उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में पशुधन एवं डेरी विकास के लिए अब गायों एवं भैंसों में भू्रण प्रत्यारोपण तकनीक का प्रयोग शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के माध्यम से राष्ट्रीय विज्ञान एवं तकनीकी परियोजना के अन्तर्गत भू्रण प्रत्यारोपण तकनीक द्वारा उत्पादकता बढ़ाने हेतु पशु समूह के नस्लों की सुधार योजना पूरे प्रदेश से उ0प्र0 पशुधन विकास परिषद द्वारा संचालित की जा रही है।
यह जानकारी उ0प्र0 पशुधन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा0 बी0बी0एस0 यादव ने दी। उन्होंने बताया कि अभी तक पशुधन विकास एवं डेरी हेतु कृत्रिम गर्भाधान तकनीकी का प्रयोग किया जाता रहा है किन्तु अअब भू्रण प्रत्यारोपण तकनीक सफल होने से आशातीत दुधारू पशुओं का संवर्धन एवं प्रजनन होगा।
डा0 यादव ने बताया कि भू्रण प्रत्यारोपण से श्रेष्ठ उन्नत नस्ल की गायों में एक्सोजीनस हारमोंस के टीके लगाकर एक बार मंे एक से अधिक अण्डे(डिम्ब) तैयार किये जाते है जिन्हें गायके गर्भाशय में श्रेष्ठ नस्ल कि साड़ के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान या नैसर्गिक विधि से फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद भू्रणों का संग्रह जन्म तक अन्य पालक गाय में उसके प्रत्यारोपण की प्रक्रिया की जाती है।
डा0 यादव ने बताया कि भू्रण प्रत्यारोपण तकनीक से श्रेष्ठ उन्नतिशील नस्ल की गाय से अधिक से अधिक भू्रण प्राप्त करके उन्नतिशील बछड़े एवं बछिया प्राप्त की जा सकती है। जबकि सामान्यतः एक गाय अपने जीवनकाल में 6 से 7 बछड़े उत्पन्न कर सकती है। भू्रण प्रत्यारोपण विधि से एक बार में गाय से 6 से 8 भ्रूण प्राप्त करके उन्हें अन्य पालत गायों में प्रत्यारोपित करके एक वर्ष में 5 से 10 उन्नतिशील नस्ल के बछड़ें/बछिया प्राप्त कर सकते है। इस तकनीक से श्रेष्ठ गाय में विद्यमान उच्च आनुवांशिक गुणों का भी विस्तार किया जा सकता है।
डा0 याादव ने बताया कि इस विधि से पशुओं में संक्रमण रोगों के फैलने से रोकथाम की जा सकेगी। इस विधिसे भारतीय परिवेश की अधिक देध देने वाली नस्लों जैसे-साहीवाल, भुर्रा भैंस, गिर आदि पशुओं को विलुप्त होने से बचाया जा सकेगा। इस विधि के अन्र्तगत भ्रूणों का भू्रण बैंक बनाकर कई वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। देसी गायों में भ्रूण प्रत्यारोपण से उत्पन्न बछिया/बछड़ों में रोग निरोधक क्षमता उत्पन्न होगी जिससे बच्चों को रोगो से बचाव किया जा सकेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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