Archive | August 14th, 2013

इलाहाबाद जल निगम के अधीक्षण अभियंता को निलम्बित किया जाये- आज़म

Posted on 14 August 2013 by admin

  • सभी परियोजनाओं को 31 दिसम्बर तक हर हाल में पूरा करने के दिये आज़म ने निर्देश
  • शहरों में डिवाइडरों एवं सड़क के किनारों का सौन्दर्यीकरण होगा
  • अतिक्रमण को पूरी ताक़त से हटा कर शहरों को साफ सुथरा रखने के निर्देश

प्रदेश के नगर विकास मंत्री मोहम्मद आज़म खाँ ने इलाहाबाद में तैनात जल निगम के अधीक्षण अभियंता अनूप कुमार सक्सेना को तत्काल निलम्बित किये जाने के निर्देश दिये। जे0एन0एन0यू0आर0एम0 के तहत इलाहाबाद मंे संचालित पेयजल, सीवरेज, साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट की परियोजनाओं में विलम्ब और इसके स्पष्ट कारणों को न बता पाने में असमर्थ रहने और परियोजनाओं के बारे में सही जानकारी न रखने के चलते श्री सक्सेना को निलम्बित किये जाने के निर्देश दिये गये।
श्री आज़म खाँ आज यहाँ योजना भवन मंे नगर विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में नगर विकास राज्य मंत्री श्री चितरंजन स्वरूप तथा विशेष सचिव नगर विकास श्री एस0पी0सिंह के अलावा जल निगम के प्रबंध निदेशक, निदेशक, स्थानीय निकाय प्रदेश के सभी नगर आयुक्त, प्रथम श्रेणी की नगर पालिका परिषदों के अधिशासी अधिकारी तथा नगर विकास, जल निगम, सी0 एण्ड डी0एस0 व जल संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
जे0एन0एन0यू0आर0एम0 परियोजनाओं के पूर्ण होने में जो विलम्ब हुआ उस पर अपनी नाराज़गी जताते हुये श्री खाँ ने कहा कि इस विलम्ब के फलस्वरूप अधिकांश परियोजनायें समय से पूर्ण नहीं हो पायीं, साथ ही उनकी लागत में वृद्धि हो गयी। इस बात से इन परियोजनाओं से जुड़े अभियंताओं व अधिकारियों की लापरवाही जाहिर होती है। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि अकारण विलम्ब की वजह से लागत में जो वृद्धि हुई है उसकी वसूली संबंधित अभियंताओं से की जायेगी। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि जे0एन0एन0यू0आर0एम0 के तहत प्रदेश में संचालित सभी परियोजनाओं को आगामी दिसम्बर तक हर हाल में पूरा करते हुये उन्हंे चालू किया जाये। इस कार्य में किसी भी प्रकार की कोताही को माफ़ नहीं किया जायेगा और अधीक्षण अभियंता से लेकर जूनियर इंजीनियर तक के अधिकारियों को इस कोताही का खमियाजा भुगतना होगा। उन्होंने कहा जे0एन0एन0यू0आर0एम0 के द्वितीय चरण का कार्यकाल ही मार्च 2014 में समाप्त हो रहा है तो कुछ परियोजनाओं के पूर्ण होने की तिथि 31 मार्च, 2014 बताना अपने आप ही में एक हास्यास्पद स्थिति को दर्शाता है।
विभिन्न परियोजनाओं पर अब तक हुई प्रगति की समीक्षा करते हुये नगर विकास मंत्री ने पाया कि कुछ परियोजनाओं की अब तक की प्रगति सिर्फ 03 प्रतिशत से 40 प्रतिशत के बीच हैै। उन्होंने कहा ऐसी परियोजनाओं को ड्राप कर देना चाहिये, उन पर आगे कोई और काम नहीं किया जाना चाहिये, क्योंकि इनको किसी भी हालत में जे0एन0एन0यू0आर0एम0 के आगामी 31 मार्च तक समाप्त होने वाले द्वितीय चरण में पूरा नहीं किया जा सकता है। इन पर कार्य करना धन, समय और श्रम की बर्बादी होगी।
बैठक में आॅटोमेशन तकनीक का जि़क्र किये जाने पर श्री आज़म खाँ ने कहा कि इससे मानवशक्ति कम होगी, लेकिन कितने लोगों की रोजी-रोटी चली जायेगी, इस पर भी सोचना होगा। इस तकनीक से हजारों लेाग बेरोजगार हो जायेंगे, जो कि एक कल्याणकारी राज्य के लिये उचित नहीं है। अतः इस तरह की तकनीक से परहेज़ करना चाहिये।
बैठक में रखी गयी कानपुर नगर की सीवरेज डिस्ट्रिक्ट-4 पर हुई प्रगति श्री खाँ को सही नहीं लगी। इस सम्बन्ध में उन्होंने नगर विकास राज्य मंत्री श्री चितरंजन स्वरूप से कहा कि वे आज ही कानपुर जाकर इस परियोजना का स्थलीय निरीक्षण करें और अपनी रिपोर्ट कल तक उनके समक्ष रखें। यदि श्री स्वरूप की रिपोर्ट में परियोजना से जुड़े अधिकारियों के प्रगति दावे सही नहीं पाये जाते हैं तो सभी संबंधित के विरुद्ध ऐसी कठोर कार्रवाई की जायेगी, जिससे दूसरे लोग नसीहत ले सकें।
श्री आज़म खाँ ने यह भी निर्देश दिये कि शहरों में अतिक्रमण को सख्ती से हटाया जाये, साथ ही अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सुसंगत धाराओं के तहत मुकदमें दर्ज किये जायें। यह भी सुनिश्चित किया जाये कि एक बार अतिक्रमण हटाने के बाद वहाँ पुनः अतिक्रमण न होने पाये। उन्होंने शहरी सड़कों की फुटपाथों, डिवाइडर आदि के सौन्दर्यीकरण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि डिवाइडर व फुटपाथों पर सुंदर फूलों के पौधे लगाये जायें। साथ ही सड़क के कच्चे किनारों पर घास व फलदार पौधे लगाये जायें। उन्होंने नगर आयुक्तों को निर्देश दिये कि नगर निगम की खाली पड़ी जमीनों को पता लगाकर उन्हें स्ट्रीट वेंडर्स को उपलब्ध करायंे जो उस पर अपने खर्च से दुकानें बनाकर स्थायी रूप से कारोबार करने के लिये तैयार हैं। उन्होंने कहा कि इन जमीनों पर भू-माफिया द्वारा कब्जा किये जाने से बेहतर है कि इन्हें बेरोजगार व फेरीवालों को कारोबार के लिये दे दिया जाये। उन्होंने इस चेतावनी के साथ बैठक खत्म की कि अगली बैठक में कमियांे के लिये जिम्मेदार किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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अचल सम्पत्ति की फर्जी रजिस्ट्री की जांच का अधिकार सहायक महानिरीक्षक निबन्धन को मिला

Posted on 14 August 2013 by admin

  • जाँच 2 माह में पूर्ण होगी
  • रजिस्ट्री फर्जी पाये जाने पर रजिस्ट्रीकर्ता एवं साक्षीगण के  विरुद्ध एफ0आई0आर0 दर्ज होगी
  • जालसाजी की शिकायत दर्ज करने में विलम्ब करने पर सम्बन्धित अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई होगी -स्टाम्प एवं निबन्धन मंत्री

फर्जी दस्तावेजों, साक्ष्यों एवं धोखे से (छद्मवेश) अचल सम्पत्ति की रजिस्ट्री हो जाने पर कमजोर एवं निर्बल वर्ग के लोगों को अब न्यायालय के स्थान पर सहायक महानिरीक्षक (निबन्धन) के यहां से 2 माह में न्याय मिल सकेगा। शिकायतों की जांच के लिए सहायक महानिरीक्षक निबन्धन जांच अधिकारी होंगे।
उत्तर प्रदेश के स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री श्री राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह ने यह जानकारी देते हुए आज यहां बताया कि इस सम्बन्ध में राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिये हैं। उन्होंने बताया कि कल्याणकारी राज्य के उद्देश्य की पूर्ति तथा रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने एवं दुर्बल वर्ग के हितों की रक्षा करने के लिए ही यह शासनादेश जारी किया गया है, ताकि ऐसे फर्जी विलेखांे को विधिक रूप से निष्प्रभावी किया जा सके।
पंजीयन मंत्री ने बताया कि अब कपटपूर्ण ढंग से पंजीकृत कराये गये विलेखों के सम्बन्ध में सम्बन्धित शिकायतकर्ता जिलों के सहायक महानिरीक्षक (निबन्धन) के यहां अपनी शिकायत दर्ज करा सकेगा। शिकायत दर्ज होने के उपरान्त जांच अधिकारी द्वारा विलेखों के निष्पादकों तथा साक्षीगणों को शिकायत की प्रति के साथ नोटिस जारी किया जायेगा, जो निर्धारित तिथि पर अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे। जांच अधिकारी आवश्यकता पड़ने पर निबन्धनकर्ता अधिकारी (सब-रजिस्ट्रार) को साक्ष्य के लिए बुला सकता है।
जांच अधिकारी द्वारा प्रत्येक प्रकरण की जांच 2 माह में पूर्ण कर दी जायेगी। यदि 2 सम्मन पर पक्षकार उपस्थित नहीं होते हैं तो ऐसी दशा में जांच अधिकारी द्वारा उपलब्ध अभिलेखों, साक्ष्यों तथा गवाहों का परीक्षण कर एक-पक्षीय आदेश जारी कर दिया जायेगा।
जांच के दौरान यदि यह निष्कर्ष निकलता है कि विलेख का पंजीकरण फर्जी अभिलेखों एवं साक्ष्यों के आधार पर कराया गया है तो जांच अधिकारी स्पष्ट आदेश द्वारा उस विलेख का पंजीकरण निरस्त कर देगा तथा निबन्धन अधिकारी को आदेश देगा कि इस कपटपूर्ण कृत्य में सम्मिलित व्यक्तियों के विरुद्ध एफ0आई0आर0 दर्ज कराये तथा इन्डेक्स में प्रश्नगत विलेख के सम्बन्ध में यह टिप्पणी दर्ज करे कि सहायक महानिरीक्षक निबन्धन द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया के अनुसार इस विलेख का पंजीकरण रद्द (annulled) किया जाता है।
प्रमुख सचिव बी0एम0मीना द्वारा सभी जिलाधिकारियों को भेजे गये परिपत्र में कहा गया है कि यह निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होगा जहां शिकायतकर्ता किन्हीं कारणोंवश उपस्थित होकर प्रश्नगत विलेख के निष्पादन के सम्बन्ध में स्वीकृति प्रदान कर देता है। यह प्रक्रिया केवल ऐसे विलेखों के सम्बन्ध में है, जिनका पंजीकरण जालसाजी के आधार पर कराया गया है तथा यह प्रक्रिया ऐसे विलेखों के पंजीकरण पर लागू नहीं होगी, जहां स्वामित्व का विवाद है।
शासनादेश के अनुसार जालसाजी के आधार पर पंजीकृत विलेखों की शिकायत दर्ज करने की कार्यवाही में विलम्ब करने, एफ0आई0आर0 दर्ज कराने या इन्डेक्स में टिप्पणी दर्ज करने में यदि कोई विलम्ब किया जाता है, ऐसी दशा में सम्बन्धित अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जायेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 2000 करोड़ रूपये के निवेश की क्षमता का पूरा दोहन किया जाये, यू0पी0 नेडा को आई0आई0डी0सी0 के निर्देश

Posted on 14 August 2013 by admin

  • केन्द्र से शीघ्र धन प्राप्त कर गांव में 34834 संयत्रों की स्थापना करें-आलोक रंजन
  • कन्नौज में सौर ऊर्जा का एक प्रशिक्षण केन्द्र बनेगा-जीवेश नन्दन

अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त श्री आलोक रंजन ने कहा है कि राज्य में सौर विद्युत परियोजनाओं में 2000 करोड़ रूपये से अधिक निवेश की क्षमता है, जिसका पूरी तरह से अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग द्वारा दोहन सुनिश्चित किया जाय। उन्होने नेडा द्वारा संचालित परियोजनाओं में केन्द्र सरकार की अंश पूंजी को शीघ्र केन्द्र से प्राप्त करने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होने कहा कि जितनी जल्दी हो सके केन्द्र सरकार के ऊर्जा सचिव से सम्पर्क कर उत्तर प्रदेश के लिए निर्धारित धनराशि अवमुक्त कराकर राज्य के विकास में उसका प्रयोग किया जाय।
श्री आलोक रंजन आज अपने कार्यालय कक्ष में अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग और उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (नेडा) के साथ राज्य में वैकल्पिक ऊर्जा व्यवस्था के विकास की गहन समीक्षा कर रहे थे। उन्होने निर्देश दिया है कि यू0पी0 नेडा एवं टी0एच0डी0सी0 लि0 के संयुक्त उपक्रम से स्थापित होने वाले 30 मे0वाट0 क्षमता के ग्रिड संयोजित सोलर पावर प्लाण्ट की स्थापना में तेजी लायी जाय और उसे समय सारिणी के अन्तर्गत पूरा कर लिया जाय। यह पावर प्लाण्ट उरई के डकोर तहसील में स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। उन्होने कहा कि इसके लिए बिना किसी विलम्ब के संयुक्त उपक्रम हेतु एम0ओ0यू0 को अन्तिम रूप दिया जाय। उन्होने इस बात पर सन्तोष व्यक्त किया कि ग्राम परासन तहसील कालपी जनपद उरई में एन0एच0पी0सी0 एवं यू0पी0 नेडा के संयुक्त उपक्रम के माध्यम से प्रथम चरण में 50 मेगावाट के ग्रिड संयोजित सोलर पावर प्लाण्ट के लिए एम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित हो चुका है। उन्होने कहा कि जरूरत इस बात की है कि एम0ओ0यू0 के बाद अन्य प्रक्रियाएं भी तेजी से चलाई जायें और ग्रामीणों को शीघ्र से शीघ्र सौर ऊर्जा से लाभान्वित किया जाय।
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त श्री आलोक रंजन ने कहा कि सौर ऊर्जा, उर्जा का एक अक्षय भण्डार है और इसका भरपूर दोहन करने के लिए राज्य में 2000 करोड़ रूपये से अधिक की निवेश की क्षमता है। इसके लिए जरूरी है निवेशकों और उद्यमियों के प्रस्तावों को एक निर्धारित समय-सीमा के अन्तर्गत पूरा कर परियोजना को गतिशील किया जाय।
श्री आलोक रंजन ने कहा कि नेशनल सोलर मिशन की वित्तीय वर्ष 2013-14 हेतु गाइडलाइन्स जारी किए जाने के सम्बन्ध में एम0एन0आर0ई0 (केन्द्र सरकार) से तत्काल सम्पर्क किया जाय और जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी केन्द्रांश प्राप्त किया जाय,जिसके बाद केन्द्र सहायतित योजनाओं का त्वरित क्रियान्वयन किया जा सके। उन्होने कहा कि शीघ्रता किए जाने का महत्व इस बात पर है कि ग्रामों में सामुदायिक मार्ग प्रकाश हेतु सोलर स्ट्रीट लाइट योजना चलाई जायेगी और कुल 34834 संयत्रों की स्थापना केन्द्र से धन मिलने के बाद हो सकेगा।
बैठक में प्रमुख सचिव, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत श्री जीवेश नन्दन ने बताया कि सौर ऊर्जा नीति 2013 में निर्धारित किया गया है कि वर्ष 2017 तक राज्य में 500 मेगावाट क्षमता की विद्युत परियोजनाओं को स्थापित किया जायेगा। अतः सौर ऊर्जा नीति के अनुरूप बिडिंग प्रक्रिया के माध्यम से अब तक वर्ष 2013-14 में 130 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना हेतु निजी पूंजी निवेशकों को आवंटन की कार्यवाही पूरी की गई है। उन्होने कहा कि सौर ऊर्जा के महत्व को देखते हुए परियोजनाओं में पूंजी निवेश और परियोजनाओं के निर्माण आदि कार्यो में अपेक्षित गति बनाई रखी जा रही है। किसी भी स्तर पर विलम्ब नहीं होने दिया जायेगा।
श्री जीवेश नन्दन ने बताया कि जनपद कन्नौज में ‘नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा प्रशिक्षण केेन्द्र’ की स्थापना हेतु समयबद्ध कार्यवाही की जा रही है। उन्होने कहा कि इसके पूर्ण होने पर राज्य में चिनहट (लखनऊ) और जनपद मऊ में स्थापित प्रशिक्षण केन्द्रों की संख्या तीन हो जायेगी। उन्होेने कहा कि चिनहट और मऊ के प्रशिक्षण केन्द्रों को भी सक्रिय किया जा रहा है, क्योंकि सौर ऊर्जा उपकरणों और संयत्रों की स्थापना की मांग काफी बढ़ गयी है, जिनके अनुरक्षण, मरम्मत और संस्थापना आदि कार्यो के लिए प्रशिक्षित लोगों की आगे चलकर भारी आवश्यकता राज्य में होगी। उन्होने कहा कि प्रशिक्षण के बाद युवकों को रोजगार एवं स्वतः रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
बैठक में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण के निदेशक श्री आर.पी. अरोड़ा तथा यू0पी0 नेडा के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। बैठक के दौरान यू0पी0 नेडा द्वारा विकास कार्यक्रमों का एक पावर प्रस्तुतीकरण भी किया गया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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खनिजों की चोरी रोकने के लिए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त द्वारा हाईटेक प्रस्ताव अनुमोदित

Posted on 14 August 2013 by admin

  • आयुक्त एवं जिलाधिकारी के अन्तर्गत गठित प्रवर्तन दल अवैध खनन के स्थानों पर छापा मार कार्यवाही करें-आलोक रंजन

अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त श्री आलोक रंजन ने राज्य में खनिज सम्पदा के अवैध दोहन को रोकने के लिए खनिज बहुल 13 जिलों में बैरियरों पर सी0सी0टी0वी0 लगाने, अधिकारियों को एण्ड्रायड मोबाइल दिए जाने तथा गाडि़यों की ट्रैकिंग के लिए आई0टी0 साफ्टवेयर का प्रयोग करने तथा प्री-पेड रवन्ना सुनिश्चित करने के लिए हैण्ड हेल्ड मशीन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। उन्होने खनिज विभाग को अवैध दोहन रोकने के कड़े निर्देश देते हुए कहा है कि जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित प्रवर्तन दलों और आयुक्त स्तर पर गठित प्रवर्तन दलों को पूरी तरह सक्रिय किया जाय। उन्होने निदेशालय स्तर पर भी प्रवर्तन को कड़ाई से लागू करने के निर्देश देते हुए कहा कि निदेशक अपने स्तर से जिन स्थानों पर राजस्व चोरी हो रही है वहां प्रवर्तन दल भेज कर छापा मारें और अवैध खनन को रोकें।  उन्होने कहा कि अवैध खनन किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त श्री आलोक रंजन आज यहां अपने कार्यालय कक्ष में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की समीक्षा कर रहे थे। उन्होने प्रदेश में उपलब्ध खनिज सम्पदा के व्यवसायिक दोहन एवं खनिज आधारित उद्योगों को लगाने के लिए विशेष बल दिया और यह कहा कि प्रदेश में चिन्ह्ति एवं सिद्ध किये गये खनिज के भण्डारों को विज्ञापित कर इच्छुक उद्यमियेां को आकर्षित करने हेतु प्रोत्साहित किया जाय। उल्लेखनीय है कि राज्य के सोनभद्र में चायनाक्ले, सिलेमिनाइट, झांसी, ललितपुर, महोबा में क्वार्टज, चित्रकूट में बहुमूल्य पोटाश, झांसी में एसबेसटस के भण्डारों को चिन्ह्ति एवं सिद्ध कर लिया गया है। इन सिद्ध भण्डारों का वर्तमान में रू0 8239 करोड़ है। इसके अलावा राज्य के 13 जनपदों में नदियों में बालू के बड़े भण्डार हैं। इनके दोहन से राज्य को राजस्व प्राप्त होता है।
श्री आलोक रंजने ने भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग को निर्देशित किया कि वर्ष 2013-14 के लिए कुल 954 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया है, जिसको वर्षा ऋतु के समापन के तत्काल बाद प्राप्त करने के लिए संबंधित विभाग को कार्य योजना तैयार कर लेनी चाहिए। इस मौके पर निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म डा0 भास्कर उपाध्याय ने बताया कि अप्रैल माह से जुलाई 2013 तक 267.12 करोड़ के सापेक्ष 253.88 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है जो निर्धारित लक्ष्य का 95 प्रतिशत है। उन्होने यह भी बताया कि माह जुलाई का शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया गया है और शेष वार्षिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निर्देशानुसार कार्य योजना बनाई जायेगी और प्रभावी प्रवर्तन, अनुश्रवण सुनिश्चित कर लक्ष्य को पूरा किया जायेगा।
बैठक में प्रमुख सचिव भूतत्व एवं खनिकर्म श्री जीवेश नन्दन, विशेष सचिव श्री सन्तोष कुमार राय, भू-वैज्ञानिक डा0 आर0के0 दलेला सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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