Archive | February 12th, 2015

हलफनामों के उन्मूलन और स्वप्रमाणीकरण की तरफ

Posted on 12 February 2015 by admin

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए ;डीएआरपीजीद्ध प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और शासन को नागरिक केन्द्रित बनाने के लिए प्रयासरत है। इस संदर्भ में केंद्रीय मंत्रालयोंध्विभागों और राज्योंध्संघ शासित क्षेत्रों से राजपत्रित अधिकारियों द्वारा सत्यापित किए जाने वाले दस्तावेजों या विभिन्न तरह के हलफनामों की जरूरतों परए जहां तक संभव होए चरणबद्ध तरीके से पुर्नविचार करने का अनुरोध किया गया है। इस प्रकार इसे स्व.प्रमाणीकरण द्वारा प्रतिस्थापित करने का विचार है।
इस प्रकार विभाग के लगातार प्रयासों के परिणामस्वरूप चौबीस राज्य सरकारेंध्संघ शासित प्रदेश और 41 मंत्रालय और विभागों ने ये दावा किया है कि उन्होने इस मामले में कार्यवाही शुरू कर दी है।

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए और संयुक्त राष्ट्रसंघ विकास कार्यक्रम का संयुक्त परियोजना कार्यकम श्लोक प्रशासन एवं शासन के सशक्तिकरणश् की पहल
;पद्ध      प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के साथ मिलकर श्लोक प्रशासन एवं शासन का सशक्तिकरणश् के नाम से एक संयुक्त कार्यक्रम को लागू करने जा रहा है जिसका अवधि 2013 से 2017 तक होगा। इस कार्यक्रम को देश कार्यक्रम कार्रवाई योजना के अंतर्गत शुरू किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य निम्नलिखित विकासपरक चुनौतियों को खत्म करना है।
;ंद्ध               बदलता माहौलए लोगों की बढ़ती आकांक्षाएंए ज्यादा से ज्यादा जवाबदेही और बेहतर दक्षता की मांग और सरकार की बदलती भूमिका इस बात की जरूरत पर बल दे रही है कि देश में तेजी से हो रहे विकास के अनुरूप ही प्रशासनिक सुधार भी किए जाएं। इसके साथ ही इस बात की जरूरत भी महसूस की जा रही है कि नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए तथा व्यापार प्रक्रिया और प्रबंधन पर पुर्नविचार किया जाए।
;इद्ध               यद्दपि भारतीय राज्य तथा जिला प्रशासनों ने इस दिशा में अभिनव कदम उठाए हैं और लोक सेवा निष्पादन तथा लोक प्रशासन में आईसीटी और ई.गवर्नेंस के उपयोग के माध्यम से सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू किया हैए तथापि  इन अनुभवों को एक व्यवस्थित तरीके से दर्ज़ नहीं किया गया है। नतीजतनए इन अनुभवों से अन्य राज्य फायदा उठाने की स्थिति में नहीं होते हैं।
;बद्ध                वर्तमान में शायद की कोई ऐसा विश्लेषणात्मक अध्ययन है जो लचर सेवा निष्पादन की वजहों को बताता होए जिनकी वजह से आज विकास के कार्यों में रूकावट पैदा होती है और हाशिए के लोगों के सामाजिक सूचकांक स्थिर बने हुए हैं। इसी तरह इस बात का भी कोई दस्तावेजीकरण या विश्लेषण नहीं किया गया है जिनसे ये पता चल सके कि क्यों वे प्रथाएँ गायब हो गईं या धीरे धीरे खत्म हो गईं जिन्हें कुछ वर्ष पूर्व तक बेहतर समझा जाता था या जिन्हें अच्छी प्रथाओं का ईनाम मिला था।

ं.      उपर वर्णित चुनौतियों और कमियों के समाधान के लिए यह परियोजना  निम्नलिखित रणनीति को अमल में लाना चाहती हैः
ऽ        लोगों के दृष्टिकोण में परिवर्तन का प्रयास और लोगों को जागरूकता एवं अन्य माध्यमों से निर्णय प्रक्रिया में पहुंच बनाने को प्रेरित करना।
ऽ        राष्ट्रीय मूल्यांकनए योजनाओंए नीतियां बनाने और बजट के मार्फत नीतियोंए योजनाओंए बजट और विधायी प्रक्रियाओं में बदलाव
ऽ        समावेशी विकास कार्यक्रमों के जरिए व्यक्तियों और समुदायों के जीवन में परिवर्तन।

इ.     इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली विशेष रणनीतियां इस प्रकार हैः
ऽ        सरकारी कार्यक्रमों के निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अंतरक्षेत्रीय अध्ययन ताकि नतीजों को बेहतर बनाया जा सके और ऐसे उपायों को सुझाया जा सके जिनसे विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समर्थित कार्यक्रमों के लक्ष्यों को पाया जा सके।
ऽ        लोक प्रशासन और शासन के सशक्तिकरण के लिए राज्य सरकारों और भारत सरकार के पास सर्वोत्तम प्रमाणित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रथाएं उपलब्ध हैं।
ऽ        राज्य के अंदर एवं अन्य राज्यों में अच्छी प्रथाओं का अनुपालन
ऽ        ई.शासन और एम.शासन जैसी रचनात्मक पहलों का प्रदर्शन ताकि लोक प्रशासन और प्रबंधन की दक्षता को बेहतर बनाया जा सके।

ब.      इस परियोजना के परिणामस्वरूप संस्थाओंए व्यक्तियों और व्यवस्था की क्षमता में हासिल होने वाले संभावित सुधार निम्नलिखित हैः
ऽ        लोक प्रशासन और शासन के लिए जिम्मेदार लोगों और संस्थाओं की क्षमताओं में सुधार
ऽ        सरकारी योजनाओँ के सेवा निष्पादन में सफलता और असफलता के कारणों के बारे में प्रशासकों की गहरी समझ को विकसित करना।
ऽ        वैश्विक स्तर के साथ ही दक्षिण.दक्षिण संदर्भ में लोक प्रशासन के क्षेत्र में अधिकाधिक सहयोग
;टद्ध     इस परियोजना के एक हिस्से के तौर पर दिल्ली में 7.9 अक्टूबर 2014 को लोक सेवाए लोक प्रशासन पर में श्रेष्ठता पर अंतर्राष्ट्रीय सिंपोजियम सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस सिंपोजियम के प्रमुख उद्देश्य थे दृ ;पद्ध लोक प्रशासन में श्रेष्ठता की भावना को बढ़ानाण् ;पपद्ध दृ लोक प्रशासन और शासन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से नवाचार की प्रथाओ और असाधारण सफलताओं की पहचान करनाए उनसे सीखना और उन्हें अन्य लोगों को भी वितरित करना। इस कार्यक्रम में 23 देशों के लोगों ने हिस्सा लिया। उन्होने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोक प्रशासन एवं शासन की श्रेष्ठ प्रथाओं पर अपने व्याख्यान दिया। इनमें ई.शासनए एवं एम. शासन के तरीके भी शामिल थे। इस सिंपोजियम में करीब 200 भारतीयों ने भी हिस्सा लिया।
;अपद्ध 21 से 23 अगस्त 2014 के बीच एक केस स्टडी वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसका समापन सत्र 31 अक्टूबर एवं 1 नवंबर 2014 को हुआ। इस वर्कशॉप का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर की केस स्टडीज का निर्माण करना एवं भारत की श्रेष्ठ प्रथाओं पर केस स्टडीज तैयार करना था ताकि उनको भविष्य के लिए आधार तैयार करने में मदद मिले। लोक नीति एवं शासन के प्रतिष्ठित विद्वान प्रोफेसर आरण् केंट वेवरए जो कि जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय में कार्यरत हैंए को इस कार्य के लिए संबद्ध किया गया।
;अपपद्ध वार्षिक कार्य योजना 2015 को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
लोक शिकायतें

लोक शिकायत के पोर्टल पर और ज्यादा विकल्प दिए जाने के साथ उसे बेहतर और सुविधाजनक बनाया गया है। अब लोक शिकायत निदेशालय से संबंधित शिकायतों को पीजी पोर्टल के मार्फत सीधे उन्ही के पास भेजा जा सकता है। यदि शिकायतकर्ता को यह पता नहीं है कि अपनी शिकायत को किस प्राधिकारी को प्रेषित किया जाए तो वह पह ष्नहीं मालूमष् का विकल्प चुन सकता है। वह शिकायत सीधे लोक शिकायत निदेशालय को चली जाएगी।

ई.ऑफिस मिशन मोड परियोजना
;पद्ध           परिचय
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए ;डीएआर एंड पीजीद्ध विभाग को समग्र राष्ट्रीय उद्देश्यों और प्राथमिकताओं के अनुरूप ई.गवर्नेंस गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भूमिका सौंपी गई है। यह कार्य शासन संबंधित मुद्दों के लिए मुख्य रूप से अवधारणा और समग्र समन्वयव का है। इसकी तकनीकी विशेषज्ञता के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से सहयोग लिया जा रहा है।
डीएपीआरजी ने ई.शासन परियोजना तथा व्यवसाय प्रबंधन री.इंजिनियरिंग हेतु बदलाव प्रबंधन से संबंधित रिपोर्ट बनाकर सभी केंद्रीय मंत्रालयों को भेज दिया है।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत ;डीएआर एंड पीजीद्ध विभाग  ने व्यवसाय प्रक्रिया रिइंजीनियिरंग पर एक मौलिक दस्तावेज का सूत्रीकरण किया है जिसका नाम जीपीएएफ है। इसकी कल्पना राष्ट्रीय ई.शासन योजना और द्वितिय एआरसी की ग्यारवही रिपोर्ट में की गई थी। गर्वनमेंट प्रोसेस आर्किटेक्चरिंग फ्रेमवर्कए केंद्र सरकार के सगंठनों में बेहतर कार्य निष्पादन के लिएए व्यवसाय प्रक्रिया रीइंजिनियरिंग के संचालन के लिए एक विस्तृत व्यवस्थित निर्देशिका प्रदान करता है।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत निदेशालय ने सरकारी वेबसाइटों के लिए भारत सरकार के दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। ये दिशानिर्देश 2009 में जारी किए गए। नए घटनाक्रमों के साथ ही इसका अद्यतन भी किया जाता रहता है।
एनईजीपी ;जोकि अब डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के साथ मिला दिया गया हैद्ध को कैबिनेट की मंजूरी मई 2006 में मिली। ई.ऑफिसए केंद्र सरकार की श्रेणी के अंतर्गतए एनईजीपी का ही एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत निदेशालय द्वारा संयुक्त रूप से सूत्रबद्ध किया गया है।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए ई.ऑफिस मिशन मोड परियोजना का नोडल विभाग है और एनआईसी इसका तकनीकी सहयोगी है।
ई.ऑफिस का उद्देश्य एक ऐसे ऑफिस वातावरण का निर्माण करना है जिसमें फाइलों और कागज का काम कम से कम रह जाए और इस प्रकार कार्यों को व्यवस्थित करने से प्रक्रियागत समय को बचाया जा सके। इसके मुख्य उद्देश्य हैं.
ऽ        सरकार की प्रतिक्रिया की क्षमताए सततता और प्रभावशीलता में वृद्धिए
ऽ        प्रतिवर्तन काल के समय में कमी और नागरिक अधिकारों को समय से पूरा करना
ऽ        प्रशासन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए संसाधनों का बेहतर प्रबंधन
ऽ        पारदर्शिता और जवावदेही को स्थापित करना
ऽ        कम लागत वाली प्रभावी ई.भंडारण की सुविधा प्रदान करना
ऽ        ऑफिस को पर्यावरण अनुकूल बनाना
;पपद्ध एनआईसी द्वारा विकसित ई.ऑफिस उत्पादों की विशेषताएः
ऽ        फाइल प्रबंधन व्यवस्था ;ई.फाइलद्ध दृ फाइल बनाने और रसीद की प्रक्रिया को स्वचालित बनाता है
ऽ        ज्ञान प्रबंधन व्यवस्था ;केएमएसद्ध दृ कानूनए नीतियों और निर्देशों जैसे विभिन्न दस्तावेजों के केंद्रीकृत संचयिता के तौर पर कार्य करता है।
ऽ        अवकाश प्रबंधन व्यवस्था ;ई.लीवद्ध दृ अवकाश लेने की प्रक्रिया को स्वचालित बनाता है।
ऽ        भ्रमण प्रबंधन व्यवस्था ;ई.टूअरद्ध दृ कर्मचारियों के भ्रमण कार्यक्रम को स्वचालित बनाता है
ऽ        कार्मिक सूचना प्रणाली ;पीआईएसद्ध . कर्मचारी अभिलेखों का प्रबंध
ऽ        सहयोग और संदेश सेवा ;सीएएमएसद्ध और संदेश .  आंतरिक सहयोग और संदेश भेजने के लिए
ई.ऑफिस परियोजना 2011.12 में शुरू की गई थी। पहले चरण में 12 मंत्रालयोंध्विभागों को इसमें शामिल किया गया। दूसरा चरण 2012.13 में शुरू किया गया जिसे 5 मंत्रालयोंध्विभागों में लागू किया गया। तीसरा चरण 2013.14 में शुरू किया गया और इसे 7 मंत्रालयोंध्विभागों में लागू किया गया है।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए ने एक मास्टर ई.शासन प्रशिक्षण ;एमईटीपीद्ध योजना शुरू की है जिसे 2013.14 में एनईजीपी लागू करने वाले मंत्रालयोंध्विभागों में लागू किया गया है। मास्टर ई.शासन प्रशिक्षण योजना का उद्देश्य केंद्र सरकार के कर्मचारियों को ई.शासन के लिए प्रशिक्षित करना है। इसमें प्रमुख प्रवीणता के कार्यक्रम हैं दृ व्यवसाय प्रक्रिया रीइंजिनियरिंगए परियोजना प्रबंधनए बदलाव प्रबंधन इत्यादि। इस संबंध में विभिन्न समूहों का प्रशिक्षण कार्यक्रम समूह.1 ;एसओध्असिस्टेंट एवं समतुल्यद्धए समूह 2 ;यूएसध्डीएसध्निदेशक एवं समतुल्यद्ध तथा समूह .3 ;जेएस एवं समतुल्यद्ध राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान तथा एनआईसी द्वारा किया जा रहा है।
दस्तावेजों एवं रिकार्डों के डिजिटाइजेशन का कार्य प्राथमिकता के स्तर पर हो रहा है और अब तक 700 से अधिक फाइलों को प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग विभाग द्वारा डिजिटाइज किया जा चुका है।
कार्मिकए लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय पहले ही ई.ऑफिस कार्यक्रम शुरू कर चुका है।  विभाग ई.अवकाशएई.जीपीएफ आवेदनए फाइल ट्रैकिंग सिस्टम तथा ज्ञान प्रबंधन प्रणाली पर अंतरण कर चुका है।
’ प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए कार्मिकए लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय और पेंशन विभाग से प्राप्तश जानकारी के आधार पर।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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भारत सरकार ने भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज व ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित के उद्देश्य से ष्डिजिटल इंडियाष् कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है।

Posted on 12 February 2015 by admin

भारत सरकार ने भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज व ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित के उद्देश्य से ष्डिजिटल इंडियाष् कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। डिजिटल इंडिया एक छतरी जैसा कार्यक्रम होगा जिसमें कई सारे सरकारी मंत्रालय और विभाग आएंगे। कई विचार और मत एक साथ गूंथे होंगेए व्यापक दृष्टि होगीए ताकि इनमें से सभी को एक बड़े लक्ष्य के हिस्से के रूप में लागू किया जा सके। हर एक तत्व का अपना वजूद होगाए लेकिन साथ ही वह सरकार का भी हिस्सा होगा। डिजिटल इंडिया को सभी सरकारों द्वारा लागू किया जाएगा और इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ;डीईआईटीवाईद्ध इसका संयोजन करेगा।
डिजिटल इंडिया की सोच के केंद्र में तीन मुख्य क्षेत्र हैंए ये हैं. ;पद्ध प्रत्येक नागरिक के रूप में सुविधा के लिए बुनियादी ढांचाए ;पपद्ध गवर्नेंस व मांग आधारित सेवाएं व ;पपपद्ध नागरिकों का डिजिटल सशक्तीकरण। डिजिटल इंडिया का लक्ष्य विकास क्षेत्रों के निम्न 9 स्तंभों के जरिये इस बहु प्रतीक्षित आवश्यकता को उपलब्ध कराने का हैए जो कि नीचे दी गई हैः

ब्रॉडबैंड हाइवेज
ऽ        इसमें तीन उप तत्व शामिल होंगेए जिनके नाम हैए सभी गांवों के लिए ब्रॉडबैंडए सभी शहरों के लिए ब्रॉडबैंड और राष्ट्रीय सूचना ढांचा।
ऽ        सभी गांवों के लिए ब्रॉडबैंड के अंतर्गत दिसंबरए 2016 तक 250 हजार ग्राम पंचायतें इसके दायरे में लाई जाएंगी। दूरसंचार विभागए नोडल विभाग होगा और इस परियोजना की संभावित लागत करीब 32ए000 करोड़ रुपये होगी।
ऽ        सभी शहरों के लिए ब्रॉडबैंड के अंतर्गत वास्तविक नेटवर्क ऑपरेटर्स सेवा उपलब्ध कराने का फायदा उठा सकते हैं और नए शहरी विकास व भवनों में संचार ढांचा को शामिल किया जाएगा।
ऽ        राष्ट्रीय सूचना ढांचा को स्वान ;एसवाईएएनद्धए एनकेएन व एनओएफएन जैसे नेटवर्क्सए साथ ही साथ राष्ट्रीय व राज्य डाटा केंद्रों के साथ एकीकृत किया जाएगा। इसमें  राज्यए जिलाए प्रखंडए व पंचायत स्तर के क्रमशः 100ए 50ए 20 व 5  सरकारी कार्यालयोंध्सेवा केंद्रों पर क्षैतिज कनेक्टिविटी का भी प्रावधान होगा। डीईआईटीवाई नोडल विभाग होगा और इस परियोजना की संभावित लागत तकरीबन 15ए686 करोड़ रुपये होगी जिसमें इसे दो साल तक लागू करने व 5 साल तक रखरखाव व सहयोग भी शामिल है।

मोबाइल कनेक्टिविटी तक सर्वव्यापी पहुंच
ऽ        इस पहल का लक्ष्य नेटवर्क की पहुंच बढ़ाने व देश में कनेक्टिविटी की कमी को दूर करने का होगा।
ऽ        अभी तक मोबाइल कनेक्टिविटी से वंचित सभी 42ए300 गांवों में सर्वव्यापी मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंचाई जाएगी।
ऽ        दूरसंचार विभाग नोडल विभाग होगा और इस परियोजना की लागत वित्त वर्ष 2014.18 के दौरान तकरीबन 16ए000 करोड़ रुपये होगी।

पब्लिक इंटरनेट संपर्क कार्यक्रम
ऽ       सार्वजनिक सेवा केंद्र व बहु.सेवा केंद्रों के रूप में डाकघरए ये पब्लिक इंटरनेट संपर्क कार्यक्रम के दो सहायक हिस्से होंगे।
ऽ       सार्वजनिक सेवा केंद्रों को और सशक्त बनाया जाएगा व इनकी संख्या जो वर्तमान में करीब 135ए000 हैए को बढ़ाकर 250ए000 या हर एक ग्राम पंचायत में एक सीएससी तक किया जाएगा। सीएससी को सस्ता व सरकारी व व्यावसायिक सेवाएं प्रदान करने के मद्देनजर बहु.संचालित बनाया जाएगा। डीईआईटीवाई इस योजना को लागू करने के लिए नोडल विभाग होगा।
ऽ       कुल 150ए000 डाकघरों को बहु सेवा केंद्रों के रूप में परिवर्तित करने का प्रस्ताव है। डाक विभाग इस योजना को लागू करने के लिए नोडल विभाग होगा।

ई.गवर्नेंस दृ तकनीक के जरिये सरकार सुधार
ऽ       सरकारी व्यावसायिक प्रक्रिया को आईटी का इस्तेमाल करते हुए पुनर्निमित कर ट्रांजेक्शन को सुधारनाए पूरे सरकार को सुधारने के लिए अति आवश्यक है और इसलिए जरूरी है कि इसे सभी मंत्रालयध्विभागों द्वारा लागू किया जाए।
ऽ       तकनीक के जरिये सरकार सुधार के दिशानिर्देशक सिद्धांत हैः
कण्                आवेदन को आसान बनाना व कागजी औपचारिकताओं को कम करना दृ आवेदन पत्र को आसान व इस्तेमाल करने वाले के लिए सुगम बनाया जाना चाहिए। केवल जरूरी व न्यूनतम सूचनाएं ही मांगी जानी चाहिए।
खण्     ऑनलाइन आवेदनए उनकी स्थिति की जांच व विभागों के बीच इंटरफेस उपलब्ध कराना चाहिए।
गण्      ऑनलाइन संग्राहक का इस्तेमाल जैसे कि स्कूली प्रमाणपत्रए मतदाता पहचान पत्र आदि को ऑनलाइन स्वीकार किया जाना चाहिए ताकि नागरिकों को इन दस्तावेजों की कॉपी भौतिक रूप से जमा न करनी पड़े।
ऽ      इलेक्ट्रॉनिक डाटाबेस. सभी आंकड़े व सूचनाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप में होनी चाहिए न कि हस्तचालित।
ऽ      सरकारी कामकाज स्वचालित हो. सरकारी विभागों व एजेंसियों के अंदर का कामकाज स्वचालित होना चाहिए जिससे कि सरकारी प्रक्रिया को सक्षम बनाया जा सके व इस प्रक्रिया को नागरिकों के लिए भी देख सकने योग्य बनाया जाना चाहिए।
ऽ      जन शिकायत निवारण दृ दीर्घकालीन समस्याओं का जवाब देनेए सुलझानेए उनकी पहचान के लिए आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल स्वचालित बनाने के लिए किया जाना चाहिए।
ई.क्रांति ;एनईजीपी 2ण्0द्ध दृ सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक आपूर्ति
ऽ        ई.गवर्नेंस परियोजना जीवनचक्र के विभिन्न चरणों में 31 मिशन मोड परियोजनाएं हैं।  एपेक्स कमेटी ऑन नेशनल ई.गवर्नेंस प्लान ;एनईजीपीद्ध द्वारा 18 मार्च 2014 को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद आगे 10 नई एमएमपी भी ई.क्रांति में जोड़ी गई है।
ऽ        शिक्षा के लिए तकनीक दृ ई.एजुकेशन
सभी स्कूलों को ब्रॉडबैंड से जोड़ा जाएगा। सभी माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्कूलों ;करीब 250ए000 स्कूल शामिल होंगेद्ध में मुफ्त वाई.फाई उपलब्ध कराया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल साक्षरता का एक कार्यक्रम चलाया जाएगा। एमओओसी. मैसिव ऑनलाइन ओपेन कोर्स तैयार किया जाएगा और ई.एजुकेशन के लिए इसका इस्तेमाल होगा।
ऽ        स्वास्थ्य के लिए तकनीक दृ ई.हेल्थकेयर
ई.हेल्थकेयर में ऑनलाइन चिकित्सकीय परामर्शए ऑनलाइन मेडिकल रिकॉर्डए ऑनलाइन दवा पहुंचानाए समग्र.भारत के मरीजों की सूचनाओं का आदान.प्रदान शामिल होगा। प्रायोगिक परीक्षण 2015 में किया जाएगा और अगले तीन सालों में इसे पूरी तरह से उपलब्ध कराया जाएगा।
ऽ        किसानों के लिए तकनीक
इसके जरिये किसानों को वास्तविक समय के आधार पर मूल्य सूचनाए ऑनलाइन निवेश की मांग व ऑनलाइन कैशए ऋण व मोबाइल बैंकिंग के साथ सहायता राशि की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
कण्  सुरक्षा के लिए तकनीक
नागरिकों को वास्तविक समय के आधार पर मोबाइल आधारित आपात सेवा व आपदा संबंधी सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी ताकि समय रहते बचाव के कदम उठाए जा सकें व जान माल के नुकसान को कम से कम किया जा सके।
खण्   आर्थिक समावेशन ;इनक्ल्यूजनद्ध के लिए तकनीक
मोबाइल बैंकिंगए माइक्रो.एटीएम कार्यक्रम व सीएससीध्डाकघरों का इस्तेमाल करते हुए आर्थिक समावेशन को सुदृढ़ किया जाएगा।
गण्   न्याय के लिए तकनीक
ई.कोर्टए ई.पुलिसए ई.जेल व ई.प्रोस्यूकेशन का इस्तेमाल करते हुए आदान.प्रदान योग्य अपराध न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा।
घण्   योजना के लिए तकनीक
प्रोजेक्ट की योजनाए संकल्पनाए डिजाईन व विकास के लिए निर्णय प्रक्रिया को जीआईएस आधारित बनाने के लिए राष्ट्रीय जीआईएस मिशन मोड प्रोजेक्ट लागू किया जाएगा।
ङण्    साइबर सुरक्षा के लिए तकनीक
देश में सुरक्षित व महफूज साइबर.स्पेस सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा कोआर्डिनेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा।
सूचना सबके लिए
ऽ        खुला डेटा प्लेटफार्म व सूचनाओं तथा दस्तावेजों की ऑन लाइन होस्टिंग से नागरिकों के लिए सूचनाओं तक पहुंच को खुला व आसान बनाने में मदद मिलेगी।
ऽ        नागरिकों को सूचित करने के लिए सरकार सोशल मीडिया व वेब आधारित मंचों के जरिये अति सक्रिय होगी। विचारोंध्सुझावों के लिए माईगोव डॉट इन वेबसाइट पहले ही जारी की जा चुकी है। यह नागरिक व सरकार के बीच दो तरफा संचार का काम करेगी।
ऽ        विशेष अवसरोंध्कार्यक्रमों पर नागरिकों को ईमेल व एसएमएस के जरिये ऑनलाइन संदेश दिया जाएगा।
ऽ        उपरोक्त कामों के लिए मौजूदा संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा और इसके लिए अतिरिक्त संसाधनों की बहुत सीमित जरूरत होगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन दृ सकल शून्य आयात का लक्ष्य
ऽ     सकल शून्य आयात का लक्ष्य इस प्रयोजन को असाधारण रूप से दर्शाता है।
ऽ     इस महात्वाकांक्षी लक्ष्य के लिए कई सारे मोर्चों पर गतिविधियों को समायोजित करने की जरूरत होगी
कण्    कराधानए प्रोत्साहन
खण्    किफायत की अर्थव्यवस्थाए लागत में अनुचित बढोत्तरी को खत्म करना
गण्     केंद्रीय क्षेत्र दृ बड़े पैमाने की वस्तुचएं
एफएबीएसए फेब.लेस डिजाईनए सेटटॉप बॉक्सए वीसैट्सए मोबाइलए कंज्यूमर एंड मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्सए स्मार्ट एनर्जी मीटरए स्मार्ट कार्ड्सए माइक्रो एटीएम
घण्     इन्क्यूबेटर्सए क्लस्टर्स
ङण्      कौशल विकास
चण्     सरकारी खरीददारी
ऽ     कई सारे ऐसे कार्यक्रम चल रहे हैं जो कि इसमें बेहतर तरीके से शामिल किये जा सकते हैं।
ऽ     मौजूदा ढांचा इन लक्ष्यों के लिए उपयुक्त नहीं है और इसे सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।

नौकरियों के लिए सूचना प्रौद्योगिकी
ऽ       छोटे शहरों व गांवों के 1 करोड़ छात्रों को 5 सालों में आईटी क्षेत्र की नौकरियों के लिए तैयार किया जाएगा। इस योजना के लिए डीईआईटीवाई नोडल विभाग होगा।
ऽ       हर उत्तर.पूर्व के राज्य में बीपीओ स्थापित किया जाएगा जिससे कि इन राज्यों में आईसीटी आधारित विकास किया जा सके।
ऽ       आईटी सेवाओं के लिए सक्षम व्यावसायिक आपूर्ति के लिए कौशल विकास के हिस्से के रूप में 3 लाख सेवा प्रदाता एजेंटों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
ऽ       टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं ;टीएसपीद्ध द्वारा उनकी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 5 लाख ग्रामीण श्रमशक्ति को प्रशिक्षित किया जाएगा। दूरसंचार विभाग इस योजना के लिए नोडल विभाग होगा।
अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम्स
ऽ        संदेशों के लिए आईटी प्लेटफॉर्म
डीईआईटीवाई द्वारा व्यापक स्तर पर संदेश भेजने के लिए एक एप्लीकेशन तैयार किया गया है जिसके दायरे में सभी चुने हुए प्रतिनिधि व सभी सरकारी कर्मचारी आएंगे। 1ण्36 करोड़ मोबाइल व 22 लाख ईमेल इस डेटाबेस का हिस्से होंगे।
ऽ        सरकारी शुभकामनाओं के लिए ई.ग्रिटिंग्स
ई.ग्रिटिंग्स का गुलदस्ता तैयार किया गया है। माईगोव पोर्टल के जरिये ई.ग्रिटिंग्स का क्राउड सोर्सिंग सुनिश्चित किया गया है। ई.ग्रिटिंग्स पोर्टल 14 अगस्त 2014 से काम करना शुरू कर दिया है।
ऽ        बायोमीट्रिक उपस्थिति
दिल्ली में केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों व डीईआईटीवाई में पहले से इसका संचालन शुरू हो चुका है और शहरी विकास विभाग में भी ऐसी पहल की जा रही है। दूसरे विभागों में भी ऐसी कार्यवाही शुरू हो रही है।
ऽ        सभी विश्वविद्यालयों में वाई.फाई
नेशनल नॉलेज नेटवर्क ;एनकेएनद्ध के तहत सभी विश्वविद्यालयों को इस योजना में शामिल किया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस योजना को लागू करने के लिए नोडल मंत्रालय होगा।
ऽ        सरकारी ईमेल की सुरक्षा
कण्    ईमेल संचार का प्राथमिक तरीका होगा।
खण्    10 लाख कर्मचारियों का पहले चरण में उन्नतीकरण हो चुका है। दूसरे चरण में मूलभूत ढांचे में और सुधार होंगे जिसके दायरे में मार्च 2015 तक 50 लाख कर्मचारी आएंगे जिसकी लागत 98 करोड़ रुपये होगी। डीईआईटीवाई इस योजना के लिए नोडल विभाग होगा।
ऽ        सरकारी ईमेल डिजाइन का मानकीकरण
सरकारी ईमेल के टेम्पलेट्स का मानकीकरण हो रहा है और अक्टूबर 2014 तक तैयार हो जाएगा। इसे डीईआईटीवाई द्वारा लागू किया जाएगा।
ऽ        सार्वजनिक वाई.फाई हॉटस्पॉट्स
डिजिटल शहरों को बढ़ावा  देने के लिए एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों व पर्यटक केंद्रों पर सार्वजनिक वाई.फाई हॉटस्पॉट मुहैया कराया जाएगा। इस योजना को दूरसंचार विभाग व शहरी विकास मंत्रालय द्वारा लागू किया जाएगा।
ऽ        स्कूली किताबें ईबुक्स होंगी
सभी किताबों को ईबुक्स में तब्दील किया जाएगा। एचआरडी मंत्रालयध्डीईआईटीवाई इस योजना के लिए नोडल एजेंसी होंगी।
ऽ        एसएमएस आधारित मौसम सूचनाए आपदा चेतावनियां
मौसम की सूचनाएं व आपदा चेतावनियां एसएमएस के जरिये दी जाएंगी। डीईआईटीवाई की मोबाइल सेवा प्लेटफार्म पहले ही तैयार हो चुका है और इस काम के लिए उपलब्ध है। एमओईएस ;आईएमडीद्धध्एमएचए ;एनडीएमएद्ध इस योजना को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी होंगे।
ऽ        खोए.पाए बच्चों के लिए नेशनल पोर्टल
कण्   इसके जरिये खोए.पाए बच्चों से संबंधित सूचनाएं वास्तविक समय के आधार पर जुटाई व साझा की जा सकेंगी और इससे अपराध को रोकने में मदद मिलेगी व त्वरित कार्रवाई में सुधार होगा।
खण्   इस परियोजना के लिए डीईआईटीवाईध्डीओडब्ल्यूसीडी नोडल एजेंसी होंगे।

उपर्युक्त परियोजनाओं में से कुछ लागू होने के विभिन्न स्तरों पर हैं और कुछ में स्थानांतरण प्रक्रियाए पुनर्सृजनए बदलाव व संभावनाओं के अनुरूप समायोजन चल रहा है। केंद्रए राज्य व स्थानीय सरकार स्तर पर संबंधित मंत्रालयध् विभाग द्वारा इन्हें पूरा करने के लिए क्रियान्वयन रणनीति बनाई जा रही है।

’इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी विभागए संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ब्यौरों के साथ

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि

Posted on 12 February 2015 by admin

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि कई बार मुंह की खाने के बाद भी भाजपा सुधरना नहीं चाहती है। समाजवादी पार्टी ने 7 फरवरी,2015 से अपनी सरकार की उपलब्धियों से जन-जन को परिचित कराने के लिए सघन जनसम्पर्क अभियान चलाया है। इससे भाजपा का प्रदेशीय नेतृत्व परेशान और हताश है। समाजवादी पार्टी के इस अभियान में बढ़ती जनरूचि से भाजपा में कुंठा है क्योंकि उनके सदस्यता अभियान की कथित लक्ष्यपूर्ति दूर-दूर तक होती नहीं दिख रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जोर-शोर से अपने कार्यक्रम घोषित करते हैं लेकिन वे सब टांय-टांय फिस्स हो जाते हैं।
भाजपा ने सोच लिया है कि सांप्रदायिकता और अराजकता के एजेण्डा को अपनाकर वे सत्ता हथियाने में कामयाब हो सकेगें। भाजपा नेता कभी लवजिहाद, धर्मांतरण, घर वापसी, गांधीजी के हत्यारे गोडसे की मूर्ति स्थापना और 4 से 10 बच्चे तक पैदा करने की अनर्गल बातों से जनता को गुमराह करना चाहते हैं। लेकिन जनता इनकी वास्तविकता से परिचित हो गई है। अब वह इनके बहकावे में आनेवाली नहीं है। उसने भाजपा को दिल्ली में आईना दिखाकर इसे साबित भी कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में तीन वर्षो में समाजवादी सरकार ने किसानों, नौजवानों, अल्पसंख्यको, महिलाओं सहित समाज के सभी वर्गो के कल्याण की तमाम योजनाओं को लागू किया है। पांच वर्ष के लिए किए गए अधिकांश वायदे पूरे कर दिए हैं। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया है। लैपटाप वितरण, कन्या विद्याधन, बेकारी भत्ता, समाजवादी पेंशन और लोकतंत्र सेनानी पेंशन आदि कई योजनाओं से लाखों लाभान्वित हुए हैं किन्तु कही से भी अनियमितता या भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है। मुख्यमंत्री जी जनता से हमेशा मिलते रहते हैं और उनकी समस्याओं के समाधान में भी रूचि लेते हैं। प्रदेश में कानून का राज है।
भाजपा को यदि समाजवादी सरकार की उपलब्धियां नहीं दिखाई देती हैं तो इसके पीछे भाजपा का जनविरोधी चरित्र है। वे समाजवादी सरकार पर निराधार आरोप लगाकर अपने अलोकतंात्रिक आचरण का ही परिचय दे रहे हैं। सच तो यह है कि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी ने अपने कार्यकाल में जितना विकास किया है उतना किसी अन्य राज्य में नहीं हुआ है। वे संवेदनशील हैं और गरीबों तथा दुखियारों के प्रति उदार हैं। सत्ता के मद में डूबे भाजपा नेताओं को दिल्ली के चुनाव परिणाम से सीख लेनी चाहिए और लोकतंत्र का सम्मान करने की आदत डालनी होगी।
दिल्ली की जनता सांप्रदायिक ताकतों को शिकस्त देने के लिए बधाई की पात्र है। उसने जता दिया है कि वह हवाई बातों पर नहीं धरती पर काम को महत्व देती है। प्रधानमंत्री ने नौ महीनों में जनहित का कोई काम नहीं किया है सिवाय अपनी शान-शौकत के प्रदर्शन के। जनता ने भांप लिया है कि भाजपा किस रास्ते पर है। वस्तुतः अब उसका कोई भविश्य नहीं रह गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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