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राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत यू0पी0ए0 सरकार द्वारा प्रदेश के लिए 554.26 करोड़ रु0 की कार्य योजना की स्वीकृति की घोषणा चुनावी स्टन्ट

Posted on 01 November 2011 by admin

  • यह योजना पूरे देश की सामान्य योजना है, जिसका पैसा केंद्र से जारी होता है
  • केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्यों को मिलने वाली धनराशि कोई खैरात नहीं
  • केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की त्रुटिपूर्ण नीति और पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय अवस्थापना सुविधा से वंचित

बहुजन समाज party के प्रवक्ता ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत कांग्रेस party के नेतृत्व वाली केंद्र की यू0पी0ए0 सरकार द्वारा प्रदेश के लिए 554.26 करोड़ रुपए की कार्य योजना की स्वीकृति की घोषणा को चुनावी स्टन्ट बताया है। उन्होंने कहा कि आधा वित्तीय वर्ष बीत जाने के बाद आधी-अधूरी वित्तीय स्वीकृति जारी कर केंद्र सरकार ने फिर एक बार यह साबित कर दिया है कि उसे राज्य की जनता, ख़ासतौर से युवा पीढ़ी के हितों से कोई लेना-देना नहीं है और उसने आगामी विधान सभा आम चुनाव के मददेनज़र आनन-फानन में यह फैसला लिया है।
बी0एस0पी0 प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान पूरे देश की सामान्य योजना है, जिसका पैसा केंद्र सरकार द्वारा जारी किया जाता है। केंद्र सरकार में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को यह मालूम होना चाहिए कि विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के लिए जो धनराशि भारत सरकार द्वारा राज्यों को प्रदान की जाती है, वह कोई खैरात नहीं होती, बल्कि यह धनराशि राज्यों से प्राप्त राजस्व के आधार पर संविधान में उिल्लखित व्यवस्था के अनुरूप केंद्र द्वारा प्रदेशों को आंवटित की जाती है।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश की बी0एस0पी0 सरकार द्वारा वर्ष 2011-2012 के लिए 1091.47 करोड़ रुपए की कार्य-योजना केंद्र सरकार को स्वीकृति हेतु प्रेषित की गई थी, जिसके सापेक्ष मात्र 554.26 करोड़ रुपए की कार्य योजना स्वीकृत की गई है। सच तो यह है कि इसमें 138.56 करोड़ रुपए की धनराशि राज्य सरकार के अंश के रूप में सम्मिलित है। इस प्रकार केंद्र द्वारा मात्र 415.70 करोड़ रुपए की मदद की गई है, जिसका िढढोरा इस प्रकार पीटा जा रहा है कि 554.26 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत कर यू0पी0ए0 सरकार ने प्रदेश पर भारी अहसान किया है।
प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की त्रुटिपूर्ण नीति और पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत अवस्थापना सुविधा से वंचित किया जा रहा है तथा प्रदेश की तुलना में अन्य राज्यों को अवस्थापना सुविधा में वृद्धि हेतु अधिक धनराशि स्वीकृत की जा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत Þराष्ट्रीय मिशनß की गत 25 अप्रैल 2011 को संपन्न हुई बैठक में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत आच्छादित करने की संस्तुति दी गई थी। इसके बावजूद अभी तक इन विद्यालयों को आच्छादित करने का निर्णय न लेकर केंद्र सरकार ने राज्य के प्रति अपने सौतेले व्यवहार का एक और उदाहरण प्रस्तुत किया है।
party प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के आच्छादन का प्रतिशत 80 से 85 तक है, जबकि अन्य राज्यों में राजकीय विद्यालयों के अतिरिक्त अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की नीति नहीं है। ऐसे में, इन राज्यों में राजकीय विद्यालयों की संख्या अधिक होने के कारण, उन्हें इस संख्या के आधार पर, आकार में उत्तर प्रदेश की तुलना में छोटा राज्य होने के बावजूद, शासकीय विद्यालयों में अवस्थापना सुविधा हेतु अधिक सहायता प्राप्त हो रही है।
बी0एस0पी0 प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान वर्ष 2009-2010 में आरंभ किया गया था और तभी से इस संबंध में केंद्र सरकार की कार्यशैली लगातार नकारात्मक रही है। अभियान के तहत वर्ष 2009-2010 में  1424.19 करोड़ रुपए की कार्ययोजना भारत सरकार को प्रेषित की गई थी जिसके सापेक्ष 154.92 करोड़ रू0 की योजना स्वीकृत की गई, जिसमें रू0 38.73 की करोड़ राज्य सरकार की हिस्सेदारी थी। इसी प्रकार वर्ष 2010-2011 में केंद्र सरकार को रू0 2897.07 करोड़ रूपए की कार्य-योजना प्रेषित की गई थी जिसकी तुलना में रू0 271.03 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गई, जिसमें राज्य सरकार का 67.75 करोड़ रूपए का अंश शामिल था।
प्रवक्ता ने कहा कि वर्ष 2009-2010 में 825 नवीन हाईschools की मांग के सापेक्ष 254 विद्यालय ही स्वीकृत किए गए, जिसके लिए 154.92 करोड़ रुपए की राशि केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत की गई। इसी प्रकार वर्ष 2010-2011 में 1601 नवीन हाईschools की मांग की गई, जिसके सापेक्ष कुल 318 विद्यालय ही स्वीकृति किए गए और इनके लिए केंद्र द्वारा 271.03 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई। वर्ष 2011-2012 हेतु 761 नवीन हाईschools की मांग की गई, जिसके विरूद्ध 449 विद्यालय ही स्वीकृत किए गए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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