Posted on 16 November 2011 by admin
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जनस्वाभिमान यात्रा के आठवें दिन हैदरगढ़ पहुँचे यात्रा के नायक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र ने कहा कि पूरे प्रदेश में बसपा सरकार के खिलाफ जबरदस्ती जनाक्रोश व्याप्त हैं। खाद, बीज पानी बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए हाहाकार मचा है। भारतीय जनता पार्टी इस जनविरोधी सरकार के खिलाफ आगामी शीत कालीन सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लायेगी।
उन्होंने कहा कि चुनाव नजदीक देख मायावती जनता का ध्यान बाँटने के लिए राज्य विभाजन का दाँव चल रही है। यदि ऐसा हो भी जाये तो इससे आम जनता को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है। न मँहगाई कम होने वाली न ही भ्रष्टाचार का सफाया हो सकता है। उ0प्र0 चुनाव के ठीक पहले लोकायुक्त की बढ़ती सक्रियता भ्रष्टाचार व अपराधीकरण के चलते मंत्रियों के लगातार हो रहे इस्तीफे के दबाव से बचने के लिए बसपा ने यह खेल खेला है। अब चलाचली की बेला में खिलौनों की तरह प्रदेश के बँटवारे का शिगुफा छोड़कर मायावती पैतरेंबाजी कर रही है।
श्री मिश्र ने कहा कि ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में हुए घोटाले की हम शुरू से सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सीबीआई जांच कराने के आदेश का हम स्वागत करते है। उन्होंने कहा कि मनरेगा में हुए घोटालों की भी सीबीआई से जांच कराने की मंाग करता हूँ। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने हित को ध्यान में रखकर स्थानीय निकाय चुनाव में न कराने की लगातार कोशिश कर रही थी। हाईकोर्ट के निर्णय से उनका मंसूबा ध्वस्त हुआ है। अब उन्हें निकाय चुनाव का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि बसपा के साढे़ चार वर्षों के शासन में सर्वाधिक तबाही किसानों की हुई। उन्हें लागत का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। धान की खरीद बिचैलिये कम पैसे में कर रहे है। मजबूर होकर किसान आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम उठा रहा है। अपने को दलित कहने वाली मायावती के शासन में दलितों के ऊपर ही सबसे अधिक अत्याचार हुए, माँ बहनों की इज्जत लूटी गई, सरकार के मंत्री/विधायक अबलाओं के साथ बलात्कार करते रहे और मायावती उन्हें बचाने में लगी रही। एससी-एसटी एक्ट का दुरपयोग कर सर्वर्णों को परेशान किया गया। व्यापारी सैट-वैट-मैट से तबाह होते रहे है, विरोध करने पर इनकी दिनदहाड़े हत्या तक कर दी गई। उन्होंने ऐसी अनाचारी, दुराचारी, अत्याचारी, सरकार को हटाकर प्रदेश में विकास का काम करने वाली भाजपा सरकार बनाने का आवाहन किया।
श्री मिश्र ने कहा कि कांग्रेस के महासचिव ने प्रदेश के नौजवान को बाहर जाकर भीख मांगने की बात कह कर उनका अपमान किया है। भीख मंगवाने के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार कांग्रेस को ठहराते हुए कहा कि उनके इतने लम्बे शासन काल में प्रदेश में उद्योग क्यों नहीं लगे? आजीविका के लिए उ0प्र0 के लोग देश में ही नहीं विदेश में भी जाते है। मुम्बई को मुम्बई बनाने में सबसे ज्यादा योगदान उ0प्र0 के लोगों का ही है। राहुल गांधी द्वारा प्रदेश की महिलाओं को हर सप्ताह बच्चा पैदा करने की टिप्पणी को उनका ओछापन बताते हुए कहा कि उन्हें ऐसे शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए।
सभा को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता रामनाथ कोविद ने कहा कि इमरजेन्सी के समय भी जनता को इतनी परेशानी नहीं हुई थी। लोकतन्त्र में आप मालिक है मौका मिलते ही ऐसी तानाशाह सरकार को उखाड़ फेंके।
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष, यात्रा के प्रभारी पूर्व मंत्री शिवप्रताप शुक्ल ने कहा कि प्रदेश में बैठ हुई। भ्रष्टाचार की देवी नोट गिनने की मशीन बन चुकी है।
प्रदेश मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि ख्ूानी पंजे, मस्ताना पागल हाथी, साइकिल सवार गुण्डों व बहूबेटियों के अपमान से यदि मुक्ति चाहते है तो प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनायें।
कार्यक्रम में प्रदेश उपाध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, क्षेत्रीय अध्यक्ष सुभाष त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक, प्रदेश मंत्री संतोष सिंह, अनुपमा जायसवाल, सुन्दर लाल दीक्षित,रामनरेश रावत जिलाध्यक्ष शरद अवस्थी, दिनेश दुबे, अतुल दीक्षित, आदि लोग उपस्थिति थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 16 November 2011 by admin
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री भारत सरकार यशवंत सिन्हा ने आज अम्बेडकरनगर जनपद के जहांगीरगंज में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ ंिसह के नेतृत्व में चल रही जन स्वाभिमान यात्रा में शामिल होकर वहां पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश महंगाई की मार से कराह रहा है जिसके लिए केन्द्र की कांगे्रस सरकार तथा प्रदेश की बसपा सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी बाजपेई की सरकार में हमने महंगाई को बढ़ने नहीं दिया। आम आदमी से आज की सरकार को कोई लेना-देना नहीं रह गया है। यह सरकार पूरी तरह निरंकुश हो चुकी है। इनकी नीतियां जनविरोधी हैं तथा इनके कुप्रबंधन के कारण आम आदमी का जीवन दूभर हो गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी सरकारों को सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं जनता इन्हें उखाड़ फेंकेगी। भाजपा की सरकार बनने पर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा, दोषियों को सजा दी जाएगी, काला धन वापस लाया जाएगा।
सभा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय कटियार, संतोष गंगवार, डा0 रमापति राम त्रिपाठी, विनोद पाण्डेय, डा0 महेन्द्र ंिसह, जिलाध्यक्ष राम प्रकाश यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष रमाशंकर सिंह ने भी संबोधित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 16 November 2011 by admin
नेता विरोधी दल, उत्तर प्रदेश विधान सभा श्री शिवपाल सिंह यादव से आज मुस्लिम बुद्धिजीवियों, शिक्षा संघर्ष संयुक्त मोर्चा तथा अखिल भारतीय मदरसा संघ,उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि मण्डलों ने भ्ेांटकर ज्ञापन सौपंे। श्री यादव ने उन्हें उनकी समस्याओं के निदान में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होने कहा कि समाजवादी पार्टी ने हमेशा अल्पसंख्यकों को सम्मान दिया है। नौकरियों में पर्याप्त स्थान दिया है। उर्दू भाषा और मदरसो को बढ़ावा दिया है।
शिक्षा संघर्ष संयुक्त मोर्चा ने अपने ज्ञापन में कहा है कि अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से संबंधित अधिनियम 2009 तथा प्रदेश में नए नियम लागू होने से सभी प्राइवेट प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल/कालेज तथा अल्पसंख्यकों द्वारा चलाए जा रहे मदरसें बुरी तरह प्रभावित हो रहे है। लगभग एक लाख विद्यालय, मदरसा तथा वैदिक स्कूल सन् 2012 शिक्षा सत्र प्रारम्भ होने पर मान्यता की नई शर्ते लागू होने पर बंद हो जाएगें। इनमें कार्यरत 10 लाख शिक्षक/शिक्षिकाएं तथा कर्मचारियों के बेरोजगार होने का खतरा है।
षिक्षा संघर्ष संयुक्त मोर्चा के संयोजक मो0 जहीर तथा सह सयोजक डा0 अब्दुल कुद्दूष हाशमी ने बताया कि केन्द्रीय स्कूलों, मदरसों को नोटिस जारी हो रही है। नए मानक की पूर्ति न करनेवालों पर एक लाख रू0 का जुर्माना हो सकता है। उन्होने बताया कि मान्यता के नए नियम इतने सख्त हैं कि बहुत कम विद्यालय या मदरसा इनका अनुपालन कर सकेगें।
शिक्षा संघर्ष संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधि मण्डल में सर्वश्री मो0 जमीर, एच0सी0 फिलिप्स, रंजीत सिंह, डा0 अब्दुल कुद्दूस हाशमी, रामदयाल मौर्य, जावेद आजाद, कुदरत उल्ला वेली, सैय्यद जाकिर हुसैन, अनवर अली सिद्दीकी, इलियास वारसी, विनोद कुमार रत्ना, अली अकबर, दीपक मिश्र शामिल थे।
अखिल भारतीय मदरसा संघ, उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि मण्डल ने नेता विरोधी दल को दिए ज्ञापन में बताया कि उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार ने साढ़े चार साल के शासनकाल में मदरसा अनुदेशको के मानदेय में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की है। उन्हें मात्र 2000 रू0 मिलते हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव ने ही 1995 में मदरसा अनुदेशकों को 2 हजार रू0 का मानदेय केन्द्र सरकार से दिलाया था। मदरसा संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री जुबेर सोनू के साथ उपाध्यक्ष श्री अहमद सईद तथा कोआर्डिनेटर श्री मुश्ताक अहमद ने ज्ञापन सौंपा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 16 November 2011 by admin
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने आज कहा कि सरकारी खुफिया एजेंसियों ने भी मुख्यमंत्री को बता दिया है कि अगले विधान सभा चुनावों में बसपा की सरकार बननेवाली नहीं है। जनादेश समाजवादी पार्टी के पक्ष में आनेवाला है। इससे घबराई-बौखलाई मुख्यमंत्री ने अपने भ्रष्टाचार और अक्षम प्रशासन से जनता का ध्यान बंटाने के लिए प्रदेश को चार खण्डो में विभाजित करने का शिगूफा छेड़ा है। जनता उनको इसके लिए भी सबक सिखाने को तैयार बैठी है।
प्रदेष प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने बताया है कि श्री यादव ने समाजवादी क्रान्तिरथ यात्रा के सातवें चरण के पांचवें दिन कुशीनगर से चलकर तरकुलवा (पथरदेवा) रामपुर कारखाना, देवरिया, सोनूघाट (बरहज), सलेमपुर में आयोजित विशाल जनसभाओं को सम्बोधित किया। उनके साथ साॅसद श्री मोहन सिंह, सर्वश्री शाकिर अली, श्रीमती फसीहा मुराद लारी गजाला, रामइकबाल यादव जिलाध्यक्ष, प्रेमप्रकाश सिंह, मनबोध प्रसाद, दीनानाथ कुशवाहा सहित श्री राजीव राय, आनन्द भदौरिया, सुनील यादव, नवेद सिद्दीकी, नफीस अहमद, रामवृक्ष यादव, राम सागर यादव, राम सिंह राणा आदि भी चल रहे हैं।
सभाओं मंें हजारों की उपस्थिति से उत्साहित श्री अखिलेश यादव ने बसपा सरकार पर गरीबी और किसानों की बदहाली करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने अपराधियों को संरक्षण दिया है और लूट तथा भ्रष्टाचार से प्रदेश को तबाह किया है। कोई विभाग नहीं बचा जहां कमीशन और बजट की लूट नहीं हुई हो। ग्रामीण स्वास्थ्य योजना, में खूब लूट हुई और जब पोल खुलने की नौबत आई तो दो सीएमओ और एक डिप्टी सीएमओ की हत्या हो गई। इन घोटालों की जांच होने पर कई मंत्री, अधिकारी जेल जाएगें।
श्री यादव ने कहा मुख्यमंत्री की विकास विरोधी नीतियों के चलते प्रदेश पिछड़ता गया है। साढ़े चार सालों में न तो बिजलीघर लगे, न चीनी मिलें लगी, नहीं नौजवानों को रोजगार मिला बल्कि 40 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा का बजट मूर्तियों, पत्थर के स्मारकों पर खर्च कर दिया गया। यही पैसा अस्पतालों, स्कूलों, पेयजल, उद्योग धंधों को लगाने पर खर्च होता तो जनता का भला होता।
उन्होने जनता से आग्रह किया कि वह विधान सभा के सन् 2012 में होने वाले चुनावों में समाजवादी पार्टी को बहुमत से जिताए ताकि प्रदेश में पुनः विकास की गंगा बहे। किसानों को फसल का लाभप्रद मूल्य मिले ताकि उनके घरों में खुशहाली आए, व्यापार की तरक्की हो, बिजली, पानी की किल्लत दूर हो, अस्पतालों में गरीबों का मुफ्त इलाज हो और किसी कन्या को अर्थाभाव में पढ़ाई बीच में न छोड़नी पड़े। नौजवानों को रोजगार और बेकारी भत्ता मिले। मुस्लिम भाईयों को सच्चर कमेटी के अनुसार आरक्षण मिले।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने आज बलिया में आज पूर्वाचल के बटवारे को लेकर कहा कि यह मायावती का राजनीतिक स्टंट है। साढ़े चाल सालों में मायावती को पूर्वाचल की याद नहीं आई। न ही पूर्वाचल के विकास के लिए मायावती ने कोई काम किया। जनता के भारी आक्रोश को देखते हुए मायावती यह खेल खेल रही है। साढ़े चार वर्षो में मायावती की सरकार ने सरकारी धन एवं जनता को लूटा है। यह बंटवारा बिना तर्कसंगत विचार किए ही गया है। जो किसी भी प्रकार से ठीक नहीं है। मायावती का पूरा मंत्रिमंडल ही भ्रष्ट हैै। कर्मचारी आंदोलनरत हैं, महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहा है उन्हें इसकी चिन्ता नहीं है। राहुल गांधी की सभा में उसके मंत्रियों और सुरक्षाकर्मियों द्वारा जिन युवकों को पीटा गया वह निन्नदनीय है। यह स्वस्थ्य राजनीति की परम्परा के खिलाफ है। जिन्होंने भी इस घटना को अंजाम दिया है उनके उपर मुकदमा दर्ज होना चाहिए। उ0प्र0 के लोगों को भिखारी कहने पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा बयान देकर राहुल गांधी ने उ0प्र0 की जनता का अपमान किया है। यहां के लोगों ने हर क्षेत्र में अपना व देश का नाम रोशन किया है। स्थानीय निकाय चुनाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस चुनाव को तुरन्त कराया जाना चाहिए। क्योंकि मायावती ने नीतियों को ताक पर रखकर अपने लोगों को स्थानीय निकाय के पदों पर बैठा रही हैं। क्योंकि मायावती को यह पता है कि उ0प्र0 की जनता महंगाई, भ्रष्टाचार और गिरती हुई कानून-व्यवस्था से त्र्रस्त है। मायावती के तानाशाही रवैये के कारण उ0प्र0 जल रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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क्यों नही हो रही सीबीआई जांच-रोज्जन निशा
किसी समय लखीमपुर खीरी मंे निघासन राजनैतिक पार्टियों का अडडा बना था। सभी के लिये इस कांण्ड का मकशद राजनीतिक रोटिंया सेकना था। इस काण्ड मंे कई माह बीत गये है सीबीसीआईडी ने एक निर्दोश को फर्जी फंसा दिया। यह कहना अभियुक्त अतीक अहमद की मां रोज्जन निशा व पीडिता सोनम की मां, तरन्नुम का है। वहीं दूसरी तरफ इस कांण्ड मंे फसें अभियुक्त अतीक अहमद की मां रोज्जन निशा ने राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री उपराष्ट्रपति,कानून मंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग राष्ट्रीय महिला आयोग,अल्प संख्यक आयोग उत्तर प्रदेश राज्यपाल सीबीआई निदेशक आदि को पत्र लिखा है। अभियुक्त अतीक अहमद की मां ने पत्र के माध्यम से कहा है कि गन्दी राजनीति व षडयन्त्र के चलते मेंरे बेटे को फंसाया गया है। उन्होने लिखा है कि जब पीडिता सोनम की मां ने भी अतीक अहमद को फर्जी फसांये जाने की बात कही है और उत्तर प्रदेश सरकार की सीबीआई जांच की सस्तुति हो चुकी है तो उसके बावजूद केन्द्र सरकार सीबीआई जांच क्यों नही करवा रही है? …..काग्रेंस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी निघासन मामले में पर नजर डाला जाय तो इस काण्ड के समय सभी राजनैतिक पार्टियो ने डेरा डाल कर इन्साफ का भरोसा दिलाया था। सपा पीस पार्टी,भाकपा,माले ने धरना दिया था। सपा के आजम खां, भाजपा की उमा भारती, सांसद जफर अली नकबी, इलियास आजमी,अखलेन्द्र प्रताप सिंह केे अलावा महिला आयोग की अध्यक्ष व राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष आभा अग्निहोत्री भी निघासन पहुंची थी परन्तु आज पीडिता सोनम की मां तरन्नुम और इस काण्ड में अभियुक्त बनाये गये अतीक अहमद की मा रोज्जन निशा ने कहा कि सीबीसीआईडी के जरिये दोशी पुलिस कर्मियों को बचाकर निर्दोश अतीक अहमद केा फर्जी फंसा दिया गया। दोनेा पक्ष ने लगातार सीबीआई जांच की माग की है परन्तु इस समय कोई भी नेता व उनकी पार्टी इनकी बात उठाने व सुनने के लिये साथ नही है इससे साफ जाहिर हो गया है कि इन पार्टियों का मुख्य मकशद राजनीति करना है पीडिता का इन्साफ दिलाने से केाई मतलब नही है। सीबीआई भी उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार की सस्तुति के बाद भी आज तक जांच के लिये तैयार नही है। अभियुक्त की मा रोज्जन निशा पत्नी हकीम अहमद निवासी लोलेपुर थाना कोतवाली नगर ने राष्टपति व राहुलगांधी समेत उक्त सभी को पत्र प्रेषित कर सीबीआई जांच की मांग की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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पेयजल सुरक्षा कार्यक्रम व वाटर रिचार्ज योजना के प्रस्ताव बनाने के निर्देश
जिला पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के संगठनात्मक स्वरूप को और सुदृढ बनाने के उद्देश्य से तथा ग्रामीण पेयजल कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन, मूल्याकंन तथा उसके अनुश्रवण हेतु जनपद स्तर पर जिला पेयजल एवं स्वच्छता मिशन का गठन किया गया है। मिशन की बैठक विकास भवन पर अध्यक्ष जिला पंचायत श्री दौलतराम कुशवाह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में जनपदीय पेयजल सुरक्षा कार्यक्रम दो माह में तैयार करने के निर्देश दिये गये। जनपद के निरन्तर गिरते जल स्तर को देखते हुए वाटर रिचार्ज की योजनाओं के प्रस्ताव बनाकर शासन को भिजवाने के निर्देश दिये गये। विधायक डा0 धर्मपाल सिंह ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी टंकियों (वाटर टैंक) की लीकेज की शिकायतों पर प्रभावी कार्यवाही पर बल दिया। श्री सिंह ने पूर्व में बनाई गई जल संचय योजनाओं के फलस्वरूप जल स्तर में वृद्वि की ओर भी ध्यान दिलाया।
अध्यक्ष श्री कुशवाह ने कहा कि वर्तमान में पेयजल की समस्या महत्वपूर्ण है। मिशन द्वारा पेयजल की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए यह सुनिश्चित किया जायेगा कि पेयजल योजनांए अपने जीवन काल (क्मेपहद चमतपवक) तक समुचित सेवा उपलब्ध कराये और पेयजल की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप हो।
बैठक का संचालन करते हुए मुख्य विकास अधिकारी राजकुमार श्रीवास्तव ने जिला पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के कार्य एवं दायित्वों पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि जनपद स्तर पर राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम को शासन के दिशा निर्देशों के अनुरूप क्रियान्वित कराना है। जनपदीय पेयजल सुरक्षा कार्यक्रम को तैयार करना और क्रियान्वित करना, जनपद स्तर पर पेयजल योजनाओं के नियोजन, क्रियान्वयन एवं रख रखाव के सम्बन्ध में जिला पेयजल एवं स्वच्छता समिति का मार्ग दर्शन करना तथा तकनीकी रूप से परीक्षण के उपरान्त संस्तुत पेयजल योजनाओं की स्वीकृति हेतु राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन को प्रेषित करना है। उन्होंने बताया कि जनपद में क्रियान्वित की जा रही पेयजल एवं स्वच्छता योजनाओं की प्रगति का अनुश्रवण करना तथा डी.पी.आर./आई.पी.सी.आर. संस्तुति प्रदान करना आदि मिशन के कार्य है।
मुख्य विकास अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि ग्राम्य विकास विभाग के पूर्व में जारी शासनादेश के द्वारा स्वजल धारा कार्यक्रम हेतु गठित ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति के स्वरूप व कार्य यथावत रहेगें। यह समिति राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम का ग्राम पंचायत स्तर पर क्रियान्वयन करेगी।
बैठक में निर्देश दिये गये कि समिति के सदस्य सचिव/जिला विकास अधिकारी दो माह में संस्था का पंजीकरण करालें और अधिशासी अभियन्ता नहर विभाग को विशेष आमन्त्री के रूप में नामित किया जायें। जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज गिरी ने बताया कि विद्यालयों के नवीन भवनों के लिए वर्षा जल संचय प्रणाली लगाना आवश्यक है।
बैठक में जिला पंचायत राज अधिकारी टी.सी. पाण्डेय ने ग्रामों में स्वच्छता कार्यक्रम की जानकारी दी। इस अवसर पर जल निगम के अधिशासी अभियन्ता ए0के0 गुप्ता तथा ए0 के0 सक्सैना तथा लघु सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता अरविन्द कुमार ने विभागीय योजनाओं की जानकारी दी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 16 November 2011 by admin
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने कहा है कि प्रदेश को चार नये राज्यों में पुनर्गठित करने के लिए उनकी सरकार को मंत्रिपरिषद अथवा विधानमण्डल में कोई प्रस्ताव पारित कराने की संवैधानिक बाध्यता नहीं थी, क्योंकि भारत के संविधान के मुताबिक ऐसा विधेयक लाने का अधिकार पूरी तरह से केन्द्र सरकार के पास ही है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कांगे्रस पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र की यू0पी0ए0 सरकार यदि प्रदेश का विकास चाहती तो वह संवैधानिक प्रक्रिया को अपनाकर केन्द्रीय कैबिनेट से इस आशय के विधेयक का मसौदा पारित करवाकर उसे महामहिम राष्ट्रपति जी को भेजती तथा विधेयक को संसद में प्रस्तुत किये जाने की संस्तुति भी उनसे प्राप्त करती।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान में ऐसा कोई प्राविधान नहीं है जिसके तहत राज्य के पुनर्गठन की कार्रवाई प्रारम्भ करने के लिए सम्बन्धित विधान मण्डल का प्रस्ताव आवश्यक हो। बल्कि संविधान के अनुच्छेद-3 में यह व्यवस्था है कि संसद में प्रस्तुत किये जाने से पहले महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा पुनर्गठन विधेयक पर सम्बन्धित राज्य के विधान मण्डल की राय निर्धारित समयावधि में प्राप्त कर ली जायेगी।
केन्द्र द्वारा इस दिशा में कोई कार्रवाई न किये जाने पर अफसोस जताते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मई, 2007 में बी0एस0पी0 की सरकार बनने के फौरन बाद वे माननीय प्रधानमंत्री जी से प्रदेश का पुनर्गठन करने के लिए लगातार लिखित अनुरोध करती रही थीं। केन्द्र सरकार द्वारा साढ़े चार वर्ष से भी अधिक अवधि बीत जाने के बावजूद जब कोई कार्रवाई नहीं की गयी तो फिर, माननीया मुख्यमंत्री जी की पहल पर केन्द्र सरकार पर दबाव डालने के लिए प्रदेश सरकार ने पुनर्गठन सम्बन्धी प्रस्ताव को राज्य विधानमण्डल में 21 नवम्बर, 2011 को रखने का फैसला मजबूरीवश लिया।
पुनर्गठन संबंधी अपनी सरकार के फैसले पर विपक्षी पार्टियों के रवैये को पूरी तरह गलत एवं विकास विरोधी बताते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसे आगामी विधान सभा चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि प्रस्ताव कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है। विधान मण्डल का प्रस्ताव केन्द्र सरकार पर दबाव डालने में मददगार साबित होगा। इसलिए विपक्षी पार्टियों द्वारा राज्य सरकार के इस फैसले को आगामी विधानसभा चुनाव से जुड़कर देखना पूरी तरह गलत है और इस मामले में विपक्षी नेताओं के सभी आरोप बेबुनियाद हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री दिग्विजय सिंह द्वारा दिया गया बयान कि कांग्रेस पार्टी पुनर्गठन का स्वागत करती है और उनके द्वारा यह भी कहा जाना कि वे केन्द्र सरकार से अनुरोध करेंगे कि स्टेट री-आर्गनाइजेशन कमीशन बनाये, साफ कर देता है कि कांग्रेस की कथनी और करनी में काफी अन्तर है और यह पार्टी राज्य के पुनर्गठन को लेकर बहानेबाजी कर रही है। उन्होंने कहा कि श्री सिंह का स्वागत सम्बन्धी बयान पूरी तरह भ्रामक है, क्योंकि स्टेट री-आर्गनाइजेशन कमीशन की इस मामले में न तो कोई आवश्यकता है, और न ही संविधान के अनुच्छेद 3 और 4 के तहत कोई कानूनी बाध्यता। उन्होंने कहा कि इस तरह की बात कहने वालों कोThe Uttar Pradesh Reorganisation Act, 2000 को पारित कराने से पहले केन्द्र सरकार द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया का संज्ञान अवश्य लेना चाहिए, जिसके तहत उत्तराखण्ड राज्य के गठन में स्टेट री-आर्गनाइजेशन कमीशन की कोई भूमिका नहीं थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टेट री-आर्गनाइजेशन कमीशन की बात करके श्री दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस पार्टी की मानसिकता उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के विपरीत है और वह तेलंगाना राज्य ही की तरह इस मामले को भी लटकाना चाहती है। कांग्रेस पार्टी किसी भी प्रकार से यह नहीं चाहती कि उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड, पूर्वांचल, अवध या पश्चिम के भागों में किसी भी प्रकार की तरक्की हो।
प्रदेश के पुनर्गठन को लेकर बी0जे0पी0 व समाजवादी पार्टी के रवैये की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दोनों पार्टियां हमेशा छोटे राज्यों के गठन का विरोध करती रहीं हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के गठन की मांग को लेकर दिल्ली में धरना-प्रदर्शन करने के लिए जा रहे, लोगों पर 1/2 अक्टूबर, 1994 की रात में रामपुर तिराहे (मुजफ्फरनगर) पर की गयी पुलिस फायरिंग में अनेक निर्दोष लोग मारे गये थे। उस समय उत्तर प्रदेश में सपा नेता श्री मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। इसके विपरीत बी0एस0पी0 पहली पार्टी थी, जिसने उत्तराखण्ड राज्य के गठन के प्रस्ताव का सबसे पहले समर्थन किया था।
प्रदेश के पुनर्गठन सम्बन्धी राज्य सरकार के फैसले को चुनावी स्टंट बताये जाने पर माननीया मुख्यमंत्री जी ने सख्त ऐतराज जताते हुए कहा कि उन्होंने 09 अक्टूबर, 2007 को लखनऊ में आयोजित एक विशाल जनसभा में उत्तर प्रदेश का पुनर्गठन कर अलग राज्यों-पूर्वांचल, बुन्देलखण्ड एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गठन का सार्वजनिक रूप से प्रबल समर्थन किया था। इसके बाद 31 अक्टूबर, 2007 को उनकी सरकार ने राज्य विधानसभा में यह मत व्यक्त किया था कि संविधान के अनुच्छेद-3 के तहत राज्यों के पुनर्गठन का का अधिकार संसद को है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 मार्च, 2008 को उन्होंने आदरणीय प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश का पुनर्गठन कर पूर्वांचल, बुन्देलखण्ड एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की स्थापना हेतु केन्द्र सरकार से संवैधानिक रूप से विहित प्रक्रिया के अनुसार कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। केन्द्र द्वारा कोई रूचि न लिए जाने पर माननीया मुख्यमंत्री जी ने मा0 प्रधानमंत्री जी को अनुस्मारक भी भेजे। उन्होेंने कहा कि परम् पूज्य बाबा साहेब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर की सोच के मुताबिक उनकी पार्टी व सरकार छोटे राज्यों के गठन की हमेशा प्रबल समर्थक रही है। यही कारण है कि उनकी सरकार ने प्रदेश का पुनर्गठन किये जाने के लिए हर सम्भव कार्रवाई की।
मुख्यमंत्री ने पुनः स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 3 क (A)अनुच्छेद अ के तहत संसद को कानून बनाकर किसी राज्य का विभाजन कर नये राज्य बनाने की शक्ति प्रदान की गयी है। इसी अनुच्छेद Provisoके उप अनुच्छेद (e) में किसी प्रदेश का नाम बदलने का अधिकार दिया गया है। अनुच्छेद 3 के परन्तुक Article के प्राविधान के तहत यदि किसी प्रदेश के क्षेत्र, सीमा या नाम बदलने का सुझाव है तो ऐसे बिल को राष्ट्रपति संसद में भेजने से पहले सम्बन्धित राज्य के विधानमंडल को भेजकर निश्चित समय सीमा के अन्दर राय देने को कहेंगे और यदि उस समय सीमा के अन्दर राय नहीं दी जाती है तो यह मान लिया जाएगा कि बिल के बारे में कोई विरोध नहीं है।
संविधान के अनुच्छेद 4 के उप अनुच्छेद 2 में स्पष्ट है कि कोई भी कानून जो राज्यों के पुनर्गठन/विभाजन के सम्बन्ध में बनाया जाएगा, उसे संविधान का संशोधन नहीं माना जाएगा। परिणामस्वरूप राज्य के पुनर्गठन/विभाजन की कार्रवाई प्रारम्भ करने के लिए संबंधित राज्य के विधान मण्डल द्वारा प्रस्ताव पारित किया जाना आवश्यक नहीं है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने निर्णयों द्वारा यह स्पष्ट किया है कि यदि राष्ट्रपति कोई बिल राज्य सरकार की विधान मण्डल को उसकी राय जानने के लिए भेजते हैं और उक्त राज्य के विधानमण्डल की राय अगर विपरीत होती है तो भी वह राष्ट्रपति के ऊपर बाध्य नहीं होगा। विपरीत राय के बाद भी संसद अपना कानून अनुच्छेद 3 के तहत बना सकता है जो कि राज्य सरकार पर बाध्य होगा। (2009(12) सुप्रीम कोर्ट केसेस पेज 248 प्रदीप चैधरी बनाम यूनियन आफ इण्डिया)।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन तथ्यों से पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि पुनर्गठन केे मामलें में मंत्रिपरिषद अथवा विधानमण्डल से कोई प्रस्ताव पारित करवाना राज्य सरकार के लिए संवैधानिक रूप से बाध्यकारी नहीं था, क्योंकि इस तरह का विधेयक लाने का अधिकार पूरी तरह से केन्द्र सरकार के पास ही है। प्रदेश सरकार की समस्त कार्रवाई का उद्देश्य केन्द्र सरकार पर दबाव बनाना है। इसलिए विपक्षी पार्टियों का यह आरोप कि राज्य सरकार ने विधान सभा आम चुनाव को ध्यान मंे रखते हुए पुनर्गठन के प्रस्ताव का फैसला लिया, पूरी तरह बेबुनियाद है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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