मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश वस्त्र उद्योग नीति’ को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस नीति में राज्य में वस्त्र उद्योग में निवेश को बढ़ाने के लिए सर्वाधिक आकर्षक प्रयत्न किए गए हैं।
इसके तहत राज्य में स्पिनिंग यूनिट को 07 प्रतिशत की दर से ऋण पर देय ब्याज की प्रतिपूर्ति की सुविधा प्रदान की जाएगी। यह सुविधा अधिकतम 07 वर्ष तक देय होगी। इसकी अधिकतम सीमा प्रतिवर्ष प्रति इकाई 01 करोड़ रुपए होगी। स्पिनिंग यूनिट को छोड़कर अन्य यूनिट पर यह सीमा 05 प्रतिशत की दर से अधिकतम 07 वर्ष के लिए प्रति यूनिट अधिकतम 01 करोड़ रुपए होगी। इसी प्रकार राज्य में वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में सम्भावित निवेश को देखते हुए मेगा परियोजना की सीमा 75 करोड़ रुपए एवं 125 करोड़ रुपए का प्राविधान वस्त्र उद्योग नीति में रखा गया है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में वस्त्रोद्योग का विशेष महत्व है। कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार वस्त्रोद्योग क्षेत्र एवं इससे सम्बन्धित अनुपूरक उत्पादन इकाइयों एवं विनिर्माण इकाइयों से ही प्राप्त होता है। वस्त्रोद्योग श्रमिक बाहुल्य उद्योग है और इसमें प्रदेश के विकास के असीमित अवसर है। प्रदेश में वस्त्र उद्योग के त्वरित विकास एवं निजी निवेश को प्रोत्साहन देने एवं वस्त्र उद्योग हेतु अनुकूल वातावरण सृजित करने के दृष्टिकोण से यह नीति तैयार की गई है। इस नीति में हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग की सभी उप शाखाओं जैसे स्पिनिंग, वीविंग, डाईंग, निटिंग, रेडीमेड गारमेन्ट आदि को ध्यान में रखते हुए उन्हें प्रोत्साहन देने का प्राविधान किया गया है। वस्त्र नीति के तैयार हो जाने के बाद वस्त्र उद्योग क्षेत्र से सम्बन्धित इकाइयों को प्रोत्साहन मिलेगा तथा रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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