सिटी मोन्टेसरी स्कूल, महानगर द्वारा मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर मूक बधिर बच्चों का तीन दिवसीय शैक्षिक महोत्सव `अन्तर्राष्ट्रीय इनरस्केप-2010´ आगामी 18 से 20 दिसम्बर तक सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित किया जा रहा है। इस अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव में प्रतिभाग हेतु श्रीलंका, आस्ट्रेलिया, ओमान एवं देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 250 प्रतिभागी छात्र लखनऊ पधार रहे हैं। उक्त जानकारी आज यहां आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में अन्तर्राष्ट्रीय इनरस्केप-2010 की संयोजिका व सी.एम.एस. महानगर कैम्पस की प्रधानाचार्या सुश्री नलिनी शरद ने दी। पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए सुश्री शरद ने कहा कि मानसिक तथा शारीरिक रूप से कमजोर तथा मूक बधिर बच्चों के व्यक्तित्व विकास को समर्पित इस अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन में देश-विदेश के प्रतिभागी छात्र अपनी योग्यता का प्रदर्शन तो करेंगे ही, साथ ही यह सन्देश भी देंगे कि `हम किसी से कम नहीं´। पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए सुश्री शरद ने कहा कि दरअसल मानसिक तथा शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों का यह महोत्सव हमारी प्रचलित शिक्षा पद्धति को एक नया आयाम देने जा रहा है जिसके माध्यम से सामान्य बच्चों के साथ ही इन बच्चों के भी सर्वांगीण विकास का सन्देश दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि इक्कीसवीं सदी में भी हमारे समाज में विकलांग या दृष्टिहीन या मन्दबुद्धि बालक/बालिकाओं की प्रतिभा को निखारना व मान्यता देना आसान नहीं है, इस सन्दर्भ में सी.एम.एस. महानगर का यह अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर तथा मूक बधिर बच्चों के प्रतिभा प्रदर्शन का अभूतपूर्व अवसर साबित होगा।
प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए सुश्री शरद ने कहा कि मनुष्य को भगवान द्वारा प्रदत्त दृढ़इच्छा शक्ति और आत्मबल ऐसे हथियार हैं जिसे विकसित करके वह दैविक गुणों से परिपूर्ण हो जाता है और आसानी से सफलता के शिखर पर पहुंच जाता है। फिर उसके लिए विकलांग होना या न होना कोई मायने नहीं रखता। दुनिया में न जाने कितने उदाहरण भरे पड़े हैं जिन्होंने ईश्वर प्रदत्त विकलांगता के बावजूद सफलता के शिखर पर पहुंचे और दुनिया को प्रेरणा दी। सुश्री शरद ने कहा कि जिस प्रकार एक छोटे से बीज में बड़ी-बड़ी संभावनायें छिपी होती हैं, उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर भी अनन्त संभावनायें विद्यमान होती है। बस संकल्प रूपी बीज को आत्म-विश्वास की जमीन मेंं सकारात्मक सोच के साथ रोपते हुए श्रम की बून्दों से सींचने की आवश्यकता होती है।
अन्तर्राष्ट्रीय इनरस्केप-2010 की प्रतियोगिताओं की जानकारी देते हुए सुश्री शरद ने कहा कि शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर बच्चों में भी प्रतिभा की कहीं कोई नहीं होती है और उनमें भी आगे बढ़ने का अदम्य साहस व उत्साह होता है, जिसे दबाया नहीं जा सकता। इसी उद्देश्य के लिए इनरस्केप के अन्तर्गत इन विशेष छात्रों के लिए विशेष प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया है। ये प्रतियोगिताएं सीनियर व जूनियर वर्गों में आयोजित होंगी जिनमें मोिल्डंग, पेटिंग, डिवेट, कम्प्यूटर स्किल्स, पजल्स व सांस्कृतिक प्रतिभा प्रदर्शन प्रमुख हैं। सुश्री शरद ने बताया कि सभी प्रतियोगिताएं सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में सम्पन्न होंगी। देश-विदेश के छात्रों ने इन प्रतियोगिताओं में गहरी दिलचस्पी दिखाई है और सी0एम0एस0 में इन छात्रों को वही सम्मान व आतिथ्य मिलेगा जो अन्य छात्रों को मिलता है।
सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गांधी ने इस अवसर कहा कि इनरस्केप का मतलब है अन्तरआत्मा का रूप। जो व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर है वह अपने अन्दर झांककर स्वयं ही अपने आपको बलवान बनाता है। अक्सर ऐसे व्यक्तियों की आत्मा बहुत बलवान होती है और उनमें प्रतिभा की भी कोई कमी नहीं होगी। डा. गांधी ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि मूक, बधिर और मन्दबुद्धि बच्चे सहानुभूति के पात्र नहीं है बल्कि यह तो हमें सहानुभूति देने के लिए सक्षम हैं। इन बच्चों के अन्दर भी प्रतिभाएं छुपी हुयी हैं जिनके बलबूते यह विश्व के विकास में सहयोग कर सकते हैं। हम सभी का यह फर्ज बनता है कि हम इन्हें समाज में वह स्थान दिलाएं जिसके ये वास्तविक हकदार हैं। इन बच्चों में भी असीमित संभावनाएं अन्तनिZहित हैं आवश्यकता इन्हें प्रेरणा तथा वातावरण देकर विकसित करने की है। डा. गांधी ने इस अत्यन्त महत्वपूर्ण समारोह के आयोजन के लिए इनरस्केप की संयोजिका व सी.एम.एस. महानगर की प्रधानाचार्या सुश्री नलिनी शरद की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय इनरस्केप-2010 मात्र एक प्रतियोगी महोत्सव ही नहीं अपितु यह मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर तथा मूक बधिर बच्चों के हित में एक आन्दोलन है जो हमारी वर्तमान व भावी पीढ़ी को ऐसे संवेदनशील विषय पर जागृत करता है। उन्होंने कहा कि इनरस्केप एक ऐसा सामाजिक आन्दोलन है जो सारे विश्व को यह सन्देश देता है कि विश्व एक है, मानवता एक है एवं मानवता के विकास में प्रत्येक मानव मात्र का अभूतपूर्व योगदान है।
श्री शर्मा ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय इनरस्केप-2010 की प्रतिभागी टीमों में रायल इण्टरनेशनल स्कूल, श्रीलंका, आस्ट्रेलियन फेडरेशन ऑफ डिसएबिलिटी आर्गनाइजेशन, आस्ट्रेलिया, यूनाइटेड मीडिया सर्विसेज, ओमान, बलवन्त मेहता विद्या भवन, अस्मा, नई दिल्ली, मनोविकास चैरीटेबल सोसायटी, दिल्ली, विकलांग केन्द्र (उमंग स्पेशल स्कूल), इलाहाबाद, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द विजुअल हैण्डीकैप्ड, देहरादून, जे.आर.एच. यूनिवर्सिटी, चित्रकूट, मेन्टेड, कोलकाता, होली क्रॉस कान्वेन्ट स्पेशल स्कूल, मुम्बई, आस्था बस्ती विकास केन्द्र, नई दिल्ली, बी.एम. स्कूल ऑफ मेन्टल हेल्थ, अहमदाबाद, स्पेस्टिक्स सेन्टर, कानपुर, एन.आई.एम.एच., सिकन्दराबाद, आन्ध्र प्रदेश, सावली एसोसिएशन, पूना, मंगल मूर्ति विकलांग ट्रस्ट, जूनागढऋ, गुजरात, नवज्योति इंस्टीट्यूट फॉर मेन्टली हैन्डीकैप्ड, नई दिल्ली, अमर ज्योति स्कूल, नई दिल्ली, स्पेशन एजुकेशन सेन्टर, सिकन्दराबाद, आन्ध्र प्रदेश, माता भगवन्ती चड्ढ़ा निकेतन, नोएडा, ब्लाइण्ड वेलफेयर काउिन्सल, गुजरात, उड़ान फार डिसएबल्ड, नई दिल्ली, नेशनल इन्स्टीट्यूट फॉर मेन्टली हैण्डीकैप्ड, नई दिल्ली, हेल्ही सोसाइटी फार द वेलफेयर ऑफ स्पेशल चिल्ड्रेन, नई दिल्ली, इन्स्टीट्यूट फार मेन्टली हैण्डीकैप्ड चिल्ड्रेन, बंगलोर, दिया फाउण्डेशन, बंगलोर, आवा आशा स्कूल, लखनऊ, स्नेह विकलांग प्रशिक्षण संस्थान, लखनऊ, राजकुमार एकेडमी, लखनऊ, बचपन डे केयर सेन्टर, लखनऊ, पीसम डे केयर सेन्टर, लखनऊ, दृष्टि सामाजिक संस्थान, लखनऊ, स्पर्श स्पेशल केयर, लखनऊ, नेशनल एसोसिएशन फार द ब्लाइण्ड, लखनऊ, नवदीप विशिष्ट विद्यालय, लखनऊ, अिस्मता ए सेन्टर फार स्लो, लखनऊ, आशा ज्योति स्कूल, लखनऊ, स्पार्क इण्डिया ज्योति किरन स्कूल, लखनऊ, गुरुकुल एकेडमी, लखनऊ आदि प्रमुख हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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