८ मई । जनपद के नगर मुख्यालय पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्र्तगत नये बन रहे राशन कार्ड धारको से २०रु० से लेकर १००रु० तक की वसूली की चर्चा जोर पकडती जा रही है वो भी कोटेदारो द्वारा कार्ड धारक से एस.डी.एम. व सप्लाई अफसर के आदेश के बहाने ।
आखिर सरकार के कौन से आदेश शासना देश का सहारा लेकर ऐसा किया जा रहा है जबकि नगर मुख्यालय पर सभी प्रशासनिक अधिकारी मौजूद है मगर राशन कार्ड के फार्म पैसा ले कर बेचे जा रहे है रोकने वाला कोई नही है समाज का अति गरीब तबका अन्तोदय कार्ड धारक और गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले गरीबो से सरकारी राशन कार्डो के नवीनीकरण के फार्र्मो को उपजिलाधिकारी व डी०एस०ओ० के आदेश के बहाने खुलेआम बेचा जा रहा है वो भी कोेटेदार द्वारा यह आदेश कहां और कब आया पता नही अभी फार्म का पैसा वसूला जा रहा है ।
कल को कार्ड बन जाने पर सैकडो रुपयों की वसूली शुरु हो जायेगी जबकि भारत सरकार की ७० प्रतिशत जनता को खाद्य सुरक्षा की गांरटी का विधेयक ला रही है वही प्रदेश सरकार ने पूर्व से ही विवादित और अनाजो की कालाबाजारी के लिए कुख्यात रहे कोटेदारो को ही जनपद के गरीबो और राशन कार्ड धारको को इन्ही के हवाले कर खुलेआम वसूली कराई जा रही है ।
कहा जा रहा है कि यह फर्म सरकार ने नही हम खरीद कर ला रहे है सोचिये एक पन्ने की कीमत २०रु० है तो राशन कार्ड का कितना पैसा लिया जायेगा । अगर यही व्यवस्था है तो इन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्ड नवीनी करण का शुल्क घोषित कर प्रचार प्रसार कराया जान चाहिए अथवा इस कुप्रथा पर तत्काल जांच कर घूसखोर कोटेदार का कोटा निरस्त कर देना चाहिए । जनता ने मंडलायुक्त से इस नवीनीकरण की गोपनीय जांच कराकर दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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