Posted on 07 June 2011 by admin
अपर जिलाधिकारी (नगर) अरूण प्रकाश ने बताया हैं कि प्रदेश के गरीबी रेखा के नीचे सर्व समाज के परिवार के सदस्यों के सभी प्रकार के विभिन्न न्यायालयों में लम्बित व दायर किये जाने वाले वादों में शासकीय अधिवक्ताओं व्दारा निःशुल्क पैरवी की व्यवस्था हेतु जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी/दीवानी/राजस्व) के कार्यालय में पटल स्थापित करा दिया गया है। जहां पर बी0पी0एल0 कार्ड धारक, अन्त्योदय कार्ड धारक, उ0प्र0 मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना से आच्छादित व्यक्ति, गरीबी रेखा के नीचे रहने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति निर्धारित प्रारूप पर अपना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर उक्त योजना का लाभ उठा सकते हैं। जिला शासकीय अधिवक्ताओं के विवरण की जानकारी देते हुए बताया हैः- अजय शर्मा जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) 09412589406, सुभाष चंद्र, जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) 09719861951, मुरारी लाल कर्दम, जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) 09758531381, जगदीश नरायन शर्मा, जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) कमिश्नरी आगरा 09837726809, से सम्पर्क कर सकते है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com
Posted on 07 June 2011 by admin
जिला में बंद बंदी को उनसे मिलने आने वाले परिजन बताते हैं कि यहां क्षमता से अधिक बंदियों-कैदियों के आ जाने से उसे बैरकों में भूसे की तरह ठूंसकर रखा जाता है। मंगलवार को पेशी पर कचहरी आये एक बंदी की व्यथा उसी के शब्दों में कि हम पैर फैलाते तो दूसरे बंदी के सिर तक पहुंच जाता है। करवट बदलते हैं तो दूसरे के बदन पर चढ़ जाने जैसी स्थिति रही है। एक ही करवट में न जाने कितनी रातें काटनीं पड़ीं हैं। यही आरोप कमोबेश हर कैदी-बंदी का है।
कारागार में इस समय क्षमता के मुकाबले कम से कम तीन गुना अधिक बंदी निरुद्ध हैं जिससे अव्यवस्थाएं हावी हैं। जेल सूत्रों के मुताबिक अंग्रेजों के जमाने में बनी इस जेल में प्रायः उन्हीं के जमाने की क्षमता भी है। यहां केवल 511 बंदियों को निरुद्ध करने की व्यवस्था है लेकिन वर्तमान में1936 बंदी निरुद्ध है। इनमें 50 महिलाएं तथा 400 सजायाफ्ता कैदी शामिल हैं।
इस कारागार में कुल 13 बैरकें हैं। प्रत्येक बैरक में 60 बंदी रखे जाने का प्राविधान है लेकिन इनमें से प्रत्येक में 130 बंदी हैं। बैरक नम्बर-5 और 9 को छोड़कर अन्य की छतें टीनशेड की हैं। गर्मियों में ये छतें आग बरसाती हैं तो जाड़ों में बर्फ के गोले। रातें समंदर सी अपार और दिन पहाड़ से लगते हैं। टुकड़ा-टुकड़ा रातें कटतीं हैं, धज्जी-धज्जी दिन। एक-एक पल एक-एक युग लगता है। ये बैरकें काल कोठरी से कम नहीं।
जेलर सुरेशचन्द्र का कहना है कि यहां क्षमता से अधिक बंदी होते हैं लेकिन उनका यह भी कहना है कि इसके बावजूद व्यवस्थाएं दुरुस्त रखी जा रही हैं। जेल में किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं है। आदेश मिलते ही सजायाफ्ता कैदियों को दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया जाता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 07 June 2011 by admin
ऽ ज्योति इन्वायरो, नगर निगम और सीएण्डडीएस (जल निगम) के संयुक्त तत्वावधान में विशाल पर्यावरण पद यात्रा का आयोजन।
ऽ श्री डी एस मिश्रा, प्रमुख सचिव, नगर विकास ने झण्डी दिखाकर किया पर्यावरण पद यात्रा का शुभारम्भ।
ऽ यात्रा का उद्देश्य लखनऊ नगर को साफ-सुथरा, सुन्दर और पर्यावरण मुक्त रखने के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और जनता की सहभागिता सुनिश्चित करना।
ऽ पर्यावरण पद यात्रा में दो हजार से अधिक लोंगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर के0 डी0 सिंह बाबू स्टेडियम से जी0 पी0 ओ0 तक एक पद यात्रा ‘‘आइयें साथ चले पर्यावरण के लिये’’ का आयोजन किया गया। इसका आयोजन ज्योति इन्वायरो, नगर निगम और जल निगम के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। प्रमुख सचिव, नगर विकास, डी0 एस0 मिश्रा ने झण्डी दिखाकर कार्यक्रम की शुरुवात की। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर डी0 एस0 मिश्रा ने लोगों से अधिक से अधिक पौध रोपण कर पर्यावरण संरक्षण करने की अपील की।
इस अवसर पर ज्योति इन्वायरो के चरणजीत सिंह साहनी ने कहा कि इस पद यात्रा का उद्देश्य लखनऊ नगर को साफ-सुथरा, सुन्दर और पर्यावरण मुक्त रखने के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और जनता की सहभागिता सुनिश्चित करना है। अब यह साफ तौर पर नजर आने लगा है कि ग्लोबल वाॅर्मिग, पर्यावरण के संतुलन और जलवायु परिर्वतन के कारण प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है। ये आपदायें पहले की तुलना में ज्यादा विनाशकारी साबित हो रही है। पर्यावरण में बदलाव गरीबी और विकास से जुड़े मुद्दों पर प्रभाव डाल रहा है और इसकी वजह से भुखमरी भी फैल सकती है। दुनिया के कई इलाकों में आंधी-पानी, बाढ़, तूफान और जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही है। विज्ञान की तमाम उपलब्धियों के बावजूद भूकम्प और सुनामी जैसी प्राकृतिक उपायों द्वारा इनके दुष्परिण्म को कम अवश्य किया जा सकता है।
इस ‘‘आइयें साथ चले पर्यावरण के लिये’’ यात्रा में दो हजार से अधिक लोंगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया जिसमें बच्चें, महिलायें, नगर के गणमान्य व्यक्तियों के अलावा ज्योति इन्वायरो, के बलबीर सिंह मान, सतपाल सिंह सहित पूरी टीम उपस्थित रही, नगर निगम से पी के श्रीवास्तव, अपर नगर आयुक्त व आर एन पाल और जल निगम के अधिकारीगण शामिल थे।
पर्यावरण में बदलाव से मानव जाति को नई-नई समस्याओं से दोचार ( जूझना ) होना पड़ रहा है और इसका खतरा दिनप्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जनता-जर्नादन को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिये ही 1973 में पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इसके बाद अब पूरी दुनियां में हर 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस की नींव 1972 में यूनाइटेड नेशन जनरल असेम्बली द्वारा रखी गयी थी।
पूरा विश्व आज पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है और इसके दुष्प्रभाव मानव जाति पर निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि इसकी शुरूआत ‘‘जापान में सुनामी’’ से हो चुकी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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