चित्रकूट - महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में चल रहे विश्व यू3ए सम्मेलन में आज टेक्नॉंलाजी और होलेस्टिक हेल्थ विषय पर विभिन्न सत्रों का आयोजन तथा विश्व यू3ए की बैठक सम्पन्न हुई।
टेक्नॉलॉजी विषय पर आयोजित सत्र पर प्रमुख वक्तव्य देते हुये यू.के. से पधारे टाम हाल्वे ने सौ वर्ष से आज तक टेक्नालॉजी मे आये परिवर्तनों पर चर्चा करते हुये बताया कि व्यक्ति बुढापें में मोबाइल, इंटरनेट इत्यादि तकनीकी से अपने को समाज से, परिवार से जोड़ सकता है और अकेलापन से बच सकता है। सुश्री आयांग डेलचाऊ (आस्ट्रेलिया) ने आन लाइन लर्निग पर प्रकाश डालते हुये बताया कि आज इंटरनेट के द्वारा हम अपने समय का सदुपयोग विभिन्न विषयों को सीखने में कर सकते हैं उन्होंने कहा कि आन लाइन लर्निग में भाषा, इतिहास, कला विभान संगीत आदि सैकड़ों विषय है जिनसे आन लाइन शिक्षा प्राप्त सकती हैं इस सत्र की अध्यक्षता एम.एस. व्यासमूर्ति हैदराबाद एवं एम.आर. रंगास्वामी बंगलौर ने किया। टेक्नॉंलाजी विषय पर आयोजित दूसरे सत्र में डॉ. व्यास मूर्ति हैदरावबाद ने सिटीजन जनजिज्म एण्ड टेक्नॉली पर भाषण दिया उन्होंने विस्व्तार से बताया कि आज इंटरनेट पर गूगल और अर्थ बेबसाइट का उपयोग करके अपने को एक सिटीजन जनलिस्ट बनाने की सौभाग्य प्राप्त कर सकते है। ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह ने कहा कि इस अन्तराष्ट्रीय कांफ्रेस मे बहुत से लोगों के विचार सुनने को मिले और सम्भव है कि भारतीय दर्शन का समावेश उसमें कम हुआ हो, लेकिन हमारा भारतीय दर्शन बहुत ही परिपक्व है। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. फामस कुवान सिंगापुरन एवं डॉ. मीना दरबारी इलाहाबाद ने किया ।
होलेस्टिक हेल्थ अर्थात समग्र स्वास्थ्य के तकनीकी सत्र पर मुख्य वक्तव्य देते हुये डॉ. सज्जन सिंह रीवा ने कहा कि व्यक्ति का व्यक्तित्व शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और अध्याित्मक स्तर पर होता है इन सभी व्यक्तित्वों के समाधान होने पर ही समग्र स्वास्थ्य की परिकल्पना पूरी होती है उन्होंने मनुष्य के शरीर की संरचना बताते हुये कहा कि व्यक्ति के अन्दर जीवन तत्व अर्थात आत्मा है वही हमारा वास्तविक स्वरूप है। हम लोग इसे भूल चुके हैं और अपने को या तो शरीर मानते है या मन या बुद्धि। यही भूल हमारी विडम्बनाओं का कारण है। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. अरूणा जीर बाली नई दिल्ली ऑर डॉ. बी. के जैन सद्गुरू सेवा संघ ट्रस्ट चित्रकूट, ने किया । डॉ. विडिंगर (यू.के.) ने समग्र स्वास्थ्य पर वक्तव्य देते हुये विभिन्न देशों की स्वास्थ्य स्थितियों और समस्याओं पर प्रकाश डाला इसके पूर्व आयोजित माइण्ड एण्ड मैटर विषय पर आयोजित सत्र में प्रमुख वक्तव्य स्वामी प्रशान्तानन्द ने देते हुये मन, बुद्धि, आत्मा और इन सबका सम्बंध शरीर से प्रतिपादित किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने मन को शान्त करने की प्रक्रिया अथवा साधना अपनानी चाहिये। इससे शरीर के स्तर पर भी लाभ होगा। उन्होंने कहा कि बुढ़ापा शरीर में होता है मन और आत्मा में नही। अस्तु व्यक्ति अपना तादात्म शरीर से हटाकर आत्मा में स्थिर करे तो बुढ़ापा के सभी बिडम्बनाओं से बच सकता है। माइण्ड एण्ड मैटर के दूसरे सत्र में श्रुश्री केथरिन फेन्टन में (साउथ अफ्रीका) ने कहा कि व्यक्ति का महत्व है, प्रत्येक व्यिष्क्त को अपने बुढ़ापे को स्वास्थ्य, सामाजिक सम्बंध, अर्थ प्रबंधन, मानसिक सन्तुलन और आध्यात्म के विषयों पर जानकारी दी। डॉ. अरूण जी बाली नई दिल्ली ने कहा कि बुढ़ापे को गौरवपूर्ण बनाना हमारे स्वयं के हष्थ में है। शिव स्वरूप अग्रवाल इलाहाबाद ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में बुढापे को गौरव पूर्ण तरीके से बिताने के लिये बानप्रस्थ आश्रम की परिकल्पना की गई है। अंकित शर्मा बाराणसी ने बताया कि बुढापे में विस्मरण काफी लोगों को प्रभावित करती हैं और बुढ़ापे की सुख शान्ति से वंचित रहना पड़ता है। डॉ. राघवेन्द्र सिंह रीवां ने कहा कि बृद्धों को अपने बुढापे के लिये सक्षम बनना अत्यन्त आवश्यक है । इन सत्रों की अध्यक्षता डॉ. सज्जन सिंह एवं डॉ. एस. आर. तातेर ने किया। तकनीकी सत्रों के अलावा यू3ए के एक्जूकेटिव कमेेटी की बैठक सम्पन्न हुई ।
सम्मेलन के उद्घाटन की संध्या में बुन्देली और स्थानीय कलाकारों द्वारा बुदेलखण्ड, क्षेत्र का प्रसिद्ध बघाई, राई तथा नवरात्रा, नृत्य तथा मालवा का निमाड़ी, पंजाब का गिद्दा नृत्य, छत्तीसगढ़ का भाव नृत्य और गुजरात का डाडिया नृत्य प्रस्तुत किया गया ।
तीन दिवसीय इस सम्मेलन का उद्घाटन सोमवार को प्रख्यात समाजसेवी पद्मविभूषण नानाजी देशमुख ने किया। अध्यक्षता ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह ने की। उद्घाटन अवसर पर यूथ्रीए के अन्तर्राष्ट्रीय समन्वयक टाम हालवे इण्डियन, सोसाइटी फार यूथ्रीएज के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. आर.एन. कपूर , उपाध्यक्ष डॉ. सज्जन सिंह योगा विशेषज्ञ डॉ. सत्यम, सद्गुरू सेवा संघ के ट्रस्टी डॉ. वी.के. जैन उद्यमिता विद्यापीठ के निदेशक डॉ. नन्दिता पाठक, आयोजन संयोजक डॉ. आर.सी. सिंह, सचिव द्वय डॉ. वीरेन्द्र कुमार व्यास एवं डॉ. आशुतोष उपाध्याय उपस्थित थे। सम्मेलन में विभिन्न देशो के प्रतिभागियों ने भाग लिया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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