मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश उप खनिज (परिहार) (सैंतीसवां संशोधन) नियमावली, 2014 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। नई व्यवस्था में पट्टाधारक का चयन टेण्डर के आधार पर होगा। रायल्टी/डेडरेण्ट के अतिरिक्त अधिकतम एवं संतोषजनक धनराशि देने वाले आवेदक को चयनित किया जाएगा, जिससे पट्टाधारक के चयन में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता आएगी तथा सरकार को रायल्टी/डेडरेण्ट के अतिरिक्त काफी बड़ी धनराशि प्राप्त होगी। चयनित पट्टाधारक से रायल्टी वसूल की जाएगी।
इस प्रक्रिया से रायल्टी/डेडरेण्ट के अतिरिक्त प्राप्त धनराशि में से 50 प्रतिशत धनराशि अगले वित्तीय वर्ष में बजट के माध्यम से खनिज विकास निधि को उपलब्ध कराई जाएगी, जिसका उपयोग खनिज क्षेत्रों के विकास एवं अन्य सम्बद्ध प्रयोजनों हेतु किया जाएगा। शेष 50 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार के लेखे में रहेगी।
उप खनिजों जैसे-बालू, मोरंग, बजरी, बोल्डर इत्यादि के लिए खनन क्षेत्रों के विस्तार की सीमा न्यूनतम 05 हेक्टेयर तथा अन्य उप खनिजों के लिए न्यूनतम 01 हेक्टेयर की गई है। लेकिन इस विस्तार का क्षेत्र उपलब्ध न हो पाने की स्थिति में न्यूनतम क्षेत्र का प्रतिबन्ध लागू नहीं होगा। इस व्यवस्था से छोटे-छोटे रिक्त क्षेत्रों का भी व्यवस्थापन किया जा सकेगा।
बाढ़ आदि के कारण कृषि भूमि पर एकत्र होने वाली बालू इत्यादि के निस्तारण की व्यवस्था शासनादेश जारी करके पूर्व में की गई थी, लेकिन नियमावली में इसकी व्यवस्था न होने के कारण यह शासनादेश मा0 न्यायालय द्वारा स्थगित कर दिया गया है। नियमावली में व्यवस्था करके एक कृषि वर्ष में अधिकतम 3 माह की अवधि के लिए भूमिधर अथवा उसकी स्वतंत्र सहमति रखने वाले आवेदक के पक्ष में खनन अनुज्ञा-पत्र स्वीकृत कर कृषकों की इस व्यावहारिक कठिनाई का निवारण किया जाएगा।
मिट्टी के बर्तन आदि बनाने के लिए सामान्य मिट्टी की खुदाई, यदि यह 2 मीटर से अधिक गहरी न हो, को खनन संक्रियाओं से मुक्त किया गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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