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हलफनामों के उन्मूलन और स्वप्रमाणीकरण की तरफ

Posted on 12 February 2015 by admin

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए ;डीएआरपीजीद्ध प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और शासन को नागरिक केन्द्रित बनाने के लिए प्रयासरत है। इस संदर्भ में केंद्रीय मंत्रालयोंध्विभागों और राज्योंध्संघ शासित क्षेत्रों से राजपत्रित अधिकारियों द्वारा सत्यापित किए जाने वाले दस्तावेजों या विभिन्न तरह के हलफनामों की जरूरतों परए जहां तक संभव होए चरणबद्ध तरीके से पुर्नविचार करने का अनुरोध किया गया है। इस प्रकार इसे स्व.प्रमाणीकरण द्वारा प्रतिस्थापित करने का विचार है।
इस प्रकार विभाग के लगातार प्रयासों के परिणामस्वरूप चौबीस राज्य सरकारेंध्संघ शासित प्रदेश और 41 मंत्रालय और विभागों ने ये दावा किया है कि उन्होने इस मामले में कार्यवाही शुरू कर दी है।

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए और संयुक्त राष्ट्रसंघ विकास कार्यक्रम का संयुक्त परियोजना कार्यकम श्लोक प्रशासन एवं शासन के सशक्तिकरणश् की पहल
;पद्ध      प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के साथ मिलकर श्लोक प्रशासन एवं शासन का सशक्तिकरणश् के नाम से एक संयुक्त कार्यक्रम को लागू करने जा रहा है जिसका अवधि 2013 से 2017 तक होगा। इस कार्यक्रम को देश कार्यक्रम कार्रवाई योजना के अंतर्गत शुरू किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य निम्नलिखित विकासपरक चुनौतियों को खत्म करना है।
;ंद्ध               बदलता माहौलए लोगों की बढ़ती आकांक्षाएंए ज्यादा से ज्यादा जवाबदेही और बेहतर दक्षता की मांग और सरकार की बदलती भूमिका इस बात की जरूरत पर बल दे रही है कि देश में तेजी से हो रहे विकास के अनुरूप ही प्रशासनिक सुधार भी किए जाएं। इसके साथ ही इस बात की जरूरत भी महसूस की जा रही है कि नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए तथा व्यापार प्रक्रिया और प्रबंधन पर पुर्नविचार किया जाए।
;इद्ध               यद्दपि भारतीय राज्य तथा जिला प्रशासनों ने इस दिशा में अभिनव कदम उठाए हैं और लोक सेवा निष्पादन तथा लोक प्रशासन में आईसीटी और ई.गवर्नेंस के उपयोग के माध्यम से सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू किया हैए तथापि  इन अनुभवों को एक व्यवस्थित तरीके से दर्ज़ नहीं किया गया है। नतीजतनए इन अनुभवों से अन्य राज्य फायदा उठाने की स्थिति में नहीं होते हैं।
;बद्ध                वर्तमान में शायद की कोई ऐसा विश्लेषणात्मक अध्ययन है जो लचर सेवा निष्पादन की वजहों को बताता होए जिनकी वजह से आज विकास के कार्यों में रूकावट पैदा होती है और हाशिए के लोगों के सामाजिक सूचकांक स्थिर बने हुए हैं। इसी तरह इस बात का भी कोई दस्तावेजीकरण या विश्लेषण नहीं किया गया है जिनसे ये पता चल सके कि क्यों वे प्रथाएँ गायब हो गईं या धीरे धीरे खत्म हो गईं जिन्हें कुछ वर्ष पूर्व तक बेहतर समझा जाता था या जिन्हें अच्छी प्रथाओं का ईनाम मिला था।

ं.      उपर वर्णित चुनौतियों और कमियों के समाधान के लिए यह परियोजना  निम्नलिखित रणनीति को अमल में लाना चाहती हैः
ऽ        लोगों के दृष्टिकोण में परिवर्तन का प्रयास और लोगों को जागरूकता एवं अन्य माध्यमों से निर्णय प्रक्रिया में पहुंच बनाने को प्रेरित करना।
ऽ        राष्ट्रीय मूल्यांकनए योजनाओंए नीतियां बनाने और बजट के मार्फत नीतियोंए योजनाओंए बजट और विधायी प्रक्रियाओं में बदलाव
ऽ        समावेशी विकास कार्यक्रमों के जरिए व्यक्तियों और समुदायों के जीवन में परिवर्तन।

इ.     इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली विशेष रणनीतियां इस प्रकार हैः
ऽ        सरकारी कार्यक्रमों के निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अंतरक्षेत्रीय अध्ययन ताकि नतीजों को बेहतर बनाया जा सके और ऐसे उपायों को सुझाया जा सके जिनसे विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समर्थित कार्यक्रमों के लक्ष्यों को पाया जा सके।
ऽ        लोक प्रशासन और शासन के सशक्तिकरण के लिए राज्य सरकारों और भारत सरकार के पास सर्वोत्तम प्रमाणित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रथाएं उपलब्ध हैं।
ऽ        राज्य के अंदर एवं अन्य राज्यों में अच्छी प्रथाओं का अनुपालन
ऽ        ई.शासन और एम.शासन जैसी रचनात्मक पहलों का प्रदर्शन ताकि लोक प्रशासन और प्रबंधन की दक्षता को बेहतर बनाया जा सके।

ब.      इस परियोजना के परिणामस्वरूप संस्थाओंए व्यक्तियों और व्यवस्था की क्षमता में हासिल होने वाले संभावित सुधार निम्नलिखित हैः
ऽ        लोक प्रशासन और शासन के लिए जिम्मेदार लोगों और संस्थाओं की क्षमताओं में सुधार
ऽ        सरकारी योजनाओँ के सेवा निष्पादन में सफलता और असफलता के कारणों के बारे में प्रशासकों की गहरी समझ को विकसित करना।
ऽ        वैश्विक स्तर के साथ ही दक्षिण.दक्षिण संदर्भ में लोक प्रशासन के क्षेत्र में अधिकाधिक सहयोग
;टद्ध     इस परियोजना के एक हिस्से के तौर पर दिल्ली में 7.9 अक्टूबर 2014 को लोक सेवाए लोक प्रशासन पर में श्रेष्ठता पर अंतर्राष्ट्रीय सिंपोजियम सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस सिंपोजियम के प्रमुख उद्देश्य थे दृ ;पद्ध लोक प्रशासन में श्रेष्ठता की भावना को बढ़ानाण् ;पपद्ध दृ लोक प्रशासन और शासन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से नवाचार की प्रथाओ और असाधारण सफलताओं की पहचान करनाए उनसे सीखना और उन्हें अन्य लोगों को भी वितरित करना। इस कार्यक्रम में 23 देशों के लोगों ने हिस्सा लिया। उन्होने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोक प्रशासन एवं शासन की श्रेष्ठ प्रथाओं पर अपने व्याख्यान दिया। इनमें ई.शासनए एवं एम. शासन के तरीके भी शामिल थे। इस सिंपोजियम में करीब 200 भारतीयों ने भी हिस्सा लिया।
;अपद्ध 21 से 23 अगस्त 2014 के बीच एक केस स्टडी वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसका समापन सत्र 31 अक्टूबर एवं 1 नवंबर 2014 को हुआ। इस वर्कशॉप का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर की केस स्टडीज का निर्माण करना एवं भारत की श्रेष्ठ प्रथाओं पर केस स्टडीज तैयार करना था ताकि उनको भविष्य के लिए आधार तैयार करने में मदद मिले। लोक नीति एवं शासन के प्रतिष्ठित विद्वान प्रोफेसर आरण् केंट वेवरए जो कि जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय में कार्यरत हैंए को इस कार्य के लिए संबद्ध किया गया।
;अपपद्ध वार्षिक कार्य योजना 2015 को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
लोक शिकायतें

लोक शिकायत के पोर्टल पर और ज्यादा विकल्प दिए जाने के साथ उसे बेहतर और सुविधाजनक बनाया गया है। अब लोक शिकायत निदेशालय से संबंधित शिकायतों को पीजी पोर्टल के मार्फत सीधे उन्ही के पास भेजा जा सकता है। यदि शिकायतकर्ता को यह पता नहीं है कि अपनी शिकायत को किस प्राधिकारी को प्रेषित किया जाए तो वह पह ष्नहीं मालूमष् का विकल्प चुन सकता है। वह शिकायत सीधे लोक शिकायत निदेशालय को चली जाएगी।

ई.ऑफिस मिशन मोड परियोजना
;पद्ध           परिचय
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए ;डीएआर एंड पीजीद्ध विभाग को समग्र राष्ट्रीय उद्देश्यों और प्राथमिकताओं के अनुरूप ई.गवर्नेंस गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भूमिका सौंपी गई है। यह कार्य शासन संबंधित मुद्दों के लिए मुख्य रूप से अवधारणा और समग्र समन्वयव का है। इसकी तकनीकी विशेषज्ञता के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से सहयोग लिया जा रहा है।
डीएपीआरजी ने ई.शासन परियोजना तथा व्यवसाय प्रबंधन री.इंजिनियरिंग हेतु बदलाव प्रबंधन से संबंधित रिपोर्ट बनाकर सभी केंद्रीय मंत्रालयों को भेज दिया है।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत ;डीएआर एंड पीजीद्ध विभाग  ने व्यवसाय प्रक्रिया रिइंजीनियिरंग पर एक मौलिक दस्तावेज का सूत्रीकरण किया है जिसका नाम जीपीएएफ है। इसकी कल्पना राष्ट्रीय ई.शासन योजना और द्वितिय एआरसी की ग्यारवही रिपोर्ट में की गई थी। गर्वनमेंट प्रोसेस आर्किटेक्चरिंग फ्रेमवर्कए केंद्र सरकार के सगंठनों में बेहतर कार्य निष्पादन के लिएए व्यवसाय प्रक्रिया रीइंजिनियरिंग के संचालन के लिए एक विस्तृत व्यवस्थित निर्देशिका प्रदान करता है।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत निदेशालय ने सरकारी वेबसाइटों के लिए भारत सरकार के दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। ये दिशानिर्देश 2009 में जारी किए गए। नए घटनाक्रमों के साथ ही इसका अद्यतन भी किया जाता रहता है।
एनईजीपी ;जोकि अब डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के साथ मिला दिया गया हैद्ध को कैबिनेट की मंजूरी मई 2006 में मिली। ई.ऑफिसए केंद्र सरकार की श्रेणी के अंतर्गतए एनईजीपी का ही एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत निदेशालय द्वारा संयुक्त रूप से सूत्रबद्ध किया गया है।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए ई.ऑफिस मिशन मोड परियोजना का नोडल विभाग है और एनआईसी इसका तकनीकी सहयोगी है।
ई.ऑफिस का उद्देश्य एक ऐसे ऑफिस वातावरण का निर्माण करना है जिसमें फाइलों और कागज का काम कम से कम रह जाए और इस प्रकार कार्यों को व्यवस्थित करने से प्रक्रियागत समय को बचाया जा सके। इसके मुख्य उद्देश्य हैं.
ऽ        सरकार की प्रतिक्रिया की क्षमताए सततता और प्रभावशीलता में वृद्धिए
ऽ        प्रतिवर्तन काल के समय में कमी और नागरिक अधिकारों को समय से पूरा करना
ऽ        प्रशासन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए संसाधनों का बेहतर प्रबंधन
ऽ        पारदर्शिता और जवावदेही को स्थापित करना
ऽ        कम लागत वाली प्रभावी ई.भंडारण की सुविधा प्रदान करना
ऽ        ऑफिस को पर्यावरण अनुकूल बनाना
;पपद्ध एनआईसी द्वारा विकसित ई.ऑफिस उत्पादों की विशेषताएः
ऽ        फाइल प्रबंधन व्यवस्था ;ई.फाइलद्ध दृ फाइल बनाने और रसीद की प्रक्रिया को स्वचालित बनाता है
ऽ        ज्ञान प्रबंधन व्यवस्था ;केएमएसद्ध दृ कानूनए नीतियों और निर्देशों जैसे विभिन्न दस्तावेजों के केंद्रीकृत संचयिता के तौर पर कार्य करता है।
ऽ        अवकाश प्रबंधन व्यवस्था ;ई.लीवद्ध दृ अवकाश लेने की प्रक्रिया को स्वचालित बनाता है।
ऽ        भ्रमण प्रबंधन व्यवस्था ;ई.टूअरद्ध दृ कर्मचारियों के भ्रमण कार्यक्रम को स्वचालित बनाता है
ऽ        कार्मिक सूचना प्रणाली ;पीआईएसद्ध . कर्मचारी अभिलेखों का प्रबंध
ऽ        सहयोग और संदेश सेवा ;सीएएमएसद्ध और संदेश .  आंतरिक सहयोग और संदेश भेजने के लिए
ई.ऑफिस परियोजना 2011.12 में शुरू की गई थी। पहले चरण में 12 मंत्रालयोंध्विभागों को इसमें शामिल किया गया। दूसरा चरण 2012.13 में शुरू किया गया जिसे 5 मंत्रालयोंध्विभागों में लागू किया गया। तीसरा चरण 2013.14 में शुरू किया गया और इसे 7 मंत्रालयोंध्विभागों में लागू किया गया है।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए ने एक मास्टर ई.शासन प्रशिक्षण ;एमईटीपीद्ध योजना शुरू की है जिसे 2013.14 में एनईजीपी लागू करने वाले मंत्रालयोंध्विभागों में लागू किया गया है। मास्टर ई.शासन प्रशिक्षण योजना का उद्देश्य केंद्र सरकार के कर्मचारियों को ई.शासन के लिए प्रशिक्षित करना है। इसमें प्रमुख प्रवीणता के कार्यक्रम हैं दृ व्यवसाय प्रक्रिया रीइंजिनियरिंगए परियोजना प्रबंधनए बदलाव प्रबंधन इत्यादि। इस संबंध में विभिन्न समूहों का प्रशिक्षण कार्यक्रम समूह.1 ;एसओध्असिस्टेंट एवं समतुल्यद्धए समूह 2 ;यूएसध्डीएसध्निदेशक एवं समतुल्यद्ध तथा समूह .3 ;जेएस एवं समतुल्यद्ध राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान तथा एनआईसी द्वारा किया जा रहा है।
दस्तावेजों एवं रिकार्डों के डिजिटाइजेशन का कार्य प्राथमिकता के स्तर पर हो रहा है और अब तक 700 से अधिक फाइलों को प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग विभाग द्वारा डिजिटाइज किया जा चुका है।
कार्मिकए लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय पहले ही ई.ऑफिस कार्यक्रम शुरू कर चुका है।  विभाग ई.अवकाशएई.जीपीएफ आवेदनए फाइल ट्रैकिंग सिस्टम तथा ज्ञान प्रबंधन प्रणाली पर अंतरण कर चुका है।
’ प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभागए कार्मिकए लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय और पेंशन विभाग से प्राप्तश जानकारी के आधार पर।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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