अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया दोनों ही प्राक्रतिक रूप से अल्पसंख्यक िशक्षा संस्थान है। उन की यह हैसियत न कोई दे सकता है ना ही कोई छीन सकता है, केवल उनके अल्पसंख्यक स्वरूप को मान्यता दी जानी है। यह कथन केन्द्रीय अल्पसख्ंयक मामलों के मन्त्री श्री सलमान खुशZीZद, मिल्लत बेदारी मुहिम कमेटी, अलीगढ़ दि अलीगढ ़मूवमेंन्ट, मासिक पत्रिका और जामिया उर्दू, अलीगढ़, द्वारा ´अल्पसख्यकों के शैक्षिक अधिकार और नवीन चुनौतियां´ विशय पर राश्ट्रीय संगोश्ठी नई दिल्ली स्थित कॉन्सटीटयूशन क्लब में व्यख्यान कर रहे थे। जिसकी अध्यक्षता राज्य सभा के उपसभापति डा0 के.रहमान खांन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि धार्मिक उत्थान में सरकारों की भूमी का बहुत ही कम है। वास्तव में स्वयं उन समुहों को अपने उत्थान और विकास का प्रयत्न करना चाहिए। उन्होंने कर्नाटक की सूदम जातियों का उदाहरण दिया की किस प्रकार उन्होंने प्रगाती की है। प्रतििश्ठत समाज सेविका सुश्री नफीसा अली ने आगरा किया की गोश्ठी में और उसके बाहर हमारा सारा ध्यान उन चूनोन्तियों की ओर होना चाहिए जो वर्तमान समय में सामने है। उन्होनें कहा की भारतीय मुसलमानों के पिछड़े पन के लिए उनका मानसिक पिछड़ापन बहुत हद तक जिम्मेदार हैं। एन0सी0पी0यू0एल0 के निर्देशक और मानव संसाधन मन्त्रालय के अल्पसंख्यक मामलों के निर्देशक डॉ0 एम0 हमिलउल्ला भट् ने कहा की सरकार पिछली गलतीयों के सूधार में क्रतसंकल्प और शीघ्री अल्पसंख्ययक स्वरूप बहाल कर दिया जायेगा।
अलीगढ़ मूवमेंन्ट पत्रिका के सम्पादक और संगोश्ठी के कॉडीZनेटर जसीम मोहम्मद ने आग्रह किया कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के परिप्रेक्ष्य में सरकार को मुूसलमानों की िशक्षा के लिए ऐसी नीतियां बनानी चाहियें जो उन्हें अधिक से अधिक रोजगार दिला सके और केन्द्रीय सरकार को ये सुनििश्चत करना चाहिए कि उसकी नीतियों को प्रदेश सरकार सही रूप में लागू करें । उन्होंने कहा की मुसलमान इस देश का सबसे बड़ा अल्पसख्ंयक वर्ग है लेकिन अल्पसख्यकों के लाभ के लिये जो नीतिया बनती हैं उनका लाभ उन्हें नहीं मिलता उन्होंने कहा कि मुसलमानों को आधुनिक परन्तु बुनियादी िशक्षा की आवश्यकता है और यह बिना सरकार की पहल के सम्भव नहीं है। जसीम मोहम्मद ने कहा की उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार केन्द्र की बहुत सी नीतियोंं का लाभ जनमानस तक नहंीं पहुचने दे रही है ।
मिल्लत बिदारी मुहिम कमेटी, अलीगढ़ के अध्यक्ष प्रो0 रजा़उल्लाह खान ने सरकार का ध्यान मुसलमानों के शैक्षिक पिछडेपन की तरफ दिलाते हुये कहा कि पूरे देश में सर्व-िशक्षा अभियान से लोगो ंने लाभ उठाया है लेकिन मुसलामनों का इसका लाभ इसलिए नहंीं मिल पाया क्योंकि प्रशासन स्वंय दोहरी नीति अपनाता है । उन्होंने ने कहा कि जब तक देश की सरकारें बिना किसी भेदभाव के नीतियों को लागू नहीं करतीं तब तक पूर्ण रूप से उन्नति सम्भव नहीं है।
जामिया उर्दू अलीगढ़ के ओ0एस0डी0 श्री फरहत अली ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामियां मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली के अल्पसख्यंक स्वरूप का प्रश्न उठाते हुये कहा कि दोनो ही विश्वविद्यालय मुसलमानों की िशक्षा के लिये स्थापित किये गये लेकिन स्वंय सरकारों के कारण इन्हें अल्पसंख्यक स्वरूप नहीं मिल पा रहा है उन्होंने मांग कि की सरकार संसद में विधेयक लाकर दोनों ही विश्वविद्यालय को तुरन्त अल्पसंख्यक िशक्षण संस्थान घोशित करे ।
इस अवसर पर इन्टेगरल विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति श्री सय्यद वसीम अख्तर को अलीगढ़ मूवमेंन्ट अवार्ड -2010 राज्य सभा के उपसभापित श्री डा0 के0 रहमान खान ने स्मृति चिह्न, सिपास नामा, और शौल प्रदान किया। इस अवसर पर सर सय्यद के 193 वें जन्मदिवस 07 अक्टूबर 2010 को आयोजित सर सैयद निबन्ध प्रतियोगिता-2010 के विजेताओं को पुरस्कार श्री सलमान खुशीZद के द्वारा प्रदान किया गया।
उक्त संगोश्ठी विद्वानों, नीति निर्धारण करने वालों, िशक्षकों, बुद्विजीवियों, छात्रों एंव सामान्य जन को एक मंच पे लाने का प्रयन्त था ताकि भविश्य में मुसलमानों के शैक्षिक सशक्तीकरण के लिये एक प्रभावी नीति निर्धारित की जा सके। इस अवसर पर अमुवी के कुलसचिव प्रो0 एस0एच0 जाफिरी, अहमद रईस सिद्दीकी, प्रो0 शमीम अहमद, प्रो0 शेख मस्तान, जॉनी फोस्टर, दोलत राम, फातिमा ज़ेहरा, सदफ खान, आरिफा, गुलाम फरिद साबरि, एस0यू0 खान, अली सरदार जाफरी, अमानउल्लाह, कपिल कुमार, मनोज अलीगढ़ी मुख्य रूप से कार्यक्रम में शामिल थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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