Archive | October 22nd, 2014

कर्मचारी के निधन पर शोक

Posted on 22 October 2014 by admin

नगर में स्थित रामराजी सरस्वती बालिका विद्या मन्दिर इण्टरमीडिएट विद्यालय में रामचन्दर सिंह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के आकस्मिक निधन पर विद्यालय परिवार ने दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना किया । स्वर्गीय रामचन्दर सिंह मूलतः टिकरी जनपद अमेठी के निवासी थे । नौरंगीलाल सरस्वती शिशु मन्दिर शाहगंज में  अन्तिम क्षण तक अपना पूरा जीवन विद्यालय की सेवा में दिया ।
विद्यालय प्रबन्ध समिति की बैठक में भी स्वर्गीय रामचन्द्रर सिंह को उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की गयी । इस अवसर पर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राम अकबाल पाण्डेय, प्रबन्ध समिति की अध्यक्ष श्रीमती सरोज गर्ग, उपाध्यक्ष श्रीमती चन्द्रकान्ति तिवारी, प्रबन्ध सुमन सिंह, डा0गीता सिंह, बबिता जायसवाल प्रधानाचार्या कुसुम ंिसंह , सुधाबाला अग्रवाल आदि की उपस्थिति रही ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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ए.सी.पी. व्यवस्था में विसंगतियों के निराकरण तथा शासनादेशों को स्पष्ट किए जाने हेतु समेकित शासनादेश निर्गत करने का निर्णय

Posted on 22 October 2014 by admin

मंत्रिपरिषद ने सुनिश्चित कैरियर प्रोन्नयन (ए.सी.पी.) की व्यवस्था में विसंगतियों के निराकरण तथा शासनादेशों को स्पष्ट किए जाने हेतु समेकित शासनादेश निर्गत करने का निर्णय लिया है।
इसके अनुसार ऐसे कार्मिक, जिन्हें प्रथम वित्तीय स्तरोन्नयन दिनांक 01 दिसम्बर, 2008 को 10 वर्ष से अधिक की सेवा पर प्राप्त हुआ था, उन्हें प्रथम वित्तीय स्तरोन्नयन में 06 वर्ष की सेवा का प्रतिबंध होने के कारण द्वितीय वित्तीय स्तरोन्नयन 16 वर्ष से अधिक की सेवा पर मिल रहा था। प्रस्तावित संशोधन के अनुसार अब उन्हें द्वितीय वित्तीय स्तरोन्नयन कुल 16 वर्ष पर देय होगा।
ऐसे पदधारक, जिनकी पदोन्नति दिनांक 01 दिसम्बर, 2008 के बाद समयमान वेतनमान की पूर्व व्यवस्था में प्राप्त वैयक्तिक वेतनमान में हो जाती है तो द्वितीय वित्तीय स्तरोन्नयन दिए जाने हेतु ऐसी पदोन्नतियों का संज्ञान नहीं लिया जाएगा।
ऐसे पदधारक, जिन्हें समयमान वेतनमान की पूर्व व्यवस्था में द्वितीय वैयक्तिक वेतनमान प्राप्त हो रहा हो, उनकी वास्तविक पदोन्नति निम्न वेतनमान में अथवा दिनांक 01 दिसम्बर, 2008 के पश्चात् समान या उच्च वेतनमान में हो जाती है तो तृतीय ए.सी.पी. की अनुमान्यता हेतु ऐसी पदोन्नति का संज्ञान नहीं लिया जाएगा।
वरिष्ठ कार्मिक को समयमान वेतनमान और कनिष्ठ कार्मिक को ए.सी.पी. मिलने की स्थिति में वरिष्ठ का वेतन कम होने पर उसे कनिष्ठ के समान कर दिया जाएगा।
समयमान वेतनमान की अनुमन्यता विषयक विभागीय आदेश निर्गत होने से 90 दिन के अंदर विकल्प प्रस्तुत करने की व्यवस्था की जा रही है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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उ0प्र0 उप खनिज (परिहार) (सैंतीसवां संशोधन) नियमावली, 2014 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को मंजूरी

Posted on 22 October 2014 by admin

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश उप खनिज (परिहार) (सैंतीसवां संशोधन) नियमावली, 2014 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। नई व्यवस्था में पट्टाधारक का चयन टेण्डर के आधार पर होगा। रायल्टी/डेडरेण्ट के अतिरिक्त अधिकतम एवं संतोषजनक धनराशि देने वाले आवेदक को चयनित किया जाएगा, जिससे पट्टाधारक के चयन में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता आएगी तथा सरकार को रायल्टी/डेडरेण्ट के अतिरिक्त काफी बड़ी धनराशि प्राप्त होगी। चयनित पट्टाधारक से रायल्टी वसूल की जाएगी।
इस प्रक्रिया से रायल्टी/डेडरेण्ट के अतिरिक्त प्राप्त धनराशि में से 50 प्रतिशत धनराशि अगले वित्तीय वर्ष में बजट के माध्यम से खनिज विकास निधि को उपलब्ध कराई जाएगी, जिसका उपयोग खनिज क्षेत्रों के विकास एवं अन्य सम्बद्ध प्रयोजनों हेतु किया जाएगा। शेष 50 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार के लेखे में रहेगी।
उप खनिजों जैसे-बालू, मोरंग, बजरी, बोल्डर इत्यादि के लिए खनन क्षेत्रों के विस्तार की सीमा न्यूनतम 05 हेक्टेयर तथा अन्य उप खनिजों के लिए न्यूनतम 01 हेक्टेयर की गई है। लेकिन इस विस्तार का क्षेत्र उपलब्ध न हो पाने की स्थिति में न्यूनतम क्षेत्र का प्रतिबन्ध लागू नहीं होगा। इस व्यवस्था से छोटे-छोटे रिक्त क्षेत्रों का भी व्यवस्थापन किया जा सकेगा।
बाढ़ आदि के कारण कृषि भूमि पर एकत्र होने वाली बालू इत्यादि के निस्तारण की व्यवस्था शासनादेश जारी करके पूर्व में की गई थी, लेकिन नियमावली में इसकी व्यवस्था न होने के कारण यह शासनादेश मा0 न्यायालय द्वारा स्थगित कर दिया गया है। नियमावली में व्यवस्था करके एक कृषि वर्ष में अधिकतम 3 माह की अवधि के लिए भूमिधर अथवा उसकी स्वतंत्र सहमति रखने वाले आवेदक के पक्ष में खनन अनुज्ञा-पत्र स्वीकृत कर कृषकों की इस व्यावहारिक कठिनाई का निवारण किया जाएगा।
मिट्टी के बर्तन आदि बनाने के लिए सामान्य मिट्टी की खुदाई, यदि यह 2 मीटर से अधिक गहरी न हो, को खनन संक्रियाओं से मुक्त किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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उ0प्र0 फिल्म नीति में संशोधन करने की अनुमति

Posted on 22 October 2014 by admin

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश फिल्म नीति में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। इसके तहत अनुदान की वर्तमान व्यवस्था को बदलकर कम से कम 50 प्रतिशत शूटिंग उत्तर प्रदेश में करने पर अधिकतम 01 करोड़ रु0 का अनुदान दिया जाएगा। किसी भी फिल्म की 50 प्रतिशत से अधिक शूटिंग प्रदेश में होने पर 02 करोड़ रु0 का अनुदान दिया जाएगा। इसी प्रकार राज्य में द्वितीय फिल्म को 2.25 करोड़ रु0, तृतीय फिल्म को 2.50 करोड़ रु0, चतुर्थ फिल्म के लिए 2.75 करोड़ रु0 तथा इसके उपरान्त 03 करोड़ रु0 दिए जाने की व्यवस्था की गई है।
राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्माता निर्देशकों द्वारा प्रदेश में अग्र्रेतर फिल्म बनाए जाने पर अनुदान की धनराशि में बढ़ोत्तरी करते हुए क्रमशः द्वितीय फिल्म के लिए 2.75 करोड़ रु0, तृतीय फिल्म के लिए 3.25 करोड़ रु0, चतुर्थ फिल्म के लिए 3.50 करोड़ रु0 तथा पंचम फिल्म के लिए 3.75 करोड़ रु0 दिए जाएंगे। इसके साथ ही किसी फिल्म की शूटिंग प्रदेश में की जाती है और जिसके 05 कलाकार उत्तर प्रदेश के होंगे, ऐसी फिल्म के लिए 25 लाख रु0 का अतिरिक्त अनुदान दिया जाएगा।
ऐसी फिल्में, जिनकी शूटिंग राज्य में की जाती है और इसके सारे कलाकार उत्तर प्रदेश के ही हैं तो ऐसी फिल्म को 50 लाख रु0 का अतिरिक्त अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा यदि कोई फिल्म निर्माता प्रदेश में शूटिंग के माध्यम से यहां के पर्यटन स्थलों, सांस्कृतिक थीम/विरासत के सम्बन्ध में फिल्म निर्माण करता है तो उसे 50 लाख रु0 का अतिरिक्त अनुदान दिया जाएगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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‘उ0प्र0 वस्त्र उद्योग नीति’ को मंजूरी

Posted on 22 October 2014 by admin

मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश वस्त्र उद्योग नीति’ को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस नीति में राज्य में वस्त्र उद्योग में निवेश को बढ़ाने के लिए सर्वाधिक आकर्षक प्रयत्न किए गए हैं।
इसके तहत राज्य में स्पिनिंग यूनिट को 07 प्रतिशत की दर से ऋण पर देय ब्याज की प्रतिपूर्ति की सुविधा प्रदान की जाएगी। यह सुविधा अधिकतम 07 वर्ष तक देय होगी। इसकी अधिकतम सीमा प्रतिवर्ष प्रति इकाई 01 करोड़ रुपए होगी। स्पिनिंग यूनिट को छोड़कर अन्य यूनिट पर यह सीमा 05 प्रतिशत की दर से अधिकतम 07 वर्ष के लिए प्रति यूनिट अधिकतम 01 करोड़ रुपए होगी। इसी प्रकार राज्य में वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में सम्भावित निवेश को देखते हुए मेगा परियोजना की सीमा 75 करोड़ रुपए एवं 125 करोड़ रुपए का प्राविधान वस्त्र उद्योग नीति में रखा गया है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में वस्त्रोद्योग का विशेष महत्व है। कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार वस्त्रोद्योग क्षेत्र एवं इससे सम्बन्धित अनुपूरक उत्पादन इकाइयों एवं विनिर्माण इकाइयों से ही प्राप्त होता है। वस्त्रोद्योग श्रमिक बाहुल्य उद्योग है और इसमें प्रदेश के विकास के असीमित अवसर है। प्रदेश में वस्त्र उद्योग के त्वरित विकास एवं निजी निवेश को प्रोत्साहन देने एवं वस्त्र उद्योग हेतु अनुकूल वातावरण सृजित करने के दृष्टिकोण से यह नीति तैयार की गई है। इस नीति में हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग की सभी उप शाखाओं जैसे स्पिनिंग, वीविंग, डाईंग, निटिंग, रेडीमेड गारमेन्ट आदि को ध्यान में रखते हुए उन्हें प्रोत्साहन देने का प्राविधान किया गया है। वस्त्र नीति के तैयार हो जाने के बाद वस्त्र उद्योग क्षेत्र से सम्बन्धित इकाइयों को प्रोत्साहन मिलेगा तथा रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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25 लाख रु0 तक स्टाॅक रखने वाले टैन्ट व्यवसायियों के लिए समाधान योजना लागू

Posted on 22 October 2014 by admin

मंत्रिपरिषद ने 25 लाख रुपए तक स्टाॅक रखने वाले टैन्ट व्यवसायियों द्वारा टैन्ट, कनात, मेज, कुर्सी, कालीन, दरी, चादर, गद्दा, रजाई, तकिया, बेड तथा सजावट के सामान के उपयोग के अधिकार के अन्तरण पर देय कर के विकल्प में, उत्तर प्रदेश मूल्य संवर्धित कर अधिनियम की धारा-6 के तहत समाधान योजना लागू किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कमिश्नर वाणिज्य कर द्वारा इस योजना को निर्गत किए जाने की तिथि के 45 दिन के अन्दर, योजना के अन्तर्गत विकल्प देने वाले टैन्ट व्यावसायियों को विकल्प प्रार्थना पत्र एवं शपथ पत्र निर्धारित समाधान राशि के टेªजरी चालान के साथ, अपने कर निर्धारण अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। राजस्व हित तथा टैन्ट व्यवसायियों की सुविधा के दृष्टिगत, वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए स्लैबवार नियत समाधान राशियों में 20 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए, वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए समाधान राशियां निर्धारित की गई हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

Posted on 22 October 2014 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सेवानिवृत्त कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नियमानुसार प्राथमिकता से सुनिश्चित कराया जाय, समस्याओं के समाधान हेतु प्रमुख सचिव, नियुक्ति एवं कार्मिक नोडल अधिकारी नामित: मुख्य सचिव

Posted on 22 October 2014 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने कहा है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नियमानुसार प्राथमिकता से सुनिश्चित कराया जाय। उन्होंने समस्याओं के समाधान हेतु प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक को नोडल अधिकारी नामित करते हुए निर्देश दिए कि सम्बन्धित विभागों से समन्वय स्थापित कर निर्धारित अवधि में समाधान कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि असाध्य बीमारी ह्रदय, किडनी, लिवर, कैन्सर के इलाज के लिए कैशलेस सुविधा भी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को यथाशीघ्र दिलाई जायेगी। उन्होंने कहा कि पेन्शनरों को मात्र नवम्बर माह में ही नहीं बल्कि कैलेण्डर वर्ष में किसी भी माह एक बार जीवित प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किये जाने की छूट होगी। उन्होंने कहा कि बीमार एवं अशक्त अधिक आयु वाले पेन्शनरों से जीवित प्रमाण-पत्र लेने ट्रेजरी के स्टाफ को स्वयं जाना होगा। उन्होंने कहा कि वृद्ध सेवानिवृत्त एवं वरिष्ठ नागरिकों हेतु रेलवे एवं रोडवेज टिकट काउन्टर, राजकीय अस्पतालों में पर्चा, दवा वितरण एवं पैथोलोजी काउन्टर तथा बैंकों में भुगतान एवं जमा करने हेतु अलग से काउन्टर स्थापित कराने हेतु आवश्यक कार्यवाही प्राथमिकता से सुनिश्चित कराई जाय। उन्होंने कहा कि पेन्शनरों को पेन्शन एवं अन्य आवश्यक जानकारी एवं दस्तावेज आनलाइन उपलब्ध कराने की व्यवस्था तत्काल सुनिश्चित कराई जाय।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेन्शन एसोसिएशन तथा सचिवालय पेन्शनर वेलफेयर के पदाधिकारियों के साथ उनकी माँगों के सम्बन्ध में सम्बन्धित अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पेन्शनरों के राशिकरण का भुगतान दो भागों में होने पर दोनों की कटौती पहले भाग के भुगतान की तिथि से तथा दूसरे भाग की कटौती दूसरे भुगतान की तिथि से ही नियमानुसार कराये जाने की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाय। उन्होंने कहा  कि जिलाधिकारी लखनऊ के कार्यालय के समक्ष स्थापित कर्मचारी नेता स्वर्गीय वी0एन0 सिंह की प्रतिमा पर छतरी एवं बैरीकेडिंग लगाने हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित कराने हेतु परीक्षण कर प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाय।
श्री रंजन ने यह भी निर्देश दिए कि प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित किया जाय कि पेन्शनरों को अपनी नियमानुसार देयकों के लिए अनावश्यक कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़े। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी स्तर पर अनावश्यक सेवानिवृत्त कर्मचारियों केे नियमानुसार देयकों के सम्बन्ध में लापरवाही सिद्ध हुई तो सम्बन्धित अधिकारियों को बख्शा नहीं जायेगा। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पूरा सम्मान किया जाना चाहिए तथा कोषागार में आने वाले पेन्शनरों के बैठने की अलग से व्यवस्था प्रत्येक दशा में सुनिश्चित कराई जाय।
बैठक में प्रमुख सचिव, नियुक्ति एंव कार्मिक श्री राजीव कुमार, सचिव वित्त श्री अजय अग्रवाल, सचिव एवं स्वास्थ्य श्री संजय प्रसाद, सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेन्शनर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अमरनाथ यादव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री वी0एल0 कुशवाहा, महामंत्री श्री बाबूलाल वर्मा सहित अन्य प्रतिनिधित्व उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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ए0सी0पी0 में धारित पद की बाध्यता समाप्त किये जाने पर कर्मचारियों में उत्साह। शेष मांगों के पूरा होने की बढ़ी उम्मीद।

Posted on 22 October 2014 by admin

ए0सी0पी0 में धारित पद की बाध्यता समाप्त किये जाने पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उ0प्र0 ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है तथा रिजवी वेतन समिति द्वारा संस्तुति किये गये संवर्गों की वेतन विसंगति पर शीघ्र निर्णय लेकर कर्मचारियों को उसके लाभ प्रदान किये जाने हेतु अनुरोध करते हुये, परिषद ने प्रदेश के विकास में कर्मचारियों की भूमिका के दृष्टिगत उनके सेवाहितों पर ध्यान देने की अपील की है। अभी तक ऐसे राज्य कर्मचारियों को, जिन्हें प्रोन्नति वेतनमान का लाभ दिसम्बर, 2008 से पूर्व प्राप्त हो चुका था, को द्वितीय ए0सी0पी0 के रूप में 16 वर्षों के स्थान पर 18, 19 वर्षों के बाद प्राप्त हो रहा था। इस विसंगति को समाप्त किये जाने से कार्मिक को कुल 16 वर्षों की सेवा पर द्वितीय ए0सी0पी0 का लाभ प्राप्त हो सकेगा।
नवम्बर 2013 में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने धारित पद में बाध्यता को समाप्त किये जाने, पदोन्नति पद के वेतनमान की व्यवस्था, पुरानी पेंशन व्यवस्था, अवकाश नकदीकरण सहित भत्तों में केन्द्रीय समानता की मांग को लेकर अभूतपूर्व हड़ताल की थी। कुल 16 वर्षों की सेवा पर द्वितीय ए0सी0पी0 का लाभ दिये जाने पर कर्मचारियों में इस बात की आशा बढ़ी है कि शेष मांगों पर भी सरकार द्वारा सार्थक विचार कर कर्मचारियों की मांग को पूरा किया जायेगा।
परिषद के प्रान्तीय अध्यक्ष श्री हरि किशोर तिवारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री भूपेश अवस्थी व महामंत्री श्री शिवबरन सिंह यादव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुये मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है तथा शेष लम्बित मांगों पर शीघ्र कार्यवाही करने की मांग की है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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भ्रूण एप्रत्यारोपण तकनीक से दुधारू पशुओं की विशेष नस्ल सुधार प्रक्रिया सुलभ

Posted on 22 October 2014 by admin

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में पशुधन एवं डेरी विकास के लिए अब गायों एवं भैंसों में भू्रण प्रत्यारोपण तकनीक का प्रयोग शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के माध्यम से राष्ट्रीय विज्ञान एवं तकनीकी परियोजना के अन्तर्गत भू्रण प्रत्यारोपण तकनीक द्वारा  उत्पादकता बढ़ाने हेतु पशु समूह के नस्लों की सुधार योजना पूरे प्रदेश से उ0प्र0 पशुधन विकास परिषद द्वारा संचालित की जा रही है।
यह जानकारी उ0प्र0 पशुधन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा0 बी0बी0एस0 यादव ने दी। उन्होंने बताया कि अभी तक पशुधन विकास  एवं डेरी हेतु कृत्रिम गर्भाधान तकनीकी का प्रयोग किया जाता रहा है किन्तु अअब भू्रण प्रत्यारोपण तकनीक सफल होने से आशातीत दुधारू पशुओं का संवर्धन एवं प्रजनन होगा।
डा0 यादव ने बताया कि भू्रण प्रत्यारोपण से श्रेष्ठ उन्नत नस्ल की गायों में एक्सोजीनस हारमोंस के टीके लगाकर एक बार मंे एक से अधिक अण्डे(डिम्ब) तैयार किये जाते है जिन्हें गायके गर्भाशय में श्रेष्ठ नस्ल कि साड़ के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान या नैसर्गिक विधि से फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद भू्रणों का संग्रह जन्म तक अन्य पालक गाय में उसके प्रत्यारोपण की प्रक्रिया की जाती है।
डा0 यादव ने बताया कि भू्रण प्रत्यारोपण तकनीक से श्रेष्ठ उन्नतिशील नस्ल की गाय से अधिक से अधिक भू्रण प्राप्त करके उन्नतिशील बछड़े एवं बछिया प्राप्त की जा सकती है। जबकि सामान्यतः एक गाय अपने जीवनकाल में 6 से 7 बछड़े उत्पन्न कर सकती है। भू्रण प्रत्यारोपण विधि से एक बार में गाय से 6 से 8 भ्रूण प्राप्त करके उन्हें अन्य पालत गायों में प्रत्यारोपित करके एक वर्ष में 5 से 10 उन्नतिशील नस्ल के बछड़ें/बछिया प्राप्त कर सकते है। इस तकनीक से श्रेष्ठ गाय में विद्यमान उच्च आनुवांशिक गुणों का भी विस्तार किया जा सकता है।
डा0 याादव ने बताया कि इस विधि से पशुओं में संक्रमण रोगों के फैलने से रोकथाम की जा सकेगी। इस विधिसे भारतीय परिवेश की अधिक देध देने वाली नस्लों जैसे-साहीवाल, भुर्रा भैंस, गिर आदि पशुओं को विलुप्त होने से बचाया जा सकेगा। इस  विधि के अन्र्तगत भ्रूणों का भू्रण बैंक बनाकर कई वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। देसी गायों में भ्रूण प्रत्यारोपण से उत्पन्न बछिया/बछड़ों में रोग निरोधक क्षमता उत्पन्न होगी जिससे बच्चों को रोगो से बचाव किया जा सकेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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