- माननीया मुख्यमंत्री जी ने बुन्देलखण्ड के किसानों की ऋण माफी के लिए प्रधानमंत्री जी को पुनः पत्र लिखा
- बुदेलखण्ड क्षेत्र के किसानों की ऋण माफी के लिए केन्द्र सरकार विशेष योजना तत्काल लागू करे-माननीया मुख्यमंत्री जी
- किसानों को 31 मार्च तक वितरित किये गये ऋण माफ किये जायें-सुश्री मायावती जी
- केन्द्र सरकार एवं पूर्ववर्ती राज्य सरकारों के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण बुन्देलखण्ड क्षेत्र का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाया
- राजस्व विभाग को ऋण वसूली के किसी भी प्रकरण में उत्पीड़क कार्यवाही न करने के राज्य सरकार के निर्देश
उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने केन्द्र सरकार से प्रदेश के बुंदेलखण्ड क्षेत्र के किसानों को ऋण माफी देने के लिए तत्काल विशेष योजना लागू किये जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि विशेष योजना में किसानों को 31 मार्च, 2011 तक वितरित किये गये ऋणों को शामिल किया जाये।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने आज प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह को भेजे गये पत्र में कहा कि प्रदेश में बुन्देलखण्ड क्षेत्र कठिन भौगोलिक परिस्थितियोंवाला क्षेत्र है, इसकी अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है। इस कारण इस क्षेत्र के किसानों का जीवन अनेक कठिनाईयों से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण बुन्देलखण्ड क्षेत्र का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाया है, जिससे यह क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से पिछड़ गया है।
गरीब किसानों तथा कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुए माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने 13 जनवरी, 2008 को प्रधानमंत्री जी को भेजे गये पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि विगत तीन से चार वर्षों के दौरान बुन्देलखण्ड तथा समीपवर्ती क्षेत्रों के सूखे की विभीषिका का उल्लेख करते हुए यह भी रेखांकित किया था कि प्रदेश की पिछली सरकार द्वारा सूखा प्रभावित किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए कोई समुचित कार्यवाही नहीं की गयी, जबकि प्रदेश की वर्तमान सरकार ने स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए सूखा प्रभावित नौ जनपदों में राहत और विकास सम्बन्धी अनेक कदम उठाये हैं और आपदा रहित निधि के अन्तर्गत इन जनपदों को 400 करोड़ रूपये की धनराशि भी विविध राहत कार्यों के लिए अवमुक्त की है।
माननीया मुख्यमंत्री जी द्वारा आज प्रधानमंत्री जी को लिखे गये पत्र में पुनः उन्होंने 13 जनवरी, 2008 को भेजे गये पत्र का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने केन्द्र सरकार से तत्काल 2,797 करोड़ रूपये का ऋण राहत पैकेज स्वीकृत करने की मांग की थी। प्रधानमंत्री को भेजे गये इस पत्र में माननीया मुख्यमंत्री जी ने यह भी कहा था कि उनके द्वारा सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए विगत 06 दिसम्बर, 2007 को केन्द्र सरकार से 7,016 करोड़ रूपये की सहायता उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध किया गया था। इससे पूर्व, क्रिटिकल गैप्स को भरने हेतु 20 हजार करोड़ रूपये के पैकेज की भी मांग की गयी थी।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने प्रधानमंत्री को भेजे गये पत्र में यह उल्लेख किया है कि पिछले वर्षों में उनकी सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड क्षेत्र की आर्थिक दशा को सुधारने हेतु अनेकों प्रयास किये गये। कृषकों को राहत देने की दृष्टि से 2 लाख रूपये तक के ऋणों के सम्बन्ध में किसी प्रकार की उत्पीड़क कार्यवाही न करने के निर्देश प्रदेश सरकार द्वारा पहले ही दिये जा चुके है। उन्होंने कहा इसके साथ-साथ अब यह व्यवस्था की गयी है कि राजस्व विभाग के माध्यम से की जाने वाली वसूली के किसी प्रकरण में कोई उत्पीड़क कार्यवाही न की जाए तथा इस क्षेत्र में कृषकों के ऋणग्रस्तता को देखते हुए आवश्यक है कि कृषकों के कर्जों को माफ किया जाए। उन्हांेने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अपने सीमित संसाधनों के अन्तर्गत बुन्देलखण्ड के किसानों को फसली ऋण एवं कृषि निवेश आदि सुविधायें उपलब्ध करायी गयीं हैं परन्तु गत वित्तीय वर्ष में वहां लगभग 16.5 प्रतिशत की कृषि उत्पादन में वृद्धि होने के बावजूद भी किसान की स्थिति संतोषजनक नहीं हो पायी है। उपरोक्त प्रगति के बावजूद इस क्षेत्र के केन्द्र सरकार एवं पूर्ववर्ती राज्य सरकारों के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति में पर्याप्त सुधार नहीं हो पाया है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि यद्यपि इस बीच केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2008 में ऋण राहत योजना लागू की गयी, परन्तु योजना में दिनांक 31 मार्च, 1997 के पूर्व वितरित ऋणों को शामिल नहीं किया गया तथा केवल सीमित ऋणों के सम्बन्ध में राहत दी गयी, जो दिनांक 31 मार्च, 1997 से 31 मार्च, 2007 तक वितरित किये गये थे। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड जैसे सुखोन्मुख क्षेत्र के लिये यह ऋण राहत नाकाफी साबित हुई है, वहां के किसानों को ऋण भार अभी भी कृषकों की क्षमता से बाहर है जिससे क्षेत्र में असन्तोष की भावना पनप रही है। इस क्षेत्र के 15 लाख किसानों पर लगभग 4500 करोड़ रूपये के ऋणभार का अनुमार है।
उल्लेखनीय है कि माननीया मुख्यमंत्री जी ने 13 मई, 2007 को सत्ता मे आने के तुरन्त बाद 26 मई, 2007 को प्रधानमंत्री जी से मिलकर सबसे पहले बुन्देलखण्ड एवं पूर्वांचल क्षेत्र के विकास एवं अन्या जनहित कार्यों के लिए 80 हजार करोड़ रूपये का विशेष आर्थिक पैकेज स्वीकृत करने का अनुरोध किया था, इसमें एक अहम अन्य बिन्दु था, जिसमें बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए स्पेशल एरिया इन्सेन्टिव पैकेज के साथ ही क्षेत्र के विकास हेतु संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की गयी। उन्होंने 17 जुलाई, 2007 को पत्र लिखकर यह पैकेज शीघ्र देने का अनुरोध भी किया था। उन्होंने कहा था कि बुन्देलखण्ड की परिस्थितियां उत्तराखण्ड, हिमांचल प्रदेश के समान है, इसलिए बुन्देलखण्ड को भी एरिया इन्सेटिव पैकेज दिया जाना चाहिए।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बुन्देलखण्ड के सामाजिक व आर्थिक सूचकांकों की दृष्टि से अतिपिछड़ा है। पिछड़ेपन के इस दुष्चक्र के कारण यहां गरीबी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इस दुष्चक्र को तोड़ने के लिए तथा बुन्देलखण्ड के समग्र विकास के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर बुन्देलखण्ड के क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार से विशेष पैकेज देने और इस इलाके केन्द्रीय सेक्टर की बड़ी परियोजनायें स्थापित किये जाने का अनुरोध किया जाता रहा हैे, परन्तु उनके अनुरोध पर केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक सकारात्मक कार्यवाही नहीं की जा सकी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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