Posted on 03 September 2014 by admin
प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मंत्री श्री महबूब अली आगामी 05 सितम्बर को शिक्षक दिवस के अवसर पर रानी लक्ष्मीबाई स्कूल सेक्टर-14, इन्दिरानगर, लखनऊ के सभागार में पूर्वाह्न 10ः00 बजे शिक्षकों को सम्मानित करेंगे।
इस अवसर पर शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, निदेशक सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 September 2014 by admin
प्रमुख सचिव सूचना श्री नवनीत सहगल ने आज यहां अलीगंज स्थित कपूरथला मार्केट में डेन्टेस- ए कम्पलीट डेण्टल क्लीनिक द्वारा आयोजित निशुल्क मुख संबंधी कैंसर जांच शिविर का उद्घाटन किया। यह शिविर एक सप्ताह तक चलेगा जिसमें उन सभी लोगों की मुफ्त जांच होगी जिनके दांत, जीभ, तालू तथा गालों के अन्दरूनी भाग में तम्बाकू खाने, धूम्रपान करने या अन्य कारण से किसी तरह की तकलीफ है।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों को संबोधित करते हुए श्री नवनीत सहगल ने विशेषज्ञों का आवाह्न किया कि अनुभवी और नये दोनों तरह के विशेषज्ञ एक साथ मिलकर मुख सबंधी कैंसर की जांच की सुविधाएं विकसित करें और जनसामान्य की सेवा में अपने को लगायें। उन्होने कहा कि भारत में तम्बाकू, गुटखा सेवन एवं धूम्रपान करने वालों की एक बड़ी तादाद है और उसी अनुपात में मुख की तकलीफों से पीडि़त लोगों की संख्या है। लेकिन पीडि़तों की संख्या के अनुपात में मुख के कैंसर की जांच और इलाज की सुविधाएं नाकाफी हैं। उन्होने कहा कि इस कमी को पूरा करने के लिए सभी विशेषज्ञों को कैंसर जांच की सुविधाएं आमजन को उपलब्ध कराने का प्रयास करना चाहिए। श्री सहगल ने डा0 निमिषा बुधवार द्वारा ओरल कैंसर जांच कैंप लगाये जाने की प्रशंसा की।
उनसे पूर्व किंग जार्ज मेडिकल कालेज के दंत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा0 आर0एम0 माथुर ने अपने संबोधन में बताया कि तम्बाकू भारत में नहीं होता था, इसलिए इसका सेवन भारतीय लोग नहीं करते थे। जब यूरोपीय इसे अमेरिका से यहां लाये तब इसका प्रचार बहुत तेजी से हुआ और चिकित्सा में प्रयोग करने के साथ ही नशे के रूप में इसका प्रयोग सर्वत्र फैल गया। उन्होने कहा कि नशे का बायस बनने के कारण तम्बाकू हमारे देश में मुख के कैंसर का एक प्रमुख स्रोत है। उन्होने कहा कि इसीलिए तम्बाकू सेवन पर लगाम लगाने के साथ ही मुख के कैंसर की जांच सुविधाओं का विकास एवं प्रचार जरूरी है।
इस अवसर पर मौजूद पत्रकार श्री मुदित माथुर ने कहा कि आम जनता की सेवा के लिए डा0 निमिषा बुधवार का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है। प्रसिद्ध साहित्यकार डा0 जे0एन बुधवार (डा0 निमिषा के पिता) ने कहा कि उन्हें इस बात का संतोष है कि जिस तरह से साहित्य के माध्यम से मैने जनसरोकार रखा उसी तरह मेरी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए बेटी डा0 निमिषा ने ओरल कैंसर जांच के लिए फ्री कैंप लगाकर जन सरोकार को बनाये रखा है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में चिकित्सक, पत्रकार बन्धु एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 September 2014 by admin
राज्य सरकार ने पशुपालन क्षेत्र में उद्यमिता को प्रोत्साहित करते हुए कुक्कुट पालन के लिए कामर्शियल लेयर्स एवं ब्रायलर पैरेन्ट फार्म खोले जाने की व्यवस्था की है इसकी मानीटरिंग, प्रचार-प्रसार, प्रशिक्षण इत्यादि स्टेट पोल्ट्री डेवलपमेंट बोर्ड के माध्यम से कराये जाने की पंचवर्षीय योजना विषयक नीति पशुपालन विभाग द्वारा बनायी गयी है, जिसमें उक्त नीति के तहत यह प्रावधान किया गया है कि कुक्कुट पालन की इकाइयों को प्रारम्भिक 10 वर्षों तक उनके द्वारा उपयोग की गयी वास्तविक विद्युत पर शुल्क देय नहीं होगा।
पशुधन विकास विभाग से प्राप्त सूचना के अनुसार ऊर्जा विभाग ने 30 हजार पक्षियों की क्षमता वाली कामर्शियल लेयर्स फार्म तथा 10 हजार पक्षियों की ब्रायलर पैरेन्ट फार्म की यूनिट के लिए प्रारम्भिक 10 वर्षों तक उनके द्वारा उपयोग की गयी वास्तविक विद्युत पर छूट तभी अनुमन्य होगी जब पशुपालन निदेशालय द्वारा इकाई के छूट हेतु पात्र होने का प्रमाण पत्र निर्गत किया जायेगा। उक्त प्रमाण पत्र के आधार पर जिला पशुधन अधिकारी, अधिशासी अभियन्ता विद्युत संबंधित विद्युत वितरण खण्ड एवं संबंधित क्षेत्र के उप निदेशक, विद्युत सुरक्षा की संयुक्त टीम द्वारा स्थलीय निरीक्षण करके संतुष्टि प्रमाण पत्र निर्गत किया जायेगा। छूट अनुमन्य होने पर छूट का दुरूपयोग न हो, इस आशय से विद्युत सुरक्षा निदेशालय के संबंधित जोनल अधिकारी द्वारा प्रतिवर्ष नियमित रूप से निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जायेगा कि छूट का प्रयोग उसी मद में किया जा रहा है, जिस मद के लिए यह विद्युत छूट अनुमन्य की गयी है। इस आशय की अधिसूचना तथा शासनादेश भी प्रमुख सचिव विद्युत उ0प्र0 शासन द्वारा पूर्व में जारी किया जा चुका है।
विद्युत शुल्क में छूट से कुक्कुट पालन व्यवसाय को बढ़ावा मिला है। उद्यमी तथा व्यवसायी कामर्शियल लेयर्स फार्म तथा ब्रायलर लेयर्स की स्थापना के लिए काफी हद तक उत्साहित है। कुक्कुट पालन, अण्डा, चूजा उत्पादन, कुक्कुट माॅस उत्पादन तथा व्यवसाय एवं निर्यात में उत्साहजनक वृद्धि हो रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 September 2014 by admin
गुणवत्ता नियंत्रण एवं हाईजीन संबंधी जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा खाद्य पदार्थों के निर्माण में लगे व्यक्तियों जैसे ढाबा रेस्टोरेंन्ट, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में कार्यरत कुशल/अकुशल श्रमिकों को प्रशिक्षण दिलाया जाता है। इस प्रशिक्षण केे दौरान श्रमिकों को मुख्य रूप से गुड हैण्ड प्रैक्टिसेज़ (जी0एच0पी0), गुड मैन्युफैक्चरिंग पैक्टिसेज़ (जी0एम0पी0) हेैज़र्ड एनालिसिस एण्ड क्रिटिकल कन्ट्रोल प्वाइन्ट (एच0ए0सी0सी0सी0), पर्सनल हाईजीन, सेनीटेशन तथा खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता नियंत्रण से भली-भांति अवगत कराया जाता है।
यह प्रशिक्षण चिकित्सकों एवं खाद्य प्रसंस्करण के विशेषज्ञ द्वारा श्रमिकों को स्वच्छ एवं गुणवत्तायुक्त खाद्य पदार्थों को तैयार किये जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष दिलाया जा रहा है।
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में इस प्रशिक्षण के लिए 11.63 लाख रुपये की धनराशि प्रस्तावित की है। वर्ष 2013-14 में 11.63 लाख रुपये के सापेक्ष 11.61 लाख रुपये व्यय कर 89 कार्यक्रम संचालित कर 4626 लोगों को प्रशिक्षण किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 September 2014 by admin
गन्ना की फसल में बेधक कीटों के जैविक नियंत्रण के लिये 50 हजार ट्राइकोग्रामा अंड युक्त ट्राइकोकार्ड प्रति हे. लगायें। कार्ड टुकडों में काटकर पंत्तियों की निचली सतह पर नत्थी कर दें। यह कार्य 10 दिनांे के अंतराल पर दोहरायें। ट्राइकोकार्ड भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, रायबरेली रोड, लखनऊ से प्राप्त किये जा सकते हैं।
उ0प्र0 कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किसान मंडी भवन में आयोजित दसवीं बैठक में फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को दी गई सलाह के अनुसार पायरिला (फुदका) कीट के नियंत्रण के लिये इपीरिकैनिया परजीवी के ककून अथवा अंड समूह को बाहुल्य वाले खेत से निकालकर, जिन खेतों में नहीं है उसमें गन्ना पत्तियों के पीछे नत्थी कर दें। ककून सफेद रंग एवं अंड समूह चटाईनुमा हल्का भूरा रंग का होता है, ये दोनों पत्तियों के पीछे भाग पर पाये जाते हैं। शरदकालीन गन्ने में पौधों को गिरने से बचाने हेतु बंधाई करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 September 2014 by admin
उत्तर प्रदेश में सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में से भूमि सुधार योजना मुख्य है एवं जिसका प्राथमिकता के आधार पर क्रियान्वयन किया जाना है। वर्ष 2012-13 एवं वर्ष 2013-14 में 82,938 हेक्टेयर समस्या ग्रस्त, ऊसर, बीहड़, बंजर भूमिका सुधार किया गया है। वर्तमान वर्ष 2014-15 में भूमि सुधार योजना से 59,105 हेक्टेयर भूमि का सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके सापेक्ष जुलाई 2014 तक 2,453 हेक्टेयर समस्या ग्रस्त भूमि का सुधार किया जा चुका है। भूमि सुधार योजना की उपयोगिता देखते हुए यह पुनः बारहवीं पचवर्षीय योजना के अवशेष के रूप में वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक के लिए संचालित की गई है।
कृषि निदेशालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार कृषकों को दी जाने वाली सुविधाओं में ऊसर सुधार हेतु जिप्सम के प्रयोग पर 90 प्रतिशत अधिकतम रुपये 13500.00 प्रति हे0 का अनुदान दिया जा रहा है। हरी खाद उत्पदान हेतु ढ़ैंचा पर 90 प्रतिशत अधिकतम रु0 2250.00 प्रति हे0 का अनुदान देय है इसी प्रकार फसलोत्पादन हेतु कृषि निवेश पर 50 प्रतिशत अधिकतम रु0 2500 प्रति हे0 का अनुदान उपलब्ध है। बीहड़/बंजर सुधार (कृषि एवं अकृष्य क्षेत्र का उपचार) के लिए फसालोत्पादान हेतु कृषि निवेश पर 50 प्रतिशत अधिकतम रु0 2500 प्रति हे0 का अनुदान देय है तथा कृषि वानिकी, उद्यानीकरण हेतु सुरक्षा खाईगड्डों की खुदाई पर अधिकतम रु0 10000.00 प्रति का अनुदान है। कृषि वानिकी/उद्यानीकरण हेतु पौध/बीज की व्यवस्था पर अधिकतम रु0 3000.00 प्रति का अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है।
भूमि सेना योजना के मुख्य उद्देश्यों में योजनान्तर्गत लघु एवं सिमान्त कृषकों की अनपजाऊ/कम उपजाऊ भूमि को उन्हीं के द्वारा उन्हीं के लिए उन्हीं से सुधार किया जाता है। परियोजना क्षेत्र में उपलब्ध ऊसर, बीहड़ एवं बंजर तथा ग्रामसभा की भूमि को, भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को, राजस्व विभाग के सहयोग से आवंटित कराकर अथवा पहले से आवंटित भूमि को खेती योग्य बनाया जाता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 September 2014 by admin
उ0प्र0 गन्ना विभाग द्वारा पेराई सत्र-2014-15 हेतु जारी गन्ना सर्वेक्षण नीति के अनुसार गन्ना क्षेत्र सर्वेक्षण का कार्य सम्पन्न हो गया है और गन्ना क्षेत्रफल वर्ष 2014-15 के प्रारम्भिक अनुमान भी प्राक्किलत कर लिये गये हैं। क्षेत्र में सर्वे कार्य की आकस्मिक जाॅच हेतु प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त श्री सुभाष चन्द शर्मा ने गन्ना आयुक्त मुख्यालय के अधिकारियों का एक प्रवर्तन दल गठित किया है जो एक सप्ताह में सर्वेक्षण कार्य की मौके पर जाॅच करने के साथ बेसिक कोटा की तैयारी तथा ग्राम स्तरीय बैठकों में सूचियों के सार्वजनिक प्रदर्शन की भी पड़ताल करेगा तथा भ्रमण के समय उजागर त्रुटियों का मौके पर ही निस्तारण करेगा । जाॅच दल में अपर गन्ना आयुक्त (समिति)- सहारनपुर व मेरठ, गन्ना संघ के प्रबन्ध निदेशक-लखनऊ, संयुक्त गन्ना आयुक्त (विकास)-देवरिया व गोरखपुर, मुख्य प्रचार अधिकारी-मुरादाबाद, संयुक्त गन्ना आयुक्त (क्रय)- फैजाबाद एवं मुख्यालय के संयुक्त गन्ना आयुक्त- बरेली व देवीपाटन पऱिक्षेत्र की जाॅच करेंगे।
गन्ना आयुक्त द्वारा भी सर्वे कार्य की मौके पर जांच की जा रही है गत दिवस फैजाबाद जनपद की जनपद की रोजागाॅव चीनी मिल प्रक्षेत्र की गगौली समिति के अन्तर्गत ग्राम-रसूलाबबाद में सर्वे कार्य की जाॅच की जा रही है और सर्वेक्षण कार्य को सन्तोषजनक पाया। उन्होंने इस वर्ष 31 जुलाई 2014 तक बनाये गये सदस्यों को ही गन्ना आपूर्ति सुविधा अनुमन्य होगी। परन्तु प्रथम बार पेराई कार्य प्रारम्भ करने वाली नयी चीनी मिलों में पेराई सत्र 2014-15 हेतु 30 सितम्बर 2014 तक नये सदस्य बनाये जायेगें। उन्होंने बताया कि जो गन्ना किसान अपनी उत्पादकता औसत उपज से अधिक आकलित करते हैं उन्हें सलाह दी जाती है कि उपज बढ़ोत्तरी सम्बन्धी अपना आवेदन पत्र अनिवार्य रूप से 15 सितम्बर 2014 तक अपनी मिल से सम्बन्धित गन्ना विकास परिषद में जमा कर दें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 September 2014 by admin
राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना के अन्तर्गत चालू वित्तीय वर्ष में अगस्त 2014 तक 6132 पशुओं का बीमाकरण किया गया। इनमें बीमित 32 पशुओं की मृत्यु होने के पश्चात मृत पशुओं के मालिकों को बीमित राशि का भुगतान किया जा चुका है। वर्तमान में दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 द्वारा राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना का संचालन किया जा रहा है। बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम में 10.25 लाख रुपये की धनराशि दी जा चुकी है।
यह जानकारी उ0प्र0 पशुधन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा0 बलभद्र सिंह यादव ने दी। उन्होंने बताया कि गतवर्ष बीमा एजेन्सी नेशनल इन्श्येरेंस कम्पनी लि0 द्वारा 16030 पशुओं का बीमा किया गया था। बीमित 759 पशुओं की मृत्यु होने के पश्चात उनके दावों का निस्तारण करके बीमा कम्पनी द्वारा 194.65 लाख रुपये का भुगतान पशु पालकों को किया गया। इसी क्रम में योजना के अन्तर्गत दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 द्वारा 17687 पशुओं का बीमा किया गया। इसमें से 20 मृत पशुओं के मालिकों को 7.25 लाख रुपये का भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा किया जा चुका है।
डा0 यादव ने बताया कि राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना के अन्तर्गत पशुधन विकास परिषद द्वारा नेशनल इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 को 95 लाख रुपये प्रीमियम का अंशदान तथा पशुपालकों द्वारा प्रीमियम 95 लाख रु0 धनराशि का अंशदान कुल 190 लाख रुपये किया गया था। उन्होंने बताया कि दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 को बीमा प्रीमियम का अंशदान उ0प्र0 पशुधन विकास परिषद द्वारा 140 लाख रु0 तथा पशुपालकों द्वारा भी 140 लाख रुप कुल 280 लाख रु0 का अंशदान किया गया। डा0 यादव ने बताया कि योजना के अन्तर्गत बीमित पशुओं की मृत्यु होने के बाद उनके दावों का शीघ्र निस्तारण कराने तथा पशुपालकों को बीमित धनराशि का भुगतान शीघ्र कराने के लिए सुदृढ़ व्यवस्था की गयी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 September 2014 by admin
उ0प्र0 प्रदेश सरकार ने ‘नया सवेरा नगर विकास योजना‘ के अन्तर्गत गाजीपुर जिले की मुहमम्दाबाद नगर पलिका परिषद तथा खीरी जिले की नगर पािलका परिषद मोहम्मदी दोनों में से प्रत्येक को 62.50 लाख की धनराशि की धनराशि ब्याज रहित ऋण के रूप में मंजूर की है। इस धनराशि से विकास कार्य कराये जायेंगे।
नगर विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी प्रकार रामपुर जिले की नगर पालिका परिषद, रामपुर को ‘नया सवेरा विकास योजना‘ के अन्तर्गत 192.61 लाख रुपये की धनराशि ब्याज रहित ऋण के रूप में मंजूर की है। इस धनराशि से नगर पलिका परिषद, रामपुर द्वारा चाकू बाजार एवं सिटी डिस्पेन्सरी (पालिका भूमि) पर मार्केट के निर्माण कार्य कराये जायेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 September 2014 by admin
प्रदेश के प्रमुख सचिव गन्ना एवं चीनी उद्योग श्री राहुल भट्नागर ने कहा है कि गन्ना विभाग द्वारा निर्मित की जाने वाली गन्ना क्षेत्र की सड़को के निर्माण में गुणवत्ता में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष सरकार द्वारा गन्ना क्षेत्र की सड़को के निर्माण एवं मरम्मत हेतु अधिक से अधिक धनराशि दी जाती है। इस धनराशि का सही उपयोग होना चाहिए। सड़के खराब होने से गन्ना किसानों को आवागमन में असुविधा होगी। उन्होंने कहा कि गन्ना विभाग के मुख्य अभियंता एवं अन्य विभागीय अभियंताओं की जिम्मेदारी है कि वह गन्ना क्षेत्र की सड़कों का नियमित निरीक्षण करें तथा जहां कही भी सड़के खराब पाई जाय उसे तत्काल ठीक कराये।
श्री भट्नागर ने कहा कि चालू वर्ष-2014-15 में गन्ना क्षेत्र की 300 किमी0 नई सड़कों के निर्माण के साथ-साथ पुरानी सड़को के मरम्मत का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस हेतु लगभग 100 करोड़ रुपये धनराशि की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह गन्ना पेराई सत्र-2014-15 के प्रारम्भ होने से पहले नई सड़कों के निर्माण का कार्य प्रारम्भ हो जाना चाहिए तथा जो सड़के खराब हैं, उनकी शतप्रतिशत मरम्मत होनी चाहिए। खराब सड़कों की शिकायत आने पर दण्डात्मक कार्यवाही की जयेगी।
श्री भट्नागर ने कहा कि इसके अतिरिक्त गन्ना क्षेत्र के अन्य जो निर्माण कार्य हैं, जिसे विभागीय स्तर पर अभियंताओं द्वारा कराया जाता है, उसे भी गुणवत्ता के साथ पूरा करें। कहीं पर भी निम्न गुणवत्ता की शिकायत प्राप्त होने पर सख्त दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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