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देश के इतिहास में पहली बार भूमि अधिग्रहण के मामले में किसानों से चर्चा की गयी

Posted on 03 June 2011 by admin

विकासकर्ता अब परियोजनाओं के लिए किसानों से सीधे जमीन लेंगे
शासन व प्रशासन की भूमिका मात्र फैसिलिटेटर की होगी

उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी की ऐतिहासिक पहल पर आज राजधानी लखनऊ में प्रदेश के कोने-कोने से आये किसान प्रतिनिधियों के साथ आयोजित किसान पंचायत मंे किसानों की विभिन्न समस्याओं के समाधान के सम्बन्ध में सीधा संवाद स्थापित करते हुए विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। इस मौके पर सिंचाई, ऊर्जा, कृषि एवं कृषि से जुड़े विभिन्न विभागों यथा उद्यान, पशुधन आदि से जुड़ी किसानों की विभिन्न समस्याओं के सम्बन्ध में चर्चा हुई। किसान पंचायत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण नतीजा यह रहा कि देश के इतिहास में पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार ने भूमि अधिग्रहण के मामले में भी, किसान प्रतिनिधियों से सीधे चर्चा करके उनके रचनात्मक सुझावों के अनुरूप भूमि अधिग्रहण की एक किसान हितैषी नई नीति भी बनायी, जिसे माननीया मुख्यमंत्री जी ने आज से ही लागू किये जाने की भी घोषणा की।

cm-3माननीया मुख्यमंत्री जी ने किसान पंचायत में आये प्रतिनिधियों द्वारा व्यक्त किये गये विचारों तथा उनकी विभिन्न समस्याओं को ध्यान से सुना तथा मौके पर ही अधिकारियों को इनके निस्तारण के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों की समस्याओं के समाधान के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है, इसलिए उनकी सरकार का सदैव यह प्रयास रहा है कि किसी भी दशा में राज्य के किसानों के हितों की अनदेखी न होने पाये।

उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने आज राज्य की नई भूमि अधिग्रहण नीति की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी सरकार सभी प्रकार के भूमि अधिग्रहण के मामलों में करार नियमावली का पालन करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नीति केन्द्र सरकार की प्रस्तावित नीति से कई गुना ज्यादा बेहतर व किसान हितैषी साबित होगी। उन्होंने केन्द्र सरकार से राज्य सरकार की तर्ज पर भूमि अधिग्रहण की नीति पूरे देश के लिए लागू करने की मांग की है।
माननीया मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण तथा किसानों की अन्य समस्याओं के समाधान के लिए उनकी पहल पर आयोजित किसान प्रतिनिधियों की ऐतिहासिक पंचायत को सम्बोधित कर रहीं थीं। उन्होंने राज्य सरकार के निमंत्रण पर आए किसान प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भूमि अधिग्रहण को लेकर देश के किसी न किसी प्रदेश में आये-दिन वहां की राज्य सरकार व किसानों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होती रहती है। जिससे राज्य सरकारों को किसानों के असंतोष का सामना करना पड़ता है तथा कभी-कभी इन घटनाओं का असर उस क्षेत्र की कानून-व्यवस्था पर भी पड़ता है। उन्हांेने कहा कि इसलिए उनकी सरकार का स्पष्ट मत है कि किसानों की समस्याओं का सही समाधान तभी हो सकता है, जब उनसे सीधे बात-चीत करके उनकी सहमति से निर्णय लिया जाए।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार ने किसान प्रतिनिधियों के साथ भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित तमाम पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की और उनके सुझाव प्राप्त किये। इस सम्बन्ध में शासन स्तर पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार उनकी सरकार ने भूमि अधिग्रहण के मामले में भी, किसान प्रतिनिधियों से सीधे चर्चा करके उनके रचनात्मक सुझावों के अनुरूप ही भूमि अधिग्रहण की एक अभूतपूर्व नई नीति बनायी, जिसे आज लागू भी कर दिया गया है।

इस अवसर पर माननीया मुख्यमंत्री जी ने भूमि अधिग्रहण की नई नीति का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार द्वारा घोषित इस नीति को तीन हिस्सों में बांटा गया है। उन्होंने कहा कि इस नीति में प्रदेश के विकास के लिए बड़ी निजी कम्पनियों द्वारा स्थापित की जाने वाली विद्युत परियोजनाओं एवं अन्य कार्यों हेतु भूमि अधिग्रहण पर विशेष ध्यान दिया गया है, क्योंकि इसे लेकर ही पूरे देश के किसानों में सबसे ज्यादा असंतोष है। उन्होंने कहा कि किसानों की इस परेशानी को दूर करने के लिए उनकी सरकार से पहले विपक्षी दलों की पूर्ववर्ती सरकारों ने कभी कोई पहल नहीं की। अलबत्ता, विरोधी पार्टियों की सरकारों द्वारा बरती गयी उपेक्षा के कारण उनकी सरकार को विरासत में मिली इस समस्या को लेकर विपक्षी नेताओं ने राज्य सरकार को बदनाम करने की कोशिशें जरूर की।
ऽ मा0 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ऐसे मामलों के संबंध में उनकी सरकार ने अभूतपूर्व फैसला लिया है जिसके तहत विकासकर्ता को परियोजना के लिए चिन्हित भूमि से प्रभावित कम से कम 70 प्रतिशत किसानों से गाॅंव में बैठक कर आपसी सहमति के आधार पर पैकेज तैयार कर के सीधे जमीन प्राप्त करनी होगी। जिला प्रशासन मात्र इसमें फेैसिलिटेटर की भूमिका निभायेगा।
ऽ यदि 70 प्रतिशत किसान सहमत नहीं होते हैं तो परियोजना पर पुनर्विचार किया जायेगा।
ऽ इस पैकेज के तहत किसानों को दो विकल्प उपलब्ध होंगे। या तो वे 16 प्रतिशत विकसित भूमि ले सकते हैं जिसके साथ-साथ 23 हजार रूपये प्रति एकड़ की वार्षिकी भी 33 साल तक मिलेगी।
ऽ किसान यदि चाहे तो 16 प्रतिशत भूमि में से कुछ भूमि के बदले नकद प्रतिकर भी ले सकते हैं।
ऽ किसानों को दी जाने वाली विकसित भूमि निःशुल्क मिलेगी और उसमें कोई स्टैम्प ड्यूटी नहीं लगेगी।
ऽ यदि नकद मुआवजे से एक वर्ष के भीतर प्रदेश में कहीं भी कृषि भूमि खरीदी जाती है तो उसमें भी स्टैम्प ड्यूटी से पूरी छूट मिलेगी।
ऽ 70 प्रतिशत के बाद जो किसान बचते हैं उनके लिए केवल उनकी भूमि अधिग्रहण के लिए धारा 6 इत्यादि की कार्यवाही की जायेगी।
नई नीति के दूसरे हिस्से की चर्चा करते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राजमार्ग व नहर आदि जैसी जनता की तमाम बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य करार नियमावली के तहत आपसी सहमति से तय किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिन किसानों की भूमि ऐसी परियोजनाओं के लिए अधिग्रहीत की जायेगी, उन्हें शासन की पुनर्वास एवं पुनसर््थापना नीति के सभी लाभ दिये जायेंगे।
ऽ यदि नकद मुआवजे से एक वर्ष के भीतर प्रदेश में कहीं भी कृषि भूमि खरीदी जाती है तो उसमें भी स्टैम्प ड्यूटी से पूरी छूट मिलेगी।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने नीति के तीसरे हिस्से के सम्बन्ध मंे जानकारी देते हुए कहा कि कुछ भूमि विकास प्राधिकरणों, औद्योगिक विकास प्राधिकरणों आदि द्वारा ली जाती है, जिनका मास्टर प्लान बनाया जाता है। इस प्रकार की भूमि भी राज्य सरकार की करार नियमावली के तहत आपसी समझौते से ही ली जायेगी।
ऽ उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में उनकी सरकार ने किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के इरादे से, अधिग्रहीत भूमि के बदले किसानों को दो विकल्प उपलब्ध कराने का भी फैसला लिया है।
ऽ पहले विकल्प के अनुसार प्रतिकर की धनराशि करार नियमावली के तहत आपसी समझौते से निर्धारित की जायेगी और इस मामले में सम्बन्धित सार्वजनिक उपक्रम द्वारा उदार रवैया अपनाया जायेगा। इसके अलावा प्रभावित किसानों को पुनर्वास एवं पुनस्र्थापना नीति के सभी लाभ भी उपलब्ध कराये जायेंगे।
ऽ जबकि दूसरे विकल्प के तहत अधिग्रहीत भूमि के कुल क्षेत्रफल का 16 प्रतिशत भूमि विकसित करके निःशुल्क दी जायेगी। इसके साथ-साथ 23 हजार रूपये प्रति एकड़ की वार्षिकी भी 33 साल तक मिलेगी। किसान यदि चाहे तो 16 प्रतिशत भूमि में से कुछ भूमि के बदले नकद प्रतिकर भी ले सकते हैं।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नीति के इस तीसरे हिस्से के अन्तर्गत भी स्टैम्प ड्यूटी की छूट वैसे ही मिलेगी जैसे कि निजी क्षेत्र द्वारा भूमि अधिग्रहण के मामलों में दी गयी है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक किसान, जिसकी भूमि अधिग्रहीत अथवा अंतरित की जायेगी, उसे 33 साल के लिए 23 हजार रूपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से वार्षिकी दी जायेगी, जो भूमि प्रतिकर के अतिरिक्त होगी। इस वार्षिकी पर प्रति एकड़ प्रति वर्ष 800 रूपये की सालाना बढ़ोत्तरी की जायेगी, जो प्रत्येक वर्ष जुलाई माह में देय होगी। यदि कोई किसान वार्षिकी नहीं लेना चाहेगा तो उसे एकमुश्त 2,76,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से पुनर्वास अनुदान दिया जायेगा।

उन्होंने कहा कि यदि भूमि का अधिग्रहण अथवा अंतरण किसी कम्पनी के प्रयोजन हेतु होगा तो किसानों को पुनर्वास अनुदान की एकमुश्त धनराशि में से 25 प्रतिशत के समतुल्य कम्पनी शेयर लेने का विकल्प उपलब्ध होगा।

उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र हेतु भूमि अधिग्रहण/अंतरण से पूरी तरह भूमिहीन हो रहे परिवारों के एक सदस्य को उसकी योग्यता के अनुरूप निजी क्षेत्र की संस्था कम्पनी में नौकरी मिलेगी।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि परियोजना क्षेत्र में कृषि भूमि वाले ऐसे प्रत्येक प्रभावित परिवार, जिनकी पूरी भूमि अर्जित अथवा अंतरित की जायेगी, उन्हें आजीविका में हुए नुकसान की भरपाई के लिए पांच वर्षों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एकमुश्त धनराशि वित्तीय सहायता के तौर पर दी जायेगी।
ऐसे प्रभावित परिवार जो भूमि अर्जन अथवा अंतरण के परिणाम स्वरूप सीमान्त किसान हो जायेंगे, उन्हें पांच सौ दिन की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जायेगी। इसी तरह जो प्रभावित परिवार छोटे किसान बन जायेंगे, उन्हें 375 दिनों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जायेगी।

उन्होंने कहा कि यदि परियोजना प्रभावित परिवार खेतिहर मजदूर अथवा गैर-खेतिहर मजदूर की श्रेणी का होगा तो उसे 625 दिनों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के तौर पर एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जायेगी। इसी तरह प्रत्येक विस्थापित परिवार को 250 दिनों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एकमुश्त धनराशि का अतिरिक्त रूप में भुगतान किया जायेगा।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि औद्योगिक विकास प्राधिकरण में पुश्तैनी किसानों को अधिग्रहीत की गयी कुल भूमि के 7 प्रतिशत के बराबर आबादी पूर्व निर्धारित शर्तों पर यथावत दी जाती रहेगी।

इसके अलावा राज्य सरकार ने अब यह भी व्यवस्था कर दी है कि भूमि अधिग्रहण से प्रभावित प्रत्येक ग्राम में विकासकर्ता संस्था द्वारा एक किसान भवन का निर्माण अपने खर्च पर कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि विकासकर्ता संस्था द्वारा परियोजना क्षेत्र में कम से कम कक्षा आठ तक एक माडल स्कूल खेल के मैदान सहित संचालित किया जायेगा, जिसके भवन का निर्माण परियोजना विकासकर्ता द्वारा किया जायेगा।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट किया कि निजी क्षेत्र की यदि किसी परियोजना से प्रभावित किसानों में से 70 प्रतिशत से कम किसान सहमति देते हैं, तो परियोजना पर पुनर्विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले किसानों के लाभ के लिए अभूतपूर्व व्यवस्थाओं को लागू करने के साथ यह भी सुनिश्चित किया है कि विकास में किसानों की पूरी-पूरी भागीदारी हो।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह गलतफहमी पैदा कर दी जाती है कि किसानों से जमीन कम दाम पर ली जाती है, जिसे बाद में ज्यादा कीमत पर बेचा जाता है। उन्होंने कहा कि किसानों से ली गयी कुल भूमि का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा सड़क, पार्क, ग्रीन बेल्ट जैसी सामुदायिक सुविधाओं के विकास के लिए इस्तेमाल होता है। इस प्रकार अधिग्रहीत की गयी भूमि के कुल क्षेत्रफल की 16 प्रतिशत भूमि को विकसित करके प्रभावित किसान को निःशुल्क देने की जो ऐतिहासिक व्यवस्था उनकी सरकार ने लागू की है, उससे निश्चित तौर पर किसानों को लाभ मिलेगा।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा आज घोषित नीति को उनकी पार्टी संसद के मानसून सत्र में राष्ट्रीय स्तर पर लागू कराने के लिए पूरा-पूरा जोर देगी। उन्होंने अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ विरोधी दल भूमि अधिग्रहण कानून तैयार करने के लिए केन्द्र सरकार पर दबाव न डाल कर उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन उनकी सरकार किसानों की आड़ में किसी भी पार्टी को राजनैतिक रोटी सेंकने का अवसर नहीं देगी। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि विपक्षी दलों के पास उनकी सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं है। इसलिए साजिश के तहत सभी विपक्षी दल किसानों को उकसा कर राज्य सरकार के समक्ष कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसका जीता-जागता उदाहरण हाल ही में घटित भट्ठा परसौल गाँव’’ की दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। उन्हांेने कहा कि इस घटना का वहाँ के किसानों की जमीन के मुआवजे को लेकर कोई लेना-देना नहीं है और सही मायने में वहाँ जो घटना घटित हुई, उसका मुख्य कारण ‘‘विरोधी पार्टियों की घिनौनी राजनीति’’ है। जो इस घटना की आड़ में राज्य सरकार को बदनाम करके राजनीतिक लाभ लेना चाह रही हैं। उन्होंने इस मौके पर भट्टा परसौल से आये किसान प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि वहां की घटना के दौरान गांव के लोगों की सम्पत्ति को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई राज्य सरकार करेगी। उन्होंने इस बात पर पुनः बल दिया कि उनकी सरकार किसी भी कीमत पर किसानों की आड़ में प्रदेश की कानून-व्यवस्था को खराब करने नहीं देगी और इसके लिए कानून के दायरे में सख्त से सख्त कार्यवाही करने से नहीं हिचकेगी।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के सम्बन्ध में एक व्यापक तथा किसान हितैषी राष्ट्रीय नीति बनाये जाने के लिए उन्होंने पार्टी तथा सरकार की ओर से ‘‘केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर अनेकों बार अनुरोध’’ किया। लेकिन बार-बार अनुरोध किये जाने के बावजूद केन्द्र सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इसलिए मजबूर होकर उनकी पार्टी ने फैसला किया है कि इस मुद्दे को संसद के आगामी मानसून सत्र में जोर-शोर से उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि मानसून सत्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार भूमि अधिग्रहण के सम्बन्ध में कोई राष्ट्रीय नीति नहीं बनाती है तो बी0एस0पी0 ‘‘संसद का घेराव’’ करने से भी पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा हरियाणा सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति की प्रशंसा राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने पुनः दोहराया कि उनकी सरकार की वर्तमान भूमि अधिग्रहण नीति देश के सभी राज्यों की अपेक्षा किसानों को सर्वाधिक लाभ दिलाने वाली नीति है।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनकी पार्टी व सरकार का मानना है किसान सदैव विकास का पक्षधर रहा है, लेकिन वह यह भी चाहता है कि विकास ऐसा होना चाहिए जो उसे बेरोजगार व बेघर न करे और उसका भविष्य भी अंधकारमय न हो। उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार भूमि अधिग्रहण से प्रभावित ‘‘किसानों के हितों के संरक्षण के लिए ऐतिहासिक भूमि अधिग्रहण नीति लागू’’ करने का फैसला किया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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ग्रामीण इलाकों में पहली जुलाई से 14 घण्टे बिजली आपूर्ति के निर्देश

Posted on 03 June 2011 by admin

भट्टा परसौल में सम्पत्ति की क्षति की भरपायी होगी
माननीया मुख्यमंत्री जी ने भूमि अधिग्रहण की राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए किसानों सेे दिल्ली जाकर अनुशासित तरीके से केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने की अपील की

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने प्रदेश के किसानों की समस्याओं के त्वरित निस्तारण के लिए समस्त जिलाधिकारियों को प्रत्येक माह की 22 तारीख को प्रातः 10ः00 से 12ः00 बजे तक जिला मुख्यालय पर बैठक आयोजित कर उनकी समस्याओं का प्राथमिकता से निस्तारण करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों की समस्याओं के निस्तारण हेतु पूरी तरह सजग एवं संवेदनशील हैं और जो अधिकारी/कर्मचारी उनकी समस्याओं के समाधान में रूचि नहीं लेंगे, उनकी जवाबदेही तय करते हुए कड़ी कार्यवाही की जायेगी। उन्होंनेे भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित मामलों में किसानों पर दर्ज मुकदमों का एक सप्ताह में परीक्षण कर उन्हें वापस लेने के भी निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री जी यह निर्देश तब दिये जब आज विधान भवन स्थित तिलक हाल तथा इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में राज्य सरकार के निमंत्रण पर प्रदेश के कोने-कोने से आये किसान प्रतिनिधियों के साथ सम्पन्न किसान पंचायत के निष्कर्षों से वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री चैधरी लक्ष्मी नारायण तथा ठाकुर जयवीर सिंह, मंत्रिमण्डलीय सचिव श्री शशांक शेखर सिंह तथा मुख्य सचिव श्री अनूप मिश्र ने उन्होंने अवगत कराया।

सुश्री मायावती जी ने कहा कि 01 जुलाई 2011 से ग्रामीण क्षेत्रों को 14 घण्टे विद्युत आपूर्ति की जायेगी। इसके साथ ही प्रदेश में अब तक निजी नलकूप हेतु जितने बी0एल0 फार्म प्राप्त हो चुके हैं, सभी को सामान्य योजना की भांति कनेक्शन इसी वर्ष दे दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि 15 प्रतिशत सुपरवीजन चार्जेज जमा करने पर विभागीय स्टीमेट के अनुसार किसान स्वयं अपने नलकूप का ऊर्जीकरण करा सकता है। उन्होंने कहा कि अनियमित रूप से निजी नलकूप का कनेक्शन चलाने वाले किसान एक बार में छः माह पूर्व का सामान्य दर पर बिलराशि जुर्माने के रूप में जमा करने पर कनेशन नियमित कर दिया जायेगा, लेकिन संशोधित धनराशि आदि जमा करना होगा।

मुख्यमंत्री जी ने किसानों की खाद-बीज, बिजली, सिंचाई, गेहंू खरीद, सड़क आदि से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर करने निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि किसानों से जुड़े मामलों में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उन्होंने किसानों की भूमि पर गैस पाइप लाइन डालने व विद्युत हाई-टेन्शन लाइन निकाले जाने की दशा में जिलाधिकारियों को आर्बीटेªटर के रूप में सम्बन्धित संस्था से वार्ता कर उन्हें समुचित मुआवजा दिलाये जाने के भी निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अपने सीमित आर्थिक संसाधनों के बावजूद बुन्देलखण्ड क्षेत्र के विकास के लिए धन की कोई कमी नहीं होने देगी।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गेहूं खरीद में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं होनी चाहिए तथा किसानों को उनकी उपज के वाजिब मूल्य का समय से भुगतान किया जाना चाहिए। उन्होंने गन्ना किसानों की समस्याओं तथा गन्ना मूल्य भुगतान के मामलों का निपटारा शीघ्र किये जाने के निर्देश दिये।

इसके पूर्व मुख्यमंत्री ने सुबह तिलक हाल में किसान पंचायत का शुभारम्भ किया और एक-एक किसान से सीधी बातचीत करके उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त की और सम्बन्धित अधिकारियों को इनके समाधान के लिए आवश्यक निर्देश दिये।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के कोने-कोने से आये किसान प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रतिनिधियों द्वारा दिये गये सुझावों के मद्देनजर उनकी सरकार भूमि अधिग्रहण के सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण फैसले लेगी, जो भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित फैसले लिए जाएंगे उससे किसानों की जायज समस्याओं का काफी हद तक समाधान हो जायेगा। उन्होंने पुनः दोहराया कि उनकी पार्टी व सरकार किसानों के पूरी तरह साथ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है और आजादी के बाद से अब तक प्रदेश ने देश को कई प्रधानमंत्री दिये। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोग सोचते थे कि उन्होंने जिन लोगों को जिताकर प्रधानमंत्री बनाया, वे समाज के हर वर्ग, खासतौर पर किसानों के हितों का विशेष ध्यान देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

सुश्री मायावती जी ने कहा कि उनकी पार्टी चैथी बार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आयी है इसके पहले तीन बार की स्थितियां भिन्न थी। उन्होंने कहा कि चैथी बार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने के बाद उन्होंने प्रदेश में विभिन्न कारोबार में लगे लोगों की समस्याओं का गम्भीरता से अध्ययन किया और अपने सीमित संसाधनों से समस्याओं के समाधान के लिए हर सम्भव प्रयास किया। उन्होंने कहा कि किसानों की विभिन्न समस्याओं में से भूमि अधिग्रहण की एक गम्भीर समस्या है। उनकी सरकार ने इन समस्याओं के समाधान के लिए पूरा ध्यान दिया है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने उत्तर प्रदेश के लोगों की विभिन्न समस्याओं की तरफ ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा केन्द्र की सत्ता में रहीं पार्टियों की सरकारों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 40 साल तक जो पार्टी सत्ता में थी उसने यहां के लोगों के रोजी-रोटी की समस्या की समाधान के लिए कुछ नहीं किया। इसीलिए यहां के लोग रोजी-रोटी के लिए दिल्ली, मुम्बई जैसे बड़े महानगरों में पलायन के लिए मजबूर हुए। उन्होंने कहा कि जो लोग बच गये वे खेती पर निर्भर रहे। उनमें से भी कई लोग किसानों के खेतों में मजदूरी का कार्य करते रहे। इस प्रकार किसान अपने साथ-साथ ऐसे लोगों का पेट भी पालते रहे।

सुश्री मायावती जी ने कहा कि उनका मानना है कि किसानों को उनकी उपज का अगर ठीक से दाम नहीं मिलेगा तो किसान मजदूरों को मजदूरी नहीं दे पायेंगे। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिये थे कि किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कार्य करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से इनकी गरीबी और बेरोजगारी दूर करने में काफी हद तक सफल भी रहे। इसके अलावा किसानों को खाद, बीज, सिंचाई की सुविधा तथा बिजली की उपलब्धता के लिए जो समस्याएं थीं, उनके समाधान के लिए काम किया।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनकी सरकार ने किसानों के हित में जो महत्वपूर्ण कार्य किये हैं, उनकी पूरी जानकारी किसानों को नहीं है। उन्होंने कहा कि जातिवादी मानसिकता से ग्रसित कुछ लोग किसानों एवं प्रदेश की जनता तक सही जानकारी पहुंचाने में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास करते रहते हैं। इसके अलावा समय-समय पर अपनी सरकार के मंत्रियों खासतौर से चैधरी लक्ष्मी नारायण, ठाकुर जयवीर सिंह तथा अधिकारियों को निर्देश देती रहीं हैं कि किसानों से नियमित रूप से मिलकर उन्हें राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में उठाये गये कदमों की जानकारी दें एवं इसके साथ ही उनकी समस्याओं को पूरी गम्भीरता से सुनकर उसका समाधान सुनिश्चित करें और आवश्यकता पड़ने पर उनकी कठिनाइयों से उन्हें ( मुख्यमंत्री जी को) अवगत करायें, ताकि उनका निराकरण प्राथमिता पर किया जा सके।

सुश्री मायावती जी ने कहा कि जहां तक भूमि अधिग्रहण का मामला है इस बारे में सत्ता में आते ही उनकी हार्दिक इच्छा थी कि प्रदेश स्तर पर ऐसी नीति बनायी जाए, जिससे किसानों का कोई नुकसान न हो और जमीन को लेकर वे बेरोजगार और बेघर न होने पायें। उन्होंने कहा कि इस दौरान बीच-बीच में खबरें आती रहीं कि केन्द्र सरकार जल्द ही भूमि अधिग्रहण के मामलें में राष्ट्रीय नीति लेकर आ रहा है, लेकिन जब इसमें एक-दो साल गुजर गये तो वर्ष 2010 में हमनें करार नियमावली के तहत भूमि अधिग्रहण नीति बनायी, जिससे किसानों को काफी हद तक लाभ मिला। इसके बावजूद किसानों की दिक्कतें पूरी तरह दूर नहीं हुई। तत्पश्चात उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जो नीति है उससे किसानों को काफी लाभ नहीं हो रहा है। इसलिए ऐसी नीति बनायी जाये जिससे किसानों को लाभ हो।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भट्टा परसौल की घटना में दो सिपाही तथा दो अन्य लोग मारे गये तथा डी0एम0, एस0एस0पी0 समेत पुलिस के लोग घायल हुए। इसके बाद भी अधिकारियों को सख्ती से निर्देश दिया कि किसानों की सम्पत्ति को जो नकुसान हुआ है उसकी भरपाई सरकार को जरूर करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस घटना में कुछ लोग पकड़े गये जिनके सम्बन्ध में उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जो बेकसूर है और कानून-व्यवस्था खराब करने में शामिल नहीं थे, उन्हें रिहा कर दिया जाय तथा दोषियों के खिलाफ कार्यवाई की जाये। उन्होंने भट्टा परसौल के लोगों को भरोसा दिलाया कि उनकी सम्पत्ति को पहंुचे नुकसान की भरपायी जरूर होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि भूमि अधिग्रहण पर किसान प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करें तथा प्राप्त सुझावों पर आज ही निर्णय ले लिया जाये। इस सम्बन्ध में वे केन्द्र सरकार का और इंतजार नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि मानसून सत्र में बी0एस0पी0 पूरी तैयारी के साथ पूरे देश के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए काम करेगी। उन्होंने किसानों सेे अपील की कि वे दिल्ली जाकर अनुशासित तरीके से केन्द्र सरकार पर राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए दबाव बनाये। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी व सरकार इस मामले में किसानों के साथ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के मामले में लिये गये फैसले के कारण केन्द्र सरकार को भी वैसी ही पाॅलसी बनाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

सुश्री मायावती जी ने इस अवसर पर दिवंगत किसान नेता चैधरी महेन्द्र सिंह टिकैत को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा लिये गये फैसलों का स्वागत सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर करना चाहिए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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Developers will henceforth take land directly from the farmers

Posted on 03 June 2011 by admin

Government and the administration to play the role of facilitator only

On the initiative of the Hon’ble Chief Minister of Uttar Pradesh, Ms. Mayawati Ji, a farmer Panchayat, attended by their representatives from every corner of the state, was held at the State Capital, Lucknow today, in which a direct communication was established with the farmers to discuss in detail their various problems and solve them. Problems of the farmers relating to the departments like irrigation, power, agriculture and allied departments such as horticulture, animal husbandry etc. were discussed on the occasion. The most noticeable outcome of the farmers Panchayat was that the Uttar Pradesh Government, after having direct dialogue with the farmers formulated a farmer-friendly policy of land acquisition in keeping with their constructive suggestions. The Hon’ble Chief Minister also announced to enforce the new land acquisition from today.

The Hon’ble Chief Minister gave a patient hearing to the problems and the views echoed by farmers’ representatives and directed the officers concerned on the spot to solve them. She reiterated that the present State Government was fully alive to the farmers’ problems and their solution adding that it had always been her Government’s endeavour to safeguard their interests at all costs.

Announcing the new land acquisition policy of the State today, the Hon’ble Chief Minister Ms. Mayawati ji emphatically said that her Government could follow the rules of agreement pertaining to all types of land acquisition. She optimistically said that the State’s land acquisition policy would prove more farmer friendly than the one proposed by the Central Government. She demanded that the Central Government should enforce a uniform land acquisition policy for the country on the pattern of the policy announced by the State Government.

The Hon’ble Chief Minister ji was addressing the historic Panchayat of the farmers’ representatives called at her initiative at her official residence here today to find solution to the land acquisition and other problems of the farmers of the State. Expressing her gratitude to the farmers’ representatives who came on the invitation of the State Government, she said that for sometime now the land acquisition led to the situation of confrontation between the State Government and the farmers in one State or the other. This situation forced State Governments to confront the resentment of the farmers and sometimes these incidents created a law and order problem. She said that her Government clearly believed that the farmers’ problems could be truly solved only when the decisions were taken in consultation with the farmers after direct dialogue with them.

The Hon’ble Chief Minister ji said that keeping this in view, her Government held detailed discussion with the farmers’ representatives on various aspects of land acquisition and sought their suggestions. The matter was thoroughly discussed at the Government level too. She explained that for the first time in country’s history, her Government formulated a unique and new policy in respect of land acquisition in accordance with the suggestions of the farmers’ representatives after direct dialogue with them adding the new policy had also been enforced from today.

Dwelling at length on the new land acquisition policy, the Hon’ble Chief Minister ji said that this had been divided into three parts. She maintained that in the new policy special attention had been paid to the power projects being set up by the big private companies and for the development of the State and other works, as this was the main reason behind growing resentment among the farmers throughout the country. She lamented that the preceding opposition parties’ governments failed to take any initiative to solve this problem of the farmers. The opposition leaders only attempted to discredit the State Government for the problem handed down from the opposition parties’ Government due to their failure to address it.

• The Hon’ble Chief Minister of Uttar Pradesh Ms. Mayawati ji said that her government had taken remarkable decision in connection of such cases under which developer has to receive land for the project from identified land directly with the mutual consent of at least 70 per cent farmers of the village through a package. District administration will only play the role of facilitator in this process.
• If 70 per cent farmers disagree, then project would be reconsidered.
• Under this package two alternatives would be available to farmers. Either, they could take 16 per cent developed land, besides Rs. 23,000 annuity per acre for 33 years.
• If farmers wish, they could get cash money as compensation for some land out of 16 per cent land.
• Farmers would get developed land free of cost and no stamp duty would be charged.
• If agricultural land is purchased from anywhere in the state within a year from the payment of cash compensation, then full concession would be given in stamp duty.
• Action would be taken under section-6 for land acquisition for the land of the farmers who are left out after 70 per cent.
Referring to the second part of the new policy, the Hon’ble Chief Minister ji said that land acquisition would be decided under contract rules for fulfilment of basic needs of people like highways and canals. She said that the farmers whose land would be acquired for such projects would get all benefits of Government’s Rehabilitation and Resettlement policy.
• If agricultural land is purchased from anywhere in the state within a year from the payment of cash compensation, then full concession would be given in stamp duty.

Giving information regarding the third part of the policy, the Hon’ble Chief Minister ji said that some land is being acquired for Development Authorities, Industrial Development Authorities etc. for which master plan is made. Such type of land would also be taken under contract rules of the State Government with mutual consent.
• She said that with a view to protecting the interests of the farmers in this connection, her government had taken the decision to provide two alternatives to farmers in exchange of acquired land.
• According to the first alternative, the compensation amount would be decided under contract rules and in this case the concerning public enterprise would adopt liberal approach. Besides, all the benefits of Rehabilitation and Resettlement policy would be given to the affected farmers.
• While under the second alternative 16 per cent developed land would be given free of cost out of the total acquired area, besides annuity of Rs. 23,000 per acre for 33 years. If farmers wish they could take cash compensation in place of some land out of 16 per cent land.

The Hon’ble Chief Minister ji said that concession would be given in stamp duty under the third part of the policy in the same manner like in the cases of land acquisition by private sector.

The Hon’ble Chief Minister ji said that each farmer whose land would be acquired or transferred would be given Rs. 23,000 annuity per acre per year for 33 years. An increase of Rs. 800 would be made per acre per year in this annuity, which would be given in the month of July every year. If any farmer did not want to take annuity, then he would be paid one-time amount of Rs. 2,76,000 per acre as rehabilitation subsidy.

She said that if the land is acquired or transferred for the purpose of any company, then farmers would have the alternative of taking the shares of company equivalent to 25 per cent out of one-time amount of rehabilitation subsidy.

She said that one member of the families becoming completely landless owing to the land acquisition/transfer for private sector would be given employment in the private sector company according to his ability.

Such affected family, who would become marginal farmer as a result of land acquisition or transfer, would be given one-time financial assistance equal to minimum agriculture wages of 500 days. Similarly, such affected family who would become small farmer would get one-time financial assistance equal to the minimum agriculture wages of 375 days.

She said that if the family affected from the project would be of agriculture labourer or non-agriculture labourer category, then he would be given one-time financial assistance of minimum agriculture wages of 625 days. Similarly, every displaced family would be paid additional one-time amount equal to minimum agriculture wages of 250 days.
Besides, the state government had made provision that the developer agency would construct one Kisan Bhavan each in every village affected by acquisition, through their own expenses. She said that the developer agency would run at least one model school upto class 8 level along with sports ground within the project area. The developer would be responsible for the construction of the building of the school.

The Hon’ble Chief Minister ji said that if less than 70 per cent of the farmers gave their consent then the private sector project would be reconsidered. She said that her government, along with ensuring the implementation of various arrangements benefiting farmers affected by acquisition, had also ensured that their participation in development was equal.

Hon’ble Chief Minister ji said that certain elements had created confusion that the lands of the farmers were acquired at lower rates and were later sold at higher rates. She said that 50 per cent of the acquired land was being used for community facilities like roads, parks, green belts etc. Thus, the historic arrangement of returning 16 per cent of the total acquired land to the farmers after developing it free of cost would certainly benefit the farmers.

The Hon’ble Chief Minister ji said that the M.P.s of her party would push for the implementation of the policy announced today during the monsoon session of the Parliament so that this policy could be implemented at the national level. She regretted that some opposition parties, instead of pressurising the Central Government to formulate land acquisition law, were indulging in petty politics in Uttar Pradesh. She said that her government would not allow them to do so. She said that everybody knew that the opposition parties did not have any issue that’s why they were trying to provoke the farmers.

The Hon’ble Chief Minister ji said that the unfortunate incidents that took place in Bhatta Parsaul recently were the latest example of it. She said that there was no connection between the compensation provided to the farmers of Bhatta Parsaul and the incident that occurred there. She said that the untoward happenings that occurred there were instigated by the opposition parties and it was their nefarious design. She assured the farmer representatives of Bhatta Parsaul that the state government would compensate the farmers who had suffered losses during the incident that took place there. She emphasised that her government would not allow anybody to vitiate the law & order of the state in the name of the farmers and it would take stringent action against those trying to do so. The government would take action within the ambit of law, she warned.

The Hon’ble Chief Minister ji said that on behalf of the government and her party she had written several letters to ‘the Central Government requesting’ to formulate a farmer friendly comprehensive national policy on land acquisition, but to no avail. Therefore, her party had now decided that this issue would be raised in the Parliament in the next monsoon session. She said that if the Congress led UPA Government did not formulate any policy on land acquisition during the monsoon session, then the BSP would lay siege (gherao) of the Parliament. She said that the praising of the land acquisition policy of the Haryana Government by the Congress party was motivated by politics. She reiterated that the present land acquisition policy of her government was most lucrative policy of the country which would ensure a lot of benefits for the farmers.

The Hon’ble Chief Minister ji said that her party believed that the farmers always wanted development, but they also wanted that they were not rendered jobless and homeless because of it and their future became totally bleak. She said that keeping this in view her government had decided to implement this historic land acquisition policy to protect the interests of the farmers being affected by land acquisition.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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बाबा रामदेव को हमारा पूरा समर्थन है

Posted on 03 June 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने आज कहा कि भ्रष्टाचार के विरोध एवं कालेधन की वापसी को लेकर अनशन कर रहे बाबा रामदेव को हमारा पूरा समर्थन है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चैतरफा घिरी कांगे्रस अन्ना हजारे व बाबा रामदेब के आंदोलन का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि कांगे्रस भ्रष्टाचार की जननी है और केन्द्र की भ्रष्टाचारी फिल्म की प्रोड्यूसर व डायरेक्टर यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी हैं। उन्होंने कहा कि विश्व के अधिकांश देशों ने कार्रवाई कर कालेधन को वापस लाने का निर्णय लिया तो फिर यूपीए सरकार क्यों पीछे हट रही है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यदि काले धन जमा करने वाले लोगों की सूची सार्वजनिक हो जाए तो कांगे्रस का मुंह काला हो जाएगा। श्री गडकरी ने कहा कि कांगे्रस भ्रष्टाचार के मुद्दे पर डरी हुई है। भ्रष्टाचार के लिए मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी बराबर की जिम्मेदार हैं। श्री गडकरी आज सांइन्टिफिक कन्वेंशन सेंटर में प्रदेश सरकार के 100 घोटालों पर लगाई गई प्रर्दशानी का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।

श्री गडकरी ने कहा उ0प्र0 में सामाजिक न्याय व दलित हितों की बात कर सत्ता में आई मायावती के राज में सबसे ज्यादा दलितों का उत्पीड़न हुआ है। पूरे प्रदेश में किसान बेमौत मर रहे हैं, भ्रष्टाचार चरम पर है। उन्होंने बताया कि माया सरकार के भ्रष्टाचार व घोटालांे के खिलाफ पार्टी का आंदोलन और तेज करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक स्तर पर जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। भाजपा अध्यक्ष ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में उ0प्र0 पर विशेष रूप से चर्चा होगी। उ0प्र0 को भय, भ्रष्टाचार व बेरोजगारी से मुक्त करने के लिए तथा विकास और सुशासन के लिए विजन डाक्यूमेंट बनाने हेतु एक समिति की घोषण की जाएगी।

इसके पूर्व माया सरकार के 100 घोटालों पर लगी प्रदर्शनी का उद्घाटन श्री गडकरी ने किया। इस अवसर पर पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री व प्रदेश प्रभारी नरेन्द्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय मंत्री किरीट सोमैया, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही, भाजपा विधान मण्डल दल के नेता ओमप्रकाश सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा0 रमापति राम त्रिपाठी, वरिष्ठ नेता, सांसद लाल जी टण्डन, प्रदेश महामंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय, बिनोद पाण्डेय, प्रदेश मंत्री आशुतोष टंडन ’गोपाल’ प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक, राजेन्द्र तिवारी, मीडिया प्रभारी हरिशचन्द्र श्रीवास्तव, नरेन्द्र सिंह राणा, सहप्रभारी मनीष दीक्षित, विधायक विद्यासागर गुप्ता, सुरेश श्रीवास्तव, महानगर अध्यक्ष प्रदीप भार्गव सहित कई वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ता उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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जनपद के ग्रामीण अंचलों में धारा 144 लागू

Posted on 03 June 2011 by admin

अपर जिला मजिस्ट्रेट (प्रशासन) जगदीश ने बताया हैं, कि जनपद के ग्रामीण अंचल की वर्तमान संवेदनशील एवं परिस्थितियों को देखते हुए व्यापक जनहित शांति व्यवस्था एवं कानून व्यवस्था के हित में 30 मई से दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 के अन्तर्गत निषेधाज्ञा लागू हैं। जो कि 29 जुलाई, 11 तक लागू रहेंगी।

उन्होंने आदेश में कहा हैं कि किसी प्रकार का प्रदर्शन अथवा जुलूस बिना अनुमति के नही करेंगे। कोई भी व्यक्ति जिले के ग्रामीण अंचल के क्षेत्र में किसी प्रकार के शस्त्र लेकर नही चलेगा। कोई भी व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक मार्ग पर न तो जाम लगाएगा और न ही अन्य किसी को जाम लगाने के लिए पे्ररित करेंगा। कोई भी व्यक्ति प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ऐसा कोई कार्य नही करेगा जिससे साम्प्रदायिक सौहार्द बिगडे और कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो।

निषेधाज्ञा आदेश में निर्देश दिये हैं कि कोई भी व्यक्ति किसी भी शासकीय योजनाओं एवं अन्य जनहित उपयोगी होर्डिंग्स को क्षतिग्रस्त नही करेगा। कोई भी किसी प्रकार की अफवाह नही फैलायेगा और न ही ऐसा करने के लिए पे्ररित करेंगा।

उन्होंने कहा है कि जनपद के ग्रामीण अंचल में कोई भी व्यक्ति या राजनैतिक दल न तो ऐसे क्रिया कलाप करेंगा और न अन्य को पे्ररित करेंगा जो कि जातियों, सामुदायों, समूहों, विभिन्न मताबलम्बियों के मध्य तनाव व वैमनस्य उत्पन्न करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सुख साधन कर जमा करने का ब्यौरा आन लाइन होगा

Posted on 03 June 2011 by admin

पर्यटन सांख्यिकी व सुख साधन कर हेतु नया सौफ्ट वेयर तैयार
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 13 जून को सेमीनार में विशेषज्ञ जानकारी देगें

पर्यटन सांख्यिकी तथा सुख साधन कर संबंधी सूचनाएं इन्टरनेट के माध्यम से अप-लोड किये जाने हेतु पर्यटन विभाग व्दारा साफ्टवेयर तैयार किया गया है। इस साफ्टवेयर के माध्यम से उत्तर प्रदेश के सभी पर्यटन क्षेत्रों की पर्यटन सांख्यिकी एवं सुख साधन कर की सूचना इन्टरनेट के माध्यम से निदेशालय में शीघ्र प्राप्त हो सकेगी।

इसी क्रम में जिलाधिकारी अजय चैहान की अध्यक्षता में 13 जून को प्रातः 11 बजे शिल्पग्राम स्थित नूरजहां पे्रक्षागृह में एक सेमीनार का आयोजन किया जायेगा जिसमें सोफ्टवेयर की उपयोगिता व जानकारी प्रत्येक पर्यटन परिक्षेत्र में होटलों एवं आवासीय इकाईयों के स्वामियों को दी जायेगी। सेमीनार में विशेषज्ञों व्दारा साफ्टवेयर की उपयोगिता एवं आन लाइन सुख साधन कर संबंधी डेटा फीड करने की विधि आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी जायेगी।

सहायक निदेशक पर्यटन ने आगरा में सुख साधन कर की सीमा में आने वाले सभी होटल स्वामियों/प्रबंधकों से अपील की है कि सेमीनार में भाग लेकर सुख साधन कर के नये साफ्टवेयर के संबंध में जानकारी लेकर लाभ प्राप्त करें। सेमीनार के वारे में विस्तृत जानकारी पर्यटन कार्यालय आगरा से फोन नम्बर 0562-2226431 पर सम्पर्क कर सकते है।

उन्होंने बताया कि आगरा पर्यटन परिक्षेत्र में स्थित समस्त पर्यटन इकाईयों/होटलों जिन का प्रतिदिन का किराया एक हजार रूपये या इससे अधिक है वे सभी इकाईयां उ0प्र0 काराधान तथा भूराजस्व विधि अधिनियम 1975 की धारा-5 के अधीन आते हैं। इसके आधार पर होटल इकाईयों व्दारा पांच प्रतिशत की दर से पर्यटकों से सुख साधन कर वसूली की धनराशि को ट्रेजरी चालान भरकर हर महीने की 5 तारीख तक राजकीय कोषागार में जमा किया जाता हैं, जिसकी सूचना सुख साधन कर निर्धारण अधिकारी को भेजी जाती है।

उन्होंने बताया कि इस साफट वेयर के माध्यम से आगरा पर्यटन परिक्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली समस्त आवासीय इकाईयों/होटलों द्वारा स्वयं सुख साधन कर के अन्तर्गत जमा की गई धनराशि का ब्यौरा आन लाइन अपलोड किया जा सकेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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अधिकारी विकास कार्यो के लक्ष्यों की पूर्ति ससमय करें

Posted on 03 June 2011 by admin

जल निगम द्वारा सीवर लाइन डालने का कार्य रात्रि में भी कराये

विकास कार्यो के दिये गये लक्ष्यों की अधिकारीगण ससमय पूर्ति सुनिश्चित करें और निरीक्षण के वाद अपनी आख्या अवश्य भेजें साथ ही पाई गई कमियों को भी तत्परता से ठीक करायें। सेतु निगम के कार्यो की सिविल डिजाइन तथा स्ट्रकचर्स की जांच आई. आई. टी. रूडकी, कानपुर, दिल्ली आदि राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थाओं से करायें। जल निगम के कार्यो के निरीक्षण हेतु भी सी.एम.डी. जल निगम से टीम भेजने हेतु अनुरोध करें ।

मण्डलायुक्त अमृत अभिजात आज यहां कमिश्नरी सभागार में मण्डलीय अधिकारियों के साथ विकास कार्यो की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिये कि अधिकारी अपने स्तर पर आयोजित बैठकों तथा निरीक्षणों की आख्या/कार्यवृत्त अनिवार्य रूप से जारी करें। उन्होंने कहा कि अम्बेडकर ग्रामों में लगी सोडियम लाइटों के रखरखाव का कार्य ग्राम पंचायत द्वारा किया जायेगा।

उन्होंने जल निगम द्वारा विछाई जा रही सीवर लाइन की प्रगति पर असन्तोष प्रकट करते हुए कहा कि सभी कार्य मानक के अनुसार हो और खुदाई के बाद कार्य समाप्त होते ही साथ-साथ सडक भी बनायें। उन्होंने कहा कि सीवर लाइन विछाने का कार्य रात में करायें ताकि दिन के समय नागरिकों को अपने कार्यो में अनावश्यक कठिनाई न हो और कार्य भी तेजी से हो सके।

उन्होंने कार्यो की प्रगति आख्या के साथ स्टेटस रिपोर्ट और फोटोग्राफ भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। बैठक में अवगत कराया गया कि गंगाजल परियोजना हेतु पाइव लाइन के लिए टैण्डर हो गये है। कुबेरपुर में आधुनिक खत्ताघर हेतु दो किस्तों की धनराशि मिल गयी है। जिससे प्रथम फेस का कार्य 30 जून तक और द्वितीय फेज का कार्य 30 सितम्बर तक पूर्ण कर लिया जायेगा।

उपाध्यक्ष आ0वि0प्रा0 ने बताया कि वी.एस.यू.पी. योजना में शास्त्रीपुरम में 1360 मकानों के लिए स्वीकृति मिलने के बाद छत डाली जा चुकी हैं। नरायच में भी 3640 भवनों के लिए 127 करोड रूपये के सापेक्ष 55 करोड रूपये की धनराशि प्राप्त हो गयी है। इनमें से तीन हजार भवनों की छत डाली जा चुकी है। आवास विकास परिषद द्वारा इस योजना में कालिन्दी विहार में 632 आवास बनाये जा रहे है।

उन्होंने मा0 मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं के क्रम में वृन्दावन में कराये जा रहे कार्यो की समीक्षा की । वृन्दावन परिक्रमा मार्ग के चैडीकरण का कार्य 60 प्रतिशत ही हो पाया है। कार्यो की प्रगति पर असन्तोष प्रकट करते हुए उन्होंने विद्युत, जल निगम, लो.नि.वि., मथुरा-वृन्द्रावन विकास प्राधिकरण आदि सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों की समन्वय बैठक आयोजित कराने हेतु जिलाधिकारी मथुरा को निर्देश दिये है।

बैठक में अपर आयुक्त पी. के. अग्रवाल, उपाध्यक्ष आ.वि.प्रा. रामस्वरूप, उप निदेशक संख्या विभाग रोहन लाल, सचिव मथुरा वृन्द्रावन विकास प्राधिकरण एवं सेतु निगम, आवास विकास परिषद, लोनिवि, यमुना कार्य योजना, कृषि, शिक्षा, उद्यान आदि विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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सम्मेलन में समाजवादियों ने प्रदेश सरकार को जमकर कोसा

Posted on 03 June 2011 by admin

प्रदेश सपा के आवाहन पर सपा जिला सम्मेलन में शक्ति प्रदर्शन कर समाजवादियों ने केन्द्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ हूॅकार भरी। समाजवादी पार्टी के जिला सम्मेलन में गुरूवार को तिकोनिया पार्क में समाजवादियों का जमावड़ा हुआ। प्रदेश नेतृत्व के आवाहन पर पार्टी पदाधिकारी घोषित प्रत्याशियों ने अपने- अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन करते हुए वर्तमान सरकारों पर नारेबाजी कर जमकर प्रहार किया। जनपद के घोषित विधानसभा प्रत्याशियों व संगठन के नेताओं ने इस सम्मेलन केा सफल बनाने के निए समर्थकों के साथ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। सम्मेलन के मुख्य अतिथि के रूप में समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य जगदीश सिंह यादव रहे। समाजवादियों ने केन्द्र व प्रदेश की सरकारों को जन विरोधी करार दिया। मिशन 2012 के चुनाव में प्रदेश की माया सरकार को हटाने का संकल्प लेते हुए पूर्ववर्ती सपा सरकार का गुणगान किया। 190 विधान सभा लम्भुआ के घोषित प्रत्याशी संतोष पाण्डेय ने अपने हजारों समर्थकों के साथ इस सम्मेलन में शामिल हुए उनके साथ लोहिया वाहिनी अध्यक्ष परमात्मा यादव,जिला पंचायत सदस्य पृथ्वी पाल यादव, बहमदपुर प्रधान प्रशून मालवीय सहित कई वीडीसी व प्रधान मौजूद रहे। इसौली विधान सभा क्षेत्र के घोषित प्रत्याशी शकील अहमद ने सैकड़ों समर्थकों के साथ जिला सममेलन में पहुॅचे वहीं सुलतानपुर विधान सभा क्षेत्र के प्रत्याशी अबरार अहमद अपने पूरे लाव लश्कर के साथ सम्मेलन में शामिल हुए। सदर विधान सभा क्षेत्र 189 के प्रत्याशी अरूण वर्मा ने जयसिंहपुर से सैकड़ों वाहनों के साथ जिला सम्मेलन में पहुॅचे। इसके पहले बरौसा, उघड़पुर, गोसाईगंज बाजारों में जन सम्पर्क कर लोगों को सम्मेलन में चलने का आग्रक किया। श्री वर्मा समाजवादी नारों को बुलन्द करतें हुए मंच पर पहुॅचे। उनके साथ कुलदीप सिंह, दीपांकर वर्मा, पवन चैधरी सहित सैकड़ों समर्थक रहे। घोषित सपा प्रत्याशिओं ने सम्मेलन में शक्ति प्रदर्शन जरूर किया परन्तु सपा पदाधिकारी उनसे पीछे नहीं रहे। सममेलन के मुख्य अतिथि जगदीश सिंह यादव ने केन्द्र व प्रदेश सरकार को जन विरोधी बताते हुए बसपा सरकार पर किसानों व गरीबों के ऊपर हो रहे उत्पीड़न को जिम्मेदार ठहराया। पूर्व एमएलसी शैलेन्द्र सिंह व विधायक अनूप सण्डा ने बसपा के कुशासन कोकं जनता तक पहुचा कर सरकार को उखाड़ फेकने का आवाहन किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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शिखर ने किया जिले का नाम रोशन

Posted on 03 June 2011 by admin

सीबीएससी हाई स्कूल परीक्षा परिणाम घोषित होते ही बचपन से ही माता- पिता के सपनों को साकार करने में जुटे मेधावी शिखर श्रीवास्तव ने हाई स्कूल की परीक्षा में सीजीपीए के अन्तर्गत 9.6 प्राप्त कर कुछ कर गुजरने की तमन्ना दिखाई है। विदित हो कि स्टैला मैरिस कान्वेनट स्कूल के छात्र शिखर श्रीवास्तव ने तीन विषयों में 10 जी प्राप्त किया है। शिखर श्रीवास्तव ने भविष्य में आई आई टी से इन्जिनियरिंग करने के पश्चात प्रशानिक अधिकारी बन देश सेवा करने की तमन्ना व्यक्त की है। शिख्र अपनी सफलता के लिए कड़ी मेहनत, लगन, लक्ष्य के साथ कृपा शंकर श्रीवास्तव माता मोहनी श्रीवास्तव व बहन पारूल श्रीवास्तव के साथ-साथ अपने गुरूजनों को श्रेय देते हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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बाबा रामदेव के सत्याग्रह में शामिल होगी महिलाएं

Posted on 03 June 2011 by admin

योगगुरु स्वामी रामदेव के भ्रष्टाचार विरोधी सत्याग्रह में प्रतिभाग के लिए जिले से बड़ी संख्या में महिलाएं दिल्ली कूच करेंगी। पतंजलि चिकित्सालय की निदेशक कानन सिंघल ने महिलाओं को दिल्ली तक ले जाने की विशेष व्यवस्थाएं की है।

पतंजलि योग पीठ हरिद्वार के कारपोरेट सदस्य विनय कुमार सिंघल की पत्नी व पतंजलि चिकित्सालय शाहजहांपुर की निदेशक कानन सिंघल ने यह जानकारी दी। उन्होने बताया कि चार जून से योग गुरु स्वामी रामदेव विदेशों बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर रहे है। देश की खुशहाली और तरक्की के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से शिरकत कर राष्ट्रधर्म का पालन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि काले धन की वापसी के लिए पांच तरीके सुझाये गये। लेकिन सरकार अब तक संजीदा नहीं हुई हैं। यदि काला धन वापस मिल गया तो प्रत्येक गांव को 60-60 हजार करोड़ रुपया मिल जाएगा। तब भारत विकासशील से विकसित देशों की श्रेणी मे हम शामिल हो जाएगा और हम समृद्धिशाली देशवासी कहलाएंगे। उन्होंने बताया कि जिले से करीब पचास महिलाओं समेत सैकड़ों लोग सत्याग्रह के लिए दिल्ली कूच करेंगे। इसके लिए पतंजलि योग समिति और भारत स्वाभिमान मंच की ओर से वाहनों की व्यवस्था की गई है। जो लोग दिल्ली नहीं जा पा रहे हैं वह चार जून की सुबह 9 बजे कचहरी में प्रदर्शन कर काला धन की वापसी के राष्ट्रधर्म यज्ञ में आहुति दे सकेंगे। उन्होंने बताया कि सत्याग्रह के मद्देनजर चिकित्सालय में चार जून का अवकाश भी घोषित कर दिया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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