पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों विशेषकर गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर आदि जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस(मस्तिष्क ज्वर) ने महामारी का रूप धारण करते हुए अब तक लगभग 25हजार अबोध नौनिहालों की मौत हो चुकी है तथा 45हजार बच्चे विकलांग हो चुके हैं। इसके बावजूद भी प्रदेश सरकार मौतों पर भी राजनीति कर रही है। उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी प्रदेश सरकार से यह मांग करती है कि बयानबाजी से अच्छा है कि वह एक श्वेतपत्र जारी कर प्रदेश की जनता को बताए कि अब इस बीमारी से निपटने के लिए क्या-क्या कदम उठाए।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि सिर्फ गोरखपुर स्थित बाबा राघवदास चिकित्सा विश्वविद्यालय में हुई मौतों के संबंध में सरकारी आंकड़े ही खुद ब खुद बसपा सरकार की संवेदनहीनता को उजागर कर रहे हैं। वर्ष 2008 में इस महामारी से लगभग 450 मौतें, वर्ष 2009 में लगभग 470 से 480मौंतें, वर्ष 2010 में लगभग 490 से 500 मौतें और इस वर्ष में जबकि दो माह शेष हैं, अभी तक लगभग 470 मौंतें हो चुकी हैं और जिस तरह मौतों का सिलसिला चल रहा है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि लगभग 100 जानें अभी और जा सकती हैं। यह सरकारी आंकड़ें खुद इस बात के गवाह हैं कि प्रदेश की बसपा सरकार किस हद तक मानवता को तार-तार कर रही है। यह तो सरकारी आंकड़ें हैं, सच्चाई तो यह है कि मौतों का आंकड़ां इससे कहीं बहुत ज्यादा है। यही कारण है कि पूर्वांचल की जनता में बसपा सरकार के प्रति इस कदर आक्रोश व्याप्त है कि वह सड़कों पर उतरने को अमादा है और यह मांग कर रही है कि प्रदेश में आखिर सरकार कहां है, इसका जवाब बसपा सरकार को देना चाहिए।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि जहां तक उ0प्र0 में कंाग्रेस सरकार की बात थी, उसने अपने शासनकाल में इंसेफेलाइटिस पर नियंत्रण के लिए सतर्कता बरतने के साथ ही टीके ईजाद किए और सफाई पर विशेष ध्यान देते हुए डीडीटी का छिड़काव कराया। जहां पर उ0प्र0 में गैर कंाग्रेसी सरकारों की बात है विगत सभी सरकारों ने केंद्र द्वारा क्रियािन्वत योजनाओं में सिर्फ लापरवाही बरती और उसके द्वारा दिए गए धनराशि का दुरूपयोग किया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि चाहे वह प्रदेश में पीने के पानी के लिए हैंडpump लगवाने की बात हो अथवा टीके, यह सभी सिर्फ आंकड़ों मेें ही किया गया है बाकी बचा समय आरोप-प्रत्यारोप में बिता दिया, नतीजतन इस बीमारी ने महामारी का रूप धारण कर लिया। जहां तक केंद्र सरकार की बात है उसने काफी गंभीरता से लिया। यही कारण है कि कांग्रेस महासचिव श्री राहुल गांधी जी के बाद भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद जी ने दौरा कर परिस्थितियों का जायजा लिया और इससे निपटने के लिए रूट मैप तैयार कर वृहद कार्ययोजना लागू करने पर विचार कर रही है। अभी तक प्रदेश में जितने भी स्वास्थ्य मंत्री रहे, उन सभी ने केंद्र सरकार द्वारा दिए गए एनआरएचएम के धन की बंदरबांट की और आखिर क्षण तक अपने को बचाने के लिए पूरा वक्त लगा दिया। जहां तक वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री की बात है उनके पास आज इतने विभाग हैं कि उन्हें इतने गंभीर मामले को समझने और जानने की फुर्सत ही नहीं है।
प्रवक्ता ने कहा कि बाबा राघवदास मेडिकल कालेज को यदि उदाहरण मान लिया जाए तो प्रदेश में अन्य चिकित्सालयों का क्या होगा, बेहतर अंदाजा लगाया जा सकता है। उक्त मेडिकल कालेज में न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही चिकित्सीय उपकरण हैं। कर्मचारियों को दीपावली के पर्व पर वेतन तक नहीं मिल पाया है। वेंटिलेटर कई वषोzं से खराब पड़ा है। महामारी के चलते एक-एक बेड पर तीन-तीन मरीजों को रखा जा रहा है। 450 मरीजों के लिए मात्र 35 डाक्टर ही उपलब्ध हैं जबकि कम से कम 90 डाक्टरों की व्यवस्था होनी चाहिए। ज्यादातर दैनिक वेतनभोगी कर्मियों से काम चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं गोरखपुर के मेडिकल कालेज के डाक्टरों द्वारा जब वर्ष 2010 में इन कमियों को पूरा करने के लिए आवाज उठायी गई तो प्रदेश की तानाशाह और निरंकुश बसपा सरकार द्वारा उसे दबाने का प्रयास किया गया। जिसके कारण आज पूरे पूर्वांचल में इस बीमारी ने मौत का रूप धारण कर लिया है। मेडिकल कालेज के डाक्टरों द्वारा महामारी से निपटने के लिए जिस तरह से निप(नेशनल इंसेफेलाइटिस इरैडिकेशन programm) चलाकर इसे समाप्त करने की बात की जा रही है, अच्छा हेाता कि प्रदेश सरकार इसी programm को आगे बढ़ाकर केंद्र सरकार से सहयोग लेकर महामारी से निपटने के लिए कदम उठाती।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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