विकासकर्ता अब परियोजनाओं के लिए किसानों से सीधे जमीन लेंगे
शासन व प्रशासन की भूमिका मात्र फैसिलिटेटर की होगी
उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी की ऐतिहासिक पहल पर आज राजधानी लखनऊ में प्रदेश के कोने-कोने से आये किसान प्रतिनिधियों के साथ आयोजित किसान पंचायत मंे किसानों की विभिन्न समस्याओं के समाधान के सम्बन्ध में सीधा संवाद स्थापित करते हुए विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। इस मौके पर सिंचाई, ऊर्जा, कृषि एवं कृषि से जुड़े विभिन्न विभागों यथा उद्यान, पशुधन आदि से जुड़ी किसानों की विभिन्न समस्याओं के सम्बन्ध में चर्चा हुई। किसान पंचायत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण नतीजा यह रहा कि देश के इतिहास में पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार ने भूमि अधिग्रहण के मामले में भी, किसान प्रतिनिधियों से सीधे चर्चा करके उनके रचनात्मक सुझावों के अनुरूप भूमि अधिग्रहण की एक किसान हितैषी नई नीति भी बनायी, जिसे माननीया मुख्यमंत्री जी ने आज से ही लागू किये जाने की भी घोषणा की।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने किसान पंचायत में आये प्रतिनिधियों द्वारा व्यक्त किये गये विचारों तथा उनकी विभिन्न समस्याओं को ध्यान से सुना तथा मौके पर ही अधिकारियों को इनके निस्तारण के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों की समस्याओं के समाधान के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है, इसलिए उनकी सरकार का सदैव यह प्रयास रहा है कि किसी भी दशा में राज्य के किसानों के हितों की अनदेखी न होने पाये।
उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने आज राज्य की नई भूमि अधिग्रहण नीति की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी सरकार सभी प्रकार के भूमि अधिग्रहण के मामलों में करार नियमावली का पालन करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नीति केन्द्र सरकार की प्रस्तावित नीति से कई गुना ज्यादा बेहतर व किसान हितैषी साबित होगी। उन्होंने केन्द्र सरकार से राज्य सरकार की तर्ज पर भूमि अधिग्रहण की नीति पूरे देश के लिए लागू करने की मांग की है।
माननीया मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण तथा किसानों की अन्य समस्याओं के समाधान के लिए उनकी पहल पर आयोजित किसान प्रतिनिधियों की ऐतिहासिक पंचायत को सम्बोधित कर रहीं थीं। उन्होंने राज्य सरकार के निमंत्रण पर आए किसान प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भूमि अधिग्रहण को लेकर देश के किसी न किसी प्रदेश में आये-दिन वहां की राज्य सरकार व किसानों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होती रहती है। जिससे राज्य सरकारों को किसानों के असंतोष का सामना करना पड़ता है तथा कभी-कभी इन घटनाओं का असर उस क्षेत्र की कानून-व्यवस्था पर भी पड़ता है। उन्हांेने कहा कि इसलिए उनकी सरकार का स्पष्ट मत है कि किसानों की समस्याओं का सही समाधान तभी हो सकता है, जब उनसे सीधे बात-चीत करके उनकी सहमति से निर्णय लिया जाए।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार ने किसान प्रतिनिधियों के साथ भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित तमाम पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की और उनके सुझाव प्राप्त किये। इस सम्बन्ध में शासन स्तर पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार उनकी सरकार ने भूमि अधिग्रहण के मामले में भी, किसान प्रतिनिधियों से सीधे चर्चा करके उनके रचनात्मक सुझावों के अनुरूप ही भूमि अधिग्रहण की एक अभूतपूर्व नई नीति बनायी, जिसे आज लागू भी कर दिया गया है।
इस अवसर पर माननीया मुख्यमंत्री जी ने भूमि अधिग्रहण की नई नीति का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार द्वारा घोषित इस नीति को तीन हिस्सों में बांटा गया है। उन्होंने कहा कि इस नीति में प्रदेश के विकास के लिए बड़ी निजी कम्पनियों द्वारा स्थापित की जाने वाली विद्युत परियोजनाओं एवं अन्य कार्यों हेतु भूमि अधिग्रहण पर विशेष ध्यान दिया गया है, क्योंकि इसे लेकर ही पूरे देश के किसानों में सबसे ज्यादा असंतोष है। उन्होंने कहा कि किसानों की इस परेशानी को दूर करने के लिए उनकी सरकार से पहले विपक्षी दलों की पूर्ववर्ती सरकारों ने कभी कोई पहल नहीं की। अलबत्ता, विरोधी पार्टियों की सरकारों द्वारा बरती गयी उपेक्षा के कारण उनकी सरकार को विरासत में मिली इस समस्या को लेकर विपक्षी नेताओं ने राज्य सरकार को बदनाम करने की कोशिशें जरूर की।
ऽ मा0 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ऐसे मामलों के संबंध में उनकी सरकार ने अभूतपूर्व फैसला लिया है जिसके तहत विकासकर्ता को परियोजना के लिए चिन्हित भूमि से प्रभावित कम से कम 70 प्रतिशत किसानों से गाॅंव में बैठक कर आपसी सहमति के आधार पर पैकेज तैयार कर के सीधे जमीन प्राप्त करनी होगी। जिला प्रशासन मात्र इसमें फेैसिलिटेटर की भूमिका निभायेगा।
ऽ यदि 70 प्रतिशत किसान सहमत नहीं होते हैं तो परियोजना पर पुनर्विचार किया जायेगा।
ऽ इस पैकेज के तहत किसानों को दो विकल्प उपलब्ध होंगे। या तो वे 16 प्रतिशत विकसित भूमि ले सकते हैं जिसके साथ-साथ 23 हजार रूपये प्रति एकड़ की वार्षिकी भी 33 साल तक मिलेगी।
ऽ किसान यदि चाहे तो 16 प्रतिशत भूमि में से कुछ भूमि के बदले नकद प्रतिकर भी ले सकते हैं।
ऽ किसानों को दी जाने वाली विकसित भूमि निःशुल्क मिलेगी और उसमें कोई स्टैम्प ड्यूटी नहीं लगेगी।
ऽ यदि नकद मुआवजे से एक वर्ष के भीतर प्रदेश में कहीं भी कृषि भूमि खरीदी जाती है तो उसमें भी स्टैम्प ड्यूटी से पूरी छूट मिलेगी।
ऽ 70 प्रतिशत के बाद जो किसान बचते हैं उनके लिए केवल उनकी भूमि अधिग्रहण के लिए धारा 6 इत्यादि की कार्यवाही की जायेगी।
नई नीति के दूसरे हिस्से की चर्चा करते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राजमार्ग व नहर आदि जैसी जनता की तमाम बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य करार नियमावली के तहत आपसी सहमति से तय किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिन किसानों की भूमि ऐसी परियोजनाओं के लिए अधिग्रहीत की जायेगी, उन्हें शासन की पुनर्वास एवं पुनसर््थापना नीति के सभी लाभ दिये जायेंगे।
ऽ यदि नकद मुआवजे से एक वर्ष के भीतर प्रदेश में कहीं भी कृषि भूमि खरीदी जाती है तो उसमें भी स्टैम्प ड्यूटी से पूरी छूट मिलेगी।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने नीति के तीसरे हिस्से के सम्बन्ध मंे जानकारी देते हुए कहा कि कुछ भूमि विकास प्राधिकरणों, औद्योगिक विकास प्राधिकरणों आदि द्वारा ली जाती है, जिनका मास्टर प्लान बनाया जाता है। इस प्रकार की भूमि भी राज्य सरकार की करार नियमावली के तहत आपसी समझौते से ही ली जायेगी।
ऽ उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में उनकी सरकार ने किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के इरादे से, अधिग्रहीत भूमि के बदले किसानों को दो विकल्प उपलब्ध कराने का भी फैसला लिया है।
ऽ पहले विकल्प के अनुसार प्रतिकर की धनराशि करार नियमावली के तहत आपसी समझौते से निर्धारित की जायेगी और इस मामले में सम्बन्धित सार्वजनिक उपक्रम द्वारा उदार रवैया अपनाया जायेगा। इसके अलावा प्रभावित किसानों को पुनर्वास एवं पुनस्र्थापना नीति के सभी लाभ भी उपलब्ध कराये जायेंगे।
ऽ जबकि दूसरे विकल्प के तहत अधिग्रहीत भूमि के कुल क्षेत्रफल का 16 प्रतिशत भूमि विकसित करके निःशुल्क दी जायेगी। इसके साथ-साथ 23 हजार रूपये प्रति एकड़ की वार्षिकी भी 33 साल तक मिलेगी। किसान यदि चाहे तो 16 प्रतिशत भूमि में से कुछ भूमि के बदले नकद प्रतिकर भी ले सकते हैं।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नीति के इस तीसरे हिस्से के अन्तर्गत भी स्टैम्प ड्यूटी की छूट वैसे ही मिलेगी जैसे कि निजी क्षेत्र द्वारा भूमि अधिग्रहण के मामलों में दी गयी है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक किसान, जिसकी भूमि अधिग्रहीत अथवा अंतरित की जायेगी, उसे 33 साल के लिए 23 हजार रूपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से वार्षिकी दी जायेगी, जो भूमि प्रतिकर के अतिरिक्त होगी। इस वार्षिकी पर प्रति एकड़ प्रति वर्ष 800 रूपये की सालाना बढ़ोत्तरी की जायेगी, जो प्रत्येक वर्ष जुलाई माह में देय होगी। यदि कोई किसान वार्षिकी नहीं लेना चाहेगा तो उसे एकमुश्त 2,76,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से पुनर्वास अनुदान दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि यदि भूमि का अधिग्रहण अथवा अंतरण किसी कम्पनी के प्रयोजन हेतु होगा तो किसानों को पुनर्वास अनुदान की एकमुश्त धनराशि में से 25 प्रतिशत के समतुल्य कम्पनी शेयर लेने का विकल्प उपलब्ध होगा।
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र हेतु भूमि अधिग्रहण/अंतरण से पूरी तरह भूमिहीन हो रहे परिवारों के एक सदस्य को उसकी योग्यता के अनुरूप निजी क्षेत्र की संस्था कम्पनी में नौकरी मिलेगी।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि परियोजना क्षेत्र में कृषि भूमि वाले ऐसे प्रत्येक प्रभावित परिवार, जिनकी पूरी भूमि अर्जित अथवा अंतरित की जायेगी, उन्हें आजीविका में हुए नुकसान की भरपाई के लिए पांच वर्षों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एकमुश्त धनराशि वित्तीय सहायता के तौर पर दी जायेगी।
ऐसे प्रभावित परिवार जो भूमि अर्जन अथवा अंतरण के परिणाम स्वरूप सीमान्त किसान हो जायेंगे, उन्हें पांच सौ दिन की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जायेगी। इसी तरह जो प्रभावित परिवार छोटे किसान बन जायेंगे, उन्हें 375 दिनों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जायेगी।
उन्होंने कहा कि यदि परियोजना प्रभावित परिवार खेतिहर मजदूर अथवा गैर-खेतिहर मजदूर की श्रेणी का होगा तो उसे 625 दिनों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के तौर पर एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जायेगी। इसी तरह प्रत्येक विस्थापित परिवार को 250 दिनों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एकमुश्त धनराशि का अतिरिक्त रूप में भुगतान किया जायेगा।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि औद्योगिक विकास प्राधिकरण में पुश्तैनी किसानों को अधिग्रहीत की गयी कुल भूमि के 7 प्रतिशत के बराबर आबादी पूर्व निर्धारित शर्तों पर यथावत दी जाती रहेगी।
इसके अलावा राज्य सरकार ने अब यह भी व्यवस्था कर दी है कि भूमि अधिग्रहण से प्रभावित प्रत्येक ग्राम में विकासकर्ता संस्था द्वारा एक किसान भवन का निर्माण अपने खर्च पर कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि विकासकर्ता संस्था द्वारा परियोजना क्षेत्र में कम से कम कक्षा आठ तक एक माडल स्कूल खेल के मैदान सहित संचालित किया जायेगा, जिसके भवन का निर्माण परियोजना विकासकर्ता द्वारा किया जायेगा।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट किया कि निजी क्षेत्र की यदि किसी परियोजना से प्रभावित किसानों में से 70 प्रतिशत से कम किसान सहमति देते हैं, तो परियोजना पर पुनर्विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले किसानों के लाभ के लिए अभूतपूर्व व्यवस्थाओं को लागू करने के साथ यह भी सुनिश्चित किया है कि विकास में किसानों की पूरी-पूरी भागीदारी हो।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह गलतफहमी पैदा कर दी जाती है कि किसानों से जमीन कम दाम पर ली जाती है, जिसे बाद में ज्यादा कीमत पर बेचा जाता है। उन्होंने कहा कि किसानों से ली गयी कुल भूमि का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा सड़क, पार्क, ग्रीन बेल्ट जैसी सामुदायिक सुविधाओं के विकास के लिए इस्तेमाल होता है। इस प्रकार अधिग्रहीत की गयी भूमि के कुल क्षेत्रफल की 16 प्रतिशत भूमि को विकसित करके प्रभावित किसान को निःशुल्क देने की जो ऐतिहासिक व्यवस्था उनकी सरकार ने लागू की है, उससे निश्चित तौर पर किसानों को लाभ मिलेगा।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा आज घोषित नीति को उनकी पार्टी संसद के मानसून सत्र में राष्ट्रीय स्तर पर लागू कराने के लिए पूरा-पूरा जोर देगी। उन्होंने अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ विरोधी दल भूमि अधिग्रहण कानून तैयार करने के लिए केन्द्र सरकार पर दबाव न डाल कर उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन उनकी सरकार किसानों की आड़ में किसी भी पार्टी को राजनैतिक रोटी सेंकने का अवसर नहीं देगी। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि विपक्षी दलों के पास उनकी सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं है। इसलिए साजिश के तहत सभी विपक्षी दल किसानों को उकसा कर राज्य सरकार के समक्ष कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसका जीता-जागता उदाहरण हाल ही में घटित भट्ठा परसौल गाँव’’ की दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। उन्हांेने कहा कि इस घटना का वहाँ के किसानों की जमीन के मुआवजे को लेकर कोई लेना-देना नहीं है और सही मायने में वहाँ जो घटना घटित हुई, उसका मुख्य कारण ‘‘विरोधी पार्टियों की घिनौनी राजनीति’’ है। जो इस घटना की आड़ में राज्य सरकार को बदनाम करके राजनीतिक लाभ लेना चाह रही हैं। उन्होंने इस मौके पर भट्टा परसौल से आये किसान प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि वहां की घटना के दौरान गांव के लोगों की सम्पत्ति को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई राज्य सरकार करेगी। उन्होंने इस बात पर पुनः बल दिया कि उनकी सरकार किसी भी कीमत पर किसानों की आड़ में प्रदेश की कानून-व्यवस्था को खराब करने नहीं देगी और इसके लिए कानून के दायरे में सख्त से सख्त कार्यवाही करने से नहीं हिचकेगी।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के सम्बन्ध में एक व्यापक तथा किसान हितैषी राष्ट्रीय नीति बनाये जाने के लिए उन्होंने पार्टी तथा सरकार की ओर से ‘‘केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर अनेकों बार अनुरोध’’ किया। लेकिन बार-बार अनुरोध किये जाने के बावजूद केन्द्र सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इसलिए मजबूर होकर उनकी पार्टी ने फैसला किया है कि इस मुद्दे को संसद के आगामी मानसून सत्र में जोर-शोर से उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि मानसून सत्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार भूमि अधिग्रहण के सम्बन्ध में कोई राष्ट्रीय नीति नहीं बनाती है तो बी0एस0पी0 ‘‘संसद का घेराव’’ करने से भी पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा हरियाणा सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति की प्रशंसा राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने पुनः दोहराया कि उनकी सरकार की वर्तमान भूमि अधिग्रहण नीति देश के सभी राज्यों की अपेक्षा किसानों को सर्वाधिक लाभ दिलाने वाली नीति है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनकी पार्टी व सरकार का मानना है किसान सदैव विकास का पक्षधर रहा है, लेकिन वह यह भी चाहता है कि विकास ऐसा होना चाहिए जो उसे बेरोजगार व बेघर न करे और उसका भविष्य भी अंधकारमय न हो। उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार भूमि अधिग्रहण से प्रभावित ‘‘किसानों के हितों के संरक्षण के लिए ऐतिहासिक भूमि अधिग्रहण नीति लागू’’ करने का फैसला किया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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