06 मई, 2013
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने कहा कि प्रदेश के आलू किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के लिए आलू की खेती के समग्र विकास हेतु नीति निर्धारित करते हुए उत्तर प्रदेश आलू विकास नीति-2013 बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस नीति के अन्तर्गत आलू की खेती के लिए गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन कराना एवं प्रोत्साहित कराना तथा आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बीज एवं खाने के आलू का समुचित भण्डारण सुनिश्चित कराते हुए प्रदेश के बाहर आलू के विपणन एवं निर्यात हेतु बाजार विकास को प्रोत्साहित कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि आलू आधारित प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना को प्रोत्साहित कराने के साथ-साथ उत्पादन की वैज्ञानिक विधियों को किसानों तक पहंुचाने के लिए तकनीकी हस्तांतरण एवं दक्षता विकास कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि आलू उत्पादन की नवीन तकनीकों के प्रदर्शन के माध्यम से हस्तांतरण हेतु आलू उत्पादन बाहुल्य क्षेत्र में सेन्टर आॅफ एक्सिलेंस फाॅर पोटैटो की स्थापना कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आलू आधारित प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करने हेतु आलू उत्पादक बाहुल्य क्षेत्र में आलू की प्रसंस्करण योग्य बीज उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को राज्य सेक्टर से लागत का 20 प्रतिशत अधिकतम 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त अनुदान सुलभ कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन तथा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत निजी क्षेत्र में प्रमाणित बीज उत्पादन हेतु इकाई लागत का 50 प्रतिशत अथवा 25 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर जो कम हो, अनुदान स्वीकृत कराया जाएगा। नवीनतम तकनीकी के बहुउद्देशीय एवं बहुकक्षीय शीतगृहों की स्थापना के लिए भारत सरकार की योजना के अन्तर्गत 40 प्रतिशत अधिकतम 120 लाख रुपये का अनुदान सुलभ कराया जाएगा।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में उ0प्र0आलू विकास नीति-2013 बनाने के सम्बन्ध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर आवश्यक निर्देश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आगामी वर्षों में आलू के अन्तर्गत क्षेत्रफल एवं उत्पादन में वृद्धि की प्रवृत्ति को दृष्टिगत रखते हुए स्थानीय आवश्यकता के आधार पर नवीनतम तकनीक के बहुउद्देशीय एवं बहुकक्षीय शीत गृहों की स्थापना को प्रोत्साहित कराया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश एवं देश के बाहर आलू विपणन एवं निर्यात हेतु ढांचागत सुविधाओं के विकास, कृषकों एवं निर्यातकों को प्रशिक्षण, परिवहन भाड़े पर अनुदान की सुविधा उपलब्ध कराकर प्रोत्साहित कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्पादन की वैज्ञानिक विधियों को किसानांे तक पहुंचाने के लिए एकीकृत एवं सामयिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन भी कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आलू खुदाई के उपरांत उ0प्र0बीज प्रमाणीकरण संस्था के तकनीकी मार्गदर्शन में ग्रेडिंग, पैकिंग तथा टैगिंग कराकर बीज को राजकीय शीतगृहों में भण्डारित कराया जाएगा, जिसे अग्रेतर चयनित किसान समूहों एवं प्रगतिशील किसानों को बीज उत्पादन हेतु उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने कहा कि आलू बीज उत्पादक किसान समूहों एवं प्रगतिशील किसानों को उपलब्ध कराए गए आलू के आधारित प्रथम बीज के बाद अग्रिम श्रेणियांे - आधारित द्वितीय, प्रमाणित प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के बीजों के सम्बर्द्धन हेतु बीज उत्पादन कार्यक्रम का राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था से प्रमाणित कराये जाने की व्यवस्था की जाएगी।
श्री उस्मानी ने कहा कि आलू बाहूल्य उत्पादक क्षेत्रों में आलू की प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना को प्रोत्साहित किए जाने हेतु आलू की प्रसंस्करण योग्य प्रजातियों के बीज उत्पादन को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि आलू बाहुल्य उत्पादक क्षेत्रों में आलू की प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना को प्रोत्साहित किए जाने हेतु आलू की प्रसंस्करण योग्य प्रजातियों के बीज उत्पादन को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि आलू बीज उत्पादन में श्रम लागत को कम करने तथा आटोमेशन को बढ़ावा देने तथा प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल से गुणवत्तायुक्त अधिक उत्पादन करने हेतु मशीनीकरण तथा सिंचाई की स्प्रिंकलर पद्धति को प्रोत्साहित कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि आलू बीज उत्पादन हेतु इच्छुक किसानांे से आवेदन आमंत्रित कराए जाएंगे तथा क्षमता सिंचाई सुविधा आदि के आधार पर चयनित किसानों का आलू बीज उत्पादन हेतु पंजीयन कराया जाएगा। समूह के किसानों को आलू बीज रोटेशन के आधार पर प्राप्त होगा, जिससे अन्य किसानों को भी आगामी वर्षों में गुणवत्तापूर्ण आधारित आलू बीज प्राप्त हो सके। बीज उत्पादन हेतु चयनित किसानों में से अन्तिम चयन प्रथम आवक प्रथम पावक के आधार पर आधारित प्रथम से प्रमाणित श्रेणी तक किया जाएगा।
नीति के अन्तर्गत प्राविधानों के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु राज्य स्तरीय अनुश्रवण समिति गठित की जाएगी, जिसके अध्यक्ष कृषि उत्पादन आयुक्त तथा सदस्य सम्बन्धित विभागों के प्रमुख सचिव एवं सचिव होंगे। मण्डल स्तर पर आलू नीति का क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में तथा जनपद स्तर पर क्रियान्वयन हेतु जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी, जिसमें मण्डल स्तर पर मण्डलीय अधिकारियों के साथ-साथ मण्डलायुक्त द्वारा नामित तीन आलू उत्पादक, भण्डारकर्ता, प्रसंस्करणकर्ता तथा जनपद स्तर पर जनपदीय अधिकारियों के साथ-साथ जिलाधिकारी द्वारा नामित तीन आलू उत्पादक, भण्डारकर्ता, प्रसंस्करणकर्ता सदस्य के रूप में सदस्य होंगे।
मुख्य सचिव ने कहा कि किसानों द्वारा उत्पादित आधारित/प्रमाणित आलू बीज को जिला स्तर पर जनपदीय उद्यान अधिकारियांे द्वारा चिन्हित निजी शीतगृहों में ही सम्बन्धित संस्थाओं द्वारा अनुबन्ध कर भण्डारित कराया जाएगा, जिससे इस बीज का सदुपयोग आगामी वर्षों में बीज के रूप में ही किया जा सके। उन्होंने कहा कि भण्डारित आलू बीज का समय-समय पर निरीक्षण कर गुणवत्ता भी सुनिश्चित कराई जाए। उन्होंने कहा कि जनपद में उत्पादित प्रमाणित प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के बीज को भी उक्त चिन्हित शीतगृहों में ही भण्डारित कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना को प्रोत्साहित करने की राज्य सरकार की नीति के दृष्टिगत आलू की प्रसंस्करण योग्य प्रजातियों की प्रचुर उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु आलू की प्रसंस्करण योग्य प्रजातियों के उत्पादन के लिए किसानों एवं प्रसंस्करणकर्ताओं के मध्य सहभागिता कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्रों में कृषि, सहकारिता एवं निजी क्षेत्र में बुवाई से पूर्व उर्वरकों, विशेषकर फाॅस्फेटिक एवं पोटैसिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी, जिन क्षेत्रों में औद्यानिक उत्पादन एवं विपणन सहकारी समितियां कार्यरत हैं, उन्हें प्राथमिकता पर उर्वरक उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्रों में आलू उत्पादक किसानों को उत्पादन सम्बन्धी जानकारी सुलभ कराने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराए जाएंगे। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों को अधिक प्रभावी एवं ग्राह्य बनाने के उद्देश्य से जनपद, विकास खण्ड एवं आवश्यकतानुसार संहत क्षेत्रों में ग्राम्य स्तर पर इनका आयोजन कराया जाएगा।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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