Categorized | सोनभद्र

बसाहट के मुद्दे पर चिल्कादांड गोलबंद

Posted on 01 September 2012 by admin

युवाओं के द्वारा एक “उत्पीडन प्रतिरोध समिति” का गठन

नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड और नैशनल थर्मल पावर कारपोरशन के द्वारा पिछले २५
वर्षों से जारी उत्पीडन के खिलाफ स्थानीय जनता ने प्रतिरोध का बिगुल फूंक दिया
है. ३० अगस्त २०१२ दिन बृहस्पतिवार की शाम चिल्कादांड, निमिया दंड, दियापहरी
और रानीबाड़ी के ३०० से ज्यादा लोगो ने निमियादांड स्थित बरगद के नीचे ५ बजे
से एक सभा की जिसमे एक उत्पीडन प्रतिरोध समिति का गठन किया गया. वर्षों से
किसी सांगठनिक पहल के अभाव में स्थानीय जनता में दबा आक्रोश सभा के दौरान
थोड़ी थोड़ी देर पर उठने वाले नारों के माध्यम से झलक रहा था और ये नारे इस
बात का आभास दिला रहे थे की चिल्कादांड के निवासी सन ८५ के उस आन्दोलन की
यादें अपने दिलों में संजोय बैठे हैं जब इसी एन टी पी सी से लड़ कर उन्होंने
वो जमीन हासिल की थी जिस पर पिछले २५ वर्षो से वे रह रहे हैं और इन २५ वर्षों
में एन सी एल और एन टी पी सी के धीरे धीरे होते विस्तार ने लड़ कर छिनी गयी इस
जमीन को एक ऐसे क्षेत्र में तब्दील कर दिया है जहां मानव जिन्दगिया तो दूर,
कीड़े मकौड़े भी स्वेच्छा से जिन्दा रहना कबूल न करें.

बताते चलें की चिल्कादांड उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के शक्तिनगर थाणे में
पड़ने वाले उन ५ गावों का एक सामूहिक नाम है, जिन्हें पहली बार १९६० में रिहंद
डैम बनाने के लिए और फिर १९७९ में एन टी पी सी के शक्तिनगर परियोजना के कारण
विस्थापित होना पडा है. दो बार विस्थापन का दर्द झेल चुके लगभग ३० हज़ार की इस
आबादी को १९८४ में एक बार फिर से विस्थापित करने की कोशिश की गयी थी जब एन सी
एल को कोयला खनन का ठेका दिया गया था. पहले से ही राष्ट्र के विकास के नाम पर
२ बार छले जा चुके लोगों ने तीसरी बार विस्थापन के खिलाप जबरदस्त आन्दोलन
किया, और अपनी जगह पर जमे रहे. आज चिल्कादंड एक तरफ एन सी एल की खदान से तो
दूसरी ओर शक्तिनगर रेल स्टशन से बुरी तरह घेरा जा चूका है.

चिल्कादांड पुनः संगठित हो रहा है. इस बार मुद्दा विस्थापन का विरोध नहीं, एक
बेहतर बसाहट है. दिन रात उडती कोयले की धुल, कोयला ले कर २४ घंटे आते जाते
बड़े बड़े डम्फर, ब्लास्टिंग से उड़ कर गिरते बड़े बड़े पत्थर, खान से रोजाना
निकलती मिटटी से बनते पहाड़ जिनकी रेडियो धर्मिता स्वयं में एक जांच का विषय
है, यह सब मिल कर चिल्कादांड को जोखिम और रोगों की हृदयस्थली बनाते हैं. ३०
अगस्त को हुई बैठक का मुख्य एजेंडा एक ऐसा संगठन बनाने का था, जिसके तहत उठने
वाली आवाज सभी ग्रामवासियों की हो, न की किसी समूह अथवा समुदाय विशेष की.

बैठक के अध्यक्ष के रूप में उपस्थित लोगो में सबसे वरिष्ठ और सम्मानित श्री
लक्ष्मण गिरी के नाम का प्रस्ताव आया जिसे स्वीकार कर लिया गया. चिल्कादांड के
ग्राम प्रधान … जी को बैठक के संचालन की जिम्मेदारी दी गयी.

नयी और बेहतर जगह पर बसाहट के सवाल को उठाते हुए सर्वप्रथम श्री नर्मदा जी ने
कहा की कम्पनी का काम रोके बगैर उसे अपनी बात सुनाने के लिए बाध्य नहीं किया
जा सकता. उन्होंने कम्पनी का काम रोकने की रणनीति का जिक्र करते हुए कहा की
मुख्य गेट से इनकी आवाजाही जब तक बंद न की जाये, बात नहीं बनेगी. उनकी इस बात
से वहाँ बैठे सभी आयु वर्ग के लोग सहमत हुए. स्थानीय श्री रहमत अली ने आन्दोलन
से जुड़े कार्यकर्ताओं में कटीबध्हता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा की
क्षणिक जोश में आकर कोई निर्णय लेने से लड़ाई का नुकसान होता है. निमियादांड
के श्री सूरज जी ने कहा की सरकार पर छोड़ देने से कोई काम पूरा नहीं होता.
सरकार एक पत्थर होता है जिसे तराशने का काम जनता को ही करना पड़ता है.

३० हज़ार से भी ज्यादा आबादी के बेहतर बसाहट के मुद्दे को समर्थन देने के
लिए लोकविद्या जन आन्दोलन की तरफ से अवधेश, बबलू, एकता और रवि शेखर इस बैठक में उपस्थित थे.
अपना वक्तव्य रखते हुए रवि शेखर ने कहा की इन पूंजीपतियों के खिलाफ सन ८५ में
में शुरू हुई इस लड़ाई की दूसरी पारी को आगे बढाने के लिएचिल्कादांड की नयी
पीढ़ी को कुर्बानी देनी पड़ेगी. दुसरे राज्यों में जनता द्वारा सफलतापूर्वक
लड़ी गयी लड़ाइयों का उदहारण पेश करते हुए रवि ने कहा की संघर्ष से जुड़े
साथियों को अपना वर्ग और अपने हितैसियों को पहचानना होगा. उन्होंने आगे कहा की
लोकविद्या आधारित जीवन यापन करने वाले सभी समाजो की दशा दिशा को समझा जाये तो
इन सभी में एकता के अनेको बिंदु तलाशे जा सकते हैं, और लड़ाई को मजबूत बनाया
जा सकता है. अवधेश ने नौजवानों से यह अपील की आज के बैठक के उपरान्त वे जरूर
स्वेच्छा से एक संगठन बनाएं और इसके मार्फ़त तथा बुजुर्गों की सलाह पर आन्दोलन
को मजबूत करें. उन्होंने उपस्थित सभी युवाओं के समक्ष यह प्रस्ताव दिया कि अगर
युवा लड़के लड़कियां चाहें तो लोकविद्या आश्रम सबके लिए लोकविद्या विचार के
माध्यम से एक नेतृत्व प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर सकता है. इस प्रस्ताव को
हाथों हाथ लेते हुए नारों के साथ युवाओं ने अपनी सहमती दी. लोकविद्या आश्रम की
तरफ से बोलते हुए एकता ने कहा की चिल्कादांड को बचाने की पिछली लड़ाई में
महिलाओं का बड़ा योगदान रहा. उन्हें फिर से बाहर निकलने की आवश्यकता है,
अन्यथा आधी आबादी की अनुपस्थिति में किसी भी तरह की सफलता की अपेक्षा करना
स्वयं और आन्दोलन के साथ बेईमानी है.

चिल्कादांड के युवाओं के तरफ से बोलते हुए हीरालाल, संतोष, राजेश, विजय,
धर्मराज, जयप्रकाश, राहुल कुमार, आशुतोष, जोहर अली आदि ने यह आश्वासन दिया कि इस
आन्दोलन में सभी ५ गावों के युवा अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रहने देंगे. अपने
वरिष्ठों से उन्होंने यह मांग की कि वे युवाओं का मार्गदर्शन करते रहे, तो
बसाहट की इस लड़ाई में जीत चिल्कादांड की होकर रहेगी.

अंत में चिल्कादांड के ग्राम प्रधान जी के आह्वान पर लगभग २० लडको ने स्वेच्छा
से अपने नाम और फोन न. नोट कराया, ताकि आगे तय होने वाली रणनीति में इन्हें
शामिल किया जा सके. सभा की अध्यक्षता कर रहे श्री लक्ष्मण गिरी ने लोकविद्या
आश्रम कार्यकर्ताओं के द्वारा चिल्कादांड की लड़ाई को संगठित किये जाने की पहल
का स्वागत करते हुए आश्रम से इन युवाओं के मार्गदर्शन की अपील की.
अध्यक्ष जी के इस अपील पर श्री अवधेश ने १२ सितम्बर को उन सभी युवाओं की बैठक
लोकविद्या आश्रम पर बुलाई है, जिन्होंने स्वेच्छा से अपने नाम नोट कराये थे.
सबकी उपस्थिति में आगे की रणनीति उसी दिन तय करने का निर्णय लिया गया.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

April 2024
M T W T F S S
« Sep    
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930  
-->









 Type in