सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तीन हजार से अधिक शिक्षक/शिक्षिकाओं व कार्यकर्ताओं ने आज विशाल ‘अहिंसा मार्च’ निकालकर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के विचारों को आत्मसात करने एवं तपोनिष्ठ महर्षि वाल्मीकि की शिक्षाओं के अनुसार भारतीय संस्कृति व सभ्यता को अक्षुण्ण बनाये रखने का संदेश दिया एवं बापू के सपनों को साकार करने का अभूतपूर्व उत्साह जगाया। ‘जय जगत’ एवं ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश लिखे सफेद टी-शर्ट पहने हुए सी.एम.एस. के लगभग 3000 शिक्षकों का यह विशाल ‘अहिंसा मार्च’ देखने लायक था। गोमती नगर एक्सटेंशन स्थित मकदूमपुर पुलिस चैकी से सी.एम.एस. गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) तक निकाले गये इस विशाल मार्च का नेतृत्व यूनेस्को के साइंस आॅफीसर श्री रामभुज, सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी व डा. (श्रीमती) भारती गाँधी एवं सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट व चीफ आॅपरेटिंग आॅफीसर प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने किया। इस अवसर पर शिक्षा, साहित्य, पत्रकारिता व अन्य अनेक क्षेत्रों की प्रख्यात हस्तियाँ समेत सी.एम.एस. के सभी कैम्पस की प्रधानाचार्याए उपस्थित थीं। इस विशाल मार्च के माध्यम से सी.एम.एस. शिक्षकों ने न सिर्फ लखनऊवासियों को अपितु सम्पूर्ण विश्व को यह संदेश दिया कि मानवता की रक्षा के लिए ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना ही एकमात्र विकल्प है जिसे आत्मसात कर सर्व-धर्म समभाव एवं अहिंसा पर आधारित विश्व समाज की आधारशिला रखी जा सकती है एवं भारतीय संस्कृति व सभ्यता के गौरव को पूरे विश्व प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
इससे पहले, ‘महात्मा गाँधी अमर रहें’, ‘धार्मिक एकता जिन्दाबाद’, ‘विश्व एकता जिन्दाबाद’, आदि नारे लगाता हुआ सी.एम.एस. शिक्षकों का सैलाब अत्यन्त मनोहारी दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। सी.एम.एस. के विभिन्न कैम्पस की प्रधानाचार्यायें इस विशाल मार्च में अपने अपने शिक्षक दल के साथ आगे-आगे चल रही थीं तो वहीं सी.एम.एस.शिक्षक-शिक्षिकाएं हाथों में ग्लोब लेकर सत्य व अहिंसा का संदेश दे रहे थे। इसके अलावा इस विशाल अहिंसा मार्च में विभिन्न प्रकार के नारे व स्लोगन लिखे तख्तियाँ, बैनर व पोस्टर, विभिन्न देशों के झण्डे व ग्लोब के माध्यम से चरित्र निर्माण, सत्य, अहिंसा एवं वसुधैव कुटुम्बकम की सीख देते सी.एम.एस. शिक्षकों का पंक्तिबद्ध दृश्य देखने लायक था। राष्ट्रपिता के संदेशों से ओतप्रोत स्लोगन ने मार्च की शोभा में चार-चांद लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिन्होंने सामाजिक सौहार्द, धार्मिक एकता व भावी पीढी के चरित्र निर्माण का अभूतपूर्व दृश्य उपस्थित किया। लखनऊ के जनमानस ने भी सी.एम.एस. शिक्षकों के अहिंसा मार्च का पुरजोर समर्थन किया एवं सड़क के दोनों किनारों पर खड़े विशाल जन-समूह ने तालियां बजाकर सी.एम.एस. शिक्षकों की हौसला अफजाई की।
सी.एम.एस. गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) आॅडिटोरियम में पहुँचकर सी.एम.एस. शिक्षकों का यह ‘अहिंसा मार्च’ एक विशाल समारोह में परिवर्तित हो गया, जहाँ सी.एम.एस. शिक्षकों ने बड़े उल्लास से ‘अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ मनाया एवं देश की दो महान विभूतियों राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी एवं महर्षि वाल्मीकि के जीवन दर्शन पर आधारित रंगारंग शिक्षात्मक-साँस्कृतिक समारोह सम्पन्न हुए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे श्री पार्थसारथी सेन शर्मा, आई.ए.एस., सचिव, मुख्यमंत्री, उ.प्र., ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी एवं महर्षि वाल्मीकि के चित्रों पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलित कर समारोह का विधिवत शुभारम्भ किया। समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारकर श्री रामभुज, साइंस आॅफीसर, यूनेस्को एवं श्री अमित मेहरोत्रा, प्रोग्राम मैनेजर, यूनिसेफ ने इसकी गरिमा को बढ़ाया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य अतिथि श्री पार्थसारथी सेन शर्मा, आई.ए.एस., सचिव, मुख्यमंत्री, उ.प्र, ने कहा कि निश्चित रूप से आज हम एक प्रगतिशील समाज का अंग है परन्तु इसकी सार्थकता तभी सिद्ध हो सकेगी जब हम अपनी महान विरासत को सहेज सकें एवं आने वाली पीढि़यों में आगे बढ़ा सकें। वास्तव में, संयुक्त राष्ट संघ द्वारा महात्मा गाँधी की जयंती को ‘अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ घोषित करने के बहुत पहले से ही हम भारतवासी अहिंसा दिवस मनाते आ रहे हैं, परन्तु आज आवश्यकता इस बात की है कि हम भावी पीढ़ी को विभिन्नताओं से ऊपर उठकर विश्व एकता हेतु प्रेरित करें। श्री सेन ने आगे कहा कि यह दायित्व शिक्षक ही निभा सकते हैं। अतः शिक्षकों का बच्चों के रोल माडल बनकर उदाहरण पेश करना चाहिए कि साधारण रहन-सहन व ऊँची सोच की बदौलत कोई भी इंसान महात्मा गाँधी जैसा महान बन सकता है। विशिष्ट अतिथि श्री रामभुज, साइंस आॅफीसर, यूनेस्को ने अपने संबोधन में कहा कि पूरा विश्व आज आतंकवाद व युद्धोन्माद से घिरा हुआ है, सीरिया व ईराक आदि देशों की स्थिति विश्ववासियों के सामने हैं, ऐसे में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि उद्देश्यपूर्ण शान्ति शिक्षा ही एकमात्र विकल्प है, जिसके द्वारा हम संसार में शान्ति व स्थिरता ला सकते हैं। विशिष्ट अतिथि श्री अमित मेहरोत्रा, प्रोग्राम मैनेजर, यूनिसेफ, ने कहा कि हमें उन नैतिक मूल्यों को एक बार फिर से आत्मसात करना होगा जिस पर चलकर बापू ने अहिंसक क्रान्ति का बिगुल फूंका था। गाँधी जी के आदर्शों को अपनाकर हम स्वयं का एवं दूसरों का भी जीवन सुधार सकते हैं।
सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट व चीफ आॅपरेटिंग आॅफीसर प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने कहा कि महात्मा गाँधी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और सदैव रहेंगी। अहिंसा में वह शक्ति निहित है जिसने भारत को आजादी दिलाई। महात्मा गाँधी का कथन है कि दूसरों का क्षमा करना साहसी व्यक्तियों द्वारा ही संभव है। हम किसी को भी हिंसा के माध्यम से अहिंसा नहीं सिखा सकते। डा. गाँधी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने भी अपने जीवन दृष्टांत से हमें यही शिक्षा दी है। इससे पहले सी.एम.एस. के क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन विभाग की हेड सुश्री सुष्मिता बासु ने उपस्थित गणमान्य अतिथियों का हार्दिक स्वागत अभिनंदन किया।
‘अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के उपलक्ष्य में सी.एम.एस. शिक्षकों ने विश्व एकता व विश्व शान्ति का संदेश देते अनेक शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर अहिंसा की भावना को सारे विश्व में प्रवाहित प्रचारित किया। समारोह की शुरुआत गोमती नगर (प्रथम व द्वितीय कैम्पस) के शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा प्रस्तुत स्कूल प्रार्थना ‘आई बियर विटनेस’ से हुई एवं इसके उपरान्त इन्हीं दोनों कैम्पस के शिक्षकों ने ‘वल्र्ड पार्लियामेन्ट’ की विशेष प्रस्तुति द्वारा ‘21वीं सदी में शिक्षा के स्वरूप’ पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा प्रस्तुत की। इस अवसर पर सी.एम.एस. की शिक्षा पद्धति, फिलाॅसफी एवं प्रत्येक बालक को समाज का प्रकाश बनाने वाली सी.एम.एस. विचारधारा को उजागर करते हुए मल्टीमीडिया प्रजेन्टेशन, सी.एम.एस. के विभिन्न कैम्पस के शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत सर्व-धर्म प्रार्थना, संगीत शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत नृत्य नाटिका, नुक्कड़ नाटक आदि ने भी अभूतपूर्व समां बांधा। इसके अलावा महर्षि वाल्मीकि के जीवन दर्शन पर आधारित विशेष प्रस्तुति ‘चेन्ज आॅफ हर्ट’ एवं राष्ट्रपिता बापू के व्यक्तित्व व कृतित्व आधारित प्रस्तुति ‘फिलाॅसफी आॅफ महात्मा गाँधी’ ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया एवं सम्पूर्ण आॅडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।
समारोह में बोलते हुए सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि ईश्वर ने महात्मा गाँधी को संसार में एक विशेष मसीहा के रूप में भेजा था। उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी के आदर्शों पर चलकर हम विश्व एकता स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए शुरू से ही बच्चों को नैतिक शिक्षा व सार्वभौमिक जीवन मूल्यों की शिक्षा देकर उन्हें विश्व नागरिक बनाना होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पूरे विश्व को विनाश से बचाने के लिए आज विश्व एकता की शिक्षा बच्चों को बाल्यावस्था से देने की बहुत आवश्यकता है। डा. गाँधी ने आगे कहा कि इस ‘अहिंसा मार्च’ के माध्यम से एकता का संदेश जो पूरे विश्व में प्रसारित हुआ है, उसकी गूँज संसार के सभी शिक्षाविदों, विद्वानों, न्यायविदों व राष्ट्राध्यक्षों तक अवश्य पहुँचेगी और सम्पूर्ण मानवता को अपने कर्तव्यों प्रति झकझोर कर रख देगी। अन्त में विद्यालय की संस्थापिका-निदेशिका डा. (श्रीमती) भारती गाँधी ने ‘अहिंसा मार्च’ के अत्यन्त सफल आयोजन के लिए सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आध्यात्मिक शिक्षा का आज के परिप्रेक्ष्य में विशेष महत्व है क्योंकि इसी के माध्यम से भावी पीढ़ी का चरित्र निर्माण संभव है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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