से उड़ कर गिरते बड़े बड़े पत्थर, खान से रोजाना
निकलती मिटटी से बनते पहाड़ जिनकी रेडियो धर्मिता स्वयं में एक जांच का विषय
है, यह सब मिल कर चिल्कादांड को जोखिम और रोगों की हृदयस्थली बनाते हैं. ३०
अगस्त को हुई बैठक का मुख्य एजेंडा एक ऐसा संगठन बनाने का था, जिसके तहत उठने
वाली आवाज सभी ग्रामवासियों की हो, न की किसी समूह अथवा समुदाय विशेष की.

बैठक के अध्यक्ष के रूप में उपस्थित लोगो में सबसे वरिष्ठ और सम्मानित श्री
लक्ष्मण गिरी के नाम का प्रस्ताव आया जिसे स्वीकार कर लिया गया. चिल्कादांड के
ग्राम प्रधान … जी को बैठक के संचालन की जिम्मेदारी दी गयी.

नयी और बेहतर जगह पर बसाहट के सवाल को उठाते हुए सर्वप्रथम श्री नर्मदा जी ने
कहा की कम्पनी का काम रोके बगैर उसे अपनी बात सुनाने के लिए बाध्य नहीं किया
जा सकता. उन्होंने कम्पनी का काम रोकने की रणनीति का जिक्र करते हुए कहा की
मुख्य गेट से इनकी आवाजाही जब तक बंद न की जाये, बात नहीं बनेगी. उनकी इस बात
से वहाँ बैठे सभी आयु वर्ग के लोग सहमत हुए. स्थानीय श्री रहमत अली ने आन्दोलन
से जुड़े कार्यकर्ताओं में कटीबध्हता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा की
क्षणिक जोश में आकर कोई निर्णय लेने से लड़ाई का नुकसान होता है. निमियादांड
के श्री सूरज जी ने कहा की सरकार पर छोड़ देने से कोई काम पूरा नहीं होता.
सरकार एक पत्थर होता है जिसे तराशने का काम जनता को ही करना पड़ता है.

३० हज़ार से भी ज्यादा आबादी के बेहतर बसाहट के मुद्दे को समर्थन देने के
लिए लोकविद्या जन आन्दोलन की तरफ से अवधेश, बबलू, एकता और रवि शेखर इस बैठक में उपस्थित थे.
अपना वक्तव्य रखते हुए रवि शेखर ने कहा की इन पूंजीपतियों के खिलाफ सन ८५ में
में शुरू हुई इस लड़ाई की दूसरी पारी को आगे बढाने के लिएचिल्कादांड की नयी
पीढ़ी को कुर्बानी देनी पड़ेगी. दुसरे राज्यों में जनता द्वारा सफलतापूर्वक
लड़ी गयी लड़ाइयों का उदहारण पेश करते हुए रवि ने कहा की संघर्ष से जुड़े
साथियों को अपना वर्ग और अपने हितैसियों को पहचानना होगा. उन्होंने आगे कहा की
लोकविद्या आधारित जीवन यापन करने वाले सभी समाजो की दशा दिशा को समझा जाये तो
इन सभी में एकता के अनेको बिंदु तलाशे जा सकते हैं, और लड़ाई को मजबूत बनाया
जा सकता है. अवधेश ने नौजवानों से यह अपील की आज के बैठक के उपरान्त वे जरूर
स्वेच्छा से एक संगठन बनाएं और इसके मार्फ़त तथा बुजुर्गों की सलाह पर आन्दोलन
को मजबूत करें. उन्होंने उपस्थित सभी युवाओं के समक्ष यह प्रस्ताव दिया कि अगर
युवा लड़के लड़कियां चाहें तो लोकविद्या आश्रम सबके लिए लोकविद्या विचार के
माध्यम से एक नेतृत्व प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर सकता है. इस प्रस्ताव को
हाथों हाथ लेते हुए नारों के साथ युवाओं ने अपनी सहमती दी. लोकविद्या आश्रम की
तरफ से बोलते हुए एकता ने कहा की चिल्कादांड को बचाने की पिछली लड़ाई में
महिलाओं का बड़ा योगदान रहा. उन्हें फिर से बाहर निकलने की आवश्यकता है,
अन्यथा आधी आबादी की अनुपस्थिति में किसी भी तरह की सफलता की अपेक्षा करना
स्वयं और आन्दोलन के साथ बेईमानी है.

चिल्कादांड के युवाओं के तरफ से बोलते हुए हीरालाल, संतोष, राजेश, विजय,
धर्मराज, जयप्रकाश, राहुल कुमार, आशुतोष, जोहर अली आदि ने यह आश्वासन दिया कि इस
आन्दोलन में सभी ५ गावों के युवा अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रहने देंगे. अपने
वरिष्ठों से उन्होंने यह मांग की कि वे युवाओं का मार्गदर्शन करते रहे, तो
बसाहट की इस लड़ाई में जीत चिल्कादांड की होकर रहेगी.

अंत में चिल्कादांड के ग्राम प्रधान जी के आह्वान पर लगभग २० लडको ने स्वेच्छा
से अपने नाम और फोन न. नोट कराया, ताकि आगे तय होने वाली रणनीति में इन्हें
शामिल किया जा सके. सभा की अध्यक्षता कर रहे श्री लक्ष्मण गिरी ने लोकविद्या
आश्रम कार्यकर्ताओं के द्वारा चिल्कादांड की लड़ाई को संगठित किये जाने की पहल
का स्वागत करते हुए आश्रम से इन युवाओं के मार्गदर्शन की अपील की.
अध्यक्ष जी के इस अपील पर श्री अवधेश ने १२ सितम्बर को उन सभी युवाओं की बैठक
लोकविद्या आश्रम पर बुलाई है, जिन्होंने स्वेच्छा से अपने नाम नोट कराये थे.
सबकी उपस्थिति में आगे की रणनीति उसी दिन तय करने का निर्णय लिया गया.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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